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डिलीवरी के बाद जितनी देखभाल नवजात की करनी होती है, उतनी ही देखभाल की जरूरत मां को भी होती है। उनके खाने-पीने से लेकर रेस्ट तक पर खास ध्यान दिया जाता है। ये बहुत पुरानी परंपरा है कि बच्चे के जन्म देने के बाद मां की भी मालिश होती है। ये मालिश क्यों होती है और कितने समय तक जारी रखनी चाहिए, इस बात से वो महिलाएं अनजान रह जाती हैं, जो जॉब की वजह से परिवार से दूर बड़े शहरों या विदेशों में सिर्फ पति और बच्चे के साथ रह रही होती हैं। इस बारे में आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुरभि सक्सेना ने बताया है कि नई मां के लिए बॉडी मसाज कितना जरूरी है, इसे कब तक करना चाहिए, किस तेल से मसाज करना चाहिए और इसके फायदे क्या हैं।
क्यों जरूरी है मसाज?
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर कई तरह की परेशानियों से गुजर रहा होता है। डिलीवरी से पहले और लेबर पेन शरीर को बुरी तरह थका देता है। जब बच्चा गर्भ में होता है, तब शरीर के कई हिस्सों में सूजन आ जाती हैं, जिसे मसाज के जरिए ही धीरे-धीरे खत्म किया जा सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में वात (वायु) की वृद्धि होती है, जिसे पहले की तरह नॉर्मल करने के लिए मसाज की जरूरत पड़ती है। ऐसा करने से शरीर मजबूत होता है, ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है और गैस रिलीज होती है।
कितने वक्त तक जरूरी है मसाज?
मसाज करना जरूरी तो है ही, लेकिन कितने दिन के लिए इसकी जरूरत पड़ती है, इस पर बात करते हुए डॉ. सक्सेना ने बताया कि बच्चा नौ महीने तक मां के पेट में रहता है। इस दौरान मां का वजन 10 किलो से ज्यादा बढ़ जाता है। इसका भार उसके यूट्रस पर पड़ता है और ब्लड सर्कुलेशन नीचे की तरफ बना रहता है। पूरे शरीर में दोबारा से ब्लड फ्लो बेहतर करने के लिए मां को कम से कम 40-45 दिनों तक बॉडी मसाज लेने की जरूरत होती है।
किस तरह करें मसाज?
शहरों में रहने की वजह से नई मां को इस बात का पता नहीं होता कि मसाज की सही प्रक्रिया क्या है। जिसे वो मसाज करने बुलाती हैं, वो जैसे चाहे वैसे मसाज करके चली जाती हैं। ऐसे में सभी को इस बात का पता होना जरूरी है कि इस प्रक्रिया को हमेशा नीचे से ऊपर की ओर करना चाहिए, जिससे ब्लड फ्लो ऊपर की ओर भी बेहतर हो सके। नॉर्मल डिलीवरी में तो मसाज करवाते ही हैं, लेकिन सिजेरियन डिलीवरी के लिए भी ये उतना ही जरूरी होता है। बशर्ते स्टिचेस के आसपास हल्के हाथों से तेल लगाया जाए, लेकिन पैर-हाथ पर वैसा ही मसाज मिले, जैसा नॉर्मल डिलीवरी में दिया जाता है।
कौन सा तेल है ज्यादा बेहतर?
इस प्रक्रिया के लिए सरसों के तेल को उन्होंने सबसे बेहतर बताया। सरसों तेल में लहसुन और अजवाइन गर्म करके छान लें और फिर इसका इस्तेमाल करें, तो शरीर का दर्द तेजी से कम होता है। अगर सरसों तेल से एलर्जी हो, तो जैतून का तेल भी इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके अलावा मसाज शुरू करने से एक घंटे पहले दलिया, पोहा, ओट्स जैसा हल्का नाश्ता करें और मसाज के एक घंटे बाद तक कुछ न खाएं। डॉ. सक्सेना के मुताबिक मसाज के बाद एक घंटे धूप में बैठना मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
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