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कुछ महिलाएं एक बार के प्रयास में ही प्रेग्नेंट हो जाती हैं जबकि कुछ महिलाएं काफी प्रयास के बाद कंसीव कर पाती हैं. तमाम कोशिशों के बाद भी प्रेग्नेंसी ना हो पाने से ज्यादातर महिलाएं एक तरह के दबाव में आ जाती हैं. हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि एक तय समय में सेक्स करने से प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है.
ओव्यूलेशन के बाद ही प्रेग्नेंसी संभव होती है. ओव्यूलेशन तब होता है जब महिलाओं की ओवरी से एग्स रिलीज होते हैं. ये एग स्पर्म से फर्टिलाइज होने के बाद प्रेग्नेंसी की स्थिति बनाते हैं. जब ये एग रिलीज होते हैं, अगर उस वक्त महिलाओं के फैलोपियन ट्यूब में स्पर्म मौजूद हों तो इसकी पूरी संभावना है कि एग फर्टिलाइज हो जाएगा और आप प्रेग्नेंट हो सकती हैं. हालांकि, ज्यादातर महिलाओं को ओव्यूलेशन के समय की सही जानकारी नहीं होती है.
ओव्यूलेशन के बाद कंसीव (गर्भधारण) करने के लिए लगभग 12 घंटे का समय होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि ओव्यूलेशन के बाद एक अंडे का जीवनकाल सिर्फ 24 घंटे का होता है. इसका मतलब ये है कि अगर ओव्यूलेशन के बाद 12 घंटे के अंदर अगर एग को फर्टिलाइज नहीं किया गया तो प्रेग्नेंसी की संभावना कम हो जाती है.
ओव्यूलेशन के बाद एग फर्टिलाइजेशन का समय बहुत कम होता है. प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ाने के लिए ओव्यूलेशन के समय से पहले ही शारीरिक संबंध बनाना शुरू कर देना चाहिए.
स्पर्म गर्भाशय के अंदर लगभग 72 घंटे तक जीवित रहते हैं, इसलिए ओव्यूलेट होने से तीन दिन पहले सेक्स करने से प्रेग्नेंट होने की संभावना बढ़ जाती है. ओव्यूलेशन से पहले सेक्स करते रहने से गर्भाशय में पहले से मौजूद स्पर्म एग्स के निकलते ही उन्हें फर्टिलाइज कर देता है.
अपने ओव्यूलेशन का सही समय जानने के लिए आप ओव्यूलेशन स्ट्रिप्स का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. इससे आपको पता चल सकेगा कि आप कब ओव्यूलेट करने वाली हैं. इसकी मदद से आप अपनी प्रेग्नेंसी सही तरीके से प्लान कर सकती हैं.
ओव्यूलेशन के लक्षण- पीरियड्स के आसपास का समय ओव्यूलेशन का समय होता है. ओव्यूलेशन के समय आमतौर पर शरीर का तापमान 1 डिग्री तक बढ़ जाता है. ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन बढ़ जाता है जिसे होम ओव्यूलेशन किट के जरिए मापा जा सकता है. वेजाइनल डिस्चार्ज, ब्रेस्ट में खिंचाव और पेट में एक तरफ दर्द होना इसके आम लक्षण हैं
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