प्रसव पूर्व काल क्या होता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 17th Jul 2020 : 15:42

प्रसव की अवस्थाएं

प्रसव के दौरान पलंग के पैताने का सहारा लेकर खड़ी महिला
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In this article

प्रसव के दौरान मेरी अवस्था डिलीवरी को किस तरह प्रभावित करती है?
शिशु के जन्म के लिए सबसे बेहतर अवस्था क्या है?
मुझे प्रसव के दौरान लेटे हुए क्यों नहीं रहना चाहिए?
प्रसव के दौरान पीठ दर्द की स्थिति में कौन सी अवस्थाएं फायदेमंद रहती हैं?
प्रसव के जोर लगाने वाले चरण के लिए कौन सी अवस्थाएं बेहतर हैं?
जोर नहीं लगाने की स्थिति में कौन सी अवस्थाएं सही रहती हैं?
यदि मैं एपिड्यूरल लेती हूं तो मुझे प्रसव की कौन सी अवस्था अपनानी चाहिए?
क्या कुछ ऐसी स्थितियां भी हैं जिसमें मैं प्रसव की कुछ अवस्थाएं आजमा नहीं सकूंगी?
हमारी प्रश्नोत्तरी में हिस्सा लें

अलग-अलग अवस्थाएं प्रसव को तेजी से आगे बढ़ाने, दर्द से राहत देने और श्रोणि को खुलने में मदद करती हैं।

प्रसव के दौरान जितना हो सके सीधी अवस्था में रहने से आपके संकुचन अधिक प्रभावी बन सकेंगे। लेटे रहने से आपके संकुचन ज्यादा दर्दभरे होंगे, इससे शिशु तक रक्त की आपूर्ति कम हो सकती है, श्रोणि का रास्ता संकरा हो सकता है, जिससे शिशु को नीचे आने में दिक्कत हो सकती है। साथ ही इसकी वजह से प्रसव और लंबा चल सकता है।

यह भी ध्यान रखें कि जो अवस्था प्रसव के एक चरण में आरामदायक लग रही है, हो सकता है दूसरे चरण में वह सहज न लगे। इसलिए आप अपने हिसाब से सही अवस्था और हलचलों को देखें, जो डिलीवरी के दौरान आपके काम आएं।
प्रसव के दौरान मेरी अवस्था डिलीवरी को किस तरह प्रभावित करती है?
हर महिला का प्रसव अलग होता है, मगर कुछ अवस्थाएं शायद प्रसव की कुछ विशिष्ट स्थितियों में ज्यादा सहायक हों।

जब प्रसव का पहला चरण पूरी तरह शुरु हो जाता है, तो बेहतर है कि आप थोड़ा हिलती-डुलती रहें और सीधी अवस्था में रहें। शोध में दर्शाया गया है कि इससे प्रसव का पहला चरण जल्द अगले चरण में बढ़ता है और आपको संकुचनों के दर्द को सहने में भी मदद मिलती है। यह आपके गर्भस्थ शिशु के लिए ​भी बेहतर है, क्योंकि इससे उसकी हृदय गति भी शायद स्थिर रहेगी।

जब प्रसव और सक्रिय हो जाता है, तो आप प्रबल होते संकुचनों का दर्द सहन करने के लिए अलग-अलग तरह की अवस्थाएं आजमा सकती हैं। अवस्था बदलने से प्रसव में तेजी लाने या दर्द कम करने में मदद मिल सकती है। आपकी डॉक्टर शायद आपको कभी सीधे रहने और कभी अर्धलेटी अवस्था में रहने के लिए कहेंगी।

प्रसव की कुछ अवस्थाओं को जन्म के समय पेरिनियम क्षेत्र (योनि और गुदा के बीच का स्थान) फटने का जोखिम कम करने के लिए भी जाना जाता है। हालांकि, ध्यान रखें कि अन्य कारक, जैसे कि क्या आप पहले भी शिशु को जन्म दे चुकी हैं या नहीं और आपको मिलने वाली देखभाल भी इस बात को प्रभावित कर सकते हैं।

