प्रेगनेंसी में खुश रहने के उपाय?pregnancytips.in

Posted on Mon 26th Nov 2018 : 17:12

महिलाओं का सामान्य दिनों के मुकाबले गर्भावस्था के दौरान डेली रूटीन थोड़ा बदल जाता है। इस दौरान उनकी दैनिक क्रियाओं और व्यवहार में भी काफी बदलाव आ जाता है। इसमें चिड़चिड़ापन, बात-बात पर गुस्सा आना, तनाव, कॉन्फिडेंस की कमी, दिमाग में नकारात्मक विचार आने जैसी कई बातें शामिल हैं (1)। वहीं, घर के बड़े बुजुर्ग गर्भावस्था के दौरान महिला को खुश रहने की सलाह देते हैं, ताकि गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर भी अच्छा असर पड़े। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम गर्भावस्था में खुश रहने के उपाय और फायदों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दे रहे हैं।

गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए गर्भवती महिला को स्ट्रेस फ्री व खुश रहने के लिए कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्भवती की मानसिक स्थिति का सीधा असर बच्चे के विकास पर पड़ता है (1)। यही कारण है कि यहां हम गर्भावस्था में खुश रहने के उपायों के बारे में बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
1. हर दिन को समझें खास

गर्भावस्था का समय हर महिला के लिए बेहद खास होता है। इसके एक-एक पल को दिल से जीना चाहिए। ये पल गर्भवती महिला की जिंदगी में बार-बार नहीं आते हैं। बहुत सारी महिलाएं भविष्य के बारे में सोचकर तनाव की गिरफ्त में आ जाती हैं। इससे मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर बुरा असर हो सकता है। इसलिए बेहतर है कि भविष्य के बारे में अभी से टेंशन न लें। हर दिन को अपने सामान्य दिन की तरह से ही जीने का प्रयास करें। साथ ही हर दिन को कुछ न कुछ करके स्पेशल बनाएं। खुद को उन चीजों में व्यस्त रखें, जिन्हें करने से खुशी मिलती है। इससे तनाव हावी नहीं होगा।
2. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं

जब एक महिला गर्भधारण करती है तो उसमें शारीरिक, मानसिक और हार्मोनल बदलाव होते हैं। इन बदलावों के कारण गर्भवती महिला को थकान होने लगती है (2)। यही कारण है कि गर्भवती महिलाओं के लिए एक हेल्दी लाइफ स्टाइल की जरूरत होती है। इसके लिए डाइट का ख्याल रखना और पौष्टिक चीजों, जैसे: पाश्चराइज्ड दूध, फल और हरी सब्जियों का सेवन करना जरूरी है (3)। इससे गर्भवती महिला का मूड दिनभर खुशनुमा बना रहेगा।
3. योग और मेडिटेशन

गर्भावस्था के दिनों में मन में आने वाले नकारात्मक ख्यालों से निकलने के लिए गर्भवती महिलाएं योग और मेडिटेशन का सहारा ले सकती हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर उपलब्ध एक शोध के अनुसार, प्रेगनेंसी में योग करने से गर्भावस्था के दौरान होने वाले तनाव, चिड़चिड़ाहट व थकान से राहत मिल सकती है (4)। इसकी मदद से गर्भवती महिलाओं को दिनभर स्वस्थ और खुशी का अहसास होगा। हालांकि, ध्यान रहे गर्भावस्था के दौरान कोई भी एक्सरसाइज या योग करने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें। फिर मंजूरी मिलने के बाद विशेषज्ञ की देखरेख में ही व्यायाम या योग करें।
4. किताबें पढ़ें

जिन महिलाओं को किताब पढ़ने का शौक है, वो अपने मूड को पॉजिटिव रखने के लिए गर्भावस्था पर आधारित किताबों को पढ़ सकती हैं। इससे गर्भवती महिला को गर्भावस्था के अलग-अलग चरण के बारे में जानकारी मिलेगी। साथ ही, गर्भावस्था में होने वाले शारीरिक बदलाव से लेकर डिलीवरी तक के सभी चरणों के लिए गर्भवती महिला को तैयार होने में मदद मिलेगी। इससे कुछ हद तक डिलीवरी में होने वाले दर्द से जुड़े बुरे ख्याल भी कम हो सकते हैं। इसके अलावा, गर्भवती महिलाएं अपनी फेवरेट किताबों को पढ़ सकती हैं। ये किताबें सकारात्मक होने का एहसास दिलाएंगी।
5. भावनाओं को पन्ने पर उतारें

