प्रेगनेंसी में लास्ट अल्ट्रासाउंड कब करवाना चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

अल्ट्रासाउंड क्या होता है?

अल्ट्रासाउंड एक तरह का इमेजिंग टेस्ट है, जिसे सोनोग्राम भी कहा जाता है। यह शरीर के अंदर के अंग, ऊतकों और अन्य संरचनाओं की पुष्टि करने के लिए उनकी तस्वीर बनाता है। इसमें ध्वनि तरंगों का उपयोग होता है। यह शरीर के अंदर हो रही गतिविधियों जैसे, दिल की धड़कन या रक्त वाहिकाओं में बहने वाली रक्त की छवि भी दिखा सकता है (2)। यह गर्भवती महिला के अंदरुनी अंगों के साथ ही गर्भ में बच्चे के विकास की तस्वीर भी दिखाता है (3)।

अब पढ़ें गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड के प्रकार।
गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड के प्रकार

गर्भावस्था के चरण व गर्भवती महिला के स्वास्थ्य के आधार पर प्रेगनेंसी में कई प्रकार के अल्ट्रासाउंड कराने की सुविधा उपलब्ध है। इनके बारे में नीचे विस्तार से समझेंगे।

ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड (Transvaginal Ultrasound)

गर्भावस्था में किए जाने वाले इस ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड में योनि के माध्यम से महिला के प्रजनन अंगों जैसे गर्भाशय, अंडाशय व फैलोपियन ट्यूब आदि की स्थिति का परीक्षण किया जाता है। इस अल्ट्रासाउंड को करने के दौरान इस्तेमाल होने वाले छोटे उपकरण को योनि के अंदर रखा जाता है (4)।

पेल्विक अल्ट्रासाउंड (Pelvic Ultrasound)

इसे ट्रांसएब्डॉमिनल (Transabdominal) अल्ट्रासाउंड भी कहते हैं। इस अल्ट्रासाउंड में पेल्विक यानी गर्भ के अंगों की जांच की जाती है। इस टेस्ट को करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले पेट पर एक जेल लगाते हैं, फिर उसी के ऊपर ट्रांसड्यूसर रखकर, पेट के अलग-अलग हिस्सों पर घुमाते हैं और गर्भाशय की जांच करते हैं (5)।

3डी अल्ट्रासाउंड (3D Ultrasound)

ऊपर बताए गए दोनों ही तरह के अल्ट्रासाउंड को एक तरह से 2डी अल्ट्रासाउंड माना जाता है। वहीं, 3डी अल्ट्रासाउंड इस दोनों ही प्रकार से काफी भिन्न हैं। 3डी अल्ट्रासाउंड में गर्भ में पल रहे भ्रूण की छवि को देखा जा सकता है। यह अल्ट्रासाउंड भ्रूण के शारीरिक अंगों की लंबाई, चौड़ाई और बनावट को दिखा सकता है (6)। डॉक्टर गर्भ में शिशु का विकास सामान्य है या नहीं, इसका पता 3डी अल्ट्रासाउंड की मदद से लगा सकते हैं।

4डी अल्ट्रासाउंड (4D Ultrasound)

3डी अल्ट्रासाउंड की ही तरह 4डी अल्ट्रासाउंड भी भ्रूण की शारीरिक विकृतियों को बता सकता है। इसका इस्तेमाल गर्भावस्था के पहले चरण से भी किया जा सकता है (7)। बस फर्क इतना है कि 3डी जहां चित्रों को पर्दशित करता है, वहीं 4डी में भ्रूण का गतिशील वीडियो बनता है। एक तरह से 4डी अल्ट्रासाउंड के जरिए गर्भ में भ्रूण की हलचल का वीडियो देखा जा सकता है (8)।

फेटल इकोकार्डियोग्राफी (Fetal Echocardiography)

यह भी एक तरह का अल्ट्रासाउंड है, जिसे अक्सर गर्भावस्था की दूसरी तिमाही यानी 18वें से 24वें सप्ताह के दौरान किया जाता है। यह परीक्षण गर्भ में शिशु के दिल का मूल्यांकन करता है। अगर भ्रूण को दिल से जुड़ी कोई समस्या है, तो इस परीक्षण के जरिए उसका पता गर्भ से ही लगाया जा सकता है (9)।

डॉपलर अल्ट्रासाउंड (Doppler Ultrasound)

इस तरह के इमेजिंग टेस्ट में रक्त वाहिकाओं का परीक्षण किया जाता है, जो गर्भवती व उसके अजन्मे बच्चे में सामान्य रक्त प्रवाह की जांच करता है। इसके कई अन्य प्रकार भी हैं, जिनका इस्तेमाल रक्त वाहिकाओं से जुड़े विभिन्न परिक्षणों को लिए किया जाता है। खासतौर पर यह परीक्षण खराब हुए, कम हो रहे या बंद हो गई खून की नसों की जांच करता है। इसके अलावा, इसका इस्तेमाल हृदय रोगों का निदान करने के लिए भी होता है (10)।

प्रेगनेंसी में अल्ट्रासाउंड क्यों कराना चाहिए, यह भी पढ़ें।
गर्भावस्था में सोनोग्राफी क्यों जरूरी है?

गर्भावस्था के किसी भी चरण में सोनोग्राफी या अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है। खासकर, गर्भावस्था के 18वें से 20वें सप्ताह के बीच। इस दौरान गर्भ में भ्रूण का काफी हद तक विकास हो जाता है, जिससे अल्ट्रासाउंड के जरिए शिशु के लिंग, उसकी शारीरिक बनावट व विकास को समझा जा सकता है (11)। आगे गर्भावस्था में प्रत्येक चरणों के अनुसार अल्ट्रासाउंड क्यों जरूरी है, यह नीचे बताया गया है (12)।
1. गर्भावस्था की पहली तिमाही (पहले सप्ताह से 12वें सप्ताह का समय)

गर्भ के अंदर भ्रूण की स्थिति का पता लगाने के लिए।

भ्रूण फैलोपियन ट्यूब के अंदर है या नहीं, इसकी पुष्टि करने के लिए।

भ्रूण की संख्या यानी सिंगल, ट्वीन्स या उससे अधिक भ्रूण की प्रेगनेंसी का पता करने के लिए।

गर्भ में भ्रूण की आयु की गणना करने के लिए।

बायोफिजिकल प्रोफाइल (Biophysical Profile) यानी गर्भ में भ्रूण के स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य स्थितियों का पता लगाने के लिए (11)।

2. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही (12वें – 24वें सप्ताह का समय)

इस दौरान खासतौर पर 18वें से 20वें सप्ताह के बीच अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है।

यह भ्रूण की शारीरिक संरचनाओं जैसे कि रीढ़, मस्तिष्क और आंतरिक अंगों व अन्य अंगों के विकास की जांच करता है।

मां के प्लेसेंटा का आकार और स्थान की भी जांच करता है।

भ्रूण के लिंग की जानकारी मिलती है।

3. गर्भावस्था की तीसरी तिमाही (24वें – 40वें सप्ताह का समय)

तीसरी तीमाही में खासतौर पर 30 वें सप्ताह के बाद अल्ट्रासाउंड किया जाता है।

गर्भ में बच्चा सामान्य दर से बढ़ रहा है या नहीं, इसका पता लगता है।

प्लेसेंटा के स्थान की जांच करने के लिए।

गर्भाशय ग्रीवा में किसी तरह का अवरोध नहीं है, इसकी पुष्टि होती है।

आगे हम गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड करवाने के फायदे भी बता रहे हैं।
गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड करवाने के फायदे

प्रेगनेंसी में अल्ट्रासाउंड करवाने के फायदे कई हैं, जिनके बारे में आप नीचे पढ़ेंगे।

भ्रूण के स्वास्थ्य का पता लगाना – अल्ट्रासाउंड के जरिए गर्भावस्था के दौरान बच्चे के विकास की जांच की जा सकती है। इसके परिणामों से बच्चे में डाउन सिंड्रोम जैसी किसी भी असामान्यता का पता लगाया जा सकता है (12)।

भ्रूण के शारीरिक विकास की निगरानी रखना – गर्भ में शिशु का शारीरिक विकास सामान्य है या नहीं, इस पर नजर रखने के लिए गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड कराना फायदेमंद है (12)।

भ्रूण का स्थान – भ्रूण मां के गर्भ में ही पल रहा है या नहीं, इसका भी पता अल्ट्रासाउंड के जरिए लगाया जा सकता है (12)। अगर भ्रूण मां के गर्भ से बाहर या फैलोपियन ट्यूब में विकसित होता है, तो मेडिकल टर्म में उसे एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ectopic Pregnancy) कहते हैं (13)।

गर्भाशय व प्लेसेंटा की निगरानी करना – गर्भवती महिला के गर्भाशय व प्लेसेंटा के स्वास्थ्य की निगरानी करने के लिए भी अल्ट्रासाउंड करना महत्वपूर्ण माना जाता है (12)।

दर्द रहिव व सुरक्षित तकनीक – इतना ही नहीं, अल्ट्रासाउंड के दौरान गर्भवती महिला या गर्भ में पल रहे शिशु को किसी तरह के दर्द का अनुभव नहीं होता। इस दौरान महिला को किसी तरह के इंजेक्शन, रेडिएशन या चीरा लगाने की जरूरत भी नहीं (12)।

दिल का स्वास्थ्य समझना – गर्भावस्था के दौरान मां के साथ ही भ्रूण के दिल की धड़कन को देखने और सुनने के लिए इस्तेमाल किया जाता है (8)।

अजन्मे बच्चे की छवि देखना – 3डी व 4डी अल्ट्रासाउंड के जरिए माता-पिता गर्भ में पल रहे अपने अजन्मे बच्चे की शारीरिक छवि व रूप के साथ ही उसकी हलचलों को भी देख सकते हैं (8)।

तत्काल परिणाम जानना – अन्य तरह के परीक्षण की तरह अल्ट्रासाउंड के परिणाम जानने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता। अल्ट्रासाउंड के परिणाम तुरंत देखे जाते हैं (14)

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
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