प्रेग्नेंट होने के बाद क्या पीरियड आता है?pregnancytips.in

Posted on Wed 27th Feb 2019 : 17:07

प्रेगनेंट होने पर पीरियड्स आने का क्‍या मतलब होता है

पीरियड्स के दौरान गर्भाशय की लाइनिंग गिर जाती है जबकि प्रेगनेंसी में यही लाइनिंग बनी रहती है। जब महिलाओं को गर्भावस्‍था के दौरान यूट्राइन ब्‍लीडिंग होती है तो यह पीरियड्स की वजह से नहीं होगा।

pregnancy and bleeding
प्रेगनेंट होने पर ओवुलेशन नहीं होता है और न ही पीरियड आते हैं। पीरियड्स तभी आते हैं जब आप प्रेगनेंट नहीं होती हैं।
हालांकि, प्रेगनेंसी के दौरान थोड़ी ब्‍लीडिंग महसूस हो सकती है, लेकिन यह मासिक चक्र की वजह से नहीं होगा।


कुछ महिलाओं को तो स्‍तनपानी करवाने के दौरान भी पीरियड्स नहीं आते हैं। हालांकि, ये डिलीवरी के तुरंत बाद ओवुलेट करना शुरू कर सकती हैं। इसलिए डॉक्‍टर स्‍तनपान करवाने वाली महिला के प्रेगनेंसी न चाहने पर किसी न किसी गर्भ निरोधक के इस्‍तेमाल की सलाह दे सकते हैं।

मासिक चक्र प्रेगनेंसी के लिए ही होता है और इसका चक्र पीरियड के पहले दिन से शुरू होता है और अगले पीरियड के पहले दिन पर खत्‍म होता है।
प्रेगनेंसी में बार-बार पेशाब क्‍यों आता है और कैसे इसे कर सकती हैं कंट्रोल

bacterial-vaginosis2

बार-बार पेशाब आना गर्भावस्‍था का सबसे शुरुआती और आम लक्षण है। गर्भावस्‍था की पहली तिमाही के शुरुआती कुछ हफ्तों में ही यह प्रॉब्‍लम शुरू हो जाती है और अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्‍था के आखिरी हफ्तों तक इससे परेशानी होती है।
-

अक्‍सर प्रेगनेंसी हार्मोंस की वजह से प्रेगनेंट महिलाओं को बार-बार पेशाब आने की दिक्‍कत होती है। इस दौरान पूरे शरीर में रक्‍त प्रवाह ज्‍यादा और अधिक तेजी से होता है। हार्मोनल बदलाव किडनी में तेजी से रक्‍त संचार करते हैं जिससे मूत्राशय जल्‍दी भर जाता है और प्रेगनेंट महिला को बार-बार पेशाब आता है।

गर्भावस्‍था के नौ महीनों के दौरान पहले ही तुलना में पचास पर्सेंट अधिक रक्‍त संचार होता है जिससे ब्‍लड वॉल्‍यूम भी बढ़ जाता है। इसका मतलब है कि किडनी को ज्‍यादा फ्लूइड प्रोसेस करना पड़ रहा है जो सीधा मूत्राशय में जा रहा है।

वहीं, प्रेगनेंसी में गर्भाशय बढ़ने से मूत्राशय पर दबाव पड़ता है जिससे पेशाब रोक पाने की क्षमता कमजोर हो जाती है।


-

ऐसा नहीं है कि हर प्रेगनेंट महिला को एक ही समय के गैप में पेशाब आए। मतलब है कि जरूरी नहीं है कि हर गर्भवती महिला को हर आधे या एक घंटे में पेशाब आए। किसी को आधे तो किसी को एक घंटे के गैप में पेशाब आ सकता है।

कुछ महिलाओं को पूरे नौ महीने बार-बार पेशाब आने की शिकायत रहती है तो कुछ को यह परेशानी होती ही नहीं है। वहीं, गर्भावस्‍था की दूसरी तिमाही में यह समस्‍या कम हो सकती है और गर्भाशय बढ़ने के कारण प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में दिक्‍कत बहुत बढ़ सकती है।

गर्भावस्‍था में मूत्र मार्ग में संक्रमण होना आम बात है और इसकी वजह से भी प्रेगनेंट महिला को बार-बार पेशाब आने की दिक्‍कत हो सकती है।
-

