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गर्भावस्था में खिली रहे त्वचा
गर्भावस्था में शरीर में बहुत तरह के बदलाव होते हैं। जाहिर है ऐसे में त्वचा भी प्रभावित होती है। लेकिन इस अवस्था में भी सुंदर और आकर्षक दिखना हर स्त्री का हक है। इस दौरान त्वचा की देखभाल कैसे करें, जानें इस लेख के जरिये।
गर्भावस्था के दौरान स्त्री के शरीर में हॉर्मोनल बदलाव होता है, जिससे कुछ के चेहरे पर काफी निखार आ जाता है, लेकिन अमूमन स्त्रियों की त्वचा अत्यधिक संवेदनशील हो जाती है, जिसके कारण उन्हें त्वचा संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पडता है। स्ट्रेच माक्र्स, खुजली, मुंहासे, पिग्मेंटेशन और प्रसव के बाद त्वचा का ढीला पड जाना जैसी कई समस्याएं हो जाती हैं। ऐसे में त्वचा की देखभाल कैसे की जाए, जानें सखी के साथ।
स्ट्रेच माक्र्स
भ्रूण के विकास के साथ पेट की त्वचा में खिंचाव होता है, जिससे त्वचा की सतह के नीचे इलास्टिक फाइबर टूट जाते हैं। इस कारण स्ट्रेच माक्र्स हो जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भावस्था में जिन स्त्रियों का वज्ान बढ जाता है, उन्हें यह समस्या अधिक होती है। गर्भावस्था के दौरान 11 से 12 किलो वजन बढऩा सामान्य है, लेकिन कुछ स्त्रियों का वजन बीस किलो तक बढ जाता है। इससे त्वचा में तेजी से खिंचाव होता है, जिससे स्ट्रेच माक्र्स होने का चांस बढ जाता है।
इसका कारण आनुवंशिक भी होता है, जिन स्त्रियों को गर्भावस्था में स्ट्रेच माक्र्स पडे हों, उनकी बेटियों को भी भविष्य में इसकी आशंका होती है। 10 में से 8 स्त्रियों को इस समस्या का सामना करना पडता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि त्वचा कितनी मुलायम है। कम समय में अधिक भार बढेगा तो स्ट्रेच माक्र्स ज्य़ादा पडेंगे। ये छठे या सातवें महीने में अधिक पडते हैं। प्रसव के बाद स्ट्रेच माक्र्स धीरे-धीरे हलके हो जाते हैं, लेकिन पूरी तरह गायब नहीं होते।
उपाय
ऐसा कोई उपाय नहीं है, जिससे स्ट्रेच माक्र्स हमेशा के लिए हट जाएं। मॉयस्चराइजर या विटमिन ई युक्त क्रीम लगाकर इन्हें कम किया जा सकता है, क्योंकि इससे त्वचा में नमी बनी रहती है।
मुंहासे
इस दौरान मुंहासों की समस्या सबसे अधिक परेशान करती है। कई स्त्रियों को रैशेज भी पड जाते हैं। प्रोजेस्ट्रॉन और एस्ट्रोजन के अत्यधिक स्राव के कारण सीबम का उत्पादन बढ जाता है, जिससे त्वचा के रोमछिद्र बंद हो जाते हैं। इस दौरान मुंहासे अधिकतर मुंह के आसपास और ठोडी पर पडते हैं। कई स्त्रियों के पूरे चेहरे पर फैल जाते हैं। अगर इनका ठीक से उपचार न कराया जाए तो यह प्रसव के बाद भी रहते हैं। कई बार ये निशान छोड जाते हैं। बिना डॉक्टर की सलाह लिए घर पर उपचार न करें। एंटीबॉयोटिक दवाइयों का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
खुजली
गर्भावस्था में पेट बढऩे के कारण मांसपेशियों में खिंचाव होता है। स्किन ज्य़ादा फैलती है तो इससे खुजली की समस्या होती है। इस दौरान पूरे शरीर पर भी खुजली होती है। ऐसे में बेहतर होगा कि कैलामाइन लोशन या हेवी क्रीमयुक्त मायस्चरॉइजर लगाएं। अगर अधिक खुजली महसूस हो तो डॉक्टर को दिखाएं। यह गर्भावस्था में लीवर की किसी गडबडी के कारण हो सकती है, जिसे कोलेस्टैटिस कहते हैं। इसके कारण समय पूर्व प्रसव का खतरा बढ सकता है।
मेलास्मो
यह गर्भावस्था के दौरान त्वचा की सबसे गंभीर समस्या है, जिसे 'प्रेग्नेंसी मॉस्क भी कहा जाता है। इसमें चेहरे पर जगह-जगह पिग्मेंटेशन होता है और त्वचा पर लाल चकत्ते पड जाते हैं। सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से संपर्क, अनुवांशिक कारण, एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रॉन का बढा हुआ स्तर इसके प्रमुख कारण हैं। कुछ स्त्रियों में छाती और जांघों पर भी पिग्मेंटेशन होता है। प्रसव के बाद पिग्मेंटेशन कम हो जाता है, लेकिन यह पूरी तरह समाप्त नहीं होता। बेहतर होगा कि जितना हो सके, तेज धूप से बचें। जब भी घर से बाहर निकलें, एसपीएफ 30 वाली सनस्क्रीन क्रीम चेहरे पर जरूर लगाएं। यदि यह उपलब्ध न हो या सूट न करती हो तो कैलामाइन लोशन लगाएं।
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