न्यू बोर्न बेबी उल्टी क्यों करता है?pregnancytips.in

Posted on Wed 19th Oct 2022 : 10:00

शिशु को दूध पीने के बाद क्‍यों होती है उल्‍टी, जानिए कारण और घरेलू नुस्‍खे

अक्‍सर दूध पीने के बाद शिशु उल्‍टी कर देते हैं। इसके कई कारण होते हैं जिनका पता लगाकर शिशु को इस परेशानी से बचाया जा सकता है।
ulti hone ke gharelu upay
कई बार शिशु पेट दर्द या गैस की वजह रोता है लेकिन कभी-कभी शिशु को उल्‍टी भी हो जाती है। वहीं अगर बार-बार उल्‍टी हो रही है तो इसका कारण जानकर इलाज करना जरूरी है ताकि शिशु को ज्‍यादा दिक्‍कत न हो। इसकी वजह से शिशु के शरीर में पानी की कमी हो सकती है।

आइए जानते हैं कि शिशु को किन कारणों से उल्‍टी होती है।


शिशु की भोजन नली पूरी तरह मैच्‍योर नहीं होती है इसलिए दूध पीने के बाद दूध वापस भोजन नली में आ सकता है जिससे शिशु मुंह या नाक से दूध बाहर निकाल देता है। शिशु के 18 महीने के होने पर अक्‍सर यह समस्‍या ठीक हो जाती है।
शिशु की सरसों के तेल से करेंगी मालिश तो हड्डियां होंगी मजबूत, जान लें मालिश का तरीका

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सरसों का तेल रक्‍त प्रवाह को बेहतर करता है और शिशु की संपूर्ण सेहत में सुधार लाता है। शिशु की रोज मालिश करने से शरीर स्‍वस्‍थ और मजबूत बनता है। इसके अलावा शरीर में गरमाई रखने में सरसों का तेल बहुत मदद करता है। यही वजह है कि ठंड के मौसम और ठंडे इलाकों में शिशु को गरम रखने के लिए सरसों के तेल का ही इस्‍तेमाल किया जाता है।
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लहसुन की कुछ कलियां लें और उसे सरसों के तेल में डालकर हल्‍का गर्म कर लें। अब तेल के थोड़ा ठंडा होने पर शिशु की छाती पर लगाएं। इस तरह शिशु में खांसी और जुकाम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसमें आप लहसुन की जगह तुलसी की पत्तियां भी डाल सकते हैं।

सरसों के तेल में एंटीफंगल और एंटीबैक्‍टीरियल गुण होते हैं। इससे मालिश करने पर बच्‍चे को त्‍वचा संक्रमण से सुरक्षा मिलती है। सरसों का तेल शिशु को कई तरह के स्किन इंफेक्‍शन से बचाने में मदद करता है।



शिशु के बालों की ग्रोथ में सुधार के लिए सरसों का तेल बहुत असरकारी होता है। रोज बालों और सिर की इस तेल से मालिश करने से बालों की ग्रोथ अच्‍छी होती है।

सरसों का तेल बच्‍चों को मच्‍छरों के काटने से भी बचाता है। इस तेल की तेज गंध शिशु को मच्‍छरों से दूर रखती है।



सरसों के तेल में कई एंटीबैक्‍टीरियल गुण मौजूद हैं और यही वजह है कि इस तेल की मालिश से बच्‍चे की स्किन स्‍वस्‍थ रहती है और त्‍वचा पर किसी तरह का कोई संक्रमण नहीं होता है।

शिशु को अक्‍सर फंगल इंफेक्‍शन हो जाता है जाे कि बहुत परेशानी पैदा करता है। अगर आप अपने बच्‍चे की सरसों के तेल से मालिश करते हैं तो फंगल इंफेक्‍शन का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।



आप शिशु को इस तेल का ज्‍यादा से ज्‍यादा लाभ दिलाने के लिए निम्‍न तरीकों से प्रयोग कर सकते हैं।
पहले तेल को उबाल लें और फिर उसे ठंडा कर के एक बोतल में भर लें। नहाने से पहले रोज इस तेल से शिशु के सिर और शरीर की मसाज करें।आप चाहें तो इस्‍तेमाल से कुछ मिनट पहले आवश्‍यकतानुसार तेल गर्म कर के भी प्रयोग कर सकती हैं।सरसों के तेल में अजवाइन उबालकर उसे ठंडा होने दें। अब इसे तेल से शिशु की मालिश करें।आप सरसों के तेल में लहसुन की कलियां या तुलसी की पत्तियां डालकर भी गर्म करके इस्‍तेमाल कर सकती हैं।


शिशु के उल्‍टी क्‍यों होती है
स्‍टमक फ्लू को वारयल गैस्‍ट्रोएंट्राइटिस भी कहते हैं। यह पेट का एक वायरल इंफेक्‍शन होता है। इसमें उल्‍टी, दस्‍त, बुखार और पेट में दर्द जैसे लक्षण दिखते हैं। पेट में फ्लू होने पर कुछ दिनों तक शिशु को उल्‍टी हो सकती है। उल्‍टी और दस्‍त की समस्‍या गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल या किसी तंत्र में संक्रमण के कारण होता है। शिशु के उल्‍टी करने का कारण मूत्र मार्ग में संक्रमण और छाती में संक्रमण होता है। बच्‍चों की इम्‍यूनिटी कमजोर होती है इसलिए उन्‍हें जल्‍दी जल्‍दी इंफेक्‍शन होता रहता है।