प्रेगनेंसी में बार-बार पेशाब आना एक सामान्‍य लक्षण है। यहां तक कि डिलीवरी के बाद भी कुछ महिलाओं को यह दिक्‍कत होती है। डिलीवरी के बाद पहले कुछ दिनों तक यह परेशानी कम नहीं होती है। डिलीवरी के बाद शरीर में जमा अतिरिक्‍त फ्लूइड के निकलने के बाद ही महिलाओं को इस परेशानी से राहत मिलती है।


-

यह प्रेगनेंसी का एक सामान्‍य लक्षण है जिसे किसी इलाज की जरूरत नहीं है लेकिन अगर इस समस्‍या के साथ कुछ लक्षण दिख रहे हैं तो इलाज करवाना जरूरी है। इंफेक्‍शन होने पर डॉक्‍टर एंटीबायोटिक लिख सकते हैं। बार-बार पेशाब आने से रोकने के लिए कैफीन वाले ड्रिंक न पिएं। मूत्राशय की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए पेल्विक एक्‍सरसाइज जरूर करें।


जब ओवरी एग रिलीज करती है तो इस साइकिल के बीच में ओवुलेशन होता है। ओवुलेट करने के बाद लगभग 12 से 24 घंटे तक एग मौजूद रहता है। यदि स्‍पर्म कोशिका ओवरी में मौजूद रहे और एग को फर्टिलाइज कर दे तो एग तो अपने आप ही गर्भाशय में इंप्‍लांट हो जाता है और प्रेगनेंसी शुरू होती है।
इस प्रक्रिया में एग के फर्टिलाइज न होने पर मासिक चक्र शुरू होता है और शरीर यूट्राइन लाइनिंग को गिरा देता है।

गर्भावस्‍था में ब्‍लीडिंग के अन्‍य कारण
गर्भवती महिला को पीरियड्स नहीं आते हैं, लेकिन फिर भी उन्‍हें हल्‍की ब्‍लीडिंग हो सकती है। ऐसा जरूरी नहीं है कि प्रेगनेंसी में ब्‍लीडिंग किसी दिक्‍कत का संकेत हो। आपको प्रेगनेंसी में ब्‍लीडिंग का कारण पता करके डॉक्‍टर से इस बारे में बात करनी चाहिए।
प्रेगनेंसी में बार-बार पेशाब क्‍यों आता है और कैसे इसे कर सकती हैं कंट्रोल

bacterial-vaginosis2

बार-बार पेशाब आना गर्भावस्‍था का सबसे शुरुआती और आम लक्षण है। गर्भावस्‍था की पहली तिमाही के शुरुआती कुछ हफ्तों में ही यह प्रॉब्‍लम शुरू हो जाती है और अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्‍था के आखिरी हफ्तों तक इससे परेशानी होती है।
-

अक्‍सर प्रेगनेंसी हार्मोंस की वजह से प्रेगनेंट महिलाओं को बार-बार पेशाब आने की दिक्‍कत होती है। इस दौरान पूरे शरीर में रक्‍त प्रवाह ज्‍यादा और अधिक तेजी से होता है। हार्मोनल बदलाव किडनी में तेजी से रक्‍त संचार करते हैं जिससे मूत्राशय जल्‍दी भर जाता है और प्रेगनेंट महिला को बार-बार पेशाब आता है।

गर्भावस्‍था के नौ महीनों के दौरान पहले ही तुलना में पचास पर्सेंट अधिक रक्‍त संचार होता है जिससे ब्‍लड वॉल्‍यूम भी बढ़ जाता है। इसका मतलब है कि किडनी को ज्‍यादा फ्लूइड प्रोसेस करना पड़ रहा है जो सीधा मूत्राशय में जा रहा है।

वहीं, प्रेगनेंसी में गर्भाशय बढ़ने से मूत्राशय पर दबाव पड़ता है जिससे पेशाब रोक पाने की क्षमता कमजोर हो जाती है।


-

ऐसा नहीं है कि हर प्रेगनेंट महिला को एक ही समय के गैप में पेशाब आए। मतलब है कि जरूरी नहीं है कि हर गर्भवती महिला को हर आधे या एक घंटे में पेशाब आए। किसी को आधे तो किसी को एक घंटे के गैप में पेशाब आ सकता है।

