प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण पहले महीने के?pregnancytips.in

Posted on Wed 27th Apr 2022 : 13:58

Pregnancy symptoms week 1: जानिए, क्या हैं गर्भावस्था में पहले हफ्ते के लक्षण

1 week Pregnant symptoms में कई बार गर्भवती महिलाओं को जानकारी ही नहीं हो पाती। लेकिन यह जरूरी है कि उन लक्षणों को जाना जाए और उसी के मुताबिक, खान-पान(Diet in pregnancy) किया जाए। इन लक्षणों को नजरंदाज करने पर कई बार गंभीर परिणामों का भी सामना करना पड़ता है।

pregnancy symtpoms
Pregnancy symptoms week 1: कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के पहले सप्‍ताह में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं बल्कि कुछ महिलाओं में थकान, ब्रेस्‍ट को छूने पर दर्द होना और हल्‍की ऐंठन महसूस होती है।
प्रेग्नेंसी का एहसास हर महिला के लिए सबसे अहम पल माना जाता है। इसकी जांच के लिए बाजार में कई सारी दवाइयों के साथ ही उपकरण भी मौजूद हैं। हालांकि, ये तमाम चीजें गर्भ धारण करने के अगले महीने से ही काम करती हैं।

मतलब यह कि शुरुआती चरण में आपको गर्भावस्था में होने की जानकारी ही नहीं होती, जिसकी वजह से आप न तो यह जानते हैं कि क्या खाना है, क्या ऐहतियात बरतने हैं आदि।
गर्भवती महिला को प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षण पहचानने बेहद जरूरी हैं, जिसके लिए आपको अपने शरीर में होने वाले हर बदलाव को महसूस करना होगा। आइए जानते हैं, पहले हफ्ते में प्रेग्नेंसी के लक्षणों के बारे में। बता दें कि माहवारी बंद होने को गर्भावस्था का लक्षण माना जाता है।
प्रेग्नेंसी के चलते हार्मोनल चेंज की वजह से पाचन प्रक्रिया भी प्रभावित होती है, जिसकी वजह से कॉन्स्टिपेशन (कब्ज) की समस्या होने लगती है।
दूसरी बार प्रेगनेंट हैं करीना कपूर खान, जानिए दूसरी प्रेगनेंसी में कैसे अलग होते हैं Pregnancy symptoms

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पहली प्रेगनेंसी में आमतौर पर महिलाओं को प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में बच्‍चे की किक महसूस होती है लेकिन सेकंड प्रेगनेंसी में चौथे महीने में ही बच्‍चा किक मारना शुरू कर सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि मां पहली प्रेगनेंसी में बच्‍चे की मूवमेंट को समझ चुकी होती है।


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गर्भावस्‍था के दौरान पेट की मांसपेशियां और त्‍वचा खिंचने के बाद वो कभी पहले जैसी नहीं होती है। सेकंड प्रेगनेंसी में बेबी बंप जल्‍दी निकल आता है क्‍योंकि पेट की मांसपेशियां पहले से ही खिंची होती हैं। दूसरी प्रेगनेंसी में आपका बेबी बंप जल्‍दी दिखना शुरू हो सकता है। अगर आप दूसरी बार मां बनने जा रही हैं तो अपने मैटरनिटी कपड़े जरा जल्‍दी निकाल लीजिए।


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प्रेगनेंसी में कमर दर्द होना सामान्‍य बात है, लेकिन सेकंड प्रेगनेंसी में आपको जल्‍दी कमर दर्द की शिकायत शुरू हो सकती है। कुछ महिलाओं को वेरिकोज वेंस की समस्‍या भी हो सकती है। ऐसा रक्‍त वाहिकाओं और मांसपेशियों के कमजोर होने के कारण होता है।


