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पेशाब में जलन : नॉर्मल डिलीवरी के बाद महिला को पेशाब करने में बहुत जलन होती है क्योंकि उस दौरान सारे टिशू छील जाते हैं और वह एरिया काफी घायल होता है। प्रसव के तुंरत बाद पेशाब करना बहुत मुश्किल होता है।
शिशु के जन्म के बाद क्या बहुत सी माँओं को पेशाब के नियंत्रण में मुश्किल होती है?
आकस्मिक पेशाब निकल जाना मूत्र असयंमितता कहलाता है। ऐसा अक्सर हंसते, छींकते, खांसते या व्यायाम करते समय होता है। नई माँओं को होने वाली यह एक बहुत आम समस्या है।
शिशु के जन्म के बाद शुरुआती कुछ दिनों में यदि आपका थोड़ा-बहुत पेशाब निकल भी जाता है, तो चिंता न करें। आपका सैनिटरी पैड इसे सोख लेगा। पतले व अत्याधिक अवशोषी पैड की बजाय मोटे सैनिटरी पैड इस्तेमाल करें, क्योंकि ये पेशाब को बेहतर तरीके से सोख पाते हैं। जब आपका रक्तस्त्राव बंद हो जाए, तो मूत्राशय की कमजोरी के दौरान पहने जाने वाले विशेष पैड आपके लिए सही रहेंगे।
मूत्र असंयमितता होने की संभावना ज्यादा क्यों हो सकती है?
अगर आपको गर्भावस्था के दौरान, विशेषकर पहली या दूसरी तिमाही में, मूत्राशय पर नियंत्रण रख पाने में मुश्किल हुई थी, तो आपको मूत्र असयंमितता होने की संभावना ज्यादा रहती है।
कई बार शिशु को जन्म देने के लिए काफी समय तक जोर लगाना पड़ता है और प्रसव के लिए प्रसूति चिमटी (फॉरसेप्स) की जरुरत पड़ती है। ऐसी स्थिति में भी पेशाब के रिसाव से जुड़ी समस्याएं होने की संभावना ज्यादा रहती है।
अगर, आपने एपीड्यूरल या रीढ़ की हड्डी में एनेस्थीसिया लगवाया था, तो मूत्राशय और इसके आसपास अनुभूति को नियंत्रण करने वाली नसें सुन्न महसूस हो सकती हैं।
प्रसवोपरांत पहले कुछ दिनों तक हो सकता है कि आप न समझ पाएं कि आपको कब पेशाब जाने की जरुरत है। शिशु के जन्म के तुरंत बाद आपकी डॉक्टर या नर्स आपको याद दिलाएंगी कि आपको पेशाब के लिए कब जाना है।
अगर, आपको एपिड्यूरल दिया गया था, तो पेशाब निकालने के लिए आपके मूत्राशय में नलिका (कैथेटर) डाली गई होगी। इस वजह से आपको पेशाब करते हुए, इसे नियंत्रित करने में मुश्किल हो सकती है। मगर, यह कुछ दिनों बाद स्वत: ठीक हो जाना चाहिए।
शिशु के जन्म के बाद कितने समय तक यह अयंममितता बनी रहती है?
यह अलग-अलग महिलाओं के लिए अलग-अलग होता है। कुछ को यह परेशानी शिशु के जन्म के बाद केवल कुछ हफ्तों तक ही रहती है। वहीं कुछ अन्य को महीनों तक इसका सामना करना पड़ता है या यह दीर्घकालीन समस्या बन जाती है।
शिशु के जन्म के छह हफ्तों बाद प्रसवोत्तर जांच के समय तक भी आपको पेशाब के रिसाव की समस्या हो रही हो, तो इस बारे में अपनी डॉक्टर को बताएं। मूत्र असंयमितता को शिशु के जन्म के बाद आने वाले बदलावों का हिस्सा नहीं मानें। यह शिशु के जन्म के बाद रहने वाली स्थाई समस्या नहीं है।
शिशु के जन्म के बाद मूत्राशय पर नियंत्रण के लिए मैं क्या कर सकती हूं?
श्राणि की मांसपेशियों के नियमित व्यायाम से आप मूत्राशय पर दोबारा नियंत्रण पा सकती हैं। यह असंयमितता को रोकने और इसके उपचार के लिए प्रमाणित और प्रभावी तरीका है।
आपको तीन महीनों तक रोजाना कम से तीन बार श्रोणि मांसपेशीय व्यायाम करने की आवश्यकता है। कुछ समय बाद इन व्यायामों को करना आपकी आदत में शामिल हो जाना चाहिए।
श्रोणि मांसपेशियों के व्यायामों को आपको अपनी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बना लेना चाहिए। कम से कम सप्ताह में दो या तीन बार इन्हें करें। अगर, आप ये व्यायाम करना बंद कर देंगी, तो आपकी मांसपेशिया कमजोर हो सकती हैं। हो सकता है आप पाएं कि आपकी मूत्राशय के नियंत्रण की समस्या फिर से शुरु हो गई हैं।
ये व्यायाम करने से आपके शरीर को प्रसव से उबरने में मदद मिलेगी, इसलिए ऐसा न सोचें कि प्रसवोपरांत इतनी जल्दी आप व्यायाम करें या नहीं। श्रोणि की मांसपेशियों को मजबूत करने से टांकों और अंदरुनी खरोंचों की वजह से हुई सूजन कुछ कम हो सकेगी। इसलिए जितनी जल्दी आप व्यायाम शुरु कर सकें, उतना ही बेहतर है।
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