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प्रेगनेंसी में करेंगी ये काम, तो पक्का आपकी होगी नॉर्मल डिलीवरी
सिजेरियन ऑपरेशन की बजाय नॉर्मल डिलीवरी ही बेहतर रहती है और आप खुद अपनी नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ा सकती हैं, जानिए कैसे।
प्रेगनेंसी में करेंगी ये काम, तो पक्का आपकी होगी नॉर्मल डिलीवरी
आजकल महिलाएं लेबर पेन से बचने के लिए सिजेरियन डिलीवरी को चुनने लगी हैं। लेकिन आपको बता दें कि आपके शरीर और बच्चे के लिए नॉर्मल डिलीवरी ही बेहतर होती है। नॉर्मल डिलीवरी के बाद रिकवर करने में कम समय लगता है जबकि सिजेरियन ऑपरेशन से बच्चा पैदा करने के बाद पूरी तरह से ठीक होने में महीने लग सकते हैं।
महीनों तक दर्द सहने और हफ्तों तक बिस्तर पर पड़े रहने से अच्छा है कि आप नॉर्मल डिलीवरी को वरीयता दें। इस काम में मदद करने के लिए हम आपको कुछ ऐसे टिप्स और तरीकों के बारे में बता रहे हैं जो नॉर्मल डिलीवरी के चांसेस को बढ़ा सकते हैं।
किसी एक्सपर्ट को ढूंढें
अगर आप चाहती हैं कि आपकी नॉर्मल डिलीवरी हो तो आप किसी ऐसे डॉक्टर या गायनेकोलोजिस्ट को ढूंढें तो इस काम में माहिर हो। नॉर्मल डिलीवरी में एक्सपर्ट डॉक्टर आपको प्रेगनेंसी के टाइम पर ही गाइड करके नॉर्मल डिलीवरी के चांसेस को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकते हैं।
लेबर पेन के दौरान भी इनकी सलाह आपके काम आ सकती है। एक्सपर्ट की सलाह से आप नेचुरल बर्थ में मदद करने वाले विकल्पों और तरीकों के बारे में जान सकती हैं।
दर्द को सहने की कोशिश करें
ऐसे कई तरीके हैं जिनकी मदद से प्रेगनेंट महिला पेट में उठने वाली कॉन्ट्रैक्शन को सहन कर सकती है। आपको दर्द होने पर रिलैक्स रहने की तकनीक सीखनी है। इस काम में कई एक्सरसाइज आपकी मदद कर सकती हैं।
अपने पार्टनर को कंधे और गर्दन की मांसपेशियों को तेजी से दबाने के लिए कहें। इससे आप मांसपेशियों को रिलैक्स करना सीख पाएंगी और डिलीवरी के लिए अपने दिमाग को तैयार कर पाएंगी।
मालिश की मदद
जो महिलाएं पहली बार मां बन रही हैं, उन्हें खासतौर पर योनि और गुदा के बीच के हिस्से यानी पेरिनियम यानी मूलाधार की मालिश करवानी चाहिए। मालिश से इस हिस्से की मांसपेशियां रिलैक्स होकर डिलीवरी के लिए तैयार होती हैं।
नौवें महीने में एक हफ्ते में एक या दो बार मालिश करवाने से आपकी बॉडी का निचला हिस्सा नॉर्मल डिलीवरी के लिए तैयार होता है।
एक्टिव रहें
आपको प्रेगनेंसी में अक्सर आराम करने की सलाह देते हैं जबकि आपको गर्भावस्था में आराम करने के साथ-साथ एक्टिव रहना भी होता है। आपकी नॉर्मल डिलीवरी होनी हो या ऑपरेशन से बच्चा पैदा हो, दोनों ही स्थितियों में प्रेगनेंसी के दौरान एक्टिव रहना जरूरी होता है।
इसके अलावा प्रेगनेंसी में गलत पोस्चर में बैठना या लेटना भी नुकसानदायक होता है। इसका असर डिलीवरी के समय शिशु की पोजीशन पर पड़ सकता है। आप डॉक्टरी सलाह से नौवें महीने में भी कुछ एक्सरसाइज कर सकती हैं। ये डिलीवरी के लिए शिशु को सही पोजीशन में लाने में मदद करेंगी।
घर पर ही रहें
डॉक्टर पहले ही आपको आपकी डिलीवरी डेट बता देते हैं। आपकी डिलीवरी इस डेट से कुछ दिन पहले या कुछ दिन बाद हो सकती है, इसलिए इस डेट के आसपास के दिनों में घर पर ही रहें। अपने घर पर शांत माहौल रखें ताकि आपका शरीर रिलैक्स रहे और स्ट्रेस बिल्कुल न लें, क्योंकि प्रसव में इसकी वजह से परेशानी पैदा हो सकती है।
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