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अधिकतर महिलाओं को पहली गर्भावस्‍था की तुलना में सेकंड प्रेगनेंसी में मॉर्निंग सिकनेस और थकान ज्‍यादा महसूस होती है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्‍योंकि सेकंड प्रेगनेंसी में महिलाओं को अपने पहले बच्‍चे की भी देखभाल करनी होती है जिससे उनका शरीर जल्‍दी थकान महसूस करने लगता है।

गर्भावस्‍था में मतली के साथ उल्‍टी या चक्‍कर आना प्रेगनेंसी के आम लक्षणों में शामिल हैं, लेकिन सेकंड प्रेगनेंसी में मॉर्निंग सिकनेस का पैटर्न थोड़ा अलग हो सकता है।

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अगर आपको पहली प्रेगनेंसी के बाद पोस्‍टपार्टम डिप्रेशन हुआ था, तो दूसरी बार मां बनने पर भी इसका खतरा बना रहता है। जिन महिलाओं को पहली गर्भावस्‍था के बाद बाइपोलर डिप्रेशन रहा था, उनमें दूसरी डिलीवरी के बाद भी इसका खतरा रहता है।

इसके अलावा सेकंड प्रेगनेंसी में लेबर पेन कम समय के लिए हो सकता है, क्‍योंकि आपका शरीर पहले भी इस प्रक्रिया से गुजर चुका होता है। अब गर्भाशय ग्रीवा आसानी से चौड़ी हो जाती है। दूसरी बार डिलीवरी में लगभग पांच घंटे और 12 घंटे से ज्‍यादा समय तक प्रसव पीड़ा नहीं होती है।



प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण
गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में जी मिचलाना और उल्टी होना, कई बार पेशाब जाना आदि शामिल हैं। इसके इतर गर्भधारण करने पर महिला को थकान की शिकायत होती है। इसके साथ ही कुछ महिलाओं में सिर दर्द के साथ ही शुरुआत में पैरों में सूजन भी नजर आती है।

ब्‍लीडिंग
इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग प्रेगनेंसी के शुरुआती संकेत में से एक है। ये मासिक धर्म की तरह नहीं होता है। इसमें हल्‍की ब्‍लीडिंग होती है जिसमें खून का एक धब्‍बा या गुलाबी स्राव होता है। कुछ घंटों या कुछ दिनों तक स्‍पॉटिंग हो सकती है।

ऐंठन
महिलाओं को हल्‍की ऐंठन भी महसूस हो सकती है। भ्रूण के गर्भाशय की दीवार से जुड़ने पर ऐंठन होती है। महिलाओं को पेट, पेल्विस या कमर के निचले हिस्‍से में ऐंठन महसूस हो सकती है। इसमें खिंचाव, गुदगुदी या खुजली जैसा लग सकता है। कुछ महिलाओं को हल्‍की ऐंठन होती है तो कुछ को कभी कभी असहज महसूस होता है।
दूसरी बार प्रेगनेंट हैं करीना कपूर खान, जानिए दूसरी प्रेगनेंसी में कैसे अलग होते हैं Pregnancy symptoms

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पहली प्रेगनेंसी में आमतौर पर महिलाओं को प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में बच्‍चे की किक महसूस होती है लेकिन सेकंड प्रेगनेंसी में चौथे महीने में ही बच्‍चा किक मारना शुरू कर सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि मां पहली प्रेगनेंसी में बच्‍चे की मूवमेंट को समझ चुकी होती है।


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गर्भावस्‍था के दौरान पेट की मांसपेशियां और त्‍वचा खिंचने के बाद वो कभी पहले जैसी नहीं होती है। सेकंड प्रेगनेंसी में बेबी बंप जल्‍दी निकल आता है क्‍योंकि पेट की मांसपेशियां पहले से ही खिंची होती हैं। दूसरी प्रेगनेंसी में आपका बेबी बंप जल्‍दी दिखना शुरू हो सकता है। अगर आप दूसरी बार मां बनने जा रही हैं तो अपने मैटरनिटी कपड़े जरा जल्‍दी निकाल लीजिए।