यदि गर्भवती महिला को कोई बात सता रही है, जिसे वे अपने मन से निकाल नहीं पा रही है। तो ऐसे में, इसके लिए एक डायरी लें और उसमें अपनी फीलिंग्स को लिख दें। ऐसा करने से गर्भवती महिला कुछ हद तक हल्का महसूस करेंगी। यदि शारीरिक बदलावों के चलते परेशान हैं, तो इन्हें भी लिख सकती हैं। अपनी डायरी में गर्भावस्था के एक-एक पल को पन्ने पर उतारें। चाहें तो डायरी में अपनी गर्भावस्था अनुभव भी लिख सकती हैं। इससे मन तो हल्का होगा ही, साथ ही शिशु को लेकर पॉजिटिविटी आएगी और गर्भवती महिला खुद भी खुश होने का एहसास करेंगी। वहीं, आगे चलकर इस अनुभव की डायरी को अन्य महिलाओं के साथ भी शेयर कर सकती हैं या किताब के रूप में पब्लिश भी करा सकती हैं।
6. पेरेंटिंग की तैयारी करें

अभी तक महिला अपनी जिंदगी अपने अनुसार जी रही थी, लेकिन अब जल्दी ही मां बनने वाली हैं। ऐसे में मां बनने के लिए खुद को तैयार करें। मातृत्व एक सुखद एहसास है, लेकिन यह एहसास कई चुनौतियां भी लेकर आता है। इसलिए विशेषज्ञों का कहना है कि किताबें पढ़ें और अन्य मांओं के साथ समय बिताएं और उनसे अनुभव साझा करें और उनसे भी इसकी जानकारी लें। इससे धीरे-धीरे पेरेंटिंग से जुड़ी चुनौतियों के लिए महिला पहले से ही तैयार हो सकती हैं।
7. शिशु से जुड़े

गर्भावस्था का डर न पालें और समय निकालकर एकांत में कोख में पल रहे शिशु से बात कर उससे जुड़ें। इससे गर्भवती महिला बच्चे के इस संसार में आने से पहले उसके साथ अपना रिश्ता स्थापित कर सकती हैं। दिनभर में एक घंटे अपने बच्चे के लिए जरूर निकालें। इस दौरान गर्भवती महिला बच्चे को लोरी या गाना भी सुना सकती हैं। इससे गर्भवती महिला अपने बच्चे से अच्छा रिश्ता कायम कर सकेंगी और चिंता जैसी कोई बात उनके आस-पास भी नहीं भटकेगी।
8. शिशु के लिए शॉपिंग

आने वाले शिशु के लिए हल्की-फुल्की तैयारी करें। उसके लिए शॉपिंग में जुट जाएं। घर में बच्चे का वेलकम करने के लिए डेकोरेशन के सामान से लेकर बच्चे का कमरा, कपड़े, डायपर, शेल्टर आदि का इंतजाम करें। बच्चे के आने के बाद पेरेंट्स के पास इतना समय नहीं होगा। इसलिए ये सब तैयारियां गर्भावस्था की तीसरी तिमाही से ही करना शुरू कर दें।
9. खुद को तैयार करें

बदलते समय के साथ गर्भवती महिला के जीवन में चीजों की प्राथमिकताएं भी बदलने लगती हैं। इसलिए, जरूरी है कि जीवन को व्यवस्थित करने के लिए उसका आकलन करें। यह देखें कि फिलहाल किन समस्याओं से जूझ रहे हैं और भविष्य में किन बातों का सामना करना पड़ सकता है। इन समस्याओं का पता लगाकर इनसे निजात पाने की कोशिश करें। साथ ही शिशु के आने के बाद जीवन शैली की चुनौतियों के लिए भी खुद को तैयार करें।
10. माता-पिता से जुड़ें

इन दिनों में गर्भवती महिला अपने मायके जाकर मां-बाप का प्यार बटोर सकती हैं। मां से इन पलों का अनुभव साझा करें और उनसे गर्भावस्था से जुड़ी सभी अहम बातों को जानें, क्योंकि उनके द्वारा बताई गई बातें आने वाले समय में गर्भवती महिला के लिए बेहद काम आने वाली हैं। माता-पिता के साथ समय बिताना व वीडियो कॉल पर बात करने से भी गर्भवती महिला को अच्छा महसूस हो सकता है।
11. पार्टनर संग टाइम स्पेंड करें

