प्रेगनेंसी में चेहरा क्यों मुरझा जाता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:17

गर्भावस्था के दौरान त्वचा से जुड़ी समस्याएं होना आम है। आपको त्वचा की रंगत में बदलाव या चकत्ते, खुजलाहट, स्ट्रेच मार्क्स, काले धब्बे और मुहांसे भी हो सकते हैं। प्रेगनेंसी में ये आमतौर पर हार्मोनों, त्वचा की ग्रंथियों, चयापचय (मेटाबोलिज्म) और रोग प्रतिरोधक प्रणाली में आने वाले बदलावों की वजह से होते हैं। इनमें से कुछ से आप बच नहीं सकतीं, मगर पर्याप्त और स्वस्थ आहार के सेवन से, सनस्क्रीन और मॉइस्चराइजर लगाने से और कुछ एहतियात बरतने से त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है। त्वचा की अधिकांश समस्याएं सामान्य हैं और शिशु के जन्म के बाद अपने आप ठीक हो जाती हैं। मगर त्वचा में बदलावों को लेकर आप चिंतित हैं तो अपनी डॉक्टर से बात करें।
क्या गर्भावस्था में त्वचा में होने वाले बदलाव नुकसानदेह होते हैं?
गर्भावस्था के दौरान त्वचा में होने वाले आम बदलाव आपके या गर्भस्थ शिशु के लिए नुकसानदेह नहीं होते। त्वचा की रंगत में बदलाव अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से भी हो सकता है, जरुरी नहीं है कि इसका कारण गर्भावस्था से जुड़ा हो। कभी-कभार त्वचा की समस्याएं किसी गंभीर स्थिति का संकेत हो सकते हैं, जिसमें चिकित्सकीय उपचार की जरुरत होती है।
सामान्यत: निम्न स्थितियों में डॉक्टर से बात करें:

गर्भावस्था के दौरान त्वचा में कोई नई समस्या सामने आना
आपकी त्वचा की समस्या और बढ़ती ही जा रही हो।
आपको बुखार के साथ चकत्ते भी हो रहे हों।
आपको बहुत ज्यादा खुजली हो रही हो विशेषकर हाथों और पैरों में मगर चकत्ते न हो रहे हों।
आपके तिल-मस्से या जन्मचिन्ह के रंग या माप में बदलाव लगे।
गर्भावस्था से संबंधी कोई अन्य परेशानी या चिंताजनक लक्षण।

आपकी डॉक्टर त्वचा की जांच करने के बाद संभावित समस्या का पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट करवाने के लिए कह सकती हैं। अगर जरुरी हुआ तो वे आपको त्वचा के डॉक्टर के पास डर्मोटोलॉजिस्‍ट जाने के लिए कह सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान मेरी त्वचा काली क्यों पड़ रही है?
प्रेगनेंसी के दौरान त्वचा की रंगत गहरी होना और धब्बे या निशान होना आम है। इस स्थिति को मेलास्मा या क्लोएस्मा कहा जाता है।

मेलास्मा तब होता है जब आपका शरीर अतिरिक्त मेलानिन बनाता है। मेलानिन एक रंजक (पिग्मेंट) है जो त्वचा को अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाता है। ऐसा गर्भावस्था के हॉर्मोनों की वजह से होता है मगर पारिवारिक इतिहास की भी इसमें भूमिका हो सकती है।

मेलास्मा को कई बाद प्रेगनेंसी का मास्क भी कहा जाता है क्योंकि काले धब्बे आमतौर पर होंठ के ऊपर, नाक, गाल की हड्डी (चीकबोन्स) और माथे पर उभरते हैं, मास्क के आकार में।

आपको गालों पर जॉलाइन के पास या अग्रबाजू और अन्य हिस्से जो धूप के संपर्क में आते हैं वहां भी गहरे रंग के धब्बे हो सकते हैं।

इसके अलावा जिस हिस्से की त्वचा में पहले से ही रंजकता ज्यादा हो - जैसे कि निप्पल और आसपास की त्वचा (एरियोला), झाइयां, निशान और जननांगों की त्वचा, वे गर्भावस्था के दौरान और ज्यादा गहरे रंग की हो सकती है। ऐसा अक्सर उन जगहों पर भी होता है जहां रगड़ ज्यादा लगती हो जैसे कि बगल (अंडरआर्म) और जांघों में अंदर की तरफ।

