नॉर्मल डिलीवरी कैसे की जाती है?pregnancytips.in

Posted on Tue 18th Oct 2022 : 15:09

नॉर्मल डिलीवरी :- योनि के जरिये प्रसव (वेजाइनल डिलीवरी) को नॉर्मल डिलीवरी भी कहा जाता है। यह शिशु के जन्म का सबसे आम तरीका है।

नाॅर्मल डिलीवरी के दौरान आपकी ग्रीवा पतली होकर खुलती है। आपका गर्भाशय संकुचित होता है ताकि शिशु प्रसव नलिका में नीचे खिसक सके और योनि के जरिये जन्म ले सके।

सामान्यतः शिशु का जन्म नाॅर्मल डिलीवरी से ही कराया जाता है, मगर यदि आपकी गर्भावस्था या प्रसव के दौरान जटिलताएं हो तो सिजेरियन डिलीवरी करवाने की जरुरत पड़ सकती है।

नॉर्मल डिलीवरी किस तरह होती है-
प्रसव और शिशु के जन्म की प्रक्रिया के तीन चरण होते हैं, मगर हर महिला के प्रसव की प्रबलता और अवधि अलग होती है।

* पहला चरण: शुरुआती प्रसव
इस चरण के दौरान संकुचनों की वजह से धीरे-धीरे ग्रीवा (सर्विक्स) खुलने लगती है। ग्रीवा गर्भाशय की गर्दन को कहा जाता है। पहले चरण में शुरुआती प्रसव, सक्रिय प्रसव और ​परिवर्ती चरण शामिल हैं।
शुरुआती प्रसव के दौरान आपकी ग्रीवा खुलना और चौड़ा होना शुरु होती है। यह पहले बंद अवस्था से करीब 4 सें.मी. (1.6 इंच) तक विस्फारित हो जाती है।

आपको ऐसा होने का शायद पता नहीं चलेगा क्योंकि आपके गर्भाशय में बहुत ही हल्के संकुचन हो रहे होते हैं। ये आपको माहवारी के समय होने वाली हल्की ऐंठन या दर्द या फिर पीठदर्द जैसे महसूस हो सकते हैं। संभव है कि जब आपको लगे कि प्रसव शुरु हो गया है, तब तक आपकी ग्रीवा कई सेंटिमीटर तक विस्फारित हो गई हो। ऐसा खासतौर पर दूसरी बार मॉं बन रही महिलाओं के साथ होता है।

हालांकि, बहुत सी महिलाओं को निरंतर बढ़ते हुए और दर्दभरे संकुचन महसूस होते हैं। ये ब्रेक्सटन हिक्स संकुचनों से अलग होते हैं, जो कि बार-बार नहीं होते या इतने भी प्रबल नहीं होते।

आप 30 मिनट तक अपने संकुचनों की गणना करें, इससे आप नजर रख सकेंगी कि प्रसव किस तरह बढ़ रहा है। संकुचन के शुरु होने का समय नोट करें,​ फिर इसके समाप्त होने का समय नोट करें। इसके बाद अगला संकुचन शुरु होने का समय भी दर्ज करें और इस तरह लगातार समय नोट करती जाएं। आप इसे आसान बनाने के लिए फोन पर एप का या फिर किसी ऑनलाइन टूल का इस्तेमाल कर सकती हैं।

संकुचनों की बारंबारता (फ्रीक्वेंसी) का मतलब है कि ये कितनी बार आ रहे हैं यानि एक संकुचन के शुरु होने के बाद अगला संकुचन कितने समय में शुरु हो रहा है।

आपके प्रसव की अपनी अलग लय और गति होगी। अनुमानित तौर पर शुरुआती संकुचन सामान्यत: पांच मिनट से ज्यादा के अंतराल पर होते हैं और करीब 30 सैकंड लंबे होते हैं। जैसे-जैसे आप सक्रिय प्रसव के नजदीक पहुंचती हैं संकुचनों के बीच का अंतराल आमतौर पर कम होता जाता है, जबकि इनकी समयावधि और प्रबलता धीरे-धीरे बढ़ती जाती है।

* दूसरा चरण: सक्रिय प्रसव
यह तब शुरु होता है जब ग्रीवा पूरी तरह विस्फारित हो चुकी होती है और शिशु के जन्म के साथ यह चरण समाप्त हो जाता है। इसे कई बार 'जोर लगाने वाला चरण' भी कहा जाता है।

जैसे-जैसे आप सक्रिय प्रसव के चरण में प्रवेश करती हैं आपके संकुचन अब और ज्यादा लंबे और ज्यादा बार होने लगेंगे। आपकी ग्रीवा भी अब कम से कम 4सें.मी (1.6इंच) से लेकर पूरी तरह विस्फारित हो जाएगी, जो कि करीब 10 सें.मी. (3.9इंच) होता है।