जब तक वास्तव में आपका प्रसव शुरु नहीं हो जाता, तब तक आप शायद यह न जान पाएं कि कौन सी अवस्था सबसे ज्यादा प्रभावी रहेगी। प्रसवपूर्व कक्षा में शायद आपको शायद अलग-अलग अवस्थाएं आजमाने का अवसर मिल सकता है। ऐसे में आप प्रसव की अलग-अलग अवस्थाएं आजमाएं और देखें कि आप सबसे ज्यादा सहज किन अवस्थाओं में महसूस करती हैं। इससे आप प्रसव के लिए अधिक तैयार महसूस करेंगी।
शिशु के जन्म के लिए सबसे बेहतर अवस्था क्या है?
कोई भी एक अवस्था बेहतर नहीं है। अधिकांश महिलाएं प्रसव के अलग-अलग चरणों में बार-बार अपनी अवस्थाएं बदलती रहती हैं। याद रखें कि जो अवस्था प्रसव के एक चरण में आरामदायक थी, हो सकता है दूसरे चरण में न हो। अपने मन की आवाज को सुनें और आपको जो अवस्थाएं और हलचल सही लग रही हों वे चुनें।

शुरुआती प्रसव के दौरान आपके संकुचनों पर इतना ध्यान देने की जरुरत नहीं होगी, जितना कि बाद में होगी। जब प्रसव ​शुरु होता है तो आप शायद काफी असहज और बेचैन सी महसूस करेंगी। थोड़ा बहुत चलना-फिरना, अवस्थाएं बदलना और खुद को व्यस्त रखने से शायद इन शुरुआती संकुचनों को आप सहन कर पाएं।

हालांकि, इस समय प्रसव पूरी तरह शुरु होने से पहले अपनी ऊर्जा को बचाए रखना काफी काम आएगा। जितनी देर हो सके आप आराम करने और शांत रहने की कोशिश करें। जब संकुचन प्रबल होने लगे तो अस्पताल जाएं।

अस्पताल में आप डॉक्टर या नर्स से पूछ सकती हैं कि क्या आप थोड़ा-बहुत चल-फिर सकती हैं। यदि आपको अपने कमरे या फिर कमरे के ठीक बाहर बरामदे तक ही जाने की अनुमति हो, तो भी निम्नांकित अवस्थाएं और प्रसव की गति बढ़ाने और आपके संकुचनों को और प्रभावी बनाने में मदद कर सकती हैं:

खड़ी होकर, दीवार की तरफ, या फिर कुर्सी के सहारे या बिस्तर के पैताने को पकड़कर इस पर आगे की और झुकें।

जमीन पर एक बड़ा कुशन या तकिया रखकर उसपर घुटने टेक कर बैठें और कुर्सी या सोफे की सीट पर आगे की ओर झुकें। यदि प्रसव पीड़ा के साथ-साथ तेज पीठ दर्द भी हो, तो इस स्थिति में यह अवस्था काफी अच्छी है।

बिस्तर पर सीधी होकर बैठें। अगर, आपके हाथ में ड्रिप लगी है या फिर शिशु की धड़कन पर नजर रखने के लिए आपके पेट पर फीता (स्ट्रैप) लगा है, तो आप बिस्तर से नहीं उठ सकेंगी। ऐसे में यह अवस्था आपके लिए सबसे अच्छी है। सुनिश्चित करें कि आपका पलंग जितना हो सके सीधा किया गया हो। इसके बाद भी जरुरत हो तो तकिये लगाकर आप और सीधा हो सकती हैं।

पलंग के एक किनारे पर बैठ जाएं। अगर, आपको पीठ की मालिश से आराम मिलता है, तो इस स्थिति में बैठकर आप मालिश करवा सकती हैं।

संकुचनों के दौरान पलंग या अपने पति का सहारा लेकर खड़ी रहें। संकुचनों के बीच अगर आप चल सकती हों, तो थोड़ा चहलकदमी कर लें। माना जाता है कि प्रसव के दौरान चलने-फिरने से इसमें और तेजी आती है।

लयबद्ध तरीके से की गई गतिविधियां भी मदद कर सकती हैं। अपने कूल्हों को आगे और पीछे की ओर या फिर गोल-गोल घुमाने का प्रयास करें। आप पाएंगी कि अपने पति या माँ के द्वारा केवल थामे रहने और गले लगाने या थपथपाते रहने से भी आपको काफी आराम मिल रहा है।