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प्रेगनेंसी में कमर दर्द होना सामान्‍य बात है, लेकिन सेकंड प्रेगनेंसी में आपको जल्‍दी कमर दर्द की शिकायत शुरू हो सकती है। कुछ महिलाओं को वेरिकोज वेंस की समस्‍या भी हो सकती है। ऐसा रक्‍त वाहिकाओं और मांसपेशियों के कमजोर होने के कारण होता है।


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अधिकतर महिलाओं को पहली गर्भावस्‍था की तुलना में सेकंड प्रेगनेंसी में मॉर्निंग सिकनेस और थकान ज्‍यादा महसूस होती है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्‍योंकि सेकंड प्रेगनेंसी में महिलाओं को अपने पहले बच्‍चे की भी देखभाल करनी होती है जिससे उनका शरीर जल्‍दी थकान महसूस करने लगता है।

गर्भावस्‍था में मतली के साथ उल्‍टी या चक्‍कर आना प्रेगनेंसी के आम लक्षणों में शामिल हैं, लेकिन सेकंड प्रेगनेंसी में मॉर्निंग सिकनेस का पैटर्न थोड़ा अलग हो सकता है।


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अगर आपको पहली प्रेगनेंसी के बाद पोस्‍टपार्टम डिप्रेशन हुआ था, तो दूसरी बार मां बनने पर भी इसका खतरा बना रहता है। जिन महिलाओं को पहली गर्भावस्‍था के बाद बाइपोलर डिप्रेशन रहा था, उनमें दूसरी डिलीवरी के बाद भी इसका खतरा रहता है।

इसके अलावा सेकंड प्रेगनेंसी में लेबर पेन कम समय के लिए हो सकता है, क्‍योंकि आपका शरीर पहले भी इस प्रक्रिया से गुजर चुका होता है। अब गर्भाशय ग्रीवा आसानी से चौड़ी हो जाती है। दूसरी बार डिलीवरी में लगभग पांच घंटे और 12 घंटे से ज्‍यादा समय तक प्रसव पीड़ा नहीं होती है।




कमर दर्द और ब्‍लोटिंग
यूट्राइन लाइनिंग रिलीज होने पर गर्भाशय में खिंचाव आता है जिसकी वजह से कमर और पेट में दर्द होने लगता है। हार्मोंस में उतार चढाव के कारण पेट फूलने की शिकायत भी हो सकती है। इसके लिए इस सप्‍ताह में आपको पीरियड की तरह ही मूड स्विंग्‍स भी परेशान कर सकते हैं।

सिरदर्द
कई महिलाओं को मेंस्‍ट्रुअल माइग्रेन होता है जिसका संबंध हार्मोंन से होता है। गर्भावस्‍था के शुरुआती लक्षण मासिक धर्म आने जैसे ही होते हैं इसलिए पहले सप्‍ताह में कई महिलाओं को यह पता ही नहीं चल पाता है कि वो प्रेगनेंट हैं।

प्रेग्नेंसी के वक्त गर्भवती महिला के मुंह का स्वाद कड़वा हो जाता है। ऐसे में उसे भोजन के बजाए सिर्फ खट्टी चीजों का ही स्वाद सही लगता है।


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पहली प्रेगनेंसी में आमतौर पर महिलाओं को प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में बच्‍चे की किक महसूस होती है लेकिन सेकंड प्रेगनेंसी में चौथे महीने में ही बच्‍चा किक मारना शुरू कर सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि मां पहली प्रेगनेंसी में बच्‍चे की मूवमेंट को समझ चुकी होती है।


