प्रेगनेंसी के 9 महीने में क्या सावधानी बरतनी चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Tue 11th Oct 2022 : 10:54

गर्भावस्था का नौवां महीना (35वें सप्ताह से लेकर 40वें सप्ताह तक) यानी गर्भावस्था के आखिरी कुछ दिन, जिसके बाद आपका नन्हा मेहमान आपके हाथों में होगा। यकीनन, यह महीना कई तरह के भावनात्मक अनुभव लेकर आता है। साथ ही गर्भावस्था के इस आखिरी महीने में आपको और भी ज्यादा सावधानियां बरतने की जरूरत हैं। नौवें महीने के दौरान कुछ महिलाएं अपने बच्चे के स्वागत की तैयारियों में जुट जाती हैं, तो वहीं कुछ महिलाओं के मन में डिलीवरी को लेकर डर बना रहता है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम गर्भावस्था के नौवें महीने से संबंधित जरूरी बातों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

आइए, सबसे पहले जानते हैं कि अंतिम महीने में क्या-क्या लक्षण नजर आ सकते हैं।
गर्भावस्था के नौवें महीने में लक्षण |

सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि गर्भावस्था के नौवें महीने में क्या-क्या लक्षण नजर आते हैं। नीचे हम इन्हीं के बारे में बता रहे हैं :

स्तनों से रिसाव : जैसे-जैसे गर्भावस्था के आखिरी दिन पास आते हैं, गर्भवती के स्तनों से पीले रंग का स्राव होने लगता है, जिसे ‘कोलोस्ट्रोम’ कहते हैं। कई महिलाओं में यह लक्षण नौवें महीने में ज्यादा बढ़ जाता है (1)।
बार-बार पेशाब आना : गर्भावस्था के नौवें महीने में जब शिशु का विकास पूरी तरह हो जाता है, तो श्रोणि भाग पर दबाव और ज्यादा होता है, जिस कारण बार-बार पेशाब आना सामान्य है।
ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन : गर्भावस्था के अंतिम समय में ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन बढ़ने लग जाते हैं। ये प्रसव पीड़ा जितने तीव्र नहीं होते और न ही ज्यादा पीड़ादायक होते हैं। ऐसे में आप अपने पॉश्चर को बदलने की कोशिश करें। इसके अलावा, धीरे-धीरे चलने से भी यह दर्द कुछ हद तक कम हो सकता है। वहीं, अगर यह संकुचन एक घंटे में चार बार से ज्यादा हों और पीड़ादायक हो, यह लेबर पैन का लक्षण होता है। इसलिए, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए (2)।
शिशु का नीचे की ओर आना : डिलीवरी के कुछ सप्ताह पहले आपको सीने में जलन व सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानियों से राहत मिलेगी। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इस दौरान शिशु जन्म के लिए अपनी स्थिति ले लेता है और नीचे श्रोणि भाग की ओर आ जाता है (1)।
शिशु की गतिविधियों में बदलाव : इस महीने तक शिशु की गतिविधियों में अंतर आएगा। जिस तरह वह पहले लगातार गतिविधियां करता था, अब उतनी नहीं करेगा। आखिरी दिनों तक शिशु का विकास पूरी तरह हो जाता है, इस वजह से उसे गर्भ में हिलने-डुलने की जगह नहीं मिल पाती। यही कारण है कि उसकी गतिविधियां कम हो जाती हैं।
योनि स्राव के साथ रक्त नजर आना : गर्भावस्था के नौवें महीने में योनि स्राव के साथ हल्का रक्त आ सकता है। यह प्रसव के कुछ दिन या कुछ सप्ताह पहले हो सकता है। हालांकि, ऐसा होना सामान्य है, लेकिन अगर यह स्राव पीले रंग का होता है या इसमें दुर्गंध आ रही हो, तो डॉक्टर को संपर्क करना चाहिए (3)।

गर्भावस्था के नौवें महीने के लक्षण जानने के बाद अब हम जानेंगे कि इस दौरान शरीर में क्या-क्या बदलाव होते

प्रेगनेंसी के नौवें महीने में शरीर में होने वाले बदलाव

गर्भावस्था के नौवें महीने में कई तरह के शारीरिक बदलाव होते हैं, जैसे :

