प्रसव में देरी के कारण?pregnancytips.in

Posted on Sat 15th Dec 2018 : 20:09

ड्यू डेट के बाद भी गर्भावस्था जारी रहना: कारण और जोखिम
क्या डिलीवरी डेट निकल जाने के बाद भी गर्भावस्था जारी रहना सामान्य है?
कुछ शिशुओं का जन्म ड्यू डेट गुजर जाने के बाद क्यों होता है?
यदि मेरी गर्भावस्था नियत तिथि के बाद भी जारी रहे तो क्या होगा?
अगर गर्भावस्था ओवरड्यू हो तो डॉक्टर क्या करेंगे?
अगर मैं प्रेरित प्रसव न चाहूं तो डिलीवरी के और क्या विकल्प हैं?
प्रसव शुरु होने के इंतजार में मैं कैसे समय बिताउं?
अपना मत दें

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जब गर्भावस्था प्रसव की नियत तिथि (ड्यू डेट) के बाद भी जारी रहे तो इसे अंग्रेजी में प्रोलोंग्ड या ओवरड्यू प्रेगनेंसी कहा जाता है।

अधिकांश महिलाओं की डिलीवरी ड्यू डेट से एक हफ्ता पहले या बाद में हो ही जाती है। मगर डिलीवरी डेट गुजर जाने के बाद भी कई हफ्तों तक डिलीवरी का इंतजार करने से मृत शिशु के जन्म और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।

यदि आपके या गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य को लेकर कोई चिंता हो, तो डॉक्टर जल्द से जल्द प्रसव प्रेरित करवाएंगी। यदि गर्भ में शिशु की स्थिति बिगड़ रही हो (फीटल डिस्ट्रेस) या फिर प्रसव से जुड़ी जटिलताएं हों, तो सिजेरियन ऑपरेशन करने की जरुरत हो सकती है।
क्या डिलीवरी डेट निकल जाने के बाद भी गर्भावस्था जारी रहना सामान्य है?
ड्यू डेट गुजर जाने के बाद भी गर्भावस्था जारी रहना कोई असामान्य बात नहीं है। वैश्विक शोध के अनुसार, 25 में से केवल एक (चार प्रतिशत) शिशु का जन्म ही एकदम डयू डेट पर होता है।

ड्यू डेट आपकी डिलीवरी की अनुमानित तिथि होती है और इसकी गणना आपकी आखिरी बार की माहवारी के पहले दिन से 40 हफ्ते तक की जाती है। डॉक्टर अल्ट्रासाउंड स्कैन के आधार पर भी आपके प्रसव की अनुमानित तिथि को बदल सकती हैं, क्योंकि स्कैन से अधिक स्पष्ट ढंग से पता चलता है कि आपकी गर्भावस्था कितनी आगे बढ़ चुकी है।

अधिकांश शिशु 37 से 41 हफ्तों की गर्भावस्था के बीच जन्म लते हैं, आमतौर पर डिलीवरी की अनुमानित तिथि के एक हफ्ते पहले या बाद में। जुड़वा और इससे ज्यादा शिशु ड्यू डेट से पहले ही जन्म ले लेते हैं और अक्सर प्रीमैच्योर होते हैं।

एशियाई महिलाओं में प्रेगनेंसी की औसत अवधि 39 हफ्तों की होती है। यदि 39वें या 40वें हफ्ते तक प्रसव अपने आप शुरु न हुआ हो, तो अधिकांश डॉक्टर प्रसव प्रेरित कर डिलीवरी करवा देते हैं।

यदि आप प्रसव शुरु होने का और ज्यादा इंतजार करना चाहें तो अपनी डॉक्टर से बात करें। वे आपकी सेहत और शिशु की स्थिति को देखते हुए आपकी डिलीवरी का सही समय तय करेंगी।
कुछ शिशुओं का जन्म ड्यू डेट गुजर जाने के बाद क्यों होता है?
यह बात स्पष्ट नहीं है कि कुछ शिशुओं का जन्म ड्यू डेट निकल जाने के बाद ही क्यों होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पर निम्नांकित कुछ कारणों का असर हो सकता है:

आप पहली बार मॉं बन रही हैं
आप अधिक उम्र में मॉं बन रही हैं
आपका वजन समान्य से काफी ज्यादा है
आपकी पहले भी गर्भावस्था ओवरड्यू रह चुकी है
आपकी मॉं या बहन की ओवरड्यू प्रेगनेंसी रह चुकी है
आपकी ड्यू डेट की गलत गणना की गई थी

