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Posted on Wed 26th May 2021 : 06:03

गर्भावस्था के दौरान व्रत रखना: एक गाइड

क्या गर्भावस्था में व्रत रखना सुरक्षित है?
गर्भावस्था में मैं व्रत कैसे रख सकूंगी?
व्रत रखते समय मुझे किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
मैं चाहकर भी व्रत नहीं रख पा रहीं हूँ, क्या कोई और विकल्प है?

बहुत सी महिलाएं अपनी निजी मान्यताओं या धार्मिक प्रतिबद्धताओं के कारण गर्भावस्था के दौरान व्रत रखती हैं।

करवा चौथ, तीज या शिवरात्रि जैसे त्यौहारों में व्रत रखना तो आम बात है। ये त्यौहार गर्भावस्था के आपके नौ महीनों के दौरान एक बार तो अवश्य ही आएंगे।

अगर, यदि आप व्रत रखना चाहती हैं, विशेषकर लंबे समय के व्रत जैसे की नवरात्री, रमज़ान या फिर लेंट, तो आपको अपना विशेष ध्यान रखना जरुरी है। हमारे इस लेख से जानिए की आप कैसे अपने उपवास का अनुभव अच्छा बना सकती हैं।
क्या गर्भावस्था में व्रत रखना सुरक्षित है?
इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। शोध के बावजूद पूरे यकीन से यह नहीं कहा जा सकता की उपवास आपके और गर्भस्थ शिशु के लिए सुरक्षित है।

हालांकि, अगर आप स्वस्थ व अच्छा महसूस कर रही हैं और आपकी गर्भावस्था भी बिना किसी समस्या के आगे बढ़ रही है, तो ऐसी स्थिति में व्रत रखना सुरक्षित हो सकता है।

व्रत रखने का निर्णय लेने से पहले अपनी डॉक्टर से बात करें, फिर चाहे व्रत एक ही दिन का क्यों न हो।

वे आपके स्वास्थ्य, चिकित्सा इतिहास और गर्भस्थ शिशु के विकास की समीक्षा करेंगी। वे अन्य जटिलताओं की भी जांच करेंगी, जैसे कि:

एनीमिया
गर्भावधि मधुमेह
हाई ब्लड प्रेशर


वह यह भी देखेंगी की आपके गर्भ में एक से अधिक शिशु तो नहीं पल रहे।

एक पहलू यह भी है की उपवास कब और कितने दिनों के लिए रखे जा रहे हैं। कभी-कभार केवल एक दिन का उपवास रखना, कई दिनों तक लगातार व्रत रखने से अलग होता है।

उदाहरण के तौर पर, अगर रमज़ान गर्मियों में है, तब आपको गर्म मौसम और लंबे दिनों का सामना करना पड़ेगा। यह निर्जलीकरण के खतरे को बढ़ा सकता है।

साथ ही, लंबी अवधि के उपवास रखने से आपको कुछ कठिनाई हो सकती है, जैसे:

सिरदर्द
थकान
बेहोशी
चक्कर आना
गंभीर अम्लता (एसिडिटी)
वजन घटना या पर्याप्त वजन न बढ़ना


यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो तुरंत अपनी डॉक्टर से बात करें।
गर्भावस्था में मैं व्रत कैसे रख सकूंगी?
यदि आपका वजन और जीवनशैली आमतौर पर स्वस्थ हैं, तो आपको व्रत रखने में शायद ज्यादा परेशानी न हो। गर्भस्थ शिशु को आपसे पोषण चाहिए होता है, और यदि आपके शरीर में पर्याप्त उर्जा संग्रह है तो व्रत का आप पर इतना असर नहीं होगा। आपका शरीर व्रत के प्रति किस तरह प्रतिक्रिया करता है, वह निम्न बातों पर भी निर्भर करता है:

गर्भवती होने से पहले आपका सामान्य स्वास्थ्य
आपकी गर्भावस्था का चरण
दिन में कितने समय तक आप व्रत रखेंगी

व्रत रखने को लेकर किसी तरह का दबाव महसूस न करें। बेहतर है कि आप अपने परिवार के सदस्यों या धार्मिक गुरु से बात करें। वे शायद आपको सलाह दे सकेंगे कि क्या करना चाहिए। अधिकांश धर्मों में गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली मांओं के लिए कुछ छूट होती है।

याद रखें कि ​केवल आप ही यह बता सकती हैं कि आप कैसा महसूस कर रही हैं और आपके लिए सही निर्णय क्या होगा।
व्रत रखते समय मुझे किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

कुछ धर्मों में व्रत के दौरान किसी भी तरह के खाद्य पदार्थ के सेवन या पानी पीने की भी अनुमति नहीं है। अपनी डॉक्टर तथा धार्मिक गुरु से बात करें कि ऐसी स्थिति में आप क्या बेहतर कर सकती हैं।