इस महीने तक गर्भवती का कुल वजन 11 से 16 किलो के बीच बढ़ जाता है (4)।

इस दौरान नितंब तंत्रिका पर दबाव पड़ने के कारण पीठ में तेज दर्द हो सकता है।

इस महीने तक गर्भवती का श्रोणि भाग खुलने लगता है।

जैसे-जैसे प्रसव का समय नजदीक आएगा, गर्भवती का तनाव बढ़ सकता है, लेकिन गर्भावस्था के कारण चेहरे पर चमक बरकरार रहेगी।

इस महीने तक गर्भवती के लिए झुकना बिल्कुल मुश्किल हो जाएगा।

इस महीने तक कुछ गर्भवती महिलाओं को शरीर पर और बाल महसूस हो सकते हैं, खासतौर से चेहरे और निप्पल के आसपास।

आइए, अब जानते हैं नौवें महीने में बच्चे के विकास और आकार के बारे म

गर्भावस्था के नौवें महीने में बच्चे का विकास और आकार

अब तक शिशु पूरी तरह विकसित हो जाता है और नीचे खिसक कर श्रोणि भाग में आ जाता है। चलिए, अब जानते हैं कि नौवें महीने में बच्चे का कितना विकास होता है और उसका आकार कितना हो जाएगा (5) :

इस महीने के अंत तक शिशु 19 इंच लंबा और उसका वजन ढाई किलो के आसपास हो सकता है।

इस महीने तक शिशु के शरीर से लैनुगो (बालों की परत, जो भ्रूण को ढक कर रखती है) हटने लगती है।

अब हाथ-पैर पूरी तरह से बन चुके होते हैं और उसके नाखून भी आ जाते हैं।

शिशु की त्वचा एकदम गुलाबी और चिकनी हो जाती है।

आइए, अब जानते हैं कि अंतिम महीने में किस प्रकार के देखभाल की जरूरत होती ह

नौवें महीने में गर्भावस्था की देखभाल |

भले ही यह गर्भावस्था का आखिरी महीना है, लेकिन इस महीने में गर्भवती को और सतर्क रहना चाहिए। उन्हें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे होने वाले शिशु को हानि पहुंचे। गर्भवती क्या खाती है, क्या पीती है और उसकी जीवनशैली कैसी है, इसका सीधा प्रभाव होने वाले शिशु पर पड़ता है। इसलिए, गर्भवती को एक खास देखभाल की जरूरत होती है और देखभाल का सबसे पहला चरण होता है खानपान। नीचे हम बताने जा रहे है कि गर्भावस्था के नौवें महीने में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना

गर्भावस्था के नौवें महीने के लिए आहार |

गर्भावस्था में खानपान को लेकर काफी सजग रहने की जरूरत है। आइए, पहले जानते हैं कि गर्भावस्था के नौवें महीने में आपका आहार कैसा होना

गर्भावस्था के नौवें महीने में क्या खाएं?

फाइबर युक्त खाना : इसमें आप हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, ओट्स व दालें जैसी चीजें खा सकती हैं। इनमें प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है।

आयरन युक्त भोजन : इसमें आप पालक, सेब, ब्रोकली व खजूर जैसी चीजें शामिल कर सकती हैं। अगर आप मांसाहारी हैं, तो चिकन और मीट भी खा सकती हैं।

कैल्शियम युक्त भोजन : गर्भावस्था में कैल्शियम युक्त भोजन खाना जरूरी है। इसके लिए आप डेयरी उत्पाद व दही आदि का सेवन कर सकती हैं।

विटामिन-सी युक्त भोजन : शरीर में आयरन को अवशोषित करने के लिए विटामिन-सी से भरपूर खाना जरूरी है। इसके लिए आप नींबू, संतरा, स्ट्रॉबेरी व टमाटर जैसी चीजों का सेवन कर सकती हैं।

फोलेट युक्ट चीजें : गर्भावस्था के दौरान फोलेट युक्त चीजें खाना जरूरी हैं। फोलेट की कमी से शिशु को रीढ़ की हड्डी या मस्तिष्क संबंधी विकार होने का खतरा रहता है। इसके लिए गर्भवती को हरी पत्तेदार सब्जियों व बीन्स का सेवन करना चाहिए (6)।

गर्भावस्था के नौवें महीने में क्या न खाएं?

ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जो गर्भावस्था में बिल्कुल नहीं खानी चाहिए। जानिए, गर्भावस्था के नौवें महीने में क्या-क्या चीजें नहीं खानी चाहिए (7) (8) :

कैफीन : गर्भावस्था में कॉफी, चाय व चॉकलेट से परहेज करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इनमें कैफीन होता है, जो शिशु के लिए सुरक्षित नहीं होता। अगर आपको चाय या कॉफी की लत है, तो एक या दो कप चाय या कॉफी पी सकती हैं, लेकिन इस संबंध में डॉक्टर की राय लेना जरूरी है।

शराब और तंबाकू : गर्भावस्था में शराब का सेवन करना बिल्कुल मना होता है। इससे समय पूर्व डिलीवरी या शिशु को किसी तरह का जन्म दोष होने का खतरा रहता है।

सैकरीन (कृत्रिम मिठास) : सैकरीन एक तरह की मिठास होती है, जिसे कृत्रिम तरीके से बनाया जाता है। प्रेगनेंसी में इसका सेवन करना वर्जित है। अगर आपका मीठा खाने का दिल कर रहा है, तो फलों का जूस या घर में बनाई हुई मीठी कैंडी खा सकती हैं।

सॉफ्ट चीज़ : सॉफ्ट चीज़ में इस्तेमाल किया गया दूध गैर पॉश्चरीकृत होता, इसलिए इसे गर्भावस्था में नहीं खाना चाहिए। इससे संक्रमण का खतरा हो सकता है।

जंक फूड : गर्भावस्था के दौरान जंक फूड खाने से बचें। ये चीजें आपके पाचन को खराब करती हैं और इनमें पोषक तत्व भी नहीं होते हैं।

कच्चा मांस, अंडे व मछली : गर्भावस्था में उच्च मरकरी वाली मछली, कच्चा मांस व कच्चे अंडे न खाएं। इनसे भ्रूण के विकास में बाधा पहुंचती

गर्भावस्था के नौवें महीने के लिए व्यायाम

गर्भवती महिला हो या कोई सामान्य व्यक्ति, व्यायाम सभी के लिए फायदेमंद होता है (9)। बात की जाए गर्भवती महिला की, तो सावधानी बरतते हुए प्रशिक्षक की निगरानी में व्यायाम करना उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। सुबह-शाम की सैर और सांस संबंधी व्यायाम जैसे अनुलोम-विलोम किया जा सकता है।

गर्भावस्था का नौवां महीना यूं तो काफी सतर्कता बरतने वाला होता है, लेकिन प्रशिक्षक की निगरानी में रहकर योग किया जा सकता है।

आप व्यायाम करने के लिए एक्सरसाइज बॉल का इस्तेमाल कर सकती हैं। इससे व्यायाम करने में आसानी होगी।

नौवें महीने में किगल व्यायाम करना फायदेमंद हो सकता है। इससे श्रोणि भाग में लचीलापन आता है और प्रसव को आसानी से सहन किया जा सकता है।

आप चाहें तो पानी के एरोबिक्स भी कर सकती हैं। इससे आपकी मांसपेशियां मजबूत होंगी।

नोट : इस दौरान आप ऐसा कोई भी व्यायाम व योग न करें, जिससे पेट पर दबाव पड़े और हर व्यायाम प्रशिक्षक की निगरानी में रहकर ही करें।

गर्भावस्था के नौवें महीने में स्कैन और परीक्षण

गर्भावस्था के नौवें महीने में डॉक्टर हर सप्ताह जांच के लिए बुला सकता है। जानिए, नौवें महीने के दौरान क्या-क्या जांच होती हैं :

गर्भवती का वजन चेक किया जाएगा।
ब्लड प्रेशर की जांच की जाएगी।
शुगर और प्रोटीन का स्तर जांचने के लिए यूरिन टेस्ट किया जाएगा।
भ्रूण की दिल की धड़कनों की जांच की जा सकती है।
गर्भाशय का आकार मापा जा सकता है।
शिशु का आकार और स्थिति जांची जाएगी।
होमोग्राम टेस्ट, जिसमें आपके रक्त का नमूना लिया जाएगा और शरीर का पूरा ब्लड काउंट देखा जाएगा।

आइए, अब जानते हैं कि इस महीने में क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।

गर्भावस्था के 9 महीने के दौरान सावधानियां – क्या करें और क्या नहीं

नौवां महीना काफी नाजुक होता है। इस दौरान गर्भवती को काफी सावधानियां बरतनी होती हैं। नीचे हम बताने जा रहे हैं कि नौवें महीने के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए :
क्या करें?

