प्रेगनेंसी में बच्चे की धड़कन क्यों नहीं आती है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

अभी तक बच्चे की धड़कन हम नहीं सुन पा रहे हैं. या भ्रूण में धड़कन कौन से हफ्ते में समझ में आने लगती है.

दोस्तों इन सब प्रश्नों के जवाब हमको इस Post के माध्यम से देने की कोशिश कर रहे हैं. हमें उम्मीद है, कि आपको यह Article पसंद आएगा और आपको अपने प्रश्न का जवाब मिल जाएगा.

वैसे माताओं को बच्चे की धड़कन का एहसास शुरुआती समय में नहीं होता है. इसका अनुभव तभी होता है जब गर्भवती स्त्री का अल्ट्रासाउंड होता है और उसमें बच्चे की धड़कन दिखाई देती है. बच्चे के दिल को धड़कते हुए अगर देख पा रही हैं, तो ही उन्हें मातृत्व का एहसास होता है.

गर्भ स्थापित होने के 22 दिन के बाद बच्चे का दिल बनाना शुरू हो जाता है. यह लगभग 3 हफ्ते के बाद की प्रोसेस होती है. लगभग चौथे हफ्ते में, लेकिन इस वक्त बच्चे के दिल में किसी भी प्रकार की धड़कन नहीं होती है.


प्रेगनेंसी का चौथा हफ्ता बीत जाने के बाद प्रेगनेंसी का 5 वां हफ्ता लगता है, तो इस हफ्ते में बच्चे के दिल के जो 4 चेंबर होते हैं. वह विकसित होना शुरू हो जाते हैं.

क्योंकि इंसानों के दिल में चार ही चेंबर होते हैं, तो वह चेंबर विकसित होना शुरू हो जाते हैं. यह बहुत तेजी के साथ विकसित होते हैं.

गर्भ में बच्चे की धड़कन कब आती है?

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि गर्भ में बेबी की धड़कन कब आती है, प्रेगनेंसी का छठा हफ्ता लगते लगते इसके अंदर धड़कन आ जाती है, कभी-कभी यह धड़कन पांचवे हफ्ते के अंत तक भी आ जाती है.
थोड़ा सा टाइम भी लग सकता है. इसका कोई फिक्स समय नहीं होता है. यह वूमेन टू वूमेन वेरी कर सकता है.
आठवा सप्ताह: बच्चे की हार्टबीट में एक स्थिर रिदम होती है.

दसवां सप्ताह: हार्ट रेट 170 बीपीएम तक बढ़ जाती है. और जन्म के समय 130 बीपीएम के लगभग स्थिर हो जाती है.

गर्भ में बच्चे की धड़कन का कब पता चलता है -

अब आप जानना चाहेंगे, कि आप यह धड़कन कब सुन पाएंगे, या आपको कब पता चलेगा.

शिशु का दिल छह सप्ताह की गर्भावस्था के आसपास धड़कना शुरु हो जाता है. इसलिए, आप छह सप्ताह में होने वाले अपने पहले अल्ट्रासाउंड स्कैन में शायद शिशु की धड़कन सुन पाएं. यह स्कैन संभवतया ट्रांसवेजाइनल स्कैन (टीवीएस) हो, जिसमें शायद आप शिशु की दिल की धड़कन देख भी पाएं.

अगर इससे 10 - 12 दिन बाद आपके डॉक्टर से आपका अप्वाइंटमेंट होता है, तो आप डॉप्लर की मदद से अपने बच्चे की धड़कन सुन सकती है.

अगर गर्भावस्था की शुरुआत में आपका टीवीएस नहीं होता है, और आप डॉक्टर के साथ चेक-अप के दौरान डॉप्लर की सहायता से शिशु की धड़कन नहीं सुन पाती हैं. शायद इसके बाद आप न्यूकल ट्रांसलुसेंसी (एनटी) स्कैन में ही शिशु की धड़कन सुन पाएंगी.


भ्रूण में धड़कन

एनटी स्कैन 11 और 13 सप्ताह की गर्भावस्था के बीच किया जाता है. ध्यान रखें कि शिशु की धड़कन को अधिकांशत: 11 से 13 सप्ताह के बीच ही सुन पाना ज्यादा आम है.

कभी-कभी क्या होता है कि 6वे, 7वे हफ्ते के अंदर माता पिता अपने आने वाले बच्चे की धड़कन नहीं सुन पाते हैं. चाहे वह किसी भी तरह से पता लगा रहे हो तो ऐसी स्थिति में वह बहुत ज्यादा टेंशन में आ जाते हैं. उन्हें चिंता सताने लगती है, कि बच्चा ठीक भी है कि नहीं है. हमारा मानना है कि वह गलत समय पर बिना कुछ तथ्यों को जाने चिंता कर रहे हैं.

शिशु की धड़कन किन बातों पर निर्भर करती है
आप शिशु की धड़कन कितनी जल्दी सुन सकती हैं, यह निम्न बातों पर निर्भर करेगा:

गर्भाशय में शिशु की स्थिति
महिला के गर्भ में शिशु की स्थिति क्या है. वह किस एंगल पर गर्भ में स्थापित है. शुरुआती समय में जब धड़कन बहुत हल्की होती है, तो इस बात का फर्क पड़ता है. कभी-कभी धड़कन होते हुए भी सुनाई नहीं देती है.

आपका वजन
महिला का वजन अधिक होने से कभी कभी पेट पर एक चर्बी की मोटी लेयर होती है. जो की धड़कन को सुनने में अवरोध पैदा करती है. डॉपलर की मदद से कभी कभी धड़कन सुनाई नहीं देती है. क्योंकि शुरुआती समय में धड़कन बहुत हल्की होती है.



प्रेगनेंसी समय की सटीकता
किसी को भी प्रेगनेंसी की सटीकता का पता नहीं होता है. केवल प्रेगनेंसी के कारण पीरियड मिस होने के दिन को एक माह मान लिया जाता है. जबकि जिस दिन 1 माह माना जाता है, उस दिन गर्भ ज्यादा से ज्यादा 25 दिन का ही होता है. और कम से कम 10 दिन का ही होता है. इनके बीच में कितने भी दिन का हो सकता है.

ऐसा हो सकता है कि जिसे हम पांचवा हफ्ता मान रहे हो वह तीसरा ही हफ्ता हो, तो आप जब भी बच्चे की धड़कन सुनने की कोशिश करें. आप हमेशा 8 या 9 हफ्ते के बाद ही कोशिश करें तभी आपको सही रिजल्ट मिलेगा.

हमें उम्मीद है कि आप को आपके प्रश्न का सटीक उत्तर मिल गया होगा.

कुछ लोग यह जानना चाह रहे होंगे कि डॉप्लर क्या होता है,
फीटल डॉप्लर हाथ से चलाने वाला अल्ट्रासाउंड उपकरण होता है, जिसका इस्तेमाल शिशु की धड़कन का पता लगाने के लिए किया जाता है.

दोस्तों आपको हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि आप जब भी अपने बच्चे के लिए पहला अल्ट्रासाउंड कर आते हैं, तो वह आप 10 हफ्ते के बाद ही करवाएं, क्योंकि उसके बाद आपको बच्चे की धड़कन का स्पष्ट पता चल जाता है. वैसे भी बार-बार अल्ट्रासाउंड कराना बच्चे की सेहत के नजरिए से ठीक नहीं होता है.



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