जन्म देने के बाद टांके कहां होते हैं?pregnancytips.in

Posted on Wed 12th Oct 2022 : 12:06

नॉर्मल डिलीवरी के बाद टांके

In this article

डिलीवरी के बाद टांकों की जरुरत क्यों पड़ती है?
योनि में लगे टांकों को ठीक होने में कितना समय लगता है?
योनि में लगे टांकों की देखभाल मुझे कैसे करनी चाहिए?
योनि के आसपास दर्द होने पर मैं क्या कर सकती हूं?
टांकों से जुड़ी किसी परेशानी के बारे में मुझे डॉक्टर से कब बात करनी चाहिए?
क्या टांकों की वजह से मुझे भविष्य में दिक्कत हो सकती है?

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जिन महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी होती है, उनमें से अधिकांश को योनि में टांके लगाए जाते हैं। ये टांके मूलाधार के चीरे (एपिसियोटमी) या पेरिनियम क्षेत्र के फट जाने पर लगाए जाते हैं। डिलीवरी के बाद कुछ हफ्तों में जैसे-जैसे चीरे का घाव ठीक होता है, ये टांके भी अपने आप गल जाते हैं। इन टांकों में आपको दर्द हो सकता है और आपको यह ​सुनिश्चित करना होगा कि टांकों की साफ-सफाई रखें ताकि इनफेक्शन से बचा जा सके। इसके बारे में आगे​ विस्तार से जानें।
डिलीवरी के बाद टांकों की जरुरत क्यों पड़ती है?
नॉर्मल डिलीवरी के दौरान आपकी योनि और गुदा के बीच के मांसपे​शीय क्षेत्र (पेरिनियम) में बहुत ज्यादा खिंचाव होता है।

अक्सर यह खिंचाव इतना ज्यादा होता है कि त्वचा फट जाती है। इसलिए भारत में अधिकांश डॉक्टर जब पेरिनियम क्षेत्र में खिंचाव होने लगता है तो वहां स्वयं शल्य चीरा (भगछेदन) लगा देती हैं। इस चीरे को अंग्रेजी में एपिसियोटमी कहा जाता है।

कई बार शल्य चीरा लगाने के बाद एपिसियोटमी उसी रेखा से और ज्यादा गहरी फट जाती है।

यदि आपके पेरिनियम क्षेत्र की त्वचा या चीरा बहुत ज्यादा फट जाए तो उत्तकों और त्वचा को ठीक होने में मदद के लिए टांकों की जरुरत होगी।

कई बार, खिंचाव होने पर भी त्वचा ज्यादा गहराई से नहीं फटती। इसमें केवल त्वचा की परतें फटती हैं, मांसपेशियां नहीं फटती। ऐसी स्थिति में टांके लगाने की जरुरत नहीं होती। इन्हें अंग्रेजी में फर्स्ट डिग्री टेयर कहा जाता है। यदि आप इतनी सौभाग्यशाली रहीं कि आपको एपिसियोटमी न करवानी पड़ी हो और केवल फर्स्ट डिग्री टेयर ही हुआ हो तो आपको शायद टांकों की भी जरुरत न पड़े।
योनि में लगे टांकों को ठीक होने में कितना समय लगता है?
आमतौर पर टांके डिलीवरी के दो हफ्तों के अंदर अपने आप गल जाते हैं, मगर चीरे की जगह को पूरी तरह ठीक होने में और ज्यादा समय लगता है। चीरे का घाव कितनी जल्दी ठीक होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी त्वचा कितनी गहरी फटी है या चीरा कितना गहराई से लगा है।

सामान्य एपिसियोटमी या सैकंड डिग्री टेयर, जिसमें त्वचा के साथ मांसपेशी भी फटती है, वह आमतौर पर दो से तीन हफ्तों में ठीक हो जाती है। कुछ महिलाओं को एक या दो महीने तक दर्द व असहजता महसूस होती है।

यदि भगछेदन का चीरा बहुत गहराई तक फट गया हो और थर्ड या फोर्थ डिग्री टेयर हुआ हो - जिसमें त्वचा गुदा तक फट जाए, तो आपको लंबे समय तक दर्द व असहजता हो सकती है।

थर्ड और फोर्थ डिग्री टेयर किसी के साथ भी हो सकता है। डिलीवरी के बाद शुरुआती कुछ दिनों में आपको पेशाब या मलत्याग करने में भी मुश्किल हो सकती है। यह भी संभव है कि आपको कई महीनों या सालों तक गैस या मल को नियंत्रित करने में मुश्किल हो।