कुछ धर्मों में व्रत के विशिष्ट भोजन जैसे गैर-अनाजी पदार्थ, फल, सब्जियां, दूध और रस आदि के सेवन करने की अनुमति है। ऐसे में ताजा फल और सब्जियों के सेवन वाला व्रत रखना एक स्वस्थ विकल्प है। इससे आपको अनिवार्य पोषक तत्व जैसे आयरन आदि मिलते रहेंगे।

व्रत के दौरान अधिक मीठे खाद्य पदार्थों और कॉफी, चाय जैसे कैफीन युक्त पेय पदार्थों के सेवन से दूर ही रहें।

यदि मौसम गर्म और आर्द्रता वाला है, तो अत्याधिक गर्मी के वक्त घर के अंदर ही रहें।

यदि व्रत के दौरान पेय पदार्थ के सेवन की अनुमति है, तो नियमित अंतरालों पर पानी, दूध या गर्भावस्था के ताजगी भरे पेय लेती रहें।

कोशिश करें कि व्रत के दौरानआप बहुत ज्यादा मीठे या तले हुए वसायुक्त भोजन और कैफीनयुक्त पेय जैसे कॉफी या चाय न लें।

गर्मी में न रहें क्योंकि आप बहुत जल्दी निर्जलीकृत हो सकती हैं, जो आपके और शिशु के लिए सही नहीं है। यदि मौसम गर्म और आर्द्र हो तो कड़ी धूप के समय घर पर ही रहें।

दिन में कुछ समय के लिए आराम करने का प्रयास करें। व्रत में मेहनत वाले कार्य और व्यायाम न करना बेहतर है ।

शांत रहें और तनाव वाली परिस्थितियों से बचें। काम का दबाव और अपनी दिनचर्या और आहार में बदलाव से शरीर पर तनाव बढ़ सकता है।

व्रत के दौरान आपकी पाचन प्रणाली धीमी पड़ जाती है, अत: अपना व्रत धीरे-धीरे समाप्त करें। पहले रस का एक छोटा गिलास या नारियल पानी पीएं और इसके बाद हल्का भोजन करें।

सुनिश्चित करें कि डॉक्टर द्वारा दिए गए कोई भी अनुपूरक या दवा लेना आप न चूकें। यदि आप व्रत की वजह से अपनी दवाएं नहीं लेंगी तो इससे गर्भावस्था में समस्याएं हो सकती हैं।

यदि आपको अत्यधिक थकावट, धकधकी, पेट में मरोड़ या अत्यधिक मिचली या एसिडिटी हो, तो तुरन्त अपनी डॉक्टर से सलाह करें।

मैं चाहकर भी व्रत नहीं रख पा रहीं हूँ, क्या कोई और विकल्प है?
अनेक महिलाओं के लिए व्रत रखना उनके जीवन का एक अभिन्न अंग है। विशेषकर तब, जब यह उनके रीति-रिवाज या धार्मिक विश्वास से जुड़ा हो। जो चीज आपके लिए अत्यधिक महत्त्व रखती है, उसे छोड़ने के बारे में सोचकर आपका निराश होना स्वाभाविक है।

बहरहाल, आपको व्रत न रख पाने को लेकर निराश नहीं होना चाहिए। अधिकांश धर्मों में यही मान्यता होती है कि गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को केवल तभी व्रत रखना चाहिए जब वे ऐसा करने के लिए स्वस्थ्य महसूस कर रही हों। आप अन्य विकल्पों पर भी विचार कर सकती हैं, जैसे कि:

क्या आप प्रतिदिन व्रत रखने के बजाय व्रत की अवधि के दौरान पहले और अंतिम दिन व्रत रख सकती हैं?

क्या प्रतिदिन व्रत रखने के बजाय सप्ताह में एक बार या एक दिन छोड़कर व्रत रखना संभव है?

क्या आप पूरा खाना-पीना छोड़ने की जगह व्रत के दौरान फलाहार कर सकती हैं?

क्या गर्भवती महिलाओं के लिए व्रत में कोई छूट या विशेष अनुमति है, जैसे कि जल्दी व्रत तोड़ देना या बाद में कभी व्रत रख कर इसकी भरपाई करना?

क्या यह संभव है कि परिवार का कोई अन्य सदस्य आपके साथ मिलकर इस व्रत को बांटे? कुछ पति आधा दिन व्रत रखते हैं और आधा दिन उनकी पत्नी व्रत रखती है।

क्या आप व्रत रखने के बदले कोई अन्य त्याग कर सकती हैं, जैसे कि मांसाहारी भोजन, मिठाई, विशिष्ट अनाज या नमक आदि से परहेज करना?

क्या आप कोई और प्रकार का व्रत रख सकती हैं, जैसे की “मौन व्रत”?

कुछ महिलाएं वह धन दान करती हैं, जो वे सामान्यत: अपने ऊपर खर्च करतीं। वहीं कुछ महिलाएं ऐसी चीजों का त्याग करके अपना धर्म पूरा करती हैं, जो उन्हें बहुत पसंद होती हैं, जैसे कि फिल्म देखना या खरीदारी।

आप अपने परिवारजनों या दोस्तों से भी पूछ सकती हैं कि गर्भावस्था के दौरान उन्होंने क्या विकल्प अपनाए थे।

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