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household chore in pregnancy
गर्भावस्था का समय बहुत नाजुक होता है। इस दौरान महिलाओं का वजन बढ़ जाता है तो वहीं दूसरी ओर उनके शरीर में कई तरह के बदलाव भी आते हैं। गर्भ में शिशु होने के कारण पेट का वजन भी बढ़ जाता है जिसकी वजह से महिलाओं को कुशलता से काम करने में भी दिक्कत आती है। ऐसे में घर के काम करने तो जरूरी होते हैं लेकिन प्रेगनेंट महिलाओं को इस नाजुक समय में घर के कुछ कामों से बिलकुल दूरी बना लेनी चाहिए।
यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि प्रेग्नेंसी में घर के कौन-से काम नहीं करने चाहिए और किन घरेलू कामों को गर्भवती महिलाएं आसानी से कर सकती हैं।
क्या प्रेग्नेंसी में घरेलू काम करना सुरक्षित है
इस मामले में आपको थोड़ा संतुलन बनाकर चलना पड़ेगा। प्रेग्नेंसी में ज्यादा तनाव वाले काम करने से बचें। कठिन काम करने से थकान तो जल्दी होगी ही साथ ही ये आपके स्वास्थ्य के लिए भी ठीक नहीं रहेगा। वहीं अगर आप कुछ भी काम नहीं करती हैं या गतिहीन जीवनशैली अपना लेती हैं तो इसका दुष्प्रभाव आपकी प्रेग्नेंसी पर पड़ सकता है। इसलिए आपको घर के ऐसे काम करने चाहिए जो आपके लिए सुरक्षित हों।
प्रेग्नेंसी में क्यों जरूरी है विटामिन ई और कैसे कर सकते हैं इसकी कमी पूरी
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गर्भावस्था और विटामिन ई का एक-दूसूरे से संबंध है। पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई लेना मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होता है।विटामिन ई एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है और फ्री रेडिकल्स से ऊतकों को बचाता है। ये फ्री रेडिकल्स कोशिकाओं, अंगों और ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।विटामिन ई प्रोस्टाग्लैंडिन के उत्पादन में मदद करता है। ये केमिकल प्रोलैक्टिन के उत्पादन की मात्रा को कम करने में अहम भूमिका निभाता है।विटामिन ई शरीर में लिपिड की संरचना को बनाए रखता है।ये इम्यून सिस्टम को वायरस और बैक्टीरिया से बचाने में भी मदद करता है।इससे रक्त वाहिकाएं चौड़ी होती हैं जिससे कि वाहिकाओं के अंदर खून नहीं जमता है।यदि गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में विटामिन ई लिया जाए तो इससे गर्भपात का खतरा काफी कम हो जाता है।
विटामिन ई भ्रूण के तंत्रिका तंत्र, आंखों और मस्तिष्क के विकास में मदद करता है। विटामिन ई की कमी के कारण मां और बच्चे को नुकसान हो सकता है। ये एनीमिया का कारण भी बन सकता है। विटामिन ई की कमी से संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है। इससे शिशु को न्यूरोलोजिकल विकार, मांसपेशियों को नुकसान या कार्डियोमायोपैथी हो सकती है।
विटामिन ई मां के शरीर में रक्त संचार में सुधार लाता है जो शिशु के विकास और स्वस्थ रहने में भी मदद करता है।
गर्भावस्था में विटामिन ई की अधिक खुराक लेने पर समस्याएं हो सकती हैं इसलिए आपको इस मामले में थोड़ा सावधान रहना चाहिए। गर्भवती महिला को प्रतिदिन 15 मि.ग्रा से अधिक विटामिन ई नहीं लेना चाहिए। अगर आप पहले से ही विटामिन ई युक्त कोई मल्टी-विटामिन सप्लीमेंट ले रही हैं तो अलग से विटामिन ई लेने की जरूरत नहीं है।
