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जुड़वां बच्चे होने के क्या कारण हो सकते हैं:
अधिक उम्र के बाद कंसीव करने पर जुड़वा बच्चों की संभावना बढ़ जाती है।
“महिला की उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसके जुड़वां शिशु होने की संभावना बढ़ती जाती है। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ ही महिलाओं में एफएसएच (फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन) के बनने में कमी आती है जो ऑव्युलेशन (ovulation) के लिए ज्यादा अंडे विकसित करने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और जब अंडाशय से निकलने वाले अंडों की संख्या बढ़ने लगती है, तब ट्विन्स के साथ गर्भधारण करने की संभावनाएं बढ़ जाती है।”
जुड़वां बच्चे होने का कारण ये भी हो सकते हैं :
जुड़वां बच्चे होने का कारण : अनुवांशिक (जेनेटिक्स)
जुड़वां बच्चे होने का सबसे पहला और एहम कारण अनुवांशिकता भी हो सकता है। यदि परिवार में पहले भी जुड़वा बच्चे हुए हैं तो संभावना रहती है कि गर्भवती महिला को भी जुड़वा बच्चे हो।
जुड़वां बच्चे होने का कारण ऊंचाई और वजन (height and weight)
कई स्टडीज के अनुसार माना यह भी जाता है कि महिला का सामान्य से ज्यादा हाइट और वेट भी जुड़वां बच्चों के होने का कारण बन सकता है। सभी ज्यादा हाइट की महिलाएं जुड़वा बच्चों को जन्म दें, ये जरूरी नहीं है।
मां की उम्र (age of mother) जुड़वां बच्चे होने का कारण
डॉक्टरों के अनुसार अधिक उम्र कि महिलाओं में जुड़वां बच्चे पैदा होने की संभावना अधिक होती है। बढ़ती उम्र के साथ फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन के निर्माण मे कमी आती है। बढ़ती उम्र की महिलाओं में ऑव्युलेशन के दौरान एक से अधिक संख्या मे अंडा रिलीज करने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे मे महिला के गर्भ में जुड़वा बच्चे हो सकते हैं।
गर्भनिरोधक गोलियां (contraceptive pills) जुड़वां बच्चे होने का कारण:
इस बात से तो सब ही रूबरू है कि गर्भनिरोधक गोलियां प्रेग्नेंसी रोकने के लिए ली जाती हैं लेकिन, इन गोलियों का इस्तेमाल करने से भी जुड़वां बच्चे होने की संभावना हो सकती है। जब महिला इसे खाना बंद करती है तभी उसके शरीर मे कई हार्मोनल परिवर्तन आते हैं। इसी कारण जुड़वां बच्चे होने की आशंका बढ़ जाती है।
आईवीएफ जुड़वां बच्चे होने के कारण (IVF)
आईवीएफ प्रक्रिया, जुड़वां बच्चे होने का कारण हो सकती है। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करता है, गर्भ में कितने भ्रूण स्थानांतरित किए जा रहे हैं। आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) की प्रक्रिया के दौरान डॉक्टरों द्वारा एक ही समय में कई अंडे फर्टलाइज किए जाते हैं और निषेचित किए गए एग को यूटरस मे डाला जाता है। इस तरह फर्टिलिटी ट्रीटमेंट में ट्विन्स होने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं आईयूआई (IUI) प्रोसेस में सिरिंज द्वारा महिला के गर्भाशय में स्पर्म डाले जाते हैं। इसके जरिए प्रेग्नेंसी में जुड़वां बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि, इसके लिए महिलाओं को प्रजनन दवाएं लेने की भी जरूरत पड़ती है।
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