डिलीवरी के लिए बच्चे का चेहरा किस तरफ होना चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Wed 12th Oct 2022 : 09:51

शिशु को जन्म के लिए उचित अवस्था में लाना

शिशु के लिए कौन सी अवस्था में होना सबसे बेहतर है?
अगर आपका शिशु सिर नीचे वाली अवस्था में है, जहां उसके सिर का पिछला हिस्सा थोड़ा आपके पेट के सामने की तरफ है (एंटीरियर अवस्था), तो आपका प्रसव संभवतया कम समय में और आसानी से हो सकेगा। अधिकांश शिशु गर्भावस्था के अंत तक इस स्थिति में आ जाते हैं।एंटीरियर अवस्था में आपका शिशु आपके श्रोणि के घुमाव में सुरक्षित ढंग से फिट हो जाता है। प्रसव के दौरान, आपका शिशु अपनी पीठ सिकोड़ लेता है और अपनी ठुड्डी को अपनी छाती में समेट लेता है। यदि आपका शिशु इस स्थिति में है तो आपका प्रसव और शिशु का जन्म आसानी से हो सकता है, क्योंकि:

संकुचनों के दौरान, आपके शिशु के सिर का शीर्ष भाग ग्रीवा (सर्विक्स) पर दबाव डालता है। इससे ग्रीवा को चौड़ा होने में मदद मिलती है और आपका शरीर प्रसव के लिए जरुरी हॉर्मोनों का उत्पादन करता है।

प्रसव के दौरान जोर लगाने वाली अवस्था में आपका शिशु श्रोणि क्षेत्र से इस तरह खिसकता है, ताकि उसके सिर का सबसे छोटा हिस्सा पहले बाहर आए। अगर आप इस प्रक्रिया को समझना चाहें तो हाई नेक या पोलो नेक की तंग टी-शर्ट को अपनी ​ठुड्डी में फंसाए बिना अपने सिर से पहनने का प्रयास करें, तब आप समझ पाएंगे कि यह सब कैसे होता है।

जब आपका शिशु आपके श्रोणि क्षेत्र के निचले हिस्से में होता है, तो वह अपना सिर हल्का सा मोड़ लेता है, ताकि उसके सिर का सबसे चौड़ा हिस्सा आपकी श्रोणि के सबसे चौड़े क्षेत्र में हो। उसके सिर का पिछला हिस्सा आपकी पुरोनितंबस्थि (प्यूबिक बोन) के नीचे खिसक सकता है। जैसे शिशु का जन्म होता है, उसका चेहरा आपकी योनि और गुदा के बीच के क्षेत्र (पेरिनियम)प्रसव के बाद पेरिनियम में दर्दसे होते हुआ बाहर आता है।

पोस्टीरियर (पीछे की ओर) अवस्था क्या है?
पोस्टीरियर अवस्था वह होती है जिसमें शिशु का सिर तो नीचे की तरफ होता है, मगर उसके सिर का पिछला हिस्सा आपकी रीढ़ की तरफ होता है। जब प्रसव शुरु होता है, तो 10 में से करीब एक शिशु ऐसी पीठ से सटी हुई स्थिति (बैक-टू-बैक अवस्था) में होता है।अधिकांश बैक-टू-बैक शिशुओं का जन्म नॉर्मल डिलीवरी के जरिये होता है। हालांकि, यह अवस्था आपके प्रसव को थोड़ा मुश्किल बना सकती है, खासकर यदि आपके शिशु की ठुड्डी श्रोणि क्षेत्र में सिमटने की बजाय ऊपर की तरफ उठी हुई हो। इसके कारण आपको निम्नांकित परेशानियां हो सकती हैं:

आपको पीठ दर्द हो सकता है, क्योंकि आपके शिशु की खोपड़ी आपकी रीढ़ की हड्डी की तरफ जोर डालती है।
प्रसव की शुरुआत में ही आपकी पानी की थैली फट सकती है।
आपका प्रसव लंबे समय तक और धीमा चल सकता है, और संकुचन बीच-बीच में शुरु और बंद हो सकते हैं।
ग्रीवा के पूरी तरह विस्फारित होने से पहले ही आपको जोर लगाने की इच्छा हो सकती है।

पोस्टीरियर अवस्था वाले अधिकांश शिशु प्रसव के दौरान सही सहारे के साथ एंटीरियर अवस्था में घूम जाते हैं। जब शिशु आपकी श्रोणि क्षेत्र में सबसे नीचे की तरफ आ जाता है, तो उसे प्रसव की सबसे बेहतर अवस्था में आने के लिए तकरीबन 180 डिग्री तक घूमना पड़ता है (एक गोल चक्कर में आधे रास्ते तक)।

इसमें थोड़ा समय लग सकता है। कई बार हो सकता है शिशु बिल्कुल भी नहीं घूमे। इसका मतलब है कि शिशु के जन्म के समय उसका चेहरा ऊपर आपकी तरफ देखते हुए होगा। शिशु को बाहर आने में मदद के लिए प्रसूति चिमटी (फोरसेप्स) या वेंटूस की जरुरत हो सकती है।
कुछ शिशु पोस्टीरियर अवस्था में क्यों होते हैं?
आपका शिशु आपकी श्रोणि के प्रकार और आकार की वजह से पोस्टीरियर अवस्था में हो सकता है। कुछ महिलाओं का श्रोणि क्षेत्र गोलाकार होने की बजाय संकरा और अंडाकार (ऐंथ्रोपॉइड पेल्विस), या चौड़ा और दिल के आकार (एंड्रॉइड पेल्विस) का होता है।

यदि आपका श्रोणि क्षेत्र अंडाकार या दिल के आकार का है, तो आपके शिशु के श्रोणि के सबसे चौड़े हिस्से में बैक-टू-बैक अवस्था में होने की संभावना अधिक होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस अवस्था में वह अपना सिर आसानी से आरामदायक स्थिति में रख सकता है।

जब आप आरामदेह कुर्सी पर बैठकर टीवी देख रही हों या फिर घंटों तक कम्प्यूटर पर काम कर रही हों, तो आपकी श्रोणि का झुकाव पीछे की तरफ होता है। इससे शिशु के सिर के पिछले हिस्से और उसकी रीढ़ (शिशु के शरीर का सबसे भारी हिस्सा) को आपकी पीठ की तरफ झुकने का प्रोत्साहन मिलता है। इस अवस्था में वह आपकी रीढ का सहारा लेकर लेटता है।

यदि आप सीधे खड़े होकर बहुत से कार्यकलाप करती हैं, तो शिशु के आपके श्रोणि क्षेत्र में नीचे की तरफ एंटीरियर अवस्था में जाने की अधिक संभावना होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे में आपकी श्रोणि का झुकाव हमेशा आगे की तरफ रहता है।
मैं शिशु को एंटीरियर (आगे की ओर) अवस्था में लाने के लिए कैसे मदद कर सकती हूं?
जब आप बैठी हों, तो अपने श्रोणि क्षेत्र का झुकाव पीछे की बजाय आगे की तरफ रखने का प्रयास करें। ध्यान रखें कि आपके घुटने हमेशा आपके कूल्हों से निचले स्तर पर होने चाहिए। इसे ऑप्टीमल फीटल पॉजिशनिंग (ओएफपी) कहा जाता है। यह आपके शिशु को एंटीरियर अवस्था में आने के लिए प्रेरित करता है। यह आपकी मुद्रा को बदल देता है, खासकर जब आप नीचे बैठती हैं।आप नीचे दिए गए उपायों को भी आजमा सकती हैं:

ध्यान रखें कि आपके बैठने की पसंदीदा सीट नीचे की ओर धंसी हुई न हो, जिसमें आपके कूल्हे नीचे की तरफ और घुटने ऊपर की तरफ हो जाएं। अगर ऐसा हो, तो कुर्सी को विपरीत दिशा में मोड़ें और इसके सिराहने की तरफ मुंह करके बैठते हुए आगे की तरफ झुकने का प्रयास करें। या फिर आप बैठने के लिए कोई अन्य जगह चुन लें।

फर्श पर पौंछा लगाएं! जब आप घुटनों के बल होकर पौछा लगाती हैं, तो शिशु के सिर का पिछला हिस्सा आपके पेट के सामने की तरफ आ जाता है।

यदि आपकी नौकरी में ज्यादा समय तक बैठे-बैठे काम करना होता है, तो बीच-बीच में चलती-फिरती भी रहें और नियमित अंतराल पर विश्राम करती रहें।

अपने कूल्हों को ऊंचा रखने के लिए कार में कुशन के ऊपर बैठें।

बर्थ बॉल पर आगे होकर झुकते हुए या इस पर बैठकर टीवी देखें। यदि आप बैठी हों, तो सुनिश्चित करें कि आपको कूल्हे आपके घुटनों के स्तर से ऊंचें हों।

सोने के लिए लेटते समय अपने शिशु को सही अवस्था में लाने को लेकर चिंता न करें। ऐसा नहीं है कि जब आप लेटी हों, तो आपका शिशु श्रोणि क्षेत्र में नीचे की तरफ धकेल दिया जाता है। हालांकि, पीठ के बल सोने की बजाय, करवट लेकर सोना गर्भावस्था के अंतिम चरण में सोने के लिए सबसे बेहतर अवस्था है।
क्या मैं वास्तव में शिशु को जन्म के लिए उचित अवस्था में ला सकती हूं?
गर्भावस्था के अंतिम चरण में दिन में दो बार 10-10 मिनट के लिए हाथों और घुटनों के बल आने से शिशु को एंटीरियर अवस्था में लाने में मदद मिल सकती है। यह तकनीक (ओएफपी) एक आजमाया हुआ तरीका है।

हालांकि, हो सकता है सभी डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान ओएफपी की सलाह न दें, क्योंकि इस बारे में अधिक लिखित प्रमाण मौजूद नहीं हैं। फिर भी बहुत से डॉक्टर आपको प्रसव के दौरान विभिन्न अवस्थाएं आजमाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, क्योंकि संकुचन शुरु होने के बाद आप शायद उनमें अधिक आराम महसूस करें।

आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में भी थोड़े-थोड़े समय की बजाय नियमित रूप से सीधे या आगे की तरफ झुकाव वाली मुद्राओं में रहने का प्रयास करें। मगर, इसका असर इस बात पर शायद न हो कि प्रसव के समय आपके शिशु किस अवस्था में होगा।

यदि आप प्रेग्नेंसी के दौरान ओएफपी आजमाती हैं, मगर फिर भी आपका शिशु प्रसव शुरु होने तक पोस्टीरियर अवस्था में ही हो, तो ऐसा आपकी मुद्रा की बजाय श्रोणि के आकार की वजह से हो सकता है।
मैं प्रसव के दौरान शिशु की अवस्था को कैसे बेहतर बना सकती हूं?
यदि प्रसव शुरु होने पर भी आपका शिशु पोस्टीरियर अवस्था में हो, तो भी आप ऐसी अवस्थाओं और गतिविधियों को आजमा सकती हैं जो शिशु को घूमने और आपको दर्द से राहत देने में मदद करें। पोस्टीरियर अवस्था वाले शिशुओं का प्रसव के दौरान अपनी स्थिति बदल लेना काफी आम है और ऐसे अधिकांश शिशु प्रसव में जोर लगाने की स्थिति में पहुंचने तक एंटीरियर अवस्था में आ जाते हैं।

