छोटे बच्चे दूध क्यों निकलते हैं?pregnancytips.in

Posted on Thu 13th Oct 2022 : 14:41

शिशुओं में रिफ्लक्स (दूध उलटना)

रिफ्लक्स क्या है?
रिफ्लक्स को दूध उलटना या हल्का दूध निकालना (पोसेटिंग) भी कहा जाता है। यह तब होता है जब शिशु जो दूध पी चुका होता है वह वापिस उसकी भोजन नलिका (इसोफेगस) में ऊपर की तरफ आ जाए। इसका चिकित्सकीय नाम गैस्ट्रो इसोफेगल रिफ्लक्स (जीओआर) है।

यदि आपके शिशु को भी रिफ्लक्स रहता है तो मलमल का कपड़ा या रुमाल आपके काफी काम आ सकता है! फॉर्मूला दूध पीने वाले और स्तनपान करने वाले दोनों ही शिशुओं को रिफ्लक्स हो सकता है।

आपके शिशु के पेट में अम्ल (एसिड) होता है जो दूध को पचाने में मदद करता है। दूध और एसिड का यह मिश्रण भोजन नलिका में ऊपर की तरफ आ सकता है और शिशु को असहज कर सकता है। यदि आपको कभी भी सीने में जलन या एसिडडिटी रही हो, तो आप समझ सकती हैं कि एसिड रिफ्लक्स से किस तरह की जलन महसूस होती है।

रिफ्लक्स की वजह से बार-बार का मुंह साफ करना पड़ता है और दूध के छींटे गिरने पर सफाई का काम बढ़ जाता है। इससे आप परेशान हो सकती हैं, मगर ऐसा करना शिशुओं के लिए सामान्य है। यह आमतौर पर किसी बीमारी का संकेत नहीं होता। सामान्यत: तकरीबन आधे से ज्यादा शिशुओं को ऐसा होता है और इनमें से पांच प्रतिशत शिशुओं के साथ तो दिन में छह या इससे ज्यादा बार ऐसा हो जाता है। रिफ्लक्स एक अस्थाई समस्या है जो शिशु की पाचन प्रणाली के परिपक्व होने के साथ अक्सर बेहतर होती जाती है।

हालांकि, कुछ शिशुओं में यह तकलीफदेह, गंभीर या लगातार रिफ्लक्स (गैस्ट्रो-इसाफगस रिफ्लक्स डीजीज या जीओआरडी) हो सकता है।
शिशुओं में रिफ्लक्स (दूध उलटने) की वजह क्या है?
आपके शिशु की भोजन नलिका उसके मुंह को पेट से जोड़ती है। यह नलिका जहां पेट से जुड़ती है वहां एक वैल्व होता है, जो मांसपेशी के छल्ले द्वारा नियंत्रित होता है। जब आपका शिशु दूध पीता है, तो यह वैल्व दूध को अंदर लाने के लिए खुलता है और फिर बंद हो जाता है ताकि दूध पेट में ही रहे। चूंकि मांसपेशी का यह छल्ला अभी परिपक्व हो रहा होता है, इसलिए हमेशा ठीक से काम नहीं कर पाता।

इसका मतलब है कि जब आपके शिशु का पेट भर जाता है, तो दूध और एसिड भोजन नलिका में वापिस आ सकते हैं और असहजता पैदा कर सकते हैं। जब भी ऐसा होता है, तो आप शायद इसे देख सकेंगी, मगर कई बार आपका शिशु दूध को गटक सकता है या फिर संभव है कि दूध शिशु के मुंह तक आए ही ना। इसे साइलेंट रिफ्लक्स कहा जाता है।

ध्यान रखें कि आपके शिशु का पेट अभी छोटा है, इसलिए वह ज्यादा दूध नहीं पी सकता और दूध का बाहर निकलना सामान्य है। नवजात शिशु के पेट का माप पहाड़ी बादाम जितना होता है। तीन दिन बाद यह बढ़कर अखरोट जितना हो जाता है। जब शिशु 10 दिन का होता है, तो उसके पेट का माप मुर्गी के एक बड़े अंडे के करीब ही होता है।