आप चाहें तो स्विमिंग पूल में जाकर कुछ देर रिलैक्स हो सकती हैं (10)। इससे आपका शरीर प्रसव के लिए तैयार होता है और आपको तनाव से राहत मिलती है।

इस दौरान गुनगुने पानी से नहाने से आपको काफी अच्छा महसूस होगा। ध्यान दें कि पानी ज्यादा गर्म न हो।

अपने परिवार वालों के साथ समय बिताएं और आने वाले मेहमान के बारे में कुछ दिलचस्प बातें करें।

इस महीने में आप अपने शिशु का नाम भी तय कर सकती हैं।

प्रसव के लिए अस्पताल जाने के लिए जरूरी सामान का बैग तैयार करें, ताकि प्रसव पीड़ा शुरू होते ही आप बैग उठाकर अस्पताल तुरंत पहुंच सकें।

अब नन्हे मेहमान के आने में ज्यादा समय नहीं है, इसलिए कुछ वक्त अपने लिए निकालें। डिलीवरी के बाद आप बच्चे की देखभाल में लग जाएंगी और हो सकता है अपने लिए वक्त कम मिले। इसलिए, अगर डॉक्टर बाहर जाने की सलाह देते हैं, तो अपने दोस्तों से मिलें, फिल्म देखें या फिर शॉपिंग करें। इससे आपको अच्छा महसूस होगा।

आप इस महीने अपने आने वाले बच्चे के लिए शॉपिंग कर सकती हैं। उसके लिए पालना ला सकती हैं, कपड़े ला सकती हैं। इसके अलावा, डाइपर आदि का प्रबंध पहले ही कर के रख लें।

क्या न करें?

आप 9वें महीने की प्रेगनेंसी के दौरान बिल्कुल भी तनाव न लें। हम जानते हैं कि यह समय कुछ कठिन होता है, क्योंकि डिलीवरी को लेकर मन में डर बना रहता है, लेकिन आप उस समय के बारे में सोचें, जब आपका नन्हा आपके सीने से लगा होगा।

नौवें महीने में जितना हो सके आराम करें और घर के कामों में खुद को ज्यादा न उलझाएं।

आप बिल्कुल भी पेट के बल नीचे की ओर न झुकें और भारी सामान बिल्कुल न उठाएं।

ज्यादा देर तक खड़ी न रहें। इससे आपको थकान हो सकती है।

पीठ के बल न सोएं। इस तरह सोने से गर्भाशय का भार रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है, जिससे पीठ में दर्द बढ़ सकता है

नौवें महीने के दौरान चिंताएं

गर्भावस्था के नौवे महीने में कुछ सामान्य चिंताएं हो सकती हैं, जो इस प्रकार हैं :

शिशु की हलचल : तीसरी तिमाही में शिशु की गतिविधि थोड़ी कम हो जाती है, जिससे कुछ महिलाओं को चिंता हो सकती है। इसलिए, गर्भवती को शिशु की हलचल पर जरूर ध्यान देना चाहिए।
प्रसव को समझना : गर्भवती को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई है, इसको समझना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है। खासतौर पर वो महिलाएं इसे नहीं समझ पातीं, जो पहली बार मां बनने वाली हैं।
पानी की थैली फटना : सार्वजनिक तौर पर गर्भवती की पानी की थैली फटने की चिंता इस महीने में बनी रहती है, लेकिन ऐसा ज्यादा नहीं होता, क्योंकि बहुत कम महिलाएं ही ऐसी होती हैं जिनकी पानी की थैली संकुचन से पहले फटे। कभी-कभी डॉक्टर को खुद प्रसव के दौरान पानी की थैली को तोड़ने का फैसला करते हैं। ज्यादातर ऐसा तब होता है, जब गर्भवती को अप्राकृतिक तरीके प्रसव पीड़ा शुरू कराई जाती है (11)।

