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प्रेगनेंसी में चिकन खाना चाहिए या नहीं?
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अन्य चीजों के साथ-साथ खान-पान का ध्यान रखना भी जरूरी होता है। साग-सब्जी या शाकाहारी खाने तक तो ठीक है, लेकिन सबसे ज्यादा असमंजस मांसाहारी खाद्य पदार्थों को लेकर होता है। गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को अंडा या चिकन खाने की क्रेविंग यानी लालसा होती है। प्रेगनेंसी में अंडा खाना सुरक्षित है या नहीं इस बारे में हमने आपको पहले ही जानकारी दी है। अब बारी आती है प्रेगनेंसी में चिकन खाना चाहिए या नहीं। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम न सिर्फ आपको प्रेगनेंसी में चिकन खाना चाहिए या नहीं इस बात की जानकारी देंगे, बल्कि प्रेगनेंसी में चिकन खाने से क्या होता है इस बारे में भी बताएंगे।
क्या गर्भावस्था में चिकन खाना सुरक्षित है? |
जी हां, गर्भावस्था में चिकन खाना सुरक्षित हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को पोषण की अधिक जरूरत होती है। ऐसे में चिकन के सेवन से गर्भवती महिला को और गर्भ में पल रहे भ्रूण को भरपूर मात्रा में प्रोटीन मिल सकता है (1)।
प्रेगनेंसी के दौरान कितनी मात्रा में चिकन खाना चाहिए ?
आप गर्भावस्था के दौरान 100 ग्राम तक चिकन खा सकते हैं (2)। हालांकि, यह मात्रा महिला की जरूरत के अनुसार थोड़ी-बहुत बदल सकती है। इसलिए, ऐसी स्थिति में आप डॉक्टर से एक बार इस बारे में बात जरूर कर लें। आपके स्वास्थ्य के अनुसार वो आपको सटीक मात्रा बता सकते हैं।
प्रेगनेंसी में चिकन कब खाना चाहिए?
गर्भावस्था के दौरान कई तरह के पोषक तत्वों की जरूरत होती है। ऐसे में अगर बात करें चिकन की, तो गर्भावस्था की पहली तिमाही से चिकन को आहार में शामिल किया जा सकता है (3)। हालांकि, गर्भावस्था के पहले तीन माह तक कुछ महिलाओ को चिकन खाने की अधिक इच्छा नही होती है। ऐसे में महिला अपनी इच्छानुसार चिकन का सेवन कर सकती है।
गर्भावस्था में चिकन खाने के फायदे |
एनीमिया से राहत : गर्भावस्था के लिए आयरन महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है। आयरन की पूर्ति कर शरीर में एनीमिया की समस्या को दूर किया जा सकता है, जो गर्भावस्था के दौरान ज्यादातर महिलाओं में पाया जाता है (5)। चिकन के सेवन से शरीर को काफी हद तक आयरन प्राप्त हो सकता है। इससे शिशु को जन्म के समय कम वजन और अन्य कई जोखिमों से बचाव हो सकता है। इसलिए, चिकन को गर्भवती और भ्रूण दोनों के लिए फायदेमंद माना जा सकता है (6)।
न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से छुटकारा : न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट शिशु के मस्तिष्क और रीढ़ के हड्डी से जुड़ी समस्या होती है। यह गर्भावस्था में फोलिक एसिड की कमी के कारण हो सकता है (6)। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान चिकन के सेवन से फोलिक एसिड की जरूरत को पूरा किया जा सकता है (7)। इससे न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का जोखिम काफी हद तक कम हो सकता है।
भ्रूण का विकास : गर्भनाल और भ्रूण के विकास के लिए प्रोटीन जरूरी होता है (8)। ऐसे में चिकन के सेवन से गर्भवती को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मिल सकता है (4)। इससे गर्भवती और गर्भ में पल रहा शिशु दोनों ही स्वस्थ रहेंगे।
ऊर्जा बढ़ाने के लिए : चिकन में अन्य पोषक तत्वों के साथ-साथ एनर्जी की मात्रा भी ज्यादा होती है। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान इसके सेवन से गर्भवती को पर्याप्त मात्रा में एनर्जी प्राप्त हो सकती है। इस कारण आप थकावट, कमजोरी या ऊर्जा की कमी के जोखिम से बच सकती हैं (9), (4)।
इम्यून सिस्टम के लिए : गर्भावस्था के दौरान चिकन का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार हो सकता है, क्योंकि इसमें विटामिन-सी मौजूद होता है (4)। विटामिन-सी शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में सहायक होता है (10)। ऐसे में चिकन का सेवन गर्भवती और भ्रूण दोनों के लिए लाभकारी हो सकता है।
उच्च रक्तचाप नियंत्रण : उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए भी चिकन का सेवन किया जा सकता है। ध्यान रहे कि आप लीन चिकन का सेवन करें, क्योंकि इसमें प्रोटीन अधिक और फैट कम होता है। यह उच्च रक्तचाप के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है (11)।
गर्भावस्था के दौरान चिकन खाने के जोखिम |
गर्भावस्था में चिकन खाने के फायदे तो हम आपको बता ही चुके हैं। अब आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि कुछ कारणों से इसे खाने के नुकसान भी हो सकते हैं। उन्हीं कुछ कारणों के बारे में हम आपको नीचे जानकारी दे रहे हैं।
चिकन को अच्छी तरह से नहीं धोने या नहीं पकाने पर उसमें टोक्सोप्लाजमोसिज (Toxoplasmosis), साल्मोनेला (Salmonella) और कैम्पिलोबैक्टर (Campylobacter jejuni) नामक बैक्टीरिया रह सकते हैं। इससे कई तरह की समस्याएं जैसे – सिरदर्द, दस्त, पेट में दर्द, मतली, बुखार और उल्टी हो सकती है। इतना ही नहीं यह भ्रूण या नवजात शिशु के लिए जानलेवा भी हो सकता है (12)।
चिकन में लिस्टेरिया मोनोसाइटोजीनस (L. monocytogenes) बैक्टीरिया भी हो सकता है। इससे गर्भपात, भ्रूण की गर्भ में ही मृत्यु, संक्रमण या नवजात को अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती हैं (12)।
जरूरत से ज्यादा चिकन के सेवन से डायबिटीज, मोटापा, ह्रदय संबंधी समस्याएं भी हो सकती है (13)।
ऊपर आपने चिकन खाने से होने वाले जोखिम के बारे में पढ़ा, अब लेख के आगे के भाग में इससे जुड़ी सावधानियों के बारे में जानेंगे।
गर्भावस्था के दौरान चिकन खाने से जुड़ी सावधानियां
गर्भावस्था में चिकन खाने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना गर्भवती के लिए उचित होगा, जो इस प्रकार है:
चिकन को पकाने से पहले अच्छी तरह से धोएं।
पकाते वक्त ध्यान रखें कि वो कच्चा न रह जाए।
चिकन को पकाने के बाद खुला न रखें।
गर्भावस्था के दौरान आहार में चिकन को शामिल करने के तरीके
अगर आप गर्भावस्था के समय चिकन को अपने आहार में शामिल करना चाहते हैं, तो नीचे बताए जा रहे तरीकों का पालन कर सकते हैं:
चिकन करी बनाकर रोटी या चावल के साथ खा सकते हैं।
आप ग्रिल्ड या रोस्टेड चिकन का सेवन कर सकती हैं।
चिकन रोल भी खाया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि वो रोल घर में बना हो।
चिकन को कटलेट की तरह भी आहार में शामिल किया जा सकता है।
चिकन सैंडविच भी खाने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
चिकन सूप पीने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
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