शिशु का उल्‍टी करना आम बात है?
जी हां, मां का दूध पीने के बाद शिशु को उल्‍टी होना सामान्‍य बात है। कई बार जब शिशु को पेट भर जाता है और वो ज्‍यादा दूध पी लेता है तो इस स्थिति में उल्‍टी हो जाती है। शिशु के बढ़ने पर यह समस्‍या अपने आप ठीक हो जाती है।
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सरसों का तेल रक्‍त प्रवाह को बेहतर करता है और शिशु की संपूर्ण सेहत में सुधार लाता है। शिशु की रोज मालिश करने से शरीर स्‍वस्‍थ और मजबूत बनता है। इसके अलावा शरीर में गरमाई रखने में सरसों का तेल बहुत मदद करता है। यही वजह है कि ठंड के मौसम और ठंडे इलाकों में शिशु को गरम रखने के लिए सरसों के तेल का ही इस्‍तेमाल किया जाता है।
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लहसुन की कुछ कलियां लें और उसे सरसों के तेल में डालकर हल्‍का गर्म कर लें। अब तेल के थोड़ा ठंडा होने पर शिशु की छाती पर लगाएं। इस तरह शिशु में खांसी और जुकाम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसमें आप लहसुन की जगह तुलसी की पत्तियां भी डाल सकते हैं।

सरसों के तेल में एंटीफंगल और एंटीबैक्‍टीरियल गुण होते हैं। इससे मालिश करने पर बच्‍चे को त्‍वचा संक्रमण से सुरक्षा मिलती है। सरसों का तेल शिशु को कई तरह के स्किन इंफेक्‍शन से बचाने में मदद करता है।


शिशु के बालों की ग्रोथ में सुधार के लिए सरसों का तेल बहुत असरकारी होता है। रोज बालों और सिर की इस तेल से मालिश करने से बालों की ग्रोथ अच्‍छी होती है।

सरसों का तेल बच्‍चों को मच्‍छरों के काटने से भी बचाता है। इस तेल की तेज गंध शिशु को मच्‍छरों से दूर रखती है।



सरसों के तेल में कई एंटीबैक्‍टीरियल गुण मौजूद हैं और यही वजह है कि इस तेल की मालिश से बच्‍चे की स्किन स्‍वस्‍थ रहती है और त्‍वचा पर किसी तरह का कोई संक्रमण नहीं होता है।

शिशु को अक्‍सर फंगल इंफेक्‍शन हो जाता है जाे कि बहुत परेशानी पैदा करता है। अगर आप अपने बच्‍चे की सरसों के तेल से मालिश करते हैं तो फंगल इंफेक्‍शन का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।



आप शिशु को इस तेल का ज्‍यादा से ज्‍यादा लाभ दिलाने के लिए निम्‍न तरीकों से प्रयोग कर सकते हैं।
पहले तेल को उबाल लें और फिर उसे ठंडा कर के एक बोतल में भर लें। नहाने से पहले रोज इस तेल से शिशु के सिर और शरीर की मसाज करें।आप चाहें तो इस्‍तेमाल से कुछ मिनट पहले आवश्‍यकतानुसार तेल गर्म कर के भी प्रयोग कर सकती हैं।सरसों के तेल में अजवाइन उबालकर उसे ठंडा होने दें। अब इसे तेल से शिशु की मालिश करें।आप सरसों के तेल में लहसुन की कलियां या तुलसी की पत्तियां डालकर भी गर्म करके इस्‍तेमाल कर सकती हैं।


उल्‍टी रोकने के लिए क्‍या करें
जब भी शिशु को दूध पिलाएं तो अपने साथ साफ कपड़ा जरूर रखें ताकि जब भी शिशु को उल्‍टी हो तभी तुरंत उसका मुंह साफ किया जा सके।
दूध पिलाने के बाद उसे हिलाएं नहीं। रोज बच्‍चे को एक ही समय पर दूध पिलाएं। रोज अलग समय पर दूध पिलाने पर समस्‍या और गंभीर हो सकती है। डॉक्‍टर की सलाह पर ही उल्‍टी रोकने की दवा दें।

डॉक्‍टर को कब दिखाएं
यदि शिशु को उल्‍टी और दस्‍त हो रहे हैं तो उसके शरीर में पानी की कमी न होने दें। अगर उल्‍टी का रंग भूरा है या बच्‍चे को दस्‍त नहीं है तो यह चिंता की बात है। आमतौर पर बच्‍चे को उल्‍टी 24 घंटे से ज्‍यादा समय तक नहीं होती है और अगर इससे ज्‍यादा समय तक उल्‍टी हो तो यह किसी बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन या गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। यदि बच्‍चे को उल्‍टी के बाद खांसी में खून आ रहा है तो तुरंत डॉक्‍टर को दिखाएं।

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उल्‍टी रोकने के घरेलू नुस्‍खे
स्‍तनपान करवाने पर थोड़ी थोड़ी देर में शिशु को दूध पिलाने की जरूरत होती है और उल्‍टी बंद होने पर आप शिशु को रोज की तरह दूध पिलाना शुरू कर सकती हैं।
फॉर्मूला मिल्‍क लेने वाले बच्‍चों को दो से तीन घंटे में हर पंद्रह मिनट में ओआरएस की जरूरत पड़ती है। आपको केमिस्‍ट से ओआरएस मिल जाएगा। इससे पानी की कमी नहीं होती है।

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
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