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बच्चों में नींद न आने के हो सकते हैं ये 7 कारण, जानें लक्षण और बचाव
बच्चे को नींद ना आने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। ऐसे में सबसे पहले लक्षणों को समझना चाहिए और फिर उसका उपचार करना चाहिए।
स्ट्रेस, गलत आहार और मूड स्विंग के चलते अक्सर लोगों को नींद न आने की समस्या हो जाती है। लेकिन यह समस्या केवल व्यस्को को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी हो सकती है। बच्चों को जब नींद नहीं आती तो वह सुस्ती से भरे हुए होते हैं। साथ ही उनके अंदर भी नकारात्मक बदलाव जैसे मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, तनाव, दिन में नींद आना आदि दिखाई देने लगते हैं। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि बच्चों को नींद न आने के क्या लक्षण होते हैं? साथ ही इसके कारण और उपचार भी जानेंगे? इसके अलावा आपको पता होना चाहिए कि उम्र के हिसाब से बच्चे को कितने घंटे की नींद लेनी चाहिए? इसके बारे में भी पूरी जानकारी हम आपको दे रहे हैं। पढ़ते हैं आगे...
उम्र के हिसाब से कितने घंटे की नींद बच्चों को लेनी चाहिए?
1 - सबसे पहले नवजात शिशु से शुरुआत करते हैं। नवजात शिशु को 17 से 18 घंटे की नींद लेनी चाहिए।
2 - डेढ़ महीने से लेकर 1 साल तक के बच्चों को 12 से 17 घंटे की नींद लेनी चााहिए।
3 - 1 साल से लेकर 2 या ढाई साल तक के बच्चों को 12 से 14 घंटे की नींद लेनी जरूरी है।
4 - ढाई साल से लेकर 5 साल के बच्चों को 11 से 13 घंटे की नींद लेनी चाहिए।
5 - जिन बच्चों की उम्र 6 साल से 12 साल तक होती है उन्हें कम से कम 9 घंटे की नींद और अधिकतम 11 घंटे की नींद लेनी जरूरी है।
6 - दिन बच्चों की उम्र 13 साल से 18 साल तक होती है उन्हें 9 से 10 घंटे की नींद लेनी जरूरी है।
बच्चों की नींद ना आने के कारण
1 - जब परिवार में किसी भी प्रकार का झगड़ा या पारिवारिक समस्या होती है तो इसके चलते बच्चा अनिद्रा का शिकार हो सकता है।
2 - जरूरी होता है कि सोने से पहले बच्चा टीवी, मोबाइल आदि को बंद कर दे। अगर बच्चा बिस्तर पर भी इनका इस्तेमाल करता है तो नींद में रूकावट आ सकती है।
3 - अकसर बच्चों को डरावने सपने आते हैं, जिससे कारण वे रात को जाग जाते हैं और फिर बच्चा डर या भय के कारण दोबारा नहीं सो पातें।
4 - जब बच्चे को किसी भी प्रकार की चिंता या तनाव होता है। उदाहरण के तौर पर चिंता स्कूल में होने वाली परीक्षा या प्रैक्टिकल की हो सकती है, इसके कारण भी कई बार बच्चा सही से सो नहीं पाता।
5 - जिस कमरे में बच्चा सो रहा है अगर वहां जरूरत से ज्यादा गर्म या ठंडा हो तब भी बच्चे को सोने में दिक्कत महसूस हो सकती है।
6 - जो बच्चे सोने से पहले अत्यधिक कैफीन या एनर्जी ड्रिंक का सेवन करते हैं उन्हें नींद मुश्किल से आती है।
7 - कुछ दवाइयां ऐसी होती है, जिसमें कारण बच्चे अनिद्रा के शिकार हो जाते हैं।
बच्चों को नींद आने के लक्षण
1 - हर वक्त थकान महसूस करना।
2 - दिन में सोना।
3 - गुस्सा आना।
4 - मूड स्विंग।
5 - उदास रहना।
6 - चिड़चिड़ापन महसूस करना।
7 - शैक्षणिक प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ना।
8 - टाइम पर ना सो पाना।
9 - रात में बार बार जागना।
बच्चों में नींद ना आने की समस्या को दूर करने के उपाय
1 - बच्चे के सोने का टाइम निश्चित करें। अगर बच्चा 10 साल से कम उम्र का है तो माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चे को सोने के लिए प्रेरित करें। वहीं अगर बच्चा 10 साल से बड़ा है तो बच्चे की आदत में इस बात को डालें कि उसे नियमित रूप से समय पर सो जाना चाहिए।
2 - अगर बच्चे को डर के कारण नींद नहीं आ रही है तो उसकी पूरी बात को सुनें और उसे समझाएं कि डर जैसा कुछ नहीं होता। साथ ही आश्वासन देने की कोशिश करें। ऐसे में बच्चे को रात में कहानी सुना सकते हैं।
3 - बच्चे की चिंता को कम करें और कमरे के वातावरण को उनके अनुकूल बनाएं। ऐसा करने से बच्चे के शरीर में स्ट्रेस हार्मोन घट सकता है।
4 - बच्चे के सोने से तकरीबन 1 या 2 घंटे पहले उनसे मोबाइल ले लें और टीवी भी बंद कर दें।
5 - बच्चे को दिन में ना सोने दें।
6 - बच्चों की दिनचर्या में शारीरिक गतिविधियों को जोड़ें।
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