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गर्भावस्‍था के दौरान पेट की मांसपेशियां और त्‍वचा खिंचने के बाद वो कभी पहले जैसी नहीं होती है। सेकंड प्रेगनेंसी में बेबी बंप जल्‍दी निकल आता है क्‍योंकि पेट की मांसपेशियां पहले से ही खिंची होती हैं। दूसरी प्रेगनेंसी में आपका बेबी बंप जल्‍दी दिखना शुरू हो सकता है। अगर आप दूसरी बार मां बनने जा रही हैं तो अपने मैटरनिटी कपड़े जरा जल्‍दी निकाल लीजिए।


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प्रेगनेंसी में कमर दर्द होना सामान्‍य बात है, लेकिन सेकंड प्रेगनेंसी में आपको जल्‍दी कमर दर्द की शिकायत शुरू हो सकती है। कुछ महिलाओं को वेरिकोज वेंस की समस्‍या भी हो सकती है। ऐसा रक्‍त वाहिकाओं और मांसपेशियों के कमजोर होने के कारण होता है।


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अधिकतर महिलाओं को पहली गर्भावस्‍था की तुलना में सेकंड प्रेगनेंसी में मॉर्निंग सिकनेस और थकान ज्‍यादा महसूस होती है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्‍योंकि सेकंड प्रेगनेंसी में महिलाओं को अपने पहले बच्‍चे की भी देखभाल करनी होती है जिससे उनका शरीर जल्‍दी थकान महसूस करने लगता है।

गर्भावस्‍था में मतली के साथ उल्‍टी या चक्‍कर आना प्रेगनेंसी के आम लक्षणों में शामिल हैं, लेकिन सेकंड प्रेगनेंसी में मॉर्निंग सिकनेस का पैटर्न थोड़ा अलग हो सकता है।


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अगर आपको पहली प्रेगनेंसी के बाद पोस्‍टपार्टम डिप्रेशन हुआ था, तो दूसरी बार मां बनने पर भी इसका खतरा बना रहता है। जिन महिलाओं को पहली गर्भावस्‍था के बाद बाइपोलर डिप्रेशन रहा था, उनमें दूसरी डिलीवरी के बाद भी इसका खतरा रहता है।

इसके अलावा सेकंड प्रेगनेंसी में लेबर पेन कम समय के लिए हो सकता है, क्‍योंकि आपका शरीर पहले भी इस प्रक्रिया से गुजर चुका होता है। अब गर्भाशय ग्रीवा आसानी से चौड़ी हो जाती है। दूसरी बार डिलीवरी में लगभग पांच घंटे और 12 घंटे से ज्‍यादा समय तक प्रसव पीड़ा नहीं होती है।

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शरीर में बदलाव: गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में प्रेग्नेंट महिला को ब्रेस्ट में अचानक से भारीपन महसूस होता है। चेहरे पर अचानक से झाइयां नजर आने लगती हैं। यह बदलाव गर्भावस्था के शुरुआती छह महीनों या अंतिम छह महीनों में नजर आते हैं।

बच्‍चे का विकास: प्रेग्‍नेंसी के पहले हफ्ते में निषेचित अंडे में विभाजन हेाता। कोशिकाओं के इस गोले को विज्ञान की भाषा में ब्‍लास्‍टोसाइट कहते हैं।

अल्‍ट्रासाउंड रिपोर्ट: पहले शुरुआती हफ्तों में बच्‍चे की कोई भी अल्‍ट्रासाउंड इमेज नहीं आती।

डायट: पर्याप्‍त मात्रा में पानी पिएं, हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और दालों को अपनी डायट में शामिल करें। विटमिन सी वाले फल जरूर खाएं।

टिप्‍स: स्‍वस्‍थ जीवनशैली अपनाएं, नशे वगैरह से दूर रहें। डॉक्‍टर ने जो फोलिक एसिड सप्‍लीमेंट दिया है उसे नियमित रूप से लेती रहें। तनाव से दूर रहें। हल्‍की-फुल्‍की कसरत करें लेकिन ज्‍यादा उछल-कूद से बचें। अभी कहीं यात्रा न करें।

solved 5
wordpress 2 years ago 5 Answer
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