वास्तव में प्रसव शुरु होने के काफी दिनों पहले से आपको हल्का-फुल्का दर्द महसूस हो सकता है। इससे आपको थकान हो सकती है, मगर यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आपका शिशु एंटीरियर अवस्था में आने का प्रयास कर रहा है।

आप पाएंगी कि अपने हाथों और घुटनों के बल वाली अवस्था सबसे बेहतरीन है। इस अवस्था में आपका शिशु आपकी रीढ़ से दूर हो जाता है, इससे आपको पीठ दर्द से राहत मिलती है और शायद शिशु को भी घूमने में सहायता मिलती है।

प्रसव के ठीक पहले और प्रसव की शुरुआती पीड़ा से निपटने के लिए कुछ सुझाव नीचे दिए गए हैं:

रात में पर्याप्त आराम करें।

दिन के समय चहलकदमी, आसपास घूमने-फिरने से लेकर हाथों और घुटनों के बल आना या नीस-टू-चेस्ट (घुटनों और छाती के बल आना) वाली अलग-अलग अवस्थाएं आजमाएं। नीस-टू-चेस्ट अवस्था वह है जिसमें आप अपने घुटनों के बल होती हैं और आपका सिर, कंधें और छाती का ऊपरी हिस्सा जमीन या गद्दे पर होता है। इस अवस्था में आपके कूल्हे हवा में होते हैं।

संकुचनों के दौरान आगे की तरफ झुकें और बर्थ बॉल पर बैठकर अपनी श्रोणि को हिलाने-डुलाने का प्रयास करें।

नियमित रूप से खाती-पीती रहें ताकि आपकी ताकत बनी रहे और शरीर भी जलनियोजित रहे।

चिंतामुक्त और सकारात्मक रहने का प्रयास करें।

जब आप सक्रिय प्रसव के चरण में हों, तो अलग-अलग अवस्थाएं और गतिविधियां आजमाएं। प्रसव पीड़ा बढ़ने के साथ यह देखें कि नीचे दी गई कौन सी अवस्था आपको सबसे अधिक आरामदेह लगती है:

घुटनों और हाथों के बल आना या फिर नीस-टू-चेस्ट अवस्था में आना।

बर्थ बॉल, बीनबैग, अपने प्रसव के साथी या बिस्तर का सहारा लेकर संकुचनों के दौरान आगे झुकने का प्रयास करें।

अपने प्रसव के साथी को आपकी पीठ की मालिश करने के लिए कहें।

संकुचनों के दौरान अपने अपनी श्रोणि को हिलाएं-डुलाएं, ताकि शिशु को श्रोणि से गुजरते हुए मुड़ने में मदद मिल सके। श्रोणि क्षेत्र को हिलाने के लिए बर्थ बॉल काफी अच्छी रहती है।

लंज अवस्था में आएं, जिसमें आपकी एक टांग आगे और दूसरी पीछे की तरफ होती है। आप ऐसा एक पैर पर खड़े होते समय, एक टांग से घुटने के बल बैठकर या फिर बिस्तर पर लेटे हुए भी कर सकती हैं। जिस तरफ से आपको टांग आगे रखने में आराम मिल रहा होगा, उसी तरफ से शायद शिशु को घूमने के लिए अधिक स्थान मिलेगा।

उस करवट लेटें, जिससे शिशु को सही दिशा में मुड़ने का प्रोत्साहन मिले।

समय-समय पर चलें-फिरें या हिले-डुलें। कुर्सी पर या बिस्तर पर पीछे की तरफ झुकाव करके ज्यादा देर तक न बैठें।
अगर संभव हो, तो प्रसव की एकदम शुरुआत में ही एपिड्यूरल न लें। एपिड्यूरल से जन्म के समय शिशु के पोस्टीरियर अवस्था में होने की संभावना बढ़ जाती है। एपिड्यूरल उपकरणों की सहायता से प्रसव की संभावना भी बढ़ा देते हैं।

solved 5
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