इस चरण पर संकुचन और ज्यादा प्रबल होते हैं। आमतौर पर ये संकुचन धीरे-धीरे शुरु होते हैं, प्रबलता के चरम पर पहुंचते हैं और फिर कमजोर पड़ जाते हैं। हो सकता है आप इन संकुचनों के दौरान बात भी न कर पाएं। आपको शायद रुककर सांस लेना या कराहना पड़े, विशेषतौर पर तब जब ये संकुचन लंबे होने लगें।

हो सकता है संकुचन हर तीन से चार मिनट में होने लगें और 60 से 90 सैकंड तक जारी रहें। इस तरह आपको संकुचनों के बीच आराम पाने का कम समय मिलेगा। हर 10 मिनट में आपको दो से पांच संकुचन महसूस हो सकते हैं। इन संकुचनों के बीच आप थोड़ी-बहुत बात कर सकेंगी, आसपास चल-फिर सकेंगी, तरल पदार्थ ले सकेंगी और अगले संकुचन के लिए खुद को तैयार कर सकेंगी।

जैसे-जैसे प्रसव और ज्यादा तेज होता जाता है, तो आप शायद पाएंगी कि संकुचनों के दौरान और इनके बीच के अंतराल में अब आपका ज्यादा ध्यान इन्हीं पर केंद्रित हो रहा है। अब शायद आपको भूख न लगे और आपको उल्टी जैसा या उल्टी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपका शरीर पाचन तंत्र को साफ करता है, ताकि शिशु के जन्म पर ध्यान केंद्रित करने के लिए तैयार हो सके।

जब आपकी ग्रीवा 6सें.मी. तक खुल जाती है, तो आपके प्रसव में तेजी आ सकती है। मगर अब भी ग्रीवा को 10सें.मी. तक पूरी तरह खुलने में कई घंटे और लग सकते हैं।

यदि आपकी पानी की थैली अभी नहीं फटी है, तो डॉक्टर शायद इसे फाड़ने का निर्णय ले सकती हैं ताकि देख सकें कि इससे प्रसव में तेजी आती है या नहीं। ध्यान रखें कि पानी की थैली फटने के बाद आपके संकुचन और ज्यादा प्रबल हो जाएंगे।

* तीसरा चरण: प्रसव का परिवर्ती चरण
यह शिशु के जन्म के तुरंत बाद शुरु होता है और अपरा की डिलीवरी के साथ समाप्त हो जाता है।
परिववर्ती चरण (ट्रांज़िंशनल फेज़) तब होता है जब आप प्रसव के पहले चरण से दूसरे चरण में आती है, यानि कि जोर लगाने वाले चरण में। यह आमतौर पर तब शुरु होता है जब आपकी ग्रीवा करीब 8सें.मी. (3.5इंच) तक विस्फारित हो चुकी होती है और ग्रीवा के पूरी तरह विस्फारित (10 सें.मी.) हो जाने या पूरी तरह खुलने पर या फिर जोर लगाने की तीव्र इच्छा होने पर समाप्त होता है।
अब शायद संकुचनों की बारंबारता कम होगी, मगर ये और ज्यादा प्रबल और लंबे समय तक होंगें। कई बार ये दो लहरों में आते हैं। हर लहर चरम पर पहुंचेगी, फिर कमजोर पड़ जाएगी, मगर एक बार फिर से प्रबलता बढ़ेगी और फिर ये पूरी तरह कमजोर पड़ जाएगी।

परिवर्ती चरण से ठीक पहले या इसके दौरान पानी की थैली फटना काफी आम है। जब आपकी ग्रीवा पूरी तरह खुल जाती है, तो एक बार फिर योनि से बहुत सारा खून निकल सकता है।

महिलाओं का परिवर्ती चरण का अनुभव अलग होता है। यह बहुत ज्यादा प्रबल और असहनीय हो सकता है। आप पाएंगी कि आपका पूरा ध्यान केवल प्रसव की तरफ है और कुछ असंगत सी मांग कर रही हैं। हो सकता है आप कराहें, चिल्लाए और अधीर महसूस करें या फिर बहुत डरी और घबराई हुई हों। कुछ महिलाएं कंपकंपी और मिचली महसूस करती हैं, वहीं कुछ महिलाओं को ऐसा कुछ महसूस नहीं होता।

अच्छी बात यह है कि कई बार परिवर्ती चरण के अंत में ठहराव सा आ जाता है, जब संकुचन भी रुक जाते हैं। आप और आपका शिशु इस समय जोर लगाने का चरण शुरु होने से पहले थोड़ा आराम कर सकते हैं।

एक और चरण भी है जिसे अंग्रेजी में प्रीलेबर या लेटेंट फेज कहा जाता है। यह चरण तब शुरु होता है जब आपका शरीर प्रसव के पहले चरण के लिए तैयार हो रहा होता है।

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