आप एक पैर से दूसरे पैर पर अपना वजन डालते हुए या फिर अपने श्रोणि क्षेत्र को हिलाते हुए आगे बढ़ सकती हैं। कुछ अवस्थाओं में आपके बर्थ पार्टनर के लिए आपकी पीठ पर मालिश करना या फिर आपके संकुचनों के साथ सांस लेना आसान रहता है।

जैसे-जैसे आपके संकुचन प्रबल होते जाते हैं, आप उन पर ध्यान केंद्रित करें। ध्यान दें कि आपके शरीर और आपके शिशु के साथ क्या हो रहा है और श्वसन व रिलैक्सेशन एक्सरसाइज करें।

यदि आप और विकल्प चाहती हैं, तो नॉर्मल डिलीवरी के लिए प्रसव की अवस्थाओं के बारे में हमारा यह स्लाइडशो देखें।
मुझे प्रसव के दौरान लेटे हुए क्यों नहीं रहना चाहिए?
प्रसव की अधिकांश तस्वीरों में संकुचनों के दौरान और शिशु को जन्म देते हुए महिला को बिस्तर पर लेटे हुए ही दिखाया जाता है। मगर प्रसव से गुजरने के लिए यह सबसे अच्छा तरीका नहीं है।

प्रसव के दौरान लेटे रहने से निम्नांकित स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं:

अधिक दर्दभरे संकुचन, जिससे एपिड्यूरल लेने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।
प्रसव लंबा चलना, क्योंकि संकुचन इतने प्रभावी नहीं रहते।
सिजेरियन ऑपरेशन होने की संभावना बढ़ जाना।
शिशु के जन्म के बाद उसे विशेष देखभाल की जरुरत होने की संभावना काफी बढ़ जाना।
जन्म लेने के लिए शिशु के श्रोणि से नीचे की ओर आने के लिए रास्ता संकरा हो जाना।

यदि आप सीधे खड़ी रहती हैं, तो गुरुत्वाकर्षण बल के कारण शिशु का सिर नीचे ग्रीवा तक आ जाता है। इससे ग्रीवा के विस्फारण में मदद मिलती है और श्रोणि से नीचे की ओर आने में शिशु को सहायता मिलती है।

फिर भी, अधिकांश महिलाएं शिशु को बिस्तर पर लेटे हुए ही जन्म देती हैं, हालांकि बहुत सी महिलाएं लेटने की बजाय बैठने या घुटने टिकाकर बैठने वाली अवस्था चुनती हैं।

एक अवस्था जिसमें आप कभी भी शिशु को जन्म नहीं देना चाहेंगी, वह है अपनी पीठ के बल एकदम सीधी लेटे रहना। इस अवस्था में आपका गर्भाशय वीना कावा (बड़ी नस जो टांगों से खून को वापिस हृदय तक पहुंचाती है) को दबाता है, जिससे रक्त का संचार प्रभावित होता है। निम्न रक्तचाप होने से आपके संकुचन शायद इतने प्रभावी न रहें और आपको कमजोरी या चक्कर महसूस हो सकते हैं।

यदि आप थक जाएं तो पीठ के बल लेटने की बजाय बाईं तरफ करवट लेकर लेट जाएं। बाईं तरफ लेटने से श्रोणि को अधिक प्रभावपूर्ण ढंग से खुलने में मदद मिलती है। यह आपके शिशु तक और अधिक ऑक्सीजन पहुंचाने में भी मदद करती है।
प्रसव के दौरान पीठ दर्द की स्थिति में कौन सी अवस्थाएं फायदेमंद रहती हैं?
अगर, आपको संकुचनों के बीच और इसके दौरान भी पीठ दर्द हो रहा है, तो हो सकता है कि आपका शिशु पीछे की अवस्था (पोस्टीरियर पॉजिशन) में हो।

अगर, शिशु का वजन आपकी रीढ़ की हड्डी से नहीं हटता है, तो प्रसव पीड़ा को सहन कर पाना बहुत मुश्किल हो सकता है।

अगर आप कष्ट में हों, तो डॉक्टर को बताएं। वे शायद आपको ऐसी अवस्था में आने की सलाह दे सकती हैं, जिससे शिशु का वजन आगे की ओर चला जाए।

इसके लिए आप घुटने के बल बैठकर सोफे या कुर्सी पर आगे की तरफ झुक सकती हैं, जिस तरह की ऊपर दूसरी तस्वीर में दिखाया गया है। या फिर हो सकता है डॉक्टर सलाह दे कि आप हाथों और घुटनों के नीचे तकिये लगाकर इनके बल आ जाएं।

यदि आपको लगे कि बाजुओं और कलाई में थकान हो रही है या सिर पर खून का प्रवाह ज्यादा लगे तो आपको शायद अपना सिर, कंधे और अग्रबाजू बर्थ बॉल, कुर्सी या बर्थ पार्टनर की गोद में रखने से आराम मिल सकता है।
प्रसव के जोर लगाने वाले चरण के लिए कौन सी अवस्थाएं बेहतर हैं?
हालांकि, भारत में अधिकांश महिलाएं लेटी हुई अवस्था में ही शिशु को जन्म देती हैं, मगर आप एकदम सीधी अवस्था में हों, तो इस स्थिति में शिशु को जन्म लेने में आसानी होगी। सीधी अवस्था में रहने से आप शिशु को नीचे लाने के लिए प्रभावी तरीके से जोर लगा सकेंगी। गर्भाशय की मांसपेशियों की क्रिया, आपके जोर लगाने के प्रयत्न और गुरुत्वाकर्षण बल एक साथ मिलकर काफी सशक्त प्रयास करते हैं।

शोध में दर्शाया गया है कि सीधी अवस्था में रहने से निम्न फायदे हो सकते हैं:

आप ज्यादा सहज महसूस करेंगी
आपका प्रसव ज्यादा लंबा नहीं रहेगा
आपके शिशु के लिए अच्छा रहेगा
पेरिनियम क्षेत्र के फटने का खतरा कम रहेगा

अगर, आपकी डॉक्टर बिस्तर पर ही शिशु का जन्म कराना चाहें, तो पीठ के नीचे तकिये लगाकर जितना हो सके सीधा बैठने का प्रयास करें। इसके बाद आप जोर लगाने के लिए आगे झुक सकती हैं और संकुचनों के बीच पीछे होकर तकियों के सहारे आराम कर सकती हैं। भारतीय अस्पतालों में अपनाई जाने वाली ये सबसे आम अवस्था है।

अगर, आपकी डॉक्टर अनुमति दे, तो अपने हाथ और पैरों के बल आगे की ओर झुकने का प्रयास करें। इस अवस्था में योनि से शिशु का सिर अधिक सहजता से बाहर आ सकता है, जिससे योनि और गुदा के बीच के स्थान के फटने का खतरा भी कम हो जाता है।

उकड़ू बैठने की अवस्था भी पीठ के बल लेटने की तुलना में अधिक मददगार है। यह अवस्था गर्भाशय की मांसपेशियों की काम करने और श्रोणि को खोलने के लिए गुरुत्वाकर्षण बल का उपयोग करने में मदद करती है। इसलिए, यदि आप काफी समय से जोर लगा रही हैं और कुछ फायदा नहीं हो रहा है, तो यह अवस्था आजमा सकती हैं।

यदि आप बहुत ज्यादा थक गई हों और सीधी न बैठ पा रही हों तो बाईं तरफ करवट लेकर लेट सकती हैं। सीधी रहने वाली अवस्थाओं की तरह यह भी शिशु को श्रोणि से नीचे आने के लिए चौड़ा रास्ता देती है।
जोर नहीं लगाने की स्थिति में कौन सी अवस्थाएं सही रहती हैं?
जब आपके शिशु का जन्म होने ही वाला हो, तो डॉक्टर आपको जोर लगाना बंद करने के लिए कह सकती हैं। ऐसा आपके शिशु को धीमे और आराम से जन्म दिलवाने के लिए किया जाता है। साथ ही इससे जन्म देने के लिए आपकी योनि को भी आराम से चौड़ी होने में मदद मिलती है।

यदि आपको जोर लगाने की इच्छा महसूस हो, तो आपको अपनी अवस्था बदलने से मदद मिल सकती है। कुछ डॉक्टर बाईं तरफ लेटने की सलाह देती हैं, जिसमें आपके बर्थ पार्टनर या नर्स आपकी उपर वाली टांग को सहारा दे सकते हैं। तेजी से छोटी-छोटी सांस लेने, हांफने वाली क्रिया करने से आपको जोर लगाने की तीव्र अच्छा को रोकने में मदद मिल सकती है।
यदि मैं एपिड्यूरल लेती हूं तो मुझे प्रसव की कौन सी अवस्था अपनानी चाहिए?
अगर, एपिड्यूरल लेने से आपकी कमर से नीचे का हिस्सा एकदम सुन्न हो गया है, तो आपको बिस्तर पर ही रहना होगा। डॉक्टर अब भी आपको सीधी अवस्था में बैठने के लिए प्रोत्साहित करेंगी, संभवतया तकियों का सहारा लेकर।

अगर, आपने मोबाइल एपिड्यूरल लिया है, तो आप शायद प्रसव के दौरान बिस्तर से उठ सकेंगी और अपनी अवस्था बदल सकेंगी। मोबाइल एपिड्यूरल कम प्रबलता वाले एपिड्यूरल की तरह है। दर्द से राहत दिलाने के साथ-साथ इसमें आपको थोड़ा-बहुत अहसास रहेगा और आपकी टांगों में कुछ अनुभूति बनी रहती है।
क्या कुछ ऐसी स्थितियां भी हैं जिसमें मैं प्रसव की कुछ अवस्थाएं आजमा नहीं सकूंगी?
हां। आप कितना चल-फिर सकेंगी और क्या प्रसव की अलग-अलग अवस्थाएं आजमा सकेंगी यह आपकी डॉक्टर और अस्पताल की नीतियों पर निर्भर करेगा।

कई बार, कुछ स्वास्थ्य कारणों या चिकित्सकीय दखल के आधार पर निर्णय लिया जाएगा कि आप और आपके शिशु के लिए क्या सही रहेगा।

यदि आपको ऐसी कोई जटिलताएं हैं जिसमें लगातार निगरानी की आवश्यता है और मशीन के जरिये निगरानी रखी जा रही है, तो हो सकता है कि आप ज्यादा चल-फिर न पाएं। इसके बावजूद भी आप बिस्तर में भी बहुत सी अवस्थाएं आजमाकर देख सकती हैं। आप बर्थ बॉल का इस्तेमाल कर सकती हैं, पलंग के साथ मॉनिटर के पास खड़ी हो सकती हैं या बैठ सकती हैं। मगर आप कमरे में या बरामदे में चहलकदमी नहीं कर सकेंगी।

कभी-कभार शिशु की दिल की धड़कन यह बताएगी कि वह आपको इस अवस्था में रखना चाहता है ​या किसी दूसरी अवस्था में। वास्तव में यदि आपके शिशु की ​हृदय गति में अवांछित बदलाव लगता है, तो डॉक्टर सबसे पहले आपको अपनी अवस्था बदलने के लिए ही कहेंगी।

यदि आपका प्रसव उपकरणों (फोरसेप्स या वेक्यूम) की सहायता से हो रहा है, तो आपको पीठ के बल लेटे रहना होगा। इससे डॉक्टर के लिए शिशु का जन्म करवाना आसान होगा।

आप अपनी डॉक्टर से प्रसव की विभिन्न अवस्थाओं के बारे में बात कर सकती हैं और पूछ सकती हैं कि क्या लेबर पार्टनर को साथ रहने की अनुमति है। कुछ अस्पताल या नर्सिंग होम लेबर रूम में केवल महिला बर्थ पार्टनर को रहने की अनुमति देते हैं। वहीं कुछ अन्य अस्पालों में लेबर पार्टनर को साथ रहने की अनुमति नहीं होती।

अपनी डॉक्टर से पहले ही पता कर लें कि अस्पताल की नीति क्या है, ताकि आप उसके हिसाब से तैयारी कर सकें।
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क्या आप जानती हैं कि प्रसव के लिए कौन सी अवस्थाएं सबसे बेहतर हैं? हमारी प्रश्नोत्तरी में हिस्सा लें!

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wordpress 3 years ago 5 Answer
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