यदि मेरी गर्भावस्था नियत तिथि के बाद भी जारी रहे तो क्या होगा?
यह आपकी गर्भावस्था और शिशु की सेहत पर निर्भर करेगा। हालांकि, अधिकांश शिशु स्वस्थ रहते हैं मगर यदि ड्यू डेट गुजर जाने के बाद कई हफ्तों तक गर्भावस्था जारी रहे तो डॉक्टर इसे लेकर चिंतित होते हैं।

मृत जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या 37 से 41 हफ्ते की गर्भावस्था के बीच धीरे-धीरे बढ़ती जाती है, मगर 42 हफ्तों की प्रेगनेंसी के बाद इस संख्या में तेजी से इजाफा होता है। हालांकि, यह दर बढ़ती है, मगर इस चरण पर मृत शिशु के जन्म लेने की संभावना दुर्लभ ही होती है।

प्रसव की अनुमानित तिथि गुजर जाने के बाद भी गर्भावस्था जारी रहने का मतलब है कि गर्भाशय में शिशु के लिए अब उतना अनुकूल माहौल नहीं है। अपरा (प्लेसेंटा) का भी काल प्रभावन हो सकता है और यह अब शिशु तक पोषक तत्वों और ऑक्सीजन की सप्लाई उतने बेहतर ढंग से नहीं कर पाती।

कुछ अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि ड्यू डेट के बाद भी जारी रहने वाली गर्भावास्थाओं में एमनियोटिक द्रव में मिकोनियम मिलने का खतरा बढ़ जाता है। एमनियोटिक द्रव आमतौर पर साफ होता है और इसमें हल्की सी गुलाबी, पीली या लाल रंगत हो सकती है। मगर यदि यह भूरे या हरे रंग का है, तो इसका मतलब है कि शिशु ने अपना पहला मलत्याग (मिकोनियम) कर दिया है। यह भ्रूण संकट का संकेत हो सकता है।

डॉक्टर आपकी व्यक्तिगत परिस्थितियों को भी ध्यान में रखेंगे, जैसे कि:

आपकी उम्र
आपका वजन
गर्भावस्था में कोई जटिलताएं जैसे कि मधुमेह (डायबिटीज), प्री-एक्लेमप्सिया या उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)
गर्भ में शिशु का स्वास्थ्य और विकास
मृतशिशु के जन्म का इतिहास

ये सभी कारक डॉक्टर को यह निर्णय लेने में मदद करेंगे कि प्रसव प्रेरित करना आपके लिए सही विकल्प रहेगा या नहीं।
अगर गर्भावस्था ओवरड्यू हो तो डॉक्टर क्या करेंगे?
यदि आपकी गर्भावस्था ओवरड्यू हो, तो डॉक्टर आप पर नजदीकी निगरानी रखेंगे ताकि पता चल सके कि शिशु गर्भ में अभी भी विकसित हो रहा है या नहीं। आपकी रिपोट्र्स और सेहत को देखते हुए डॉक्टर अगले कदम उठाएंगी।

यदि आपकी गर्भावस्था कम जोखिम वाली है और आपकी ड्यू डेट के कुछ ही दिन निकले हैं तो डॉक्टर शायद तुरंत प्रसव प्रेरित न करें। वे शायद कुछ दिन इंतजार करना चाहेंगी या आपको एक निश्चित तारीख बताएंगी जिसके बाद वे प्रसव शुरु होने का इंतजार नहीं करेगी।

डॉक्टर 39वें हफ्ते के प्रसवपूर्व चेकअप के दौरान आपसे इन सब बातों पर चर्चा करेंगी।

39वें सप्ताह के अप्वाइंटमेंट में डॉक्टर निम्नांकित जांचें भी करेंगी:

आपका ब्लड प्रेशर मापेंगी और प्रोटीन के लिए आपके पेशाब की जांच करवाएंगी।
शिशु की अवस्था और माप देखने के लिए आपके पेट की जांच करेंगी।
आपकी ग्रीवा नरम और लचीली और प्रसव के लिए तैयार है या नहीं, यह देखने के लिए वे योनि से अंदरुनी जांच करेंगी।

डॉक्टर प्रसव प्रेरित करने के लिए मेम्ब्रेन स्वीप भी कर सकती हैं।

ऐसा करने के लिए वे आपकी ग्रीवा के मुख में अपनी उंगली डालेंगी और हल्के से मगर दृढ़ता से अपनी उंगली वहां घुमाएंगी।

ऐसा करने से ग्रीवा उत्तेजित होकर वे हार्मोन पैदा करती है, जिनके कारण प्रसव शुरू हो सकता है।

मेम्ब्रेन स्वीप से प्रसव 48 घंटों के भीतर अपने आप शुरु होने की संभावना बढ़ जाती है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए अपनी डॉक्टर से बात करें।

यदि मेम्ब्रेन स्वीप से प्रसव शुरु न हो, तो डॉक्टर आपके साथ हॉर्मोनों के जरिये प्रसव प्रेरित करवाने के फायदे व नुकसानों पर चर्चा करेंगी।

