प्रेग्नेंट होने के बाद सावधानियां?pregnancytips.in

Posted on Thu 25th Jul 2019 : 04:07

प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीने होते हैं बेहद खास, खानपान से लेकर रूटीन चेकअप तक ऐसे रखें ध्यान
First Trimester of Pregnancy: पहली बार मां बनने का अहसास बेहद खास और अलग होता है। सब कुछ नया महसूस करने वाली मां भीतर से थोड़ी डरी और खुश, एकसाथ दोनों चीजों का अनुभव कर रही होती है। ऐसा इसलिए,...
प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीने होते हैं बेहद खास, खानपान से लेकर रूटीन चेकअप तक ऐसे रखें ध्यान

First Trimester of Pregnancy: पहली बार मां बनने का अहसास बेहद खास और अलग होता है। सब कुछ नया महसूस करने वाली मां भीतर से थोड़ी डरी और खुश, एकसाथ दोनों चीजों का अनुभव कर रही होती है। ऐसा इसलिए, पहली बार मां बनते समय कई ऐसी जरूरी बातें होती हैं जो महिलाओं को अच्छे से नहीं पता होती हैं। लेकिन अपने और बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए हर महिला को इन बातों का पता होना बहुत जरूरी है।

प्रेग्नेंसी के नौ महीनों की गिनती आखिरी पीरियड्स के पहले दिन से की जाती है। इन 9 महीनों को तीन ट्राइमेस्टर में बांटा जाता है। डॉक्टरों की मानें तो गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीने हर महिला के लिए बेहद खास होते हैं। इस समय बरती गई थोड़ी सी सावधानी से महिला का बच्चा न तो प्रीमैच्योर होता है और न ही शारीरिक रूप से विकलांग।

आइए जानते हैं प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीने खानपान से लेकर अपने रूटीन चेकअप तक पहली बार मां बनने वाली महिला को रखना चाहिए किन बातों का ध्यान।

पहली तिमाही (फर्स्ट ट्राइमेस्टर)
9 महीनों को तीन ट्राइमेस्टर में बांटा जाता है। पहले 3 महीने फर्स्ट ट्राइमेस्टर के चरण में आते हैं। इस दौरान गर्भ में भ्रूण का विकास होना शुरू होता है। महिला का शरीर कई तरह के शारीरिक और हार्मोनल बदलावों से होकर गुजर रहा होता है। ये महीने सबसे ज्यादा चुनौती-भरे दिन भी होते हैं, इन्हीं महीनों में अबॉर्शन की आशंका सबसे ज्यादा बनी रहती है। इस दौरान डॉक्टर से पूछे बिना कोई भी दवा न लें। इस दौरान डॉक्टर से पूछे बिना ली गई दवाएं, आपके और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है। बच्चे में संरचनात्मक विकार पैदा हो सकते हैं। डॉक्टर इस समय महिलाओं को फोलिक एसिड लेने की सलाह देते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान-
डॉक्टरों की मानें तो प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में किसी भी महिला को ज्यादा भीड़भाड़, प्रदूषण और रेडिएशन वाली जगह पर जाने से बचना चाहिए। इसके अलावा ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर ट्रैवलिंग करने, लंबे समय तक खाली पेट रहने और अधिक मिर्च का सेवन करने से भी बचना चाहिए। महिलाओं को कोशिश करनी चाहिए कि वो थोडे-थोडे अंतराल पर कुछ-कुछ खाती रहें और फल, नारियल पानी या ग्लूकोज मिला पानी आदि लेती रहें।

डाइट का भी रखें ध्यान-
मॉर्निंग सिकनेस से बचने के लिए नींबू-पानी या अदरक की चाय पी जा सकती हैं। दिनभर में कम से कम 3-4 बार तरल चीजें, जैसे छाछ, नींबू-पानी, नारियल पानी, फलों का जूस या शेक का सेवन करें। ऐसा करने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है। इन तीन महीनों में बच्चे के अंग बनने शुरू हो जाते हैं। ऐसे में अपने खाने में ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक चीजों को शामिल करने की कोशिश करें।

रुटीन चेकअप्स-
-एंटीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (ब्लड ग्रुप और आरएच, हीमोग्लोबिन, ब्लड शुगर, स्क्रीनिंग फॉर इन्फेक्शंस - एचआइवी, सिफलिस, रुबेला, हेपेटाइटिस सी, हीमोग्लोबिनोपैथीज)नियमित रूप से जांच कराएं। हर 15 दिन में अपने डॉक्टर से अपना चेकअप अवश्य करवाएं।

-यूएसजी ताकि आपको अपनी डिलिवरी डेट के साथ यह भी पता चल जाए कि गर्भ में एक या उससे ज्यादा शिशु तो नहीं है।

-सातवें और बारहवें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड किया जाता है यह देखने के लिए कि होने वाले शिशु में कोई विकार तो नहीं है। बारहवें सप्ताह में डबल मार्कर ब्लड टेस्ट होता है।

Disclaimer- इस आलेख में दी गई जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।

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