नवजात बच्चे को कैसे लपेटे?pregnancytips.in

Posted on Tue 18th Oct 2022 : 15:19

अपने नवजात शिशु को कैसे लपेटें (स्वोडल)

In this article

शिशु को लपेटने या स्वोडल करने का क्या मतलब है?
नवजात शिशु को कपड़े में लपेटने से क्या फायदा होता है?
क्या शिशु को लपेटने से कोई नुकसान हो सकता है?
अपने शिशु को कैसे लपेटें?
शिशु को स्वोडल करना कब बंद कर देना चाहिए?


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नवजात शिशु को कपड़े में लपेटने की प्रक्रिया लंबे समय से चली आ रही प्राचीन प्रथा है। कपड़े में लपेटे जाने से बहुत से नवजात सुरक्षित महसूस करते हैं क्योंकि इससे उन्हें गर्भ जैसी गर्माहट और सुरक्षा मिलती है।

जब शिशु बहुत ज्यादा थक गया हो, तो उसे शांत करने और सुलाने के लिए भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। आप अपने शिशु को स्वोडल करना चाहें या नहीं यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है। बहरहाल, शिशु को कपड़े में लपेटने के जोखिमों और फायदों के बारे में जानकर आपके लिए यह निर्णय करना आसान होगा कि आपके और शिशु के लिए क्या सही है।
शिशु को लपेटने या स्वोडल करने का क्या मतलब है?
शिशु को कपड़े में लपेटने की प्रक्रिया को अंग्रेजी में स्वोडलिंग कहा जाता है। नवजात शिशु को पतले कंबल या चादर में कसकर लपेटा जाता है, ताकि उसे सुरक्षित महसूस हो।

नवजात शिशुओं को शांत करने और उन्हें सुलाने के लिए कई सौ वर्षों से इस प्रक्रिया को इस्तेमाल किया जा रहा है।
नवजात शिशु को कपड़े में लपेटने से क्या फायदा होता है?
कपड़े में अच्छी तरह लिपटा हुआ शिशु, नींद में चौंका देने वाले झटकों से बचा रहता है। आपने शायद देखा होगा कि शिशु सोते हुए अचानक से चौंक जाता है और शरीर में झटका सा आता है। इन झटकों को अंग्रेजी में स्टार्टल रिफ्लेक्स (हिप्नागॉजिक स्टार्टल) कहा जाता है और ये एकदम सामान्य हैं।


यदि अपने स्टार्टल रिफ्लक्स की वजह से शिशु की नींद न टूटे तो वह ज्यादा लंबे समय तक सो सकता है।

जब गर्भ में शिशु के लिए हिलने-डुलने की ज्यादा जगह नहीं बची थी, तो वह सिमटा हुआ सुरक्षित महसूस करता था। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ​कपड़े में लपेटे जाने पर शिशु को वही सुरक्षित माहौल मिलता है, जो उसे गर्भ में महसूस होता था। उसे लगता है कि किसी न उसे थामा हुआ है और वह कपड़े में सिमटा हुआ होने से उसे शांत होने में मदद कर सकता है, इसलिए शायद आप पाएं कि शिशु को स्वोडल करने से वह कम रोता है।

शिशु जब बहुत ज्यादा थक गया हो तो कपड़े में लपेटे जाने से उसे आराम मिल सकता है।
क्या शिशु को लपेटने से कोई नुकसान हो सकता है?
शिशु को बहुत ज्यादा कसकर बांधने से उसकी चलने​-फिरने और विकास की क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है। अगर आप उसे दोनों टांगे एक साथ सीधा रखकर ज्यादा कसकर लपेटेंगी, तो इससे कूल्हे से जुड़ी समस्याएं (हिप डिस्प्लेसिया) उत्पन्न होने का खतरा रहता है।

सुनिश्चित करें कि आप इतनी जगह अवश्य छोड़े कि शिशु अपनी टांगों और पैरों को हिला-डुला सके, विशेषकर टांगो को ऊपर और कूल्हों की तरफ नीचे कर सके।

आपके शायद सुना हो कि नवजात को कपड़े में लपेटने से अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम - एसआईडीएस) होने का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, शोध दर्शाती है कि यह खतरा स्वोडलिंग की असुरक्षित तकनीकों हो अपनाने जैसे कि शिशु को पेट के बल सुलाने या फिर मोटी चादर या कंबल ओढाने की वजह से बढ़ता है। शिशु को लपेटने की वजह से ऐसा नहीं होता।

शिशु को लपेटने के लिए पतली सूती चादर जैसे कि मलमल का कपड़ा इस्तमाल करें। सुनिश्चित करें कि आप शिशु को हमेशा पीठ के बल सुलाएं, जिससे एसआईडीएस का खतरा कम होगा।