अपने इन काले धब्बों को लेकर आपका चिंतित होना स्वाभाविक है, मगर डिलीवरी के एक साल के अंदर ये धब्बे हल्के पड़ जाते हैं।

कुछ महिलाएं पाती हैं कि गर्भावस्था के बाद हॉमोनल गर्भनिरोधक के इस्तेमाल से ये धब्बे हल्के नहीं पड़ते या और गहरे हो जाते हैं। अगर आपके साथ ऐसा हो, तो डॉक्टर आपको त्वचा पर लगाने के लिए उपचार बता सकती हैं।

गर्भावस्था में त्वचा को मेलास्मा से बचाने के उपाय

धूप में रहने से आपकी त्वचा के ये धब्बे और काले हो जाएंगे व ज्यादा दिखाई देंगे। इसलिए जब भी बाहर जाएं तो छाता लेकर या टोपी पहनकर जाएं और जितना हो सके छाया में रहने की कोशिश करें।
अपनी त्वचा के टाइप के आधार पर उचित सनस्क्रीन चुनें।
अपनी त्वचा की रंगत सुधारने के लिए कोई भी उत्पाद इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से पूछ लें। हो सकता हैं इन उत्पादों का इस्तेमाल गर्भावस्था में सुरक्षित न हो।
त्वचा की रंगत एक समान करने के लिए आप अपनी त्वचा के रंग के अनुसार उचित मॉइस्चराइजर, फांउडेशन और कंसीलर लगा सकती हैं।
बेहतर है कि आप वैक्सिंग न कराएं। त्वचा पर बाल हटाने के लिए वैक्स के इस्तेमाल से त्वचा में जलन व असहजता हो सकती है जिससे मेलास्मा की स्थिति बढ़ सकती है। खासतौर पर शरीर के उन हिस्सों में जहां रंजकता में बदलाव आ रहा है।

"प्रेगनेंसी ग्लो" क्या होता है?
"प्रेगनेंसी ग्लो" यानि गर्भावस्था का निखार केवल एक कहावत नहीं है। गर्भावस्था के दौरान आपकी त्वचा ज्यादा नमी बनाए रखती है, जिससे इसमें फुलावट या भरावट आती है। इस वजह से पतली रेखाएं और झुर्रीयां सपाट हो जाती हैं।

गुलाबी निखार जो आपके चेहरे पर रौनक लाता है, वह हॉर्मोनों के बढ़े हुए स्तर और शरीर में अतिरिक्त रक्त संचरण की वजह से होता है। हालांकि, रक्त संचरण में उतार-चढ़ाव रहेगा। इसलिए आपको कभी गर्माहट महसूस होगी और कई बार ठंडक लगेगी और रंगत भी फीकी लगेगी।

सका एक नकारात्मक असर यह है कि जब आपका शरीर नमी को प्रतिधारित करता है, तो इससे आपकी एड़ियों और टांगों में सूजन आ सकती है। साथ ही त्वचा में रक्त के प्रवाह से चेहरे, गर्दन या छाती पर लाल निशान दिखाई दे सकते हैं। डिलीवरी के कुछ महीनों में ये अपने आप ठीक हो जाएंगे।

प्रेगनेंसी ग्लो सबसे ज्यादा दूसरी तिमाही में दिखाई देता है, हालांकि जरुरी नहीं है कि सभी गर्भवती महिलाओं के चेहरे पर यह निखार दिखाई दे।

यह बात ध्यान में रखें कि यदि आपके चेहरे पर निखार न लगे तो यह किसी गड़बड़ का संकेत कतई नहीं है। इसी तरह, प्रेगनेंसी ग्लो होना भी गर्भावस्था में किसी विशेष बात का प्रतीक नहीं होता (जैसे कि शिशु का लिंग आदि का)।
प्रेगनेंसी में नाभि के नीचे गहरी लाइन क्यों बन रही है?
आपके पेट के बीच से नीचे की तरफ लंबवत जा रही रेखा को लिनिया नाइग्रा कहा जाता है, जिसका लैटिन भाषा में अर्थ है "काली रेखा"।

