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गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई तरह के दर्द और एहसासों को सहना पड़ता है जिसमें से एक पेट पर टाइट महसूस यानी स्टमक टाइटनिंग (Stomach tightening) होना भी है। गर्भाशय बढ़ने के कारण प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में ही पेट में टाइट महसूस होना शुरू हो सकता है
थोड़ी-थोड़ी देर में पेट में टाइट महसूस हो सकता है जो कि कुछ मिनटों के अंदर ठीक भी हो जाता है। आमतौर पर वजन बढ़ने और प्रेग्नेंसी की दूसरी और तीसरी तिमाही में संकुचन से इसका संबंध हो सकता है।
आइए जानते हैं कि गर्भावस्था में स्टमक टाइटनिंग क्यों होती है और किस स्थिति में इसे लेकर डॉक्टर से बात करना जरूरी हो जाता है।
पहली तिमाही में स्टमक टाइटनिंग के कारण
गर्भावस्था की हर तिमाही में पेट में टाइट महसूस होने के अलग-अलग कारण होते हैं :
गैस या कब्ज : प्रेग्नेंसी में कब्ज और गैस होना आम बात है, इसकी वजह से पेंट में ऐंठन और दर्द पैदा हो सकता है।
मिसकैरेज : कुछ मामलों में पेट में टाइट महसूस होना मिसकैरेज का संकेत हो सकता है। हालांकि, अगर स्टमक टाइटनिंग के साथ ऐंठन और वजाइनल ब्लीडिंग, कमर के निचले हिस्से में दर्द एवं टिश्यू डिस्चार्ज हो तो ये मिसकैरेज का साफ संकेत है।
प्रेग्नेंसी में सिर्फ इस तरह से खाएंगी ओट्स तो नहीं होगा कोई नुकसान
- जी हां, ओट्स जरूरी पोषक तत्वों से युक्त होता है इसलिए मां और बच्चे दोनों के लिए इसका सेवन सुरक्षित है। यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार गर्भवती महिलाओं को साबुत अनाज जैसे कि ओट्स, गेहूं और जौ खाना चाहिए।
100 ग्राम ओट्स में 389 कैलोरी, 84.03 ग्राम पानी, 66 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 16.8 ग्राम प्रोटीन, 10.6 ग्राम फाइबर, 6_9 ग्राम फैट, 0.46 ग्राम शुगर, 71 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड, 0.07 मि.ग्रा विटामिन ई, 0.96 मि.ग्रा नियासिन, 0.13 मि.ग्रा राइबोफ्लेविन, विटामिन ए 0.4 माइक्रोग्राम, पोटैशियम 429 मि.ग्रा, सोडियम 2 मि.ग्रा, कैल्शियम 54 मि.ग्रा, आयरन 4.7 मि.ग्रा, फास्फोरस 523 मि.ग्रा और जिंक 3.9 मि.ग्रा होता है।
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गर्भावस्था में कब्ज होना आम बात है। ओट्स में घुलनशील फाइबर होते हैं जो पाचन प्रक्रिया को आसान बना देते हैं। इससे कब्ज नहीं होती।ओट्स फोलेट यानी फोलिक एसिड का प्राकृतिक स्रोत है। फोलिक एसिड भ्रूण के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। यदि गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में इसका सेवन किया जाए तो बच्चे में जन्मजात रोग का खतरा कम हो सकता है।प्रेग्नेंसी में एनीमिया का खतरा भी रहता है। रोज ओट्स खाने से शरीर को आवश्यक आयरन मिल जाता है जिससे एनीमिया होने का जोखिम कम होता है।ओट्स में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, पोटैशियम, सिलेनियम और फास्फोरस होता है। ये हड्डियों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ दांत बनाने, इम्यूनिटी में सुधार लाने और भ्रूण के विकास में मदद करता है।ओट्स में कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होते हैं जिससे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है और जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा कम होता है।
वैसे ताे ओट्स सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं लेकिन अगर अधिक मात्रा में इनका सेवन किया जाए तो साइड इफेक्ट भी झेलने पड़ सकते हैं, जैसे कि :
अधिक ओट्स खाने की वजह से कुछ महिलाओं को दस्त और अपच हो सकती है इसलिए सीमित मात्रा में ही खाएं।कुछ महिलाओं को ज्यादा ओट्स खाने से आंतों में ब्लॉकेज हो सकती है।यदि आपको ग्लूटेन एलर्जी है तो ओट्स न खाएं।
आप ओट्स को गर्म दूध और पानी में एक चम्मच शहद डालकर खा सकती हैं। इसमें आप अपनी पसंद की सब्जियां भी डाल सकती हैं। इसके अलावा ओट्स बार और मैदा की जगह ओट्स के आटे का इस्तेमाल करे
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही
प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में स्टमक टाइटनिंग के निम्न कारण हो सकते हैं :
स्ट्रेचिंग : गर्भाशय के बढ़ने के कारण पेट की मांसपेशियां और लिगामेंट खींचने लगते हैं जिससे पेट में ऐंठन के साथ चुभने वाला दर्द भी होता है।
राउंड लिगामेंट पेन : कभी-कभी पेट के निचले हिस्से या ग्रोइन हिस्से में एक या दोनों तरफ अचानक से चुभने वाला दर्द हो सकता है। ये दर्द पोजीशन बदलने (जैसे कि खड़े होने, बैठने या झुकने पर) के साथ पेट में टाइट महसूस होने जैसा महसूस हो सकता है।
ब्रैक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शन : इस तिमाही के अंत में संकुचन पैदा हो सकता है जिसमें पेट में टाइट और असहज महसूस होने लगता है। हालांकि, ये संकुचन सिर्फ 30 से 60 सेकंड तक रहता है और लेबर पेन वाला दर्द नहीं होता है।
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही
इस समय स्टमक टाइटनिंग प्रसव पीड़ा का संकेत हो सकती है। यदि प्रसव होने वाला हो तो संकुचन और टाइटनिंग जल्दी-जल्दी और तेज महसूस होने लगती है।
प्रेग्नेंसी में सिर्फ इस तरह से खाएंगी ओट्स तो नहीं होगा कोई नुकसान
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जी हां, ओट्स जरूरी पोषक तत्वों से युक्त होता है इसलिए मां और बच्चे दोनों के लिए इसका सेवन सुरक्षित है। यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार गर्भवती महिलाओं को साबुत अनाज जैसे कि ओट्स, गेहूं और जौ खाना चाहिए।
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