गर्भावस्था के दौरान ज्यादातर महिलाओं को मूड स्विंग की समस्या से गुजरना पड़ता है (5)। इसका असर उनके पार्टनर संग रिश्तों पर भी पड़ सकता है। वहीं, इस समय का सही इस्तेमाल करके आप पार्टनर संग अपने रिश्ते को पहले से भी ज्यादा मजबूत बना सकती हैं। इसके लिए जितना हो सके पार्टनर से खुलकर बात करें। प्रेगनेंसी या बच्चे को लेकर किसी तरह का तनाव है तो उसे भी पार्टनर संग शेयर करें। पार्टनर के लिए घर पर कैंडेल नाइट डिनर सरप्राइज प्लान करें। एक दूसरे के साथ जितना हो सके क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। गर्भ में पल रहे बच्चे से बात करने का प्रयास करें। बच्चे के नाम पर डिस्कशन करें। ये छोटे-छोटे पल आप दोनों को और करीब लाने में मदद कर सकते हैं।
12. नए-नए दोस्त बनाएं

अस्पताल और कम्युनिटी सेंटर में गर्भवती महिलाओं से दोस्ती कर उनसे अनुभव साझा करें। उनके साथ समय बिताकर व एक दूसरे के अनुभव जानकर अच्छा महसूस होगा। यदि पहली बार मां बनने वाली हैं तो यह भी साझा करें। हो सकता है कि इनमें से कुछ महिलाएं दूसरी या तीसरी बार मां बनने जा रही हो तो वो अपना पहला अनुभव साझा कर आपके तनाव को कम कर सकती हैं। इसके अलावा, महिला अपनी पुराने दोस्तों के साथ भी बातचीत जारी रखें, ताकि सहजता से अपनी परेशानियों और अनुभवों को उनके साथ साझा कर मन हल्का कर सके।
13. स्वास्थ्य का ख्याल रखें

जैसे-जैसे गर्भावस्था का समय बढ़ता है शरीर नया आकार लेता है और वजन भी बढ़ने लगता है। बहुत सारी महिलाएं शरीर में होने वाले इन बदलावों को लेकर तनाव में रहने लगती हैं (6)। ऐसे में खुद को शांत रखने की कोशिश करें। अपने आप को समझाएं कि ऐसा कुछ समय के लिए है। डिलीवरी के कुछ समय बाद आप अपने डॉक्टर से बात करके वर्कआउट करना शुरू कर सकती हैं। इसके साथ वजन को नियंत्रित करने के लिए हेल्दी डाइट का सहारा ले सकती हैं। यदि डिलीवरी के दौरान वजन ज्यादा बढ़ रहा है तो इसे लेकर डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि आने वाले बच्चे पर इसका कोई असर ना पड़े।
14. प्रेगनेंसी मसाज

गर्भावस्था के दौरान मसाज का चलन प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। गर्भावस्था में मसाज कराने से महिलाओं को पीठ दर्द, अवसाद और चिंता, पैरों में दर्द की शिकायत से थोड़ी राहत मिल सकती है। इसके अलावा यह मूड को बेहतर करने के साथ अच्छी नींद में सहायक हो सकता है, लेकिन याद रहे डॉक्टर की सलाह पर ही इसका आनंद लें (7)। जिन महिलाओं की गर्भावस्था में कॉम्प्लीकेशन्स रहती हैं या असामान्य भ्रूण की स्थिति होती है, उन्हें मसाज कराने से मना किया जाता है। वहीं, सामान्य गर्भावस्था में डॉक्टर की मंजूरी के बाद ही मसाज कराएं। साथ ही किसी एक्स्पर्ट की देखरेख में ही मालिश कराएं। हां, सिर की मालिश, हाथ-पैरों की हल्की मालिश महिला घर में भी कर सकती हैं।
15. बेहतर आर्थिक योजना बनाएं

शिशु के जन्म के बाद कई अहम चीजों की जरूरत पड़ती है। इसलिए पहले से ही अपना बैंक बैलेंस मजबूत करके चलें। पैसों के अभाव में चिंताएं बढ़ने लगती हैं और मन में बुरे ख्याल आने लगते हैं। इसलिए गर्भावस्था में महिला इन बातों का पहले से ध्यान रखेंगी तो खुद को और गर्भ में पल रहे शिशु को स्वस्थ रख सकेंगी। पहले से ही पति के साथ मिलकर बजट को लेकर प्लान बनाएं। ऐसा करने से पति को भी अच्छा लगेगा और उनकी चिंता कुछ हद तक कम होगी।

वैसे तो खुश रहने से मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूती मिलती है। जब बात आती है गर्भावस्था में खुश रहने की तो यह और भी ज्यादा फायदेमंद हो जाता है। आइए जानते हैं कैसे..
1. प्रीमैच्योर लेबर का खतरा कम हो सकता है