शिशु के पेट को भोजन नलिका से जोड़ने वाला यह मांसपेशीय वैल्व समय के साथ-साथ मजबूत होता जाएगा। इसका मतलब है कि उसके पेट की क्षमता बढ़ने के साथ-साथ रिफ्लक्स होना भी बंद हो जाएगा। जिन शिशुओं को रिफ्लक्स रहता है उनमें से करीब 90 प्रतिशत को एक साल का होने तक यह परेशानी नहीं रहती।

कई बार रिफ्लक्स को किसी अन्य स्वास्थ्य स्थिति से भी जोड़ा जाता है, जिसमें शिशु की पाचन प्रणाली बहुत धीरे काम करने लगती है। ऐसे मामलों में शिशु के पेट में भोजन ज्यादा समय तक रहता है। ऐसा गाय के दूध से एलर्जी या असहिष्णुता की वजह से संभव है। यदि आपको लगता है कि आपके शिशु के साथ भी ऐसा है तो डॉक्टर से बात करें।
कैसे पता चलेगा कि मेरे शिशु को रिफ्लक्स है?
आपका शिशु थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दूध उलटेगा या फिर दूध पीने के बाद कभी-कभार उल्टी करेगा। उसे हिचकियां और खांसी भी हो सकती है और थोड़ा सा दूध छींटों के तौर पर निकल सकता है।

यह सामान्य है और जब तक आपका शिशु स्वस्थ लग रहा हो, तब तक चिंता करने की कोई बात नहीं होती। बस आप यह सुनिश्चित करें कि आपके पास टिश्यू या रुमाल हमेशा हो।
शिशु को रिफ्लक्स होने से कैसे बचाया जा सकता है?
यदि शिशु को हल्का रिफ्लक्स रहता है और वह सही से दूध पी रहा है और इससे उसे कोई परेशानी नहीं हो रही, तो निम्नांकित उपाय आपके काम आ सकते हैं:

दूध पिलाते समय जितना अधिक हो सके शिशु को सीधी अवस्था में रखें।
हर बार दूध पिलाने के बाद शिशु को 20 से 30 मिनट तक सीधे पकड़े रखें।
शिशु को कम मात्रा में मगर बार-बार दूध पिलाकर देखें।
हर बार दूध पिलाने के बाद शिशु को डकार दिलाएं। यदि आप शिशु को बोतल से दूध पिलाती हैं, तो उसे दूध पिलाने के दौरान हर दो से तीन मिनट में डकार दिलवाएं। यह भी सुनिश्चित करें कि बोतल की निप्पल का छेद ज्यादा बड़ा न हो। यदि छेद बड़ा हो तो दूध बहुत जल्दी-जल्दी बाहर आता है।

आप शिशु का सिराहना ऊंचा करके देख सकती हैं। इसके लिए आप उसके गद्दे के नीचे कुछ लगा सकती हैं। शिशु को पीठ के बल ही सुलाना चाहिए, मगर यदि उसका सिर, पैरों की तुलना में थोड़ा ऊंचा हो तो मदद मिलती है।
शिशु को डॉक्टर के पास कब ले जाना चाहिए?
थोड़ा बहुत दूध उलटना या दूध पीने के बाद कभी-कभार उल्टी कर देना चिंता की बात नहीं है। मगर यदि आपको शिशु में निम्नांकित लक्षण दिखाई दें, तो शिशु के डॉक्टर से संपर्क करें:

उसे बार-बार रिफ्लक्स हो रहा है
दूध पीने के दौरान या बाद में वह चिड़चिड़ा रहता है, रोता है और अपनी पीठ को चापाकार में मोड़ता है।
दूध पीने के दो घंटे तक नियमित तौर पर काफी ज्यादा मात्रा में उल्टी करता है
वह हरी या पीली उल्टी कर रहा है या उसकी उल्टी में खून है जो कि कॉफी पाउडर जैसा दिखता है।
वह दूध पीने में परेशान करता है या दूध पीने के लिए मना करता है, मगर यदि आप उसे पैसिफायर या सूदर दें तो वह उसे चूसता है
ऐसा लगता है कि उसके पेट या गले में दर्द है
उसका वजन नहीं बढ़ रहा है

शिशु को कब-कब रिफ्लक्स होता है, इसकी एक डायरी बनाएं और हो सके तो इसे डॉक्टर को भी दिखाएं। आप निम्नांकित बातों को नोट करें:

आपका शिशु कब दूध पीता है
उसके रोने का दौर कब शुरु होता है
वह कितनी बार और कितना दूध उलट रहा है


इस जानकारी से डॉक्टर को यह निर्णय लेने में मदद मिलेगी कि कहीं यह सब किसी और वजह से तो नहीं हो रहा। शिशु को नियमित जांच के लिए लेकर जाए ताकि उसका वजन मापा जा सके। इस तरीके से सुनिश्चित किया जा सकेगा कि शिशु सही ढंग से बढ़ रहा है।
क्या शिशु के दूध उलटने के कोई उपचार हैं?
यदि आपके शिशु का रिफ्लक्स गंभीर या ज्यादा परेशान करने वाला हो, तो डॉक्टर निम्नांकित सलाह दे सकते हैं:

इन्फेंट एंटासिड आजमाकर देखना
एंटासिड शिशु के पेट में एसिड के प्रभाव को खत्म कर देता है, इसलिए दूध भोजन नलिका में ऊपर की तरफ आ जाए, तो भी शिशु को इतना दर्द महसूस नहीं होता। एंटासिड को एल्गिनेट दवा के साथ मिलाकर भी लिया जा सकता है। यह एक ऐसी दवा है जो दूध और एसिड को शिशु के पेट में बनाए रखने में मदद करती है।

यदि आप शिशु को स्तनपान करवाती हैं तो कुछ डॉक्टर सलाह देते हैं कि आप स्तनदूध निकालकर (एक्सप्रेस) उसमें थोड़ा एंटासिड मिलाकर शिशु को दें।

यह उबालकर ठंडे किए गए पानी में या फिर फॉर्मूला दूध में मिलाकर भी दिया जा सकता है।

शिशु को एंटासिड कितनी मात्रा में देनी चाहिए, इस बारे में डॉक्टर आपको बताएंगे।

यदि ये उपाय काम न आए, तो शिशु के डॉक्टर अतिरिक्त दवाई या मोटिलिटी एजेंट लेने की सलाह दे सकते हैं। ये भी काम न आए तो वे फॉर्मूला दूध की जगह सोया आधारित फॉर्मूला दूध देने या स्तनपान करवाने वाली माँ के आहार से डेयरी उत्पाद हटाने की सलाह दे सकते हैं।

कोई भी बदलाव करने से पहले शिशु के डॉक्टर से सलाह लें और डॉक्टर से पूछे बिना शिशु को कोई भी दवा न दें।

गाय का दूध बंद करना
यह जान पाना मुश्किल है कि रिफ्लक्स से ग्रस्त कितने शिशुओं को गाय के दूध से एलर्जी होती है, क्योंकि दोनों ही स्थितियों के लक्षण एक जैसे होते हैं। भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि 10 प्रतिशत मामलों में रिफ्लक्स रोग से पीड़ित शिशुओं को गाय के दूध के प्रोटीन से एलर्जी होती है।

यदि आप शिशु को स्तनपान करवाती हैं, तो आपको दूध और अन्य डेयरी उत्पाद जैसे कि पनीर, चीज़, योगर्ट या दही का सेवन बंद करके देखना होगा, ताकि ये आपके स्तनदूध में ना मिल सकें। हालांकि, ऐसा केवल शिशु के डॉक्टर से सलाह करके करें, क्योंकि यह न केवल शिशु को प्रभावित करता है बल्कि आपके आहार और पोषण पर भी असर डालता है।

