नहाने के बाद मैं अपने बच्चे को गर्म कैसे रखूं?pregnancytips.in

Posted on Thu 13th Oct 2022 : 11:39

पहली बार बने माता-पिता अक्सर अपने नवजात शिशुओं को पहली बार नहलाने से डरते हैं। साबुन लगे बच्चे को संभालना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि उसके हाथ से फिसलने का डर रहता है। इसलिए बहुत से माता-पिता घर के किसी जानकार बड़े या कामवाली से शिशु को नहलाने के लिए कह देते हैं।

मगर, यदि आप प्रयास करें तो केवल कुछ बार शिशु को नहलाने के बाद आप काफी आत्मविश्वास महसूस करेंगी। एक बार जब आपको इसकी आदत हो जाएगी, तो आपको लगेगा कि नहाने का समय बच्चे के साथ प्यार भरा संबंध बनाने का शानदार समय है।
मेरे नवजात शिशु का पहला स्नान कब होगा?
अधिकांश अस्पताल और मातृत्व क्लिनिकों में स्टाफ सदस्य या आया होती है, जो नई माँ की नवजात को नहलाने और स्तनपान करवाने में मदद करती हैं। जन्म के तुरंत बाद नर्स शिशु की त्वचा पर लगे एमनियोटिक द्रव्य, रक्त या किसी अन्य तत्व को पौंछ कर उसे साफ कर देंगी। इससे बाल चिकित्सक को शिशु की रंगत सही तरीके से देख पाने में सहायता मिलती है।

जन्म के कुछ घंटों बाद तक या फिर जब तक उसके शरीर का तापमान स्थिर नहीं हो जाता, तब तक शिशु को नहीं नहलाया जाता। नवजात शिशु अपने शरीर का तापमान बहुत अच्छी तरह समायोजित नहीं कर पाते।

जन्म के तुरंत बाद नवजात को नहलाने से उसके शरीर का तापमान गिरने का खतरा रहता है। अधिकांश अस्पताल यही सलाह देते हैं कि शिशु का पहला स्नान उसके जन्म के एक दिन बाद ही कराया जाए।

मगर, यदि आप चाहें और आपका शिशु ठीक-ठाक है, तो जन्म के कुछ घंटों बाद उसे स्नान कराया जा सकता है। स्नान से पहले ये बातें जरुर ध्यान में रखें कि आपका शिशु स्वस्थ है, वह पूर्ण अवधि का है, उसके शरीर का तापमान सामान्य है और जिस कमरे में आप दोनों हैं, वह गर्म है।

अगर आप शिशु को पहली बार स्वयं नहलाना चाहती हैं, तो आप घर जाने तक का इंतजार कर सकती हैं। क्योंकि घर पर शायद आप ज्यादा आरामदेह महसूस करेंगी।

अगर आप उसे अस्पताल में ही स्नान करवाना चाहती हैं, तो सुनिश्चित करें कि कमरे में हल्की गर्माहट हो। स्नान कराते वक्त हर समय अपने बच्चे को कस कर पकड़ कर रखें। स्नान के लिए जिस भी चीज की आपको आवश्यकता है, उसकी तैयारी पहले से ही कर लें, ताकि आपको बीच में न उठना पड़े।
पहले कुछ दिनों के लिए नवजात को स्वच्छ रखने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
पहले सप्ताह के लिए या शिशु की गर्भनाल सूख कर गिरने तक, आप शिशु को स्पंज स्नान करा सकती हैं। इसे “टाॅपिंग और टेलिंग” भी कहा जाता है। स्पंज स्नान का अर्थ है शिशु को एक हल्के गर्म, गीले स्पंज या कपड़े से और गीली रुई के टुकड़ों से सिर से लेकर पांव तक साफ करना।
अगर आप शिशु को स्पंज स्नान कराएं, तो ध्यान रखें कि उसकी त्वचा की सिलवटों को अवश्य साफ करें, विशेषकर उसकी गर्दन, बाजू और पैरों पर।

अगर, आप अपने शिशु और पानी से टब में स्नान करना पसंद करती हैं, तो वह भी ठीक है। ऐसा करने से आपके शिशु के नाभिठूंठ के सूखने व ठीक होने में रुकावट नहीं आती और न ही किसी प्रकार के संक्रमण की संभावना होती है। बस यह ध्यान रखें कि आप स्नान के तुरंत बाद उसके नाभिठूंठ को सुखा दें। आप नाभिठूंठ को रगड़े नहीं, बल्कि एक साफ तौलिये से उसे थपथपाकर सुखाएं।

