प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में नींद क्यों नहीं आती है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:23

गर्भावस्‍था में अनिद्रा (नींद न आना)

अगर आपको हमेशा अच्छी नींद आती थी और अब गर्भवती होने पर नींद लेने में कठिनाई हो रही हो तो हैरान न हों। नींद न आना या फिर रात भर आराम की पूरी नींद न ले पाना गर्भावस्‍था की आम समस्‍या हैा बढे हुए पेट की वजह से आरामदेह अवस्‍था में सो पाना मुश्किल होता है, साथ ही बार-बार पेशाब जाना और टांगों में ऐंठन आदि कारण भी इसके लिए जिम्‍मेदार होते हैं। मगर अपने और पेट में पल रहे शिशु के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए आपकी नींद पूरी होना बहुत जरूरी हैा इसके लिए आप कई उपाय आजमा सकती हैं।
अनिद्रा (इनसोम्निया) क्या है?
अनिद्रा, नींद न आने की बीमारी है। इसे अंग्रेजी में इनसोम्निया कहा जाता है। इससे प्रभावित गर्भवती