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नवजात को टिटनेस से बचने के लिए कराएं नियमित टीकाकरण
टिटनेस के संक्रमण से 90 फीसद नवजात की हो जाती है मौत, लरामपुर अस्पताल में हुई वर्कशॉप में बाल विशेषज्ञ डॉ. बृजेश ने बताए बचाव के तरीके।
टिटनेस के संक्रमण से नवजात की मृत्युदर 90 फीसद है, जबकि बड़ों की मृत्युदर 50 प्रतिशत है। अगर मां को टिटनेस का इंजेक्शन लगा है तो बच्चा संक्रमण से बच सकता है। हालांकि अब नियमित वैक्सीनेशन की वजह से यह बीमारी नियंत्रित हो गई है। बलरामपुर अस्पताल में शुक्रवार को आयोजित वर्कशॉप में बालरोग विशेषज्ञ डॉ. बृजेश कुमार ने टिटनेस के संक्रमण से बचाव के तरीके बताए। उन्हें बेस्ट प्रजेंटेशन के लिए सम्मानित किया गया।
टिटनेस 'क्लोस्ट्रीडियम टेटानी' नामक बैक्टीरिया से होता है। यह मिट्टी में निष्क्रिय रहता है। चोट लगने पर यह मृत मांसपेशियों में तेजी से बढऩे लगता है। इससे शरीर में ऐंठन होती है और जबड़ा भिंचने लगता है। कई बार इससे व्यक्ति की मौत हो जाती है। प्रसव के समय स्वच्छता नहीं रखने पर भी नवजात को टिटनेस हो सकता है।
गहरी चोट पर लगाएं टिटनेस इम्यूनो ग्लोबिन
चोट अगर हल्की लगी है तो टिटबैक इंजेक्शन लगाया जा सकता है। वहीं अगर चोट गहरी है तो टिटनेस इम्यूनोग्लोबिन (टीआइजी) इंजेक्शन लगवाएं। गर्भवती को टिटबैक इंजेक्शन अवश्य लगाना चाहिए। वहीं, बच्चों को छह सप्ताह, डेढ़ साल, चौथे और पांचवें व 10वें वर्ष पर टिटबैक लगाना चाहिए। चोट लगने पर 24 घंटे के अंदर टिटबैक इंजेक्शन लगवाना जरूरी है।
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