विटामिन ई सप्लीमेंट की अत्यधिक खुराक लेने से शिशु में जन्म विकास की संभावना बढ़ सकती है। इससे मस्तिष्क में गंभीर ब्लीडिंग भी हो सकती है। अधिक सेवन से शिशु में हृदय विकारों का खतरा भी बढ़ सकता है।
पालक, ब्रोकली और पत्तागोभी विटामिन ई के अच्छे स्रोत हैं। मूंगफली, हेजलनट और बादाम, सूरजमुखी का तेल, व्हीट जर्म ऑयल, कॉर्न ऑयल और सोयाबीन ऑयल में भी विटामिन ई होता है। सूरजमुखी के बीजों में भी प्रचुरता में विटामिन ई पाया जाता है। उबले हुए अंडे भी खा सकते हैं।
गर्भावस्था में विटामिन ई सप्लीमेंट नहीं लेना चाहिए क्योंकि अन्य सप्लीमेंट के साथ विटामिन ई सप्लीमेंट लेने से शिशु की मृत्यु, जन्म के समय शिशु का वजन कम होना, प्री-क्लैम्प्सिया या नौ महीने से पहले जन्म होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
शिशु के विकास और मां की सेहत के लिए विटामिन ई बहुत जरूरी होता है। संतुलित आहार से सही मात्रा में विटामिन ई लिया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह के बिना विटामिन ई सप्लीमेंट नहीं लेने चाहिए।
गर्भावस्था में कर सकती हैं घर के ये काम
प्रेग्नेंसी में बड़ी आसानी से सब्जियां को काटने और साफ करने का काम किया जा सकता है। कई महिलाएं खड़े होकर सब्जियां काटती हैं जबकि प्रेग्नेंसी में ऐसा करना है। आपको बैठकर ये काम करना चाहिए।
आप लंबे हैंडल वाली झाडू और पोछे का इस्तेमाल कर घर की सफाई भी कर सकती हैं। झाडू या पोछा लगाने के लिए ज्यादा झुकने की जरूरत नहीं है। अगर इस काम को करने में आपको दिक्कत हो रही है तो तुरंत छोड़ दें।
गर्भवती महिलाएं बाथरूम की सफाई भी कर सकती हैं। इसमें ईको फ्रेंडली क्लीनिंग प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें। प्रेग्नेंसी में सफेद सिरका, नींबू का रस और बेकिंग सोड़ा का इस्तेमाल सुरक्षित होता है।
आप घर पर बर्तन धोने का काम भी कर सकती हैं लेकिन 15 से 20 मिनट से ज्यादा समय तक खड़ी न रहें।
प्रेग्नेंसी में क्यों जरूरी है विटामिन ई और कैसे कर सकते हैं इसकी कमी पूरी
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गर्भावस्था और विटामिन ई का एक-दूसूरे से संबंध है। पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई लेना मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होता है।विटामिन ई एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है और फ्री रेडिकल्स से ऊतकों को बचाता है। ये फ्री रेडिकल्स कोशिकाओं, अंगों और ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।विटामिन ई प्रोस्टाग्लैंडिन के उत्पादन में मदद करता है। ये केमिकल प्रोलैक्टिन के उत्पादन की मात्रा को कम करने में अहम भूमिका निभाता है।विटामिन ई शरीर में लिपिड की संरचना को बनाए रखता है।ये इम्यून सिस्टम को वायरस और बैक्टीरिया से बचाने में भी मदद करता है।इससे रक्त वाहिकाएं चौड़ी होती हैं जिससे कि वाहिकाओं के अंदर खून नहीं जमता है।यदि गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में विटामिन ई लिया जाए तो इससे गर्भपात का खतरा काफी कम हो जाता है।
विटामिन ई भ्रूण के तंत्रिका तंत्र, आंखों और मस्तिष्क के विकास में मदद करता है। विटामिन ई की कमी के कारण मां और बच्चे को नुकसान हो सकता है। ये एनीमिया का कारण भी बन सकता है। विटामिन ई की कमी से संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है। इससे शिशु को न्यूरोलोजिकल विकार, मांसपेशियों को नुकसान या कार्डियोमायोपैथी हो सकती है।
विटामिन ई मां के शरीर में रक्त संचार में सुधार लाता है जो शिशु के विकास और स्वस्थ रहने में भी मदद करता है।
गर्भावस्था में विटामिन ई की अधिक खुराक लेने पर समस्याएं हो सकती हैं इसलिए आपको इस मामले में थोड़ा सावधान रहना चाहिए। गर्भवती महिला को प्रतिदिन 15 मि.ग्रा से अधिक विटामिन ई नहीं लेना चाहिए। अगर आप पहले से ही विटामिन ई युक्त कोई मल्टी-विटामिन सप्लीमेंट ले रही हैं तो अलग से विटामिन ई लेने की जरूरत नहीं है।
विटामिन ई सप्लीमेंट की अत्यधिक खुराक लेने से शिशु में जन्म विकास की संभावना बढ़ सकती है। इससे मस्तिष्क में गंभीर ब्लीडिंग भी हो सकती है। अधिक सेवन से शिशु में हृदय विकारों का खतरा भी बढ़ सकता है
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पालक, ब्रोकली और पत्तागोभी विटामिन ई के अच्छे स्रोत हैं। मूंगफली, हेजलनट और बादाम, सूरजमुखी का तेल, व्हीट जर्म ऑयल, कॉर्न ऑयल और सोयाबीन ऑयल में भी विटामिन ई होता है। सूरजमुखी के बीजों में भी प्रचुरता में विटामिन ई पाया जाता है। उबले हुए अंडे भी खा सकते हैं।
गर्भावस्था में विटामिन ई सप्लीमेंट नहीं लेना चाहिए क्योंकि अन्य सप्लीमेंट के साथ विटामिन ई सप्लीमेंट लेने से शिशु की मृत्यु, जन्म के समय शिशु का वजन कम होना, प्री-क्लैम्प्सिया या नौ महीने से पहले जन्म होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
शिशु के विकास और मां की सेहत के लिए विटामिन ई बहुत जरूरी होता है। संतुलित आहार से सही मात्रा में विटामिन ई लिया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह के बिना विटामिन ई सप्लीमेंट नहीं लेने चाहिए।
प्रेग्नेंसी में न करें ये घरेलू काम
अगर आप प्रेगनेंट हैं तो नीचे बताए गए काम बिलकुल न करें :
ज्यादा भारी सामान :
प्रेग्नेंसी में कमर दर्द पहले से ही रहता है। ऐसे में भारी वजन उठाना आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। पानी की बाल्टी, राशन का सामान जैसी भारी चीजों को उठाने की गलती न करें।
केमिकल युक्त चीजें :
साफ-सफाई के लिए केमिकल युक्त चीजों की बजाय प्राकृतिक उत्पादों जैसे कि सिरके या बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करें। इनके इस्तेमाल के दौरान हमेशा दस्ताने पहनकर रखें और मुंह को भी ढक कर रखें। प्रेग्नेंसी में आपको केमिकल युक्त क्लीनिंग प्रोडक्ट का इस्तेमाल बिलकुल नहीं करना है।
सीढियां चढ़ना :
प्रेग्नेंसी में सीढियां चढ़ने के लिए भी मना किया जाता है। सीढियां चढ़ने पर गिरने का खतरा रहता है इसिलए ऐसा करने से बचें।
बार-बार झुकना :
सोने, झाडू लगाने, कूड़ा साफ करने या कपड़े धोने के लिए बार-बार झुकना पड़ता है। ऐसे काम करने से बचें।
घंटों तक खड़े रहना :
अक्सर महिलाएं रसोई में काम करते समय घंटों खड़ी रहती हैं जो कि उनकी सेहत के लिए बिलकुल सही नहीं है। इससे पैरों में सूजन आ सकती है।
प्रेग्नेंसी में एक्टिव रहना मां और शिशु दोनों को स्वस्थ रखता है और प्रेग्नेंसी में होने वाली कई तरह की जटिलताओं से बचा सकता है।
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