गर्भावस्था के दौरान मां को तनाव से दूर रहना चाहिए, क्योंकि इसका सीधा प्रभाव मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों पर पड़ सकता है। इससे प्रीमैच्योर लेबर, मिसकैरेज, जन्म के समय बच्चे का वजन कम, आदि समस्याएं होने का खतरा अधिक होता है (8)। वहीं, गर्भावस्था में खुश रहने से तनाव और चिंता दूर हो सकती है (9)। इससे गर्भावस्था में तनाव के कारण होने वाली परेशानियों के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
2. मस्तिष्क का विकास

हर माता पिता की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा होनहार और बुद्धिमान हो। बता दें, गर्भावस्था में महिलाओं को तनाव से दूर रहने के साथ खुश रहना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से शिशु के मस्तिष्क पर अच्छा असर पड़ता है। इसलिए पार्टनर भी अपनी गर्भवती पत्नी को खुश रखने में कोई कमी ना छोड़े (10)।
3. गर्भावस्था में कम होता दर्द

गर्भवती महिलाएं मॉर्निंग सिकनेस, पीठ दर्द, ऐंठन, सिरदर्द और पैरो में सूजन जैसी तकलीफों से गुजरती हैं। इसलिए इन दिनों में खूब हंसे और खुश रहे, क्योंकि ऐसा करने से गर्भवती महिला का ध्यान दर्द से हटेगा और खुश रहना एक तरह से नेचुरल पेनकिलर का काम करेगा (11)।
4. शिशु के विकास में मदद मिलती है

जब गर्भवती महिला खुश और सुकून महसूस करती है, तो इससे बच्चे को भी अच्छा वातावरण मिलता है। जो महिलाएं चिंता व तनाव की गिरफ्त में होती हैं इससे गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास प्रभावित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भावस्था के दिनों में मां के खुश रहने और हंसने से बच्चे के मानसिक विकास में मदद हो सकती है (10)।
5. ब्लड प्रेशर पर नियंत्रण

गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर सबसे खतरनाक माना जाता है। इसमें प्रीमैच्योर डिलीवरी, बच्चे के विकास में रुकावट आदि का खतरा बढ़ सकता है (12)। वहीं तनाव ब्लड प्रेशर के बढ़ने के मुख्य कारणों में से एक है (13)। इसलिए गर्भवती महिलाओं को तनाव से कोसों दूर रहने व खुश रहने की सलाह दी जाती है।
6. रोग-प्रतिरोधक क्षमता में सुधार

एक शोध में इस बात का जिक्र है कि तनाव मुक्त रहने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता में सुधार के साथ कई संक्रमण से बचाव में मदद हो सकती है (14)। यही कारण है कि गर्भवती महिला को चिकित्सक खुश रहने की सलाह देते हैं। इसका मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
7. ग्लोइंग स्किन

जानकारों की मानें तो गर्भावस्था में खुश रहने का सीधा असर त्वचा पर भी नजर आ सकता है। इस दौरान गर्भवती का चेहरा ग्लो करने लगता है। वहीं, एक शोध में इस बात का जिक्र है कि तनाव स्किन संबंधी समस्याओं जैसे – एक्ने का कारण बन सकता है (15)। इसलिए, प्रेगनेंसी में त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए भी स्ट्रेस से दूर रहना जरूरी है। गर्भवती खुद को स्ट्रेस से दूर रखकर प्रेगनेंसी ग्लो का आनंद ले सकती हैं।

इस लेख के जरिए आपको समझ आ गया होगा कि गर्भावस्था के दौरान एक महिला का खुश रहना कितना जरूरी है। साथ ही यह भी जान गए होगे कि प्रेगनेंसी में तनाव में रहने के बेहद गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसलिए प्रेगनेंसी के खूबसूरत समय का हर महिला को भरपूर आनंद उठाना चाहिए। अपना व अपने बच्चे का विशेष ख्याल रखना चाहिए। इसके लिए अच्छी डाइट, एक्सरसाइज से लेकर पूरी नींद लें। उम्मीद है यह लेख आपके लिए उपयोगी रहा होगा। इसे अन्य लोगों के साथ शेयर कर हर किसी को प्रेगनेंसी में खुश रहने से जुड़ी इन जरूरी जानकारियों से अवगत कराएं। गर्भावस्था से जुड़े ऐसे ही अन्य विषयों को समझने के लिए जुड़े रहें मॉमजंक्शन के साथ।

solved 5
wordpress 5 years ago 5 Answer
--------------------------- ---------------------------
+22

Author -> Poster Name

Short info