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गर्भ में या जन्म के समय शिशु की सुनने की क्षमता पूरी तरह से विकसित नहीं हुई होती है। शिशु पूरी तरह से आपको नहीं सुन सकता है बल्कि जन्म के समय उसमें सुनने की केवल कुछ क्षमता होगी और बच्चा बड़ा होने के साथ-साथ पूरा सुनना शुरू करता है। ऐसा भी कह सकते हैं कि बच्चे की सुनने की क्षमता में सुधार आता है। बच्चा उम्र के हिसाब से सुनना शुरू करता है.
कब सुनना शुरू करते हैं शिशु-
अमेरिकन स्पीच लैंग्वेज एसोसिएशन के अनुसार तीन महीने की उम्र में बच्चे साउंड पर रिएक्ट करना शुरू कर देते हैं। माना जाता है कि गर्भ में ही भ्रूण छह से सातवें महीने में साउंड को पहचानने और रिएक्ट करने लगता है।
जन्म के बाद ही शिशु की सुनने की क्षमता का पूरा और सही विकास होता है।
उम्र के हिसाब से सुनने की क्षमता-
यू.एस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन डेफनेस और कम्यूनिकेशन डिसऑर्डर के अनुसार उम्र के साथ बच्चे की सुनने की क्षमता बेहतर होती चली जाती है।
जन्म से लेकर तीन महीने का शिशु तेज आवाज पर चौंकने लगता है। आपकी आवाज सुनने पर बच्चा शांत हो जाता है या मुस्कुराने लगता है। हर जरूरत पर बच्चा अलग आवाज निकालता है।
चार से छह महीने में-
इस उम्र में बच्चे जिस ओर से आवाज आ रही है, वहां पर आंखें मूव कर लेते हैं। बच्चा आवाज करने वाले खिलौनों पर ध्यान देने लगता है। आपकी आवाज की टोन में बदलाव पर रिस्पॉन्स करने लगता है। बच्चा गाने पर अटेंशन देना शुरू कर देता है।
सात महीने से एक साल का बच्चा-
जिस दिशा से आवाज आ रही है, बच्चा उसकी तरफ सिर घुमाकर देखने लगता है। अपना नाम सुनने पर रिस्पॉन्स करना शुरू कर देता है। उसे कप, ट्रक, जूस जैसे शब्दों की पहचान हो जाती है।
बच्चा कुछ समय के लिए गाने और कहानियां सुनने लगता है।
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