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प्रेगनेंट होने पर ओवुलेशन नहीं होता है और न ही पीरियड आते हैं। पीरियड्स तभी आते हैं जब आप प्रेगनेंट नहीं होती हैं।
हालांकि, प्रेगनेंसी के दौरान थोड़ी ब्लीडिंग महसूस हो सकती है, लेकिन यह मासिक चक्र की वजह से नहीं होगा।
कुछ महिलाओं को तो स्तनपानी करवाने के दौरान भी पीरियड्स नहीं आते हैं। हालांकि, ये डिलीवरी के तुरंत बाद ओवुलेट करना शुरू कर सकती हैं। इसलिए डॉक्टर स्तनपान करवाने वाली महिला के प्रेगनेंसी न चाहने पर किसी न किसी गर्भ निरोधक के इस्तेमाल की सलाह दे सकते हैं।
मासिक चक्र प्रेगनेंसी के लिए ही होता है और इसका चक्र पीरियड के पहले दिन से शुरू होता है और अगले पीरियड के पहले दिन पर खत्म होता है।
मां और बच्चे के लिए खतरनाक हैं प्रेगनेंसी में मिलने वाले ये संकेत
वैसे तो प्रेगनेंसी के दौरान पेट में हल्की ऐंठन होना आम बात है लेकिन अगर तेज कॉन्ट्रैक्शन यानी संकुचन महसूस हो रहा है तो यह गंभीर समस्या हो सकती है। डिलीवरी डेट से काफी समय पहले बार बार या दर्दभरी कॉन्ट्रैक्शन होना प्रीमैच्योर लेबर का संकेत हो सकता है।
इस बारे में तुरंत डॉक्टर को बताएं। डिलीवरी से कुछ दिनों पहले ही फॉल्स लेबर पेन भी होने लगता है जिसे महिलाएं समझ नहीं पाती हैं। अगर ये कॉन्ट्रैक्शन बहुत ज्यादा हो रही है तो इसे नजरअंदाज करना मां और बच्चे दोनों के लिए सही नहीं है।
कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआती दिनों ब्लीडिंग की शिकायत होती है जोकि नॉर्मल बात है। इसे इंप्लांटेशन ब्लीडिंग भी कहा जाता है। अगर प्रेगनेंट महिला को खासतौर पर प्रेगनेंसी के आखिरी दिनों में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है तो इसे हल्के में न लें।
जिन महिलाओं में प्लेसेंटा गलत जगह पर होता है, उनमें इस तरह की ब्लीडिंग का खतरा अधिक होता है। ये मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक होता है।
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गर्भावस्था के समय में वैजाइनल डिस्चार्ज होना सामान्य बात है लेकिन पतला फ्लूइड निकलना खतरनाक हो सकता है। आमतौर पर यह पानी की थैली फटने का संकेत हो सकता है और ऐसा डिलीवरी डेट से कुछ दिन पहले होता है। ऐसी स्थिति में प्रेगनेंसी पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है।
गर्भ में शिशु के आसपास एमनिओटिक फ्लूइड होता है तो शिशु को सुरक्षा प्रदान करता है। इसी एमनिओटिक फ्लूइड को पानी की थैली कहा जाता है। शिशु के विकास के लिए यह बहुत जरूरी होता है। यदि समय से पहले पानी की थैली फट जाए तो कोई गंभीर जटिलता पैदा हो सकती है।
प्रेगनेंसी के आखिरी दो महीनों में चक्कर आने और आंखों से धुंधला दिखाई दे सकता है। अगर आपको फोकस करने में दिक्कत आ रही है या धुंधला दिखाई दे रहा है तो तुरंत डॉक्टर को बताएं। डायबिटीज से ग्रस्त प्रेगनेंट महिलाओं के लिए खासतौर पर दिक्कत हो सकती है।
प्रेगनेंसी के दिनों में हाथ पैरों या अन्य अंगों में सूजन होना आम बात है लेकिन अगर सूजन वाली जगह पर दर्द हो या उस पर लालिमा और रैशेज आ जाए तो यह चिंता की बात हो सकती है।
खून का थक्का जमने के कारण ऐसा हो सकता है इसलिए अपनी स्किन पर बारीकी से नजर रखें। हाथ या पैर में दर्दभरी सूजन आए तो तुरंत डॉक्टर को बताएं।
जब ओवरी एग रिलीज करती है तो इस साइकिल के बीच में ओवुलेशन होता है। ओवुलेट करने के बाद लगभग 12 से 24 घंटे तक एग मौजूद रहता है। यदि स्पर्म कोशिका ओवरी में मौजूद रहे और एग को फर्टिलाइज कर दे तो एग तो अपने आप ही गर्भाशय में इंप्लांट हो जाता है और प्रेगनेंसी शुरू होती है।
इस प्रक्रिया में एग के फर्टिलाइज न होने पर मासिक चक्र शुरू होता है और शरीर यूट्राइन लाइनिंग को गिरा देता है।
गर्भावस्था में ब्लीडिंग के अन्य कारण
गर्भवती महिला को पीरियड्स नहीं आते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें हल्की ब्लीडिंग हो सकती है। ऐसा जरूरी नहीं है कि प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग किसी दिक्कत का संकेत हो। आपको प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग का कारण पता करके डॉक्टर से इस बारे में बात करनी चाहिए।
मां और बच्चे के लिए खतरनाक हैं प्रेगनेंसी में मिलने वाले ये संके
वैसे तो प्रेगनेंसी के दौरान पेट में हल्की ऐंठन होना आम बात है लेकिन अगर तेज कॉन्ट्रैक्शन यानी संकुचन महसूस हो रहा है तो यह गंभीर समस्या हो सकती है। डिलीवरी डेट से काफी समय पहले बार बार या दर्दभरी कॉन्ट्रैक्शन होना प्रीमैच्योर लेबर का संकेत हो सकता है।
इस बारे में तुरंत डॉक्टर को बताएं। डिलीवरी से कुछ दिनों पहले ही फॉल्स लेबर पेन भी होने लगता है जिसे महिलाएं समझ नहीं पाती हैं। अगर ये कॉन्ट्रैक्शन बहुत ज्यादा हो रही है तो इसे नजरअंदाज करना मां और बच्चे दोनों के लिए सही नहीं है।
कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआती दिनों ब्लीडिंग की शिकायत होती है जोकि नॉर्मल बात है। इसे इंप्लांटेशन ब्लीडिंग भी कहा जाता है। अगर प्रेगनेंट महिला को खासतौर पर प्रेगनेंसी के आखिरी दिनों में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है तो इसे हल्के में न लें।
जिन महिलाओं में प्लेसेंटा गलत जगह पर होता है, उनमें इस तरह की ब्लीडिंग का खतरा अधिक होता है। ये मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक होता है।
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गर्भावस्था के समय में वैजाइनल डिस्चार्ज होना सामान्य बात है लेकिन पतला फ्लूइड निकलना खतरनाक हो सकता है। आमतौर पर यह पानी की थैली फटने का संकेत हो सकता है और ऐसा डिलीवरी डेट से कुछ दिन पहले होता है। ऐसी स्थिति में प्रेगनेंसी पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है।
गर्भ में शिशु के आसपास एमनिओटिक फ्लूइड होता है तो शिशु को सुरक्षा प्रदान करता है। इसी एमनिओटिक फ्लूइड को पानी की थैली कहा जाता है। शिशु के विकास के लिए यह बहुत जरूरी होता है। यदि समय से पहले पानी की थैली फट जाए तो कोई गंभीर जटिलता पैदा हो सकती है।
प्रेगनेंसी के आखिरी दो महीनों में चक्कर आने और आंखों से धुंधला दिखाई दे सकता है। अगर आपको फोकस करने में दिक्कत आ रही है या धुंधला दिखाई दे रहा है तो तुरंत डॉक्टर को बताएं। डायबिटीज से ग्रस्त प्रेगनेंट महिलाओं के लिए खासतौर पर दिक्कत हो सकती है।
प्रेगनेंसी के दिनों में हाथ पैरों या अन्य अंगों में सूजन होना आम बात है लेकिन अगर सूजन वाली जगह पर दर्द हो या उस पर लालिमा और रैशेज आ जाए तो यह चिंता की बात हो सकती है।
खून का थक्का जमने के कारण ऐसा हो सकता है इसलिए अपनी स्किन पर बारीकी से नजर रखें। हाथ या पैर में दर्दभरी सूजन आए तो तुरंत डॉक्टर को बताएं।
प्रेगनेंसी की पहली तिमाही
गर्भावस्था की पहली तिमाही में ब्लीडिंग होने की संभावना ज्यादा होती है। गर्भाशय में प्लेसेंटा के इंप्लांट होने पर हल्की स्पॉटिंग हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान सर्विकल कोशिकाओं में बदलाव भी महसूस हो सकता है जिसकी वजह से हल्की ब्लीडिंग हो सकती है, खासतौर पर सेक्स के बाद।
पहली तिमाही में ब्लीडिंग होने के अन्य कारणों में एक्टोपिक प्रेगनेंसी, संक्रमण, मिसकैरेज, सबकोरिओनिक हैमरेज (जिसमें यूट्राइन की दीवार और प्लेसेंटा के बीच में ब्लीडिंग होती है), जेस्टेशनल ट्रोफोब्लास्टिक डिजीज शामिल हैं।
मां और बच्चे के लिए खतरनाक हैं प्रेगनेंसी में मिलने वाले ये संकेत
वैसे तो प्रेगनेंसी के दौरान पेट में हल्की ऐंठन होना आम बात है लेकिन अगर तेज कॉन्ट्रैक्शन यानी संकुचन महसूस हो रहा है तो यह गंभीर समस्या हो सकती है। डिलीवरी डेट से काफी समय पहले बार बार या दर्दभरी कॉन्ट्रैक्शन होना प्रीमैच्योर लेबर का संकेत हो सकता है।
इस बारे में तुरंत डॉक्टर को बताएं। डिलीवरी से कुछ दिनों पहले ही फॉल्स लेबर पेन भी होने लगता है जिसे महिलाएं समझ नहीं पाती हैं। अगर ये कॉन्ट्रैक्शन बहुत ज्यादा हो रही है तो इसे नजरअंदाज करना मां और बच्चे दोनों के लिए सही नहीं है।
- कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआती दिनों ब्लीडिंग की शिकायत होती है जोकि नॉर्मल बात है। इसे इंप्लांटेशन ब्लीडिंग भी कहा जाता है। अगर प्रेगनेंट महिला को खासतौर पर प्रेगनेंसी के आखिरी दिनों में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है तो इसे हल्के में न लें।
जिन महिलाओं में प्लेसेंटा गलत जगह पर होता है, उनमें इस तरह की ब्लीडिंग का खतरा अधिक होता है। ये मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक होता है।
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गर्भावस्था के समय में वैजाइनल डिस्चार्ज होना सामान्य बात है लेकिन पतला फ्लूइड निकलना खतरनाक हो सकता है। आमतौर पर यह पानी की थैली फटने का संकेत हो सकता है और ऐसा डिलीवरी डेट से कुछ दिन पहले होता है। ऐसी स्थिति में प्रेगनेंसी पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है।
गर्भ में शिशु के आसपास एमनिओटिक फ्लूइड होता है तो शिशु को सुरक्षा प्रदान करता है। इसी एमनिओटिक फ्लूइड को पानी की थैली कहा जाता है। शिशु के विकास के लिए यह बहुत जरूरी होता है। यदि समय से पहले पानी की थैली फट जाए तो कोई गंभीर जटिलता पैदा हो सकती है।
प्रेगनेंसी के आखिरी दो महीनों में चक्कर आने और आंखों से धुंधला दिखाई दे सकता है। अगर आपको फोकस करने में दिक्कत आ रही है या धुंधला दिखाई दे रहा है तो तुरंत डॉक्टर को बताएं। डायबिटीज से ग्रस्त प्रेगनेंट महिलाओं के लिए खासतौर पर दिक्कत हो सकती है।
प्रेगनेंसी के दिनों में हाथ पैरों या अन्य अंगों में सूजन होना आम बात है लेकिन अगर सूजन वाली जगह पर दर्द हो या उस पर लालिमा और रैशेज आ जाए तो यह चिंता की बात हो सकती है।
खून का थक्का जमने के कारण ऐसा हो सकता है इसलिए अपनी स्किन पर बारीकी से नजर रखें। हाथ या पैर में दर्दभरी सूजन आए तो तुरंत डॉक्टर को बताएं।
प्रेगनेंसी के 20 सप्ताह के बाद
गर्भावस्था की पहली तिमाही के बाद निम्न कारणों से ब्लीडिंग हो सकती है :
सर्विकल एग्जामिनेशन : किसी भी तरह की समस्या की जांच के लिए डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा की जांच करेंगे। इस प्रक्रिया की वजह से हल्की ब्लीडिंग हो सकती है।
प्लेसेंटा प्रीविया : जब प्लेसेंटा गर्भाशय ग्रीवा के खुलने वाली जगह पर या इसके पास ही इंप्लांट हो जाती है तो प्लेसेंटा प्रीविया की स्थिति उत्पन्न होती है।
प्रीटर्म लेबर : प्रसव के दौरान गर्भाशय ग्रीवा चौड़ी होता है और शिशु को नीचे लाने के लिए गर्भाशय सिकुड़ने लगता है। इससे थोड़ी ब्लीडिंग हो सकती है।
सेक्स : डॉक्टर की सलाह पर आप प्रेगनेंसी में सेक्स कर सकती हैं। योनि और गर्भाशय ग्रीवा के ऊतकों में अधिक सेंसिटविटी होने की वजह से थोड़ी ब्लीडिंग और स्पॉटिंग महसूस हो सकती है।
यूट्राइन रप्चर : प्रसव के दौरान गर्भाशय के छिलने पर ऐसा होता है। ऐसा दुर्लभ ही होता है।
प्लेसेंटा एब्रप्शन : इसमें प्लेसेंटा शिशु के जन्म से पहले ही गर्भाशय से अलग होना शुरू कर देता है।
यदि महिला को प्रेगनेंसी के किसी भी सप्ताह या महीने में ब्लीडिंग हो रही है तो खून का रंग, मात्रा और गाढ़ापन नोट करके डॉक्टर को बताए।
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