यह आमतौर पर आपकी पुरोनितम्बास्थि (प्यूबिक बोन) के ऊपरी सिरे से शुरु होकर पेट के मध्य तक आती है, मगर कई बार यह आपकी नाभि से होते हुए ब्रेस्टबोन के ठीक नीचे तक पहुंच जाती है।

लिनिया नाइग्रा आपके पेट की मांसपेशियों पर उभरती हैं, जो कि गर्भ में बढ़ते हुए शिशु को जगह देने के लिए खिंचती हैं स्ट्रेच होती हैं और थोड़ी खुलती हैं। मगर लिनिया नाइग्रा मांसपेशियों के खुलने पर हुए गैप की वजह से नहीं होती। ऐसा शरीर में अतिरिक्त मात्रा में मेलानिन बनने की वजह से होता है, जिसकी वजह से चेहरे पर मेलास्मा के धब्बे होते हैं। इसके अलावा हॉर्मोनों में बदलाव भी इसका कारण हैं।

लिनिया नाइग्रा आमतौर पर दूसरी तिमाही के आसपास उभरना शुरु होती है। अधिकांश गर्भवती महिलाओं के साथ ऐसा होता है, मगर साफ रंगत वाली महिलाओं में यह इतनी ज्यादा दिखाई नहीं देती। शिशु के जन्म के कुछ महीनों बाद यह रेखा हल्की पड़ जानी चाहिए।

गर्भावस्था में लिनिया नाइग्रा को कम करने के लिए क्या करें

धूप की वजह से लिनिया नाइग्रा और ज्यादा दिखाई दे सकती है, इसलिए यदि आप चाहें तो धूप में इसे ढक कर रखें।
उचित सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें और बहुत ज्यादा देर तक धूप में न रहें।

गर्भावस्था में मेरी त्वचा ज्यादा संवेदनशील क्यों हो गई है?
हॉर्मोनों का बढ़ा हुआ स्तर और त्वचा में ज्यादा रक्त प्रवाह इसका कारण होता है। साथ ही गर्भावस्था में त्वचा में खिंचाव ज्यादा होता है और यह ज्यादा नाजुक हो जाती है, इसलिए आपको संवेदनशीलता ज्यादा महसूस होती है।

आप शायद पाएंगी कि आपकी त्वचा बहुत आसानी से जल जाती है या धूप में रहने से सामान्य से ज्यादा चुभन होती है।

गर्भावस्था से पहले जिन चीजों से त्वचा पर फर्क नहीं पड़ता था अब उनके प्रति संवेदनशीलता ज्यादा होना भी सामान्य है, जैसे कि स्विमिंग पूल के पानी में क्लोरीन से। आप कई महीनों या सालों से जो साबुन, परफ्यूम और स्किनकेयर उत्पाद इस्तेमाल कर रही थीं, हो सकता है अचानक उनसे आपकी त्वचा में असहजता होने लगे।

यह जानने का प्रयास करें कि आपको जलन व खुजलाहट होने की वजह क्या है। कहीं आपका वाशिंग पाउडर या फैब्रिक सॉफ्टनर तो इसकी वजह नहीं है? कुछ महिलाओं का मानना है कि बहुत ज्यादा कलफ लगी सूती साड़ियां और कुर्तियां पहले से ही संवेदनशील त्वचा में और अधिक जलन पैदा कर सकती हैं।

गर्भावस्था में संवेदनशील त्वचा की सुरक्षा के लिए उपाय:

ढीले-ढाले, सूती कपड़े पहने जिनमें बहुत कम या फिर बिल्कुल भी कलफ न लगी हो। सिंथेटिक फाइबर से बने कपड़े गर्माहट बनाए रखते हैं और इनमें हवा की आवाजाही इतनी नहीं हो पाती जिससे जलन व असहजता होने की संभावना रहती है, खासतौर पर गर्म व आर्द्र मौसम में।
आप ज्यादा गर्मी में न रहें और त्वचा पर मॉइस्चराइजर लगाएं। जिन जगहों पर खुजली होती है वहां मॉइस्चराइजर या लोशन लगाने या फिर बाथ एमोलिएंट का इस्तेमाल करने से त्वचा सुरक्षित रह सकती है।
हमेशा डॉक्टर द्वारा बताया गया हाई-फैक्टर सनस्क्रीन लगाएं। कोशिश करें कि जितना हो सके त्वचा को सीधी धूप से बचाएं।

