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दूसरी बार मां बनने पर कुछ अलग होते हैं प्रेग्नेंसी के लक्षण
कई महिलाओं को लगता है कि दूसरी बार प्रेग्नेंट होने पर पहली बार जैसे ही लक्षण और परेशानियां होती हैं लेकिन ऐसा नहीं है। कई मायनों में आपकी दूसरी प्रेग्नेंसी अलग होती है।
दूसरी बार मां बनने पर कुछ अलग होते हैं प्रेग्नेंसी के लक्षण
प्रेग्नेंसी एक नाजुक और कठिन समय होता है। अगर आप दूसरी बार मां बन रही हैं और आपको लगता है कि इस बार भी आपको पहले जैसा ही अनुभव होगा तो आप गलत हैं। पहली प्रेग्नेंसी के बाद दूसरी बाद मां बनने पर आपको कुछ अलग लक्षण नजर आ सकते हैं।
इस लेख के जरिए हम आपको यही बताने जा रहे हैं दूसरी प्रेग्नेंसी के लक्षण कैसे अलग होते हैं और गर्भावस्था में आपको इन लक्षणों से कैसे निपटना चाहिए।
दूसरी प्रेग्नेंसी कैसे होती है अलग
ऐसे कई तरीके हैं जिनकी मदद से आप ये पता कर सकती हैं कि आपकी दूसरी प्रेग्नेंसी पहली बार से अलग है। हालांकि, कुछ मामलों में ये सही या गलत साबित हो सकता है। तो चलिए जानते हैं कि दूसरी प्रेग्नेंसी में क्या अलग हो सकता है।
पेट जल्दी बाहर निकलना
पहली गर्भावस्था की तुलना में पेट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। पहली डिलीवरी के दौरान इनमें पहले ही खिंचाव आ चुका होता है। दूसरी प्रेग्नेंसी में पेट की मांसपेशियां कम प्रतिरोधी होती हैं और शिशु के बढ़ने के साथ पेट जल्दी बाहर आ जाता है।
स्तनों में बदलाव
गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट में बदलाव आना सामान्य बात है लेकिन दूसरी गर्भावस्था में ब्रेस्ट को छूने पर ज्यादा दर्द होता है या यूं कह लीजिए कि ज्यादा नाजुक हो जाती हैं। स्तनपान के दौरान ये ज्यादा संवेदनशील हो जाती हैं और निप्पल में भी ज्यादा दर्द हो सकता है। निप्पल के आसपास का हिस्सा यानी एरोला का रंग और गहरा होने लगता है।
भ्रूण का हिलना
पहली बार मां बनने पर आपको पता होगा कि शिशु कब किक या मूव करना शुरू करता है और इसका क्या एहसास होता है। वहीं,दूसरी गर्भावस्था में शिशु जल्दी किक और मूव कर सकता है।
संकुचन महसूस होना
पहली बार की तुलना में सेकंड प्रेग्नेंसी में आपको संकुचन जल्दी महसूस हो सकता है। ये संकुचन इस बात का संकेत है कि शरीर खुद को डिलीवरी के लिए तैयार कर रहा है। आपको डिलीवरी के बाद भी संकुचन महसूस हो सकता है।
डिलीवरी टाइम कम होना
चूंकि, आपका शरीर पहले भी डिलीवरी की प्रक्रिया से गुजर चुका होता है इसलिए दूसरी बार में सर्विक्स को चौड़ा होने में कम समय लगता है। पहली डिलीवरी में दर्द लगभग आठ घंटे तक रहता है जबकि दूसरी प्रेग्नेंसी में पांच घंटे तक दर्द रहता है।
प्रेगनेंसी में थकान
जो महिलाएं दूसरी बार प्रेगनेंट हुई हैं, हो सकता है कि उन्हें इस बार ज्यादा थकान महसूस होती हो। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि इस समय आपका शरीर प्रेग्नेंसी के साथ अपने पहले बच्चे की जरूरतों को भी पूरा करने की कोशिश में लगा हाेता है।
यूट्राइन मसल्स कमजोर होना
गर्भाशय की मांसपेशियां अपनी मजबूती खो सकती हैं और हो सकता है कि अब वो पहली प्रेग्नेंसी की तरह न हों। ये भी संभव है कि यूट्राइन मसल्स शिशु को पहली गर्भावस्था की तरह सपोर्ट न करें और शिशु पेट के निचले हिस्से में आ जाए।
डिलीवरी के बाद पेट में दर्द
हो सकता है कि शिशु को जन्म देने के बाद आपको दर्द और संकुचन महसूस हो। गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय में आए खिंचाव को ठीक करने के लिए ऐसा हो सकता है। दूसरी प्रेग्नेंसी में गर्भाशय बड़ा हो जाता है इसलिए इसमें संकुचन आने के दौरान दर्द ज्यादा महसूस हो सकता है।
गर्भावस्था में कमर का दर्द
गर्भावस्था बढ़ने के साथ-साथ कमर में दर्द भी बढ़ सकता है। गर्भाशय के बढ़ते आकार के लिए ग्रैविटी का केंद्र शिफ्ट होने की वजह से ऐसा हो सकता है। दूसरी प्रेग्नेंसी में पेट जल्दी निकलने पर दर्द तेज हो सकता है।
स्तनपान आसान हो जाता है
चूंकि, आप पहले भी अपने बच्चे को स्तनपान करवा चुकी होती हैं इसलिए दूसरे बच्चे के समय आपके लिए यह काम आसान हो जाता है। दूध भी आसानी से आ जाता है और आपको शिशु को दूध कैसे पिलाना है, ये भी अच्छी तरह से पता होता है।
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