नवजात को स्नान कराने के बाद आप उसे स्तनपान करवाकर सुला सकती हैं। नहाने से शिशु को जो उत्तेजना और आराम मिला है, उसके बाद शिशु आराम करना चाहता है।

स्नान करते हुए शिशु को कभी भी अकेला न छोड़ें – कुछ सैकंड के लिए भी नहीं। यहां और पढ़ें कि शिशु को सुरक्षित तरीके से स्नान कैसे कराया जाए।
मुझे कितनी बार अपने नवजात को स्नान कराना चाहिए?
नवजात शिशु ज्यादा इधर उधर नहीं घूमते, इसलिए बहुत ज्यादा गंदे भी नहीं होते। एक सप्ताह में दो या तीन बार स्नान उन्हें स्वच्छ रखने के लिए पर्याप्त है। हालांकि, कई माताएं जन्म के बाद से ही अपने शिशु की रोज मालिश करना और स्नान कराना पसंद करती हैं। यह जन्म के बाद की 40 दिनों की पारंपरिक एकांतवास की प्रथाओं का हिस्सा है।

कितनी बार नवजात शिशु को नहलाया जाए, यह वास्तव में आप और आपके बच्चे के ऊपर निर्भर है। आपका बच्चा कौन से मौसम में पैदा हुआ है, यह भी इस निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गर्मियों में पैदा हुए बच्चों के माता-पिता रोजाना बच्चे को स्नान कराना पसंद करते हैं, वहीं सर्दियों में पैदा हुए शिशुओं को हो सकता है हर दूसरे दिन ही नहलाया जाए।

साथ ही, कुछ शिशु शुरु से ही थोड़े गर्म पानी में नहाना पसंद करते हैं, वहीं कुछ को अपनी त्वचा में इस नई अनुभूति का आदि होने में समय लगता है। अगर, आपका शिशु हर बार स्नान करते समय रोता है, तो कुछ दिन उसे न नहलाएं। कुछ समय बाद में फिर प्रयास करें।

जैसे-जैसे आपका शिशु गर्भ के बाहर के जीवन से वाकिफ होने लगेगा, हो सकता है वह स्नान का भी आनंद लेने लगे।

अगर आपके शिशु की त्वचा शुष्क है और आप उसे रोजाना नहला रही हैं, तो इसे थोड़ा कम करके देखें। शिशु को सप्ताह में दो या तीन बार नहलाएं और देखें कि क्या उसकी त्वचा पर कुछ असर हुआ है या नहीं। शिशु को केवल पांच से 10 मिनट तक नहलाना सही रहता है, इससे उसकी त्वचा शुष्क होने से भी बच सकती है।
शिशु को नहलाने के लिए दिन का कौन सा समय उचित है?
दिन का ऐसा समय चुनें जब आपको किसी प्रकार के व्यवधान की आशंका न हो और आप अपना पूरा समय बच्चे पर लगा सकें। हालांकि, शिशु को सवेरे नहलाना काफी आम है, मगर उसे नहलाने का एकमात्र यही सही समय नहीं है। शिशु के स्तनपान और सोने की दिनचर्या को समझें और देखें कि ऐसा कौन सा समय होता है जब वह आराम कर चुका होता है और उसका पेट भरा होता है।

अगर शिशु की अन्य सभी जरुरतें पूरी हो चुकी हैं, तो इस बात की पूर्ण संभावना होती है कि शिशु स्नान का भरपूर आनंद लेगा।

अपने बच्चे को कब स्नान कराएं यह काफी हद तक मौसम पर भी निर्भर करता है। सर्दियों में आप शिशु को दिन के सबसे गर्म भाग यानि की दोपहर में नहलाना पसंद कर सकती हैं।

आप स्नान को शिशु के सोने के समय की दिनचर्या का भी हिस्सा बना सकती हैं। स्नान, शिशु के लिए काफी आरामदेह और शांतिदायक हो सकता है। यह उसे लंबी नींद के लिए तैयार करने का अच्छा तरीका है। सर्दियों में शिशु को रात में स्नान कराने का यह फायदा है कि नहाने के बाद शिशु गर्म कपड़ों में लिपटकर गर्माहट में ही रहेगा।

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