प्रेगनेंसी में चेहरे पर मुहांसे और पिम्पल क्यों निकल रहे हैं?
चाहे आपको पहले कभी भी मुहांसे न हुए हों तो गर्भावस्था में ये हो सकते हैं। और अगर आप पहले से मुहांसों की समस्या से जूझ रही हों, तो गर्भावस्था में ये और ज्यादा बढ़ सकते हैं। वहीं दूसरी तरह कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान पिम्पल निकलने कम हो जाते हैं, इसलिए इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता।

हॉर्मोनों के बढ़े हुए स्तर की वजह से सीबम (तेल जो आपकी त्वचा को नम बनाए रखता है) के उत्पादन को बढ़ावा मिलता है। यह अतिरिक्त सीबम, डेड स्किन सेल्स के साथ मिलकर रोमछिद्रों को अवरुद्ध करता है। इससे बैक्टीरिया को बढ़ने के लिए उपयुक्त माहैल मिल जाता है। इस वजह से आपकी त्वचा में जलन व खुजलाहट होने लगती है और दर्द भरी फुंसियां होने लगती हैं।

आपको हल्के ब्लैकहैड्स और व्हाइहेड्स से लेकर गंभीर निशान और गांठें हो सकती हैं। मुहांसे आते-जाते रह सकते हैं या फिर ये पूरी गर्भावस्था के दौरान बने रह सकते हैं। आमतौर पर ये आपके चेहरे पर दिखाई देते हैं मगर ये आपकी गर्दन, स्तनों और नितंबों पर भी हो सकते हैं।

गर्भावस्था में मुहांसों के उपचार के लिए हमेशा अपनी डॉक्टर से बात करें और डॉक्टरी पर्ची के बिना कोई दवाएं न लें। मुहांसों के लिए यदि आप पहले से कोई दवाएं ले रही हैं या फिर कोई क्रीम या जैल लगा रही हैं तो इनके बारे में भी अपनी डॉक्टर से पहले पूछ लें।

मुहांसों की कई दवाओं का सेवन गर्भावस्था में सुरक्षित नहीं है क्योंकि इनसे शिशु में जन्मजात दोष या यहां तक कि गर्भपात का खतरा रहता है।

गर्भावस्था में त्वचा का मुहांसो से बचाव के उपाय:

अपनी त्वचा को बार-बार बहुत ज्याद साफ न करें क्योंकि इससे त्वचा में रूखापन आ सकता है। अपने चेहरे को दिन में दो बार सौम्य साबुन से धोएं, मेक-अप हटाने के लिए सुगंध रहित क्लींजर का इस्तेमाल करें। त्वचा को साफ और तरोताजा रखने के लिए इतना काफी है।
आप तेल आधारित उत्पादों की बजाय पानी आधारित उत्पादों का इस्तेमाल करें, इससे आपके रोमछिद्र अवरुद्ध नहीं होंगे। आप उन उत्पादों को चुनें जिन पर "नॉन कॉमेडोजेनिक" या "पीएच-बैलेंस्ड" लिखा हो।
मुहांसों और फुंसियों को दबाएं या खरोंचे ना, क्योंकि इससे निशान पड़ सकते हैं।
स्वस्थ आहार का सेवन करें।

गर्भावस्था में चकत्ते क्यों होते हैं और क्या ये हानिकारक होते हैं?
गर्भावस्था के दौरान बिना किसी स्पष्ट कारण के चकत्ते (रैश) होना काफी आम है। हॉर्मोनों के बढ़े हुए स्तरों के कारण आपकी त्वचा उन तत्वों के संपर्क में आने पर प्रभावित हो जाती है, जिनका पहले कोई असर नहीं होता था।

गर्भावस्था के दौरान होने वाले अधिकांश चकत्ते इसलिए नहीं होते कि आप गर्भवती हैं, बल्कि इनकी वजह अन्य स्थितियां जैसे कि डर्मेटाइटिस, एलर्जी या त्वचा संक्रमण होते हैं। गर्मियों में आपकी त्वचा घमौरियों या तापघात (हीट रैश) के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान इन रैशेज की वजह से असहजता हो सकती है मगर ये कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। इनसे आमतौर पर आपको या गर्भस्थ शिशु को कोई गंभीर समस्या नहीं होती।