विशेषज्ञ यह भी सलाह देते हैं कि यदि आप शिशु को कपड़े में लपेटना चाहें तो इसकी शुरुआत जन्म के समय से ही करें। दो या तीन महीने की उम्र से शिशु को स्वोडल करना शुरु न करें, क्योंकि तब एसआईडीएस का खतरा सबसे ज्यादा होता है। तब तक आपका शिशु बिना लिपटे हुए भी सोना सीख चुका होता है, ऐसे में उसकी नींद की आदत में बदलाव करना सही नहीं रहता।


यदि आप अपने शिशु के साथ सोती हैं, तो सुरक्षित यही है कि आप उसे सुलाते समय स्वोडल न करें। यदि शिशु पहले से कपड़े में लिपटा हुआ हो और ऐसे में आपकी चादर कंबल या रजाई उसपर ढक जाए, तो उसके शरीर का तापमान बढ़ सकता है। इससे एसआईडीएस का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही, यदि आप शिशु से चिपककर एकदम नजदीक सोएंगी तो शायद वह अपनी बाजू और टांगें हिलाकर आपको बता नहीं सकेगा कि वह असहजत महसूस कर रहा है।
अपने शिशु को कैसे लपेटें?
शिशु को कपड़े में लपेटने के बहुत से तरीके हैं। शिशु को सुरक्षित ढंग से लपेटने के ​एक तरीके के बारे में यहां बताया गया है:

एक समतल स्थान पर सूती कपड़ा बिछाएं और ऊपर एक छोर को लगभग 15 से.मी. (6 इंच) मोड़ कर तह लगाएं।
अपने शिशु को पीठ के सहारे लिटाकर उसका सिर उस तह पर रखें। यह देखें कि उसका सिर तह लगे किनारे से ऊपर की तरफ हो।
बाएं तरफ के ऊपर के छोर को शिशु के शरीर के ऊपर से ले जाकर उसके दाहिने हाथ और पीठ के नीचे दबा दें।
बाईं तरफ के नीचे के छोर को खींचकर शिशु के शरीर के ऊपर से लेते हुए उसके बाएं कंधे और बाजू के नीचे दबा दें।
दाहिना छोर लें और शिशु के शरीर के ऊपर से लपेटते हुए बाईं तरफ ले जाकर नीचे पीठ की तरफ भी पूरा लपेट दें। शिशु का सिर और गर्दन बाहर दिखेगी। आप शिशु को थोड़ा पलटा भी सकती हैं, ताकि उसे अच्छी तरह लपेटा जा सके।
लपेटने के दौरान इतनी जगह अवश्य रखें कि शिशु अपने कूल्हे और घुटने आराम से हिला-डुला सके। वह अपने कूल्हे ऊपर और बाहर की तरफ मोड़ सके। कुछ विशेषज्ञों की सलाह है कि शिशु की छाती और लपेटे जाने वाले कपड़े के बीच दो से तीन उंगलियों का अंतर होना चाहिए।
कुछ शिशु अपनी बाजुएं खुली रखना चाहते हैं। यदि आपका शिशु भी ऐसा चाहे तो उपर बताए गए निर्देशों का पालन करें, मगर चादर के किनारों को शिशु के कंधों के उपर से ले जाने की बजाय उसकी बगल के नीचे दबा दें।


अपने शिशु को सही तरीके से लपेटने के लिए हमारी फोटो गैलेरी और विडियो की मदद लीजिये।


यदि शिशु की देखभाल कोई और करता है, तो सुनिश्चित करें कि उन्हें भी शिशु को सही ढंग से लपेटना आता हो। आप उन्हें दिखाएं कि शिशु को स्वोडल करने का सही तरीका क्या है और सुनिश्चित करें कि वे शिशु को पीठ के बल ही सुलाएं।
शिशु को स्वोडल करना कब बंद कर देना चाहिए?
नवजात शिशु को स्वोडल करने या उसे अच्छी तरह कपड़े में लपेटने से जन्म के बाद कुछ हफ्तों और महीनों तक वह सुरक्षित महसूस करता है। मगर अधिकांश शिशु कुछ समय बाद इसकी जरुरत महसूस नहीं करते।

जब शिशु करवट लेने या पीठ से पेट के बल अपने आप पलटने के संकेत देने लगे तो आप उसे स्वोडल करना बंद कर दें। यदि वह कपड़े में लिपटा रहेगा तो शायद वह पलटने के बाद दोबारा पहले वाली अवस्था में नहीं आ सकेगा। इससे उसे सांस लेने में मुश्किल हो सकती है, जिससे एसआईडीएस का खतरा बढ़ सकता है। हमेशा अपने शिशु को पीठ के बल ही सुलाएं।

अपने शिशु के संकेतों को पहचानें कि वह कब असहज महसूस कर रहा है। अगर शिशु रोजाना लपेटी हुई चादर को लातें मारकर हटाने का प्रयास करता है, तो यइ इस बात का इशारा हो सकता है कि अब वह इस तरह लिपटा हुआ नहीं रहना चाहता।

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