कुछ महिलाओं को पूरे नौ महीने बार-बार पेशाब आने की शिकायत रहती है तो कुछ को यह परेशानी होती ही नहीं है। वहीं, गर्भावस्‍था की दूसरी तिमाही में यह समस्‍या कम हो सकती है और गर्भाशय बढ़ने के कारण प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में दिक्‍कत बहुत बढ़ सकती है।

गर्भावस्‍था में मूत्र मार्ग में संक्रमण होना आम बात है और इसकी वजह से भी प्रेगनेंट महिला को बार-बार पेशाब आने की दिक्‍कत हो सकती है।
-

प्रेगनेंसी में बार-बार पेशाब आना एक सामान्‍य लक्षण है। यहां तक कि डिलीवरी के बाद भी कुछ महिलाओं को यह दिक्‍कत होती है। डिलीवरी के बाद पहले कुछ दिनों तक यह परेशानी कम नहीं होती है। डिलीवरी के बाद शरीर में जमा अतिरिक्‍त फ्लूइड के निकलने के बाद ही महिलाओं को इस परेशानी से राहत मिलती है।


-

यह प्रेगनेंसी का एक सामान्‍य लक्षण है जिसे किसी इलाज की जरूरत नहीं है लेकिन अगर इस समस्‍या के साथ कुछ लक्षण दिख रहे हैं तो इलाज करवाना जरूरी है। इंफेक्‍शन होने पर डॉक्‍टर एंटीबायोटिक लिख सकते हैं। बार-बार पेशाब आने से रोकने के लिए कैफीन वाले ड्रिंक न पिएं। मूत्राशय की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए पेल्विक एक्‍सरसाइज जरूर करें।


प्रेगनेंसी की पहली तिमाही
गर्भावस्‍था की पहली तिमाही में ब्‍लीडिंग होने की संभावना ज्‍यादा होती है। गर्भाशय में प्‍लेसेंटा के इंप्‍लांट होने पर हल्‍की स्‍पॉटिंग हो सकती है। गर्भावस्‍था के दौरान सर्विकल कोशिकाओं में बदलाव भी महसूस हो सकता है जिसकी वजह से हल्‍की ब्‍लीडिंग हो सकती है, खासतौर पर सेक्‍स के बाद।

पहली तिमाही में ब्‍लीडिंग होने के अन्‍य कारणों में एक्‍टोपिक प्रेगनेंसी, संक्रमण, मिसकैरेज, सबकोरिओनिक हैमरेज (जिसमें यूट्राइन की दीवार और प्‍लेसेंटा के बीच में ब्‍लीडिंग होती है), जेस्‍टेशनल ट्रोफोब्‍लास्टिक डिजीज शामिल हैं।
प्रेगनेंसी में बार-बार पेशाब क्‍यों आता है और कैसे इसे कर सकती हैं कंट्रोल

bacterial-vaginosis2

बार-बार पेशाब आना गर्भावस्‍था का सबसे शुरुआती और आम लक्षण है। गर्भावस्‍था की पहली तिमाही के शुरुआती कुछ हफ्तों में ही यह प्रॉब्‍लम शुरू हो जाती है और अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्‍था के आखिरी हफ्तों तक इससे परेशानी होती है।
-

अक्‍सर प्रेगनेंसी हार्मोंस की वजह से प्रेगनेंट महिलाओं को बार-बार पेशाब आने की दिक्‍कत होती है। इस दौरान पूरे शरीर में रक्‍त प्रवाह ज्‍यादा और अधिक तेजी से होता है। हार्मोनल बदलाव किडनी में तेजी से रक्‍त संचार करते हैं जिससे मूत्राशय जल्‍दी भर जाता है और प्रेगनेंट महिला को बार-बार पेशाब आता है।

गर्भावस्‍था के नौ महीनों के दौरान पहले ही तुलना में पचास पर्सेंट अधिक रक्‍त संचार होता है जिससे ब्‍लड वॉल्‍यूम भी बढ़ जाता है। इसका मतलब है कि किडनी को ज्‍यादा फ्लूइड प्रोसेस करना पड़ रहा है जो सीधा मूत्राशय में जा रहा है।

वहीं, प्रेगनेंसी में गर्भाशय बढ़ने से मूत्राशय पर दबाव पड़ता है जिससे पेशाब रोक पाने की क्षमता कमजोर हो जाती है।

-

ऐसा नहीं है कि हर प्रेगनेंट महिला को एक ही समय के गैप में पेशाब आए। मतलब है कि जरूरी नहीं है कि हर गर्भवती महिला को हर आधे या एक घंटे में पेशाब आए। किसी को आधे तो किसी को एक घंटे के गैप में पेशाब आ सकता है।

कुछ महिलाओं को पूरे नौ महीने बार-बार पेशाब आने की शिकायत रहती है तो कुछ को यह परेशानी होती ही नहीं है। वहीं, गर्भावस्‍था की दूसरी तिमाही में यह समस्‍या कम हो सकती है और गर्भाशय बढ़ने के कारण प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में दिक्‍कत बहुत बढ़ सकती है।

गर्भावस्‍था में मूत्र मार्ग में संक्रमण होना आम बात है और इसकी वजह से भी प्रेगनेंट महिला को बार-बार पेशाब आने की दिक्‍कत हो सकती है।
-

प्रेगनेंसी में बार-बार पेशाब आना एक सामान्‍य लक्षण है। यहां तक कि डिलीवरी के बाद भी कुछ महिलाओं को यह दिक्‍कत होती है। डिलीवरी के बाद पहले कुछ दिनों तक यह परेशानी कम नहीं होती है। डिलीवरी के बाद शरीर में जमा अतिरिक्‍त फ्लूइड के निकलने के बाद ही महिलाओं को इस परेशानी से राहत मिलती है।

-

यह प्रेगनेंसी का एक सामान्‍य लक्षण है जिसे किसी इलाज की जरूरत नहीं है लेकिन अगर इस समस्‍या के साथ कुछ लक्षण दिख रहे हैं तो इलाज करवाना जरूरी है। इंफेक्‍शन होने पर डॉक्‍टर एंटीबायोटिक लिख सकते हैं। बार-बार पेशाब आने से रोकने के लिए कैफीन वाले ड्रिंक न पिएं। मूत्राशय की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए पेल्विक एक्‍सरसाइज जरूर करें।


प्रेगनेंसी के 20 सप्‍ताह के बाद
गर्भावस्‍था की पहली तिमाही के बाद निम्‍न कारणों से ब्‍लीडिंग हो सकती है :

सर्विकल एग्‍जामिनेशन : किसी भी तरह की समस्‍या की जांच के लिए डॉक्‍टर गर्भाशय ग्रीवा की जांच करेंगे। इस प्रक्रिया की वजह से हल्‍की ब्‍लीडिंग हो सकती है।
प्‍लेसेंटा प्रीविया : जब प्‍लेसेंटा गर्भाशय ग्रीवा के खुलने वाली जगह पर या इसके पास ही इंप्‍लांट हो जाती है तो प्‍लेसेंटा प्रीविया की स्थिति उत्‍पन्‍न होती है।
प्रीटर्म लेबर : प्रसव के दौरान गर्भाशय ग्रीवा चौड़ी होता है और शिशु को नीचे लाने के लिए गर्भाशय सिकुड़ने लगता है। इससे थोड़ी ब्‍लीडिंग हो सकती है।
सेक्‍स : डॉक्‍टर की सलाह पर आप प्रेगनेंसी में सेक्‍स कर सकती हैं। योनि और गर्भाशय ग्रीवा के ऊतकों में अधिक सेंसिटविटी होने की वजह से थोड़ी ब्‍लीडिंग और स्‍पॉटिंग महसूस हो सकती है।
यूट्राइन रप्‍चर : प्रसव के दौरान गर्भाशय के छिलने पर ऐसा होता है। ऐसा दुर्लभ ही होता है।
प्‍लेसेंटा एब्‍रप्‍शन : इसमें प्‍लेसेंटा शिशु के जन्‍म से पहले ही गर्भाशय से अलग होना शुरू कर देता है।

यदि महिला को प्रेगनेंसी के किसी भी सप्‍ताह या महीने में ब्‍लीडिंग हो रही है तो खून का रंग, मात्रा और गाढ़ापन नोट करके डॉक्‍टर को बताए।

solved 5
wordpress 5 years ago 5 Answer
--------------------------- ---------------------------
+22

Author -> Poster Name

Short info