यदि आप शिशु को फॉर्मूला दूध पिलाती है, तो डॉक्टर शिशु को कुछ हफ्तों के लिए हाइपोएलर्जेनिक फॉर्मूला देने की सलाह दे सकते हैं और देखेंगे कि इससे फर्क पड़ता है या नहीं।

आपके शिशु को और अधिक जांचें करवाने और विशेषज्ञ को दिखाने की जरुरत निम्न स्थितियों में हो सकती है:

आपके शिशु की उल्टी में खून है, जो कि कॉफी पाउडर जैसा दिख सकता है
आपके शिशु को एनीमिया यानि खून की कमी हो जाती है (उसके पास पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएं नहीं हैं)
शिशु लगातार खांसता रहता है या अक्सर उसे छाती का इनफेक्शन हो जाता है
शिशु का वजन पर्याप्त नहीं बढ़ रहा है
शिशु को निगलने में मुश्किल हो रही है
शिशु का उल्टी करना बंद नहीं हो रहा है


ये लक्षण दुर्लभ हैं, मगर यदि आप इनमें से किसी को भी लेकर चिंतित हैं तो डॉक्टर को दिखाएं। घर के बड़े-बुजुर्ग आपको होम्योपैथी उपचार लेने की सलाह दे सकते हैं। लेकिन, शिशु को कोई भी हर्बल उपचार देने से पहले डॉक्टर से पूछ लें।

हर्बल उपचार, शहद से बनी घरेलू दवाएं और जन्म घुट्टी आदि में ऐसे तत्व हो सकते हैं जो छोटे शिशुओं के लिए सही न हों। यदि आप कोई वैकल्पिक दवा आजमाना चाहे, तो पहले किसी प्रशिक्षित विशेषज्ञ की सलाह लेना न भूलें।
शिशु के दूध उलटने की समस्या के लिए मैं क्या कर सकती हूं?
शिशु का लगातार दूध उलटना आपको काफी परेशान कर सकता है व थका सकता है। दूध उलटने के छींटे काफी दूर तक जा सकते हैं और आप पर, आपके शिशु और आसपास रखे सामान पर गिर सकते हैं। हो सकता है आपको अपने अंदर हमेशा फटे दूध की सी गंध महसूस होती हो। यह ध्यान रखें कि रिफ्लक्स काफी आम है और अधिकांश माता-पिताओं को इससे गुजरना पड़ता हैं।

आप ये सरल उपाय आजमाकर देख सकती हैं:

शिशु को ऐसे कपड़े पहनाएं, जिन्हें आसानी से निकाला जा सके और धोया जा सके। शिशु को पहनाने के लिए कई जोड़ी साफ कपड़े तैयार रखें।
शिशु को लेकर बैठने के लिए विशेष सोफे या कुर्सी का इस्तेमाल करें और इसे किसी चादर या तौलिये से ढक दें। एक अतिरिक्त चादर या कवर भी तैयार रखें ताकि आप एक धो सकें और दूसरी बिछा सकें।
शिशु की प्रैम, कार सीट पर भी ऐसा कवर बिछाएं जिसे आसानी से धोया जा सके। एक अतिरिक्त कवर भी रखें ताकि एक को धोया और दूसरे को बिछाया जा सके।
कार की सीट पर भी ऐसे कवर लगा लें जिन्हें पौंछ कर साफ किया जा सके और साज-सज्जा का सामान भी सुरक्षित रहे। शिशु के बड़ा होने पर भी ये काफी काम आएंगे।
अपने लिए भी आप एक-दो अतिरिक्त कुर्ते या टॉप रखें और शिशु के कपड़े व मलमल के रुमाल अपने बैग में रखें। गंदे कपड़े रखने के लिए कुछ प्लास्टिक के कैरी बैग भी ले लें।
अपने बैग में हमेशा बेबी वाइप्स और पानी की बोतल रखें।

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