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एक स्तनपान कराने वाली मां को किन चीज़ों से बचना चाहिए:
1. गैसीय खाद्य पदार्थ
आमतौर पर कहा जाता है कि अगर मां को गैस की समस्या है, तो बच्चे को भी गैस हो सकती है। ऐसे में हमें यह जानने की जरूरत है कि मां ने क्या खाया है, जिससे ऐसे प्रभाव नजर आ रहे हैं। कुछ खाद्य पदार्थ जो गैस पैदा कर सकते हैं जैसे ब्रोकली, गोभी, राजमा, छोले, काले चने, दाल, मूंगफली, आलू और मकई।
2. कैफीन से भरपूर खाद्य पदार्थ
कैफीन के सबसे आम स्रोत चाय, कॉफी और सॉफ्ट ड्रिंक हैं। हालांकि कैफीन बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग के माध्यम से स्थानांतरित हो जाता है। ये आमतौर पर कैफीन की दैनिक खपत का 1% से भी कम होता है। समस्या तब शुरू होती है जब ये शिशु के शरीर में जमा होने लगती है। अगर मां दिन में पांच कप से ज्यादा का सेवन करती है। इससे कैफीन की मात्रा काफी ज्यादा हो सकती है।
ये शिशुओं में अत्यधिक रोने के साथ-साथ सोने में असमर्थता का कारण बन सकता है। साथ ही, कैफीन दूध में आयरन की मात्रा को कम कर देता है, जिससे बच्चे में एनीमिया हो जाता है।
3. शराब
शराब से पूरी तरह से बचना चाहिए, लेकिन अगर आप शराब पीने के लिए बहुत ज्यादा बेचैन हैं, तो आपको एक से दो पैग से आगे नहीं बढ़ना चाहिए। सुनिश्चित करें कि आप अपने शिशु को अंतिम पेय के कम से कम चार घंटे बाद तक दूध न पिलाएं। हमेशा अपने बच्चे को स्तनपान कराने के बाद ही शराब का सेवन करें। शराब स्तन के दूध में अच्छी मात्रा में प्रवेश करती है और बच्चे को सुला सकती है।
4. वसा में घुलनशील विटामिन
“विटामिन ए और डी जैसे सभी वसा घुलनशील विटामिन स्तन के दूध में मिल सकते हैं, और शिशु में विषाक्तता पैदा कर सकते हैं। इसलिए, सप्लीमेंट्स लेने की सलाह तभी दी जाती है, जब आपको इसकी कमी हो। ऐसे मामलों में अनुशंसित खुराक 1200-1300 एमसीजी / दिन से अधिक नहीं होनी चाहिए”।
5. पारा के संपर्क में आने से बचें
कुछ प्रकार की मछलियां जिनमें पारे की मात्रा अधिक होती है- जैसे किंग मैकेरल, स्वोर्डफ़िश, शार्क और टाइल फ़िश। यदि इसका बड़ी मात्रा में सेवन किया जाता है, तो ये कुछ शिशुओं में पारा विषाक्तता पैदा कर सकता है, जिससे उनकी संज्ञानात्मक (cognitive) और मनोदैहिक क्षमताओं (psychomotor abilities) में देरी हो सकती है। आप सार्डिन, केकड़े, स्क्विड, लॉबस्टर और सैल्मन जैसी विभिन्न मछलियों की प्रति सप्ताह 2-3 सर्विंग्स ले सकती हैं।
6. खट्टे फल
कभी-कभी, संतरे, नींबू और आंवला जैसे खट्टे फलों का सेवन शिशु के पेट में जलन पैदा कर सकता है, जिससे दस्त और डायपर रैशेज हो सकते हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आपको उन्हें अपने आहार से पूरी तरह से खत्म करने की जरूरत है। केवल लक्षणों पर ध्यान दें और यदि आप अपने शिशु के व्यवहार में कोई बदलाव महसूस करते हैं, तो सेवन को 1-2 सर्विंग्स प्रति दिन तक सीमित करें।
7. ट्रांस फैट से भरपूर भोजन
केक, पेस्ट्री, व्हीप्ड क्रीम, पिज्जा, बर्गर और मार्जरीन जैसे खाद्य पदार्थ ट्रांस-फैट से भरपूर होते हैं। जब कुछ खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट की मात्रा बढ़ जाती है, तो डीएचए की मात्रा कम हो जाती है, जिससे शिशु के मस्तिष्क के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। डब्ल्यूएचओ(WHO) के अनुसार, आपके आहार में 1% से कम ट्रांस वसा रखने और उपरोक्त सभी फास्ट फूड से बचने की सलाह दी जाती है।
8. कृत्रिम मिठास वाले भोजन से बचें
किसी भी कृत्रिम स्वीटनर जैसे एस्पार्टेम, स्टीविया, सुक्रालोज़, सैकरीन और सोर्बिटोल को शिशु को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान हस्तांतरित किया जा सकता है। चूंकि बच्चे पर इसके प्रभाव पर दीर्घकालिक अध्ययन उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए सलाह दी जाती है कि स्तनपान कराने वाली माताओं द्वारा इसके सेवन से बचना चाहिए।
ये देखा गया है कि जो माताएं स्तनपान के दौरान उच्च चीनी वाले खाद्य और पेय पदार्थों का सेवन करती हैं, उनके बच्चे वयस्क जीवन में मोटापे और मधुमेह का शिकार हो जाते हैं। ऐसे बच्चों में वयस्कता के दौरान उच्च शर्करा और वसायुक्त भोजन की लालसा होती है। इसलिए उच्च चीनी और वसायुक्त खाद्य पदार्थों से बचने की सलाह दी जाती है।
प्रत्येक भोजन सभी शिशुओं पर समान प्रभाव नहीं डालता। अगर आपको लगता है कि किसी भी प्रकार का भोजन आपके बच्चे को प्रभावित कर रहा है, तो इसे नोट कर लें और इसे पूरी तरह से टालने का प्रयास करें।
भोजन संबंधी मिथकों में न पड़ें और अपने आहार पर ध्यान देना शुरू करें। जब तक कि आपके बच्चे पर उस भोजन का ठीक प्रभाव न हो। एक अच्छी तरह से संतुलित और पौष्टिक आहार लें, जिसमें ज्यादातर घर का बना खाना शामिल हो। आपका आहार आपके बच्चे के भविष्य के स्वास्थ्य का फैसला करता है।
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