अब हम नीचे होने वाले पिता के लिए कुछ काम के टिप्स दे

होने वाले पिता के लिए टिप्स

अब गर्भवती के पति भी जल्द पिता बनने वाले हैं, तो उनकी भी कुछ जिम्मेदारियां बनती हैं, जो इस महीने के दौरान उन्हें निभानी चाहिए। नीचे हम होने वाले पिता के लिए कुछ काम के टिप्स दे रहे हैं, जिन्हें अपनाकर वह अपन गर्भवती पत्नी का साथ दे सकते हैं।

सांस संबंधी व्यायाम कराएं : हो सकता है तनाव के कारण आपकी पत्नी सांसों वाला व्यायाम करना भूल जाए। ऐसे में आप उन्हें इस बारे में याद दिलाएं। इससे गर्भवती का तनाव दूर होता है।
अस्पताल ले जाने वाला बैग तैयार कराएं : यह ऐसा समय है, जब किसी भी पल गर्भवती को प्रसव पीड़ा शुरू हो सकती है। ऐसे में आप उनका अस्पताल ले जाने वाला बैग तैयार करने में मदद करें। बैग में वो सभी जरूरी सामान रखें, जिनकी अस्पताल में जरूरत पड़ सकती है। अस्पताल ले जाने वाले सभी जरूरी कागज बैग में रखना न भूलें। इसके अलावा, पति को गायनकोलॉजिस्ट, एंबुलेंस और अस्पताल के डिलीवरी व स्पोर्टिंग स्टाफ जैसे लोगों के जरूरी नंबर नोट करके रखने

प्रेगनेंसी के नौवें महीने में ये लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें

अक्सर गर्भवती महिला को चिंता रहती है कि 9 महीने में डिलीवरी कब हो सकती है। ऐसे में अगर आपको नीचे दिए गए लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, जैसे :

पानी की थैली फटना – यह प्रसव का समय हो सकता है।
योनि से भारी रक्त स्राव होने पर।
हाथ-पैरों में सूजन आने पर।
धुंधला दिखाई देने पर।
पेट में बहुत तेज दर्द होने पर।
अगर एक सप्ताह में एक किलो से ज्यादा वजन बढ़े तो।

हां, गर्भावस्था के नौवें महीने में आपको ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए। आप ऐसा कुछ भी काम न करें, जिससे आपको थकावट हो। प्रसव के दौरान आपको काफी एनर्जी की जरूरत होगी, इसलिए कोशिश करें कि आखिरी दिनों में आप ज्यादा से ज्यादा आराम करें। मां के आराम करने से भी शिशु का वजन बढ़ सकता है।
सामान्य डिलीवरी होने की संभावना क्या है?

अगर आपकी गर्भावस्था में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं आए हैं या आपको कोई शारीरिक समस्या नहीं है, तो सामान्य डिलीवरी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, अगर बच्चे की पॉजिशन भी ठीक है (सिर नीचे की ओर होना) तो भी सामान्य डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।
9वें महीने की गर्भावस्था के दौरान यात्रा करना सुरक्षित है?

नहीं, गर्भावस्था के नौवें महीने में यात्रा करने से मना किया जाता है। इस महीने आपका प्रसव कभी भी हो सकता है, इसलिए यात्रा करने की योजना टालना ही बेहतर है।
क्या मैं 9वें महीने की गर्भावस्था के दौरान उपवास कर सकती हूं?

अगर, आपको किसी तरह की शारीरिक समस्या नहीं है, तो गर्भावस्था के दौरान व्रत रखा जा सकता है। ध्यान रहे कि इस दौरान खानपान में पोषण की कमी नहीं होनी चाहिए। व्रत के दौरान फलों का सेवन करती रहें और पानी भरपूर मात्रा में पिएं। वहीं, अगर व्रत लंबे समय तक चलने वाला है, तो ऐसे व्रत को करने से मना किया जाता है। एक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि जिन महिलाओं में पोषक तत्वों की कमी नहीं होती और जो पूरी तरह से स्वस्थ होती हैं, उन्हें रमजान जैसे उपवास के दौरान हानि नहीं पहुंचती (12)। फिर भी उपवास रखने से पहले आपको डॉक्टर से एक बार जरूर पूछ लेना चाहिए।
नौवां महीना गर्भावस्था का सबसे अंतिम व नाजुक महीना होता है। इसलिए, परिवार के सभी सदस्यों को गर्भवती महिला का खास ध्यान रखना चाहिए और आने वाले शिशु की तैयारी में जुट जाना चाहिए।

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