हालांकि, कुछ चकत्ते किसी समस्या का संकेत हो सकते हैं, जिनकी जांच जरुरी है।

एटोपिक इरप्शन ऑफ प्रेगनेंसी (एईपी)
कुछ महिलाओं को लाल, खुजली वाले चकत्ते हो जाते हैं जो एग्जिमा जैसे दिखते हैं। इन्हें एटोपिक इरप्शन ऑफ प्रेगनेंसी (एईपी) कहा जाता है। एईपी की वजह से त्चचा पर ददोड़े हो जाते हैं, अक्सर कोहनी, घुटनों, कलाई और गर्दन के आसपास। ये आमतौर पर चार-पांच महीने की गर्भावस्था से पहले होते हैं।

एईपी आपके या आपके शिशु के लिए खतरनाक नहीं है, उपचार से राहत मिलती है और शिशु के जन्म के बाद यह अपने आप पूरी तरह ठीक हो जाता हे। हालांकि, यदि आपको एक बार एईपी हुआ हो तो अगली गर्भावस्थाओं में भी इसके दोबारा होने की संभावना रहती है। आपके शिशु को भी एग्जिमा होने की आंशका रहती है।

चाहे आपको लगे कि आपके चकत्ते एईपी नहीं हैं तो भी गर्भावस्था में त्वचा पर खुजली या रैश अगर दो-तीन दिनों से ज्यादा रहे तो डॉक्टर को दिखा लें। इस तरह गंभीर जटिलताएं होने से बचा जा सकता है, जो कि आपके शिशु के लिए खतरनाक हो सकती हैं, जैसे कि ऑब्सटेट्रिक कोलेस्टेसिस। यह यकृत से जुड़ा विकार है, जो गर्भावस्था में विकसित हो सकता है।

पित्ती (अर्टिकारिया या नेटल रैश)
पित्ती (हाइव्स) गर्भावस्था का आधा चरण बीत जाने के बाद होना आम है। पित्ती से आपकी त्वचा पर उभार, सूजन आ सकती है। ऐसा तब होता है जब आपका शरीर जब तापमान में बदलाव, एलर्जी पैदा करने वाले तत्व के संपर्क में आने से या इनफेक्शन के प्रति प्रतिक्रिया के तौर पर हिस्टेमीन का उत्पादन करता है।

बिच्छू बूटी के जैसे चकत्ते या पित्ती शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकते हैं। ये कुछ मिनटों या कुछ दिनों के लिए आते-जाते रह सकते हैं। पित्ती का एंटिहिस्टेमीन दवा से आसानी से उपचार किया जा सकता है। आपकी डॉक्टर वह दवा बताएंगी जिसका सेवन गर्भावस्था में सुरक्षित हो।

पेम्फेगॉइड जैस्टेशियोनिस
पेम्फेगॉइड जैस्टेशियोनिस नामक बहुत ही दुर्लभ लाल चकत्ते आपके गर्भस्थ शिशु को प्रभावित कर सकते हैं।

पेम्फेगॉइड जैस्टेशियोनिस एक ऑटो इम्यून स्थिति है। माना जाता है कि जब प्लेसेंटा के कुछ अंश आपकी रक्त वाहिका में चले जाते हैं तो ऐसा होता है। आपका शरीर इन अंशों को हमला मान लेता है और आपकी रोग प्रतिरोधक प्रणाली त्वचा पर हमला करने के लिए एंटीबॉडीज बनाने लगती है। गर्भावस्था के हॉर्मोन इसके प्रभाव को और ज्यादा बढ़ा सकते हैं, जिसकी वजह से अत्याधिक खुजली वाले, लाल, फफोलों वाले चकत्ते हो सकते हैं।

ये रैश आपके पेट पर मुख्यत: नाभि के आसपास होते हैं, हालांकि ये पीठ, नितंबों और बाजुओं तक भी फैल सकते हैं। ये अक्सर गर्भावस्था के मध्य से लेकर अंतिम चरण में हो सकते हैं।

पेम्फेगॉइड जैस्टेशियोनिस का उपचार स्टेरॉइड्स से होता है। डॉक्टर शायद पहले त्वचा पर लगाने वाली क्रीम से शुरुआत करेंगी और यदि इससे आराम न मिले तो वे दवाएं देंगी। डॉक्टर वही स्टेरॉइड देंगी जिनका सेवन गर्भावस्था में सुरक्षित होगा।

अगर स्टेरॉइड्स से भी चकत्ते में आराम न मिले तो डॉक्टर आगे के उपचार के लिए आपको त्वचा रोग विशेषज्ञ के पास भेज सकती हैं।

पेम्फेगॉइड जैस्टेशियोनिस से ग्रस्त अधिकांश महिलाएं स्वस्थ शिशुओं को जन्म देती हैं, मगर इस स्वास्थ्य स्थिति की वजह से समय से पहले जन्म (प्रीमैच्योर) या शिशु के अपने चरण से छोटा होने की संभावना रहती है।

पेम्फेगॉइड जैस्टेशियोनिस पूरी गर्भावस्था के दौरान आता-जाता रह सकता है और अक्सर डिलीवरी के बाद स्थिति ज्यादा बढ़ सकती है। शिशु के जन्म के बाद इसे ठीक होने में हफ्ते या महीने लग सकते हैं।

अगर आपको पेम्फेगॉइड जैस्टेशियोनिस हो जाए, तो आपके स्वास्थ्य पर नजदीकी निगरानी रखी जाएगी क्योंकि इससे जटिलताएं होने का खतरा रहता है। कुछ मामलों में नवजात शिशुओं में भी ये रैश हो जाता है, हालांकि, यह हल्का होता है और कुछ ही हफ्तों में ठीक हो जाता है।

गर्भावस्था के दौरान चकत्तों का उपचार:
प्रेगनेंसी के दौरान बहुत से कारणों की वजह से रैशेज हो सकते हैं। कई बार अलग-अलग स्थितियों के एक जैसे लक्षण होते हैं, इसलिए आप खुद इनका इलाज न करें।

हमेशा किसी भी त्वचा समस्या की सही पहचान के लिए डॉक्टर के पास जाए और उनके द्वारा बताए गए उपचार और दवाएं लें।
क्या गर्भावस्था की वजह से त्वचा पर लाल नसें दिखने लगती हैं?
हां। आपके त्वचा की बाहरी परत पर जो नसें दिख रही हैं वे शायद मकड़ी की टांगों जैसी नसें (स्पाइडर वेन्स या थ्रेड वेन्स) होंगी। इन्हें ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि त्वचा पर दिख रही ये नन्हीं रक्तवाहिकाएं मकड़ी की टांगों जैसी लगती हैं। हालांकि, कई बार ये पेड़ की टहनियों जैसी या टेढ़ी-मेड़ी पतली रेखाओं जैसी लग सकती हैं।

आपके शरीर में अतिरिक्त रक्त का संचरण हो रहा होता है, जिससे रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ता है और ईस्ट्रोजेन हॉर्मोन को उच्च स्तर की वजह से आपकी नसें टूट भी सकती हैं।

स्पाइडर वेन्स आपके चेहरे, आंखों के नीचे या चीकबोन्स पर हो सकती हैं। इसके अलावा ये गर्दन, छाती, हाथों, अग्रबाजू और कानों पर भी दिख सकती हैं।

गर्भावस्था में ये नसें दिखना काफी आम है और अक्सर पहली और दूसरी तिमाही में ऐसा होता है। स्पाइडर वेन्स से स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान नहीं होता और ये सामान्यत: किसी बीमारी का संकेत नहीं होती। बहुत ही दुर्लभ मामलों में इनकी वजह से रक्तस्त्राव जैसी समस्या हो सकती है।

आप शायद पाएंगी कि आपकी हथेलियां अब ज्यादा लाल हैं क्योंकि ऊपरी सतह की रक्तवाहिकाएं चौड़ी हो गई है। इसे पामर एरिथेमा कहा जाता है। ये नुकसानदेह नहीं हैं और स्पाइडर वेन्स की ही तरह शिशु के जन्म के बाद अपने आप हल्की पड़ जाती हैं।

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