आपका मूलाधार का चीरा ज्यादा गहराई तक फटने की संभावना रहती है, यदि:

यह आपकी पहली नॉर्मल डिलीवरी है
आपके शिशु का जन्म बैक-टू-बैक स्थिति (जिसमें शिशु की पीठ माँ की पीठ की तरफ होती है) में हुआ है
प्रसव के दौरान जोर लगाने वाला चरण उम्मीद से काफी लंबा चला
आपके शिशु का वजन 4 किलो से भी ज्यादा है
पिछली डिलीवरी में पेरिनियम क्षेत्र में गहरा चीरा लगा था
आपका प्रसव उपकरणों की सहायता से हुआ है, जिसमें शिशु का जन्म प्रसूति चिमटी (फॉरसेप्स) या वेंटूस की मदद से कराया जाता है।
डिलीवरी के दौरान आपके शिशु का एक कंधा आपकी पुरोनितंबास्थि (प्यूबिक बोन) के पीछे फंस गया (शोल्डर डिस्टोकिया)।

योनि में लगे टांकों की देखभाल मुझे कैसे करनी चाहिए?
यदि आपको टांके लगे हों तो अस्पताल से घर आ जाने के बाद कोशिश करें कि आप ज्यादा देर तक बैठी न रहें, खासतौर पर शुरुआती कुछ दिनों तक। बैठने से आपके शरीर का वजन श्रोणि क्षेत्र पर पड़ता है। इसकी बजाय आप खड़े रहने, चलने-फिरने, लेटने या अर्धलेटी अवस्था में बैठने की कोशिश करें।

श्रोणि क्षेत्र में रक्त संचरण बेहतर करने के लिए पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज (कीगल्स) करें। इससे चीरे के घाव को ठीक होने और मांसपेशियों को मजबूत होने में मदद मिलेगी। इससे अचानक पेशाब लीक होने की समस्या (मूत्र असयंमितता) में सुधार आएगा।

डिलीवरी के बाद डॉक्टर आपको जो एंटिबायोटिक दवाएं दें उनका कोर्स पूरा करें और दवाएं समय पर लें। इससे आपको इनफेक्शन से सुरखा मिलेगी। आसानी से मलत्याग के लिए आपको रेचक (लैक्सेटिव) दिए जा सकते हैं, ताकि मलत्याग के दौरान टांकों पर जोर न पड़े।

टांकों को साफ रखने और उन्हें ठीक होने में मदद के लिए आप निम्नांकित उपाय भी आजमा सकती हैं:

रोजाना नहाएं।
नियमित तौर पर पर सैनिटरी पैड बदलें।
योनि व इसके आसपास की जगह को साफ करने से पहले और इसके बाद अपने हाथ अवश्य धोएं।
रोजाना अपने टांकों में 10 से 20 मिनट तक हवा लगने दें। आप अपने बिस्तर एक तौलिया बिछाकर उसपर लेट जाएं और चीरे की जगह पर हवा लगने दें। हवा लगने से ये सूखेंगे और जल्दी ठीक होंगे।
आरामदेह सूती पैंटी पहनें जिसमें हवा की आवाजाही रहे।
कब्ज से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। कब्ज होने पर मलत्याग के समय टांकों पर जोर पड़ सकता है।
शौचालय के इस्तेमाल के बाद योनि क्षेत्र को साफ करें और डॉक्टर द्वारा दी गई आइंटमेंट लगाएं।

योनि के आसपास दर्द होने पर मैं क्या कर सकती हूं?
डिलीवरी के बाद शुरुआती कुछ दिनों के लिए डॉक्टर आपको दर्दनिवारक दवा देंगी। हालांकि, जल्द ही आप पाएंगी कि इन दवाओं के बिना भी आप दर्द सहन कर पा रही हैं।

दर्द व असहजता से राहत पाने के लिए आप इन घरेलू उपायों को अपना सकती हैं:

पेरिनियम क्षेत्र में ठंडी या गर्म सिकाई करें। शुरुआत के दिनों में सूजन कम करने के लिए ठंडा पैक अच्छा रहेगा। जब सूजन कम हो जाए, टांकों से होने वाली असहजता कम करने के गर्म सिकाई कर सकती हैं।
पेशाब करते समय एक मग हल्का गर्म पानी पेरिनियम क्षेत्र पर डालें। टॉयलेट पेपर से टांकों को थपथपाते हुए पौंछ लें।
गर्म पानी के टब में एंटीसेप्टिक मिला कर एक बार में पांच से 10 मिनट के लिए उसमें बैठे। जब तक टांकों से असहजता कम न हो तब तक आप ऐसा दिन में दो बार कर सकती हैं। इसे अंग्रेजी में सिट्ज़ बाथ कहा जाता है और यह दर्द कम करने में मदद करता है।
जब तक आप पूरी तरह ठीक नहीं हो जाती और डॉक्टर इसकी जांच न कर लें, तब तक टैम्पॉन का इस्तेमाल न करें।
खुद को न थकाएं। बिस्तर से निकलकर चलना-फिरना आपके रक्त संचरण के लिए अच्छा है, मगर आपको पेरिनियम क्षेत्र में भारीपन सा महसूस हो, तो यह संकेत है कि आपको आराम की जरुरत है। इसलिए बीच—बीच में कुछ समय के लिए आराम अवश्य करें।
पालथी मारकर न बैठें, क्योंकि इससे पेरिनियम क्षेत्र में खिंचाव हो सकता है और टांकें भी खिंच सकते हैं।

टांकों से जुड़ी किसी परेशानी के बारे में मुझे डॉक्टर से कब बात करनी चाहिए?
अस्पताल से छुट्टी मिलने के समय डॉक्टर आपको अगले अप्वाइंटमेंट के बारे में बता देंगी, ताकि वे देख सकें कि टांके व घाव सही हो रहे हैं या नहीं। यह चेकअप आमतौर पर एकांतवास की अवधि के बाद यानि डिलीवरी के छह हफ्तों बाद होता है।

यदि इससे पहले आपको कोई चिंता हो, तो आप अपने लक्षणों के बारे में डॉक्टर से फोन पर बात कर सकती हैं। कुछ ऐसे लक्षण हैं जो समस्या की तरफ इशारा करते हैं और उन्हें अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। निम्नांकित स्थितियों में तुरंत डॉक्टर से बात करें:

समय बीतने के ​साथ-साथ टांकों में दर्द कम होने की बजाय बढ़ रहा हो
आपके टांकों से दुर्गंध आए या दुर्गंध वाला स्त्राव आए।
आपको मल त्याग की इच्छा इतनी तीव्र होती है कि शौचालय की ओर भागना पड़ता है और गैस निकलते समय आप अपने मल को नियंत्रित नहीं कर पाती हैं
पेशाब करते हुए दर्द हो रहा है और आपको बार-बार पेशाब जाना पड़ रहा है
आपको पेट पर नीचे की तरफ या फिर पेरिनियम क्षेत्र के आसपास तेज दर्द है
आपको बुखार है
आपको सैनिटरी पैड में बड़े खून के थक्के दिख रहे हों या बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव हो रहा हो।

क्या टांकों की वजह से मुझे भविष्य में दिक्कत हो सकती है?
यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका चीरा कितना गंभीर या गहरा था। जिन महिलाओं का पेरिनियम क्षेत्र थर्ड या फोर्थ डिग्री तक फट जाता है, उनमें से कुछ को लंबे समय तक उस क्षेत्र में दर्द रहता है। या फिर उन्हें पेशाब को नियंत्रित करने से जुड़ी समस्याएं होती हैं।

डिलीवरी के बाद जिन महिलाओं को टांके लगते हैं, उनमें से कुछ को संभोग (सेक्स) के दौरान दर्द हो सकता है या मूत्राशय से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।

ये समस्याएं शिशु के जन्म के बाद होने वाली आम समस्याएं नहीं हैं, इसलिए आपको इन्हें सहने की जरुरत नहीं है। यदि समय के ​साथ आपकी असहजता और लक्षणों में सुधार न आए तो आप महिलाओं की समस्याओं की विशेषज्ञ फिजियोथेरेपिस्ट को दिखा सकती हैं। वे पेल्विक फ्लोर में फिर से मजबूती लाने में आपकी मदद कर सकती हैं। सही उपचार से टांकों की वजह से होने वाली अधिकांश समस्याओं का समाधान हो जाता है या उनमें सुधार आता है।

डॉक्टरी सलाह लेने से पहले नियमित तौर पर पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज (कीगल) करें। इन लक्षणों में अक्सर नियमित कीगल व्यायाम करने से सुधार आ जाता है।

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