यदि आप प्रसव प्रेरित करवाने का निर्णय लेती हैं, तो आपको इसके लिए एक निश्चित तिथि बताई जाएगी।

यह बात ध्यान में रखें कि प्रेरित प्रसव आराम से भी हो सकता है या फिर इसमें चिकित्सकीय दखल की जरुरत पड़ सकती है। कई बार प्रेरित करने पर भी प्रसव शुरु नहीं हो पाता और आगे नहीं बढ़ता। ऐसे में यदि शिशु की स्थिति बिगड़ रही हो या फिर आपको प्रसव से जुड़ी जटिलताएं हो जाएं, तो सिजेरियन आॅपरेशन करना जरुरी हो सकता है।
अगर मैं प्रेरित प्रसव न चाहूं तो डिलीवरी के और क्या विकल्प हैं?
यदि डॉक्टर से बात करने के बाद भी आप प्रसव प्रेरित करवाने को लेकर निश्चित नहीं हों, तो आप इस बारे में विचार करने के लिए उनसे एक-दो दिन और मांग सकती हैं। अपने उन परिवारजनों और दोस्तों से बात करें जिन्होंने प्रसव प्रेरित करवाया हो। मगर ध्यान रखें कि हर प्रसव और शिशु का जन्म अलग होता है।

प्रसव प्रेरित न करवाने का एक विकल्प यह है कि आपकी गर्भावस्था की हर दो या तीन दिन में जांच की जाए कि गर्भस्थ शिशु स्वस्थ है या नहीं। आपकी डॉक्टर यह विकल्प तभी सोचेंगी जब आपकी और शिशु की सेहत को कोई खतरा न हो।

डॉक्टर आपको अस्पताल में भर्ती होने के लिए भी कह सकती हैं, ताकि वे सोनिकेड (पोर्टेबल डॉप्लर) या कार्डियोटोकोग्राफी (सीटीजी) मशीन के जरिये शिशु के दिल की धड़कन का रिकॉर्ड रख सके।

अल्ट्रासाउंड स्कैन के जरिये शिशु की हलचल और गर्भ में एमनियोटिक द्रव के स्तर पर नजर रखी जाएगी।

आप प्रसव शुरु करने के लिए कुछ प्राकृतिक उपाय भी आजमा सकती हैं, हालांकि, ये कितने कारगर हैं इस बारे में ज्यादा प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।
प्रसव शुरु होने के इंतजार में मैं कैसे समय बिताउं?
प्रसव शुरु होने का इंतजार करना काफी मुश्किल हो सकता है। आपका पेट काफी बढ़ा हुआ होगा और आप शायद कई बार असहज सा महसूस करें। इस चरण पर संभव है कि आप अपनी गर्भावस्था से तंग सा महसूस करें और चाहें कि जल्दी से जल्दी प्रसव हो, ताकि आपको इन सबसे छुटकारा मिले। ऐसे में सबसे अच्छा है कि आप खुद को व्यस्त रखें ताकि घर में आप यही न सोचती रहें कि आपको प्रसव के लक्षण महसूस हो रहे हैं या नहीं।

हर दिन ऐसी योजना बनाएं कि या तो आप घर से बाहर जाएं या अपने दिमाग को किसी और चीज में लगाएं। आप निम्नलिखित विकल्पों पर विचार कर सकती हैं:

अपनी पसंदीदा चीजें करें और अपने पति के साथ अकेले समय बिताएं। आप हेयरकट, मेनीक्योर या पेडीक्योर के लिए जा सकती हैं। शिशु के आने के बाद ये सब चीजें करवाना शायद इतना आसान न रहे।
पर्याप्त आराम करें। यदि आपको रात में नींद आने में दिक्कत हो रही हो, तो दिन में झपकी ले लें, और याद रखें कि आप करवट लेकर सोएं। संगीत सुनें। यदि आपको नींद न आए तो भी लेटे रहना काफी है और इससे प्रसव के लिए ऊर्जा संग्रहित करने में मदद मिलेगी।
शिशु के जन्म से पहले यदि आपको कोई काम निपटाने हों तो उन्हें कर लें। अपना अस्पताल ले जाने वाला बैग तैयार रखें और सुनिश्चित करें कि आप कभी भी अस्पताल जानें के लिए तैयार हों।
यदि आपको लगता है कि प्रसव शुरु हो गया है, मगर इसे लेकर निश्चित न हों तो डॉक्टर को फोन करके सलाह लें। ऐसे लक्षणों पर नजर रखें जिन्हें अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। यदि आपको कोई भी चिंता हो तो डॉक्टर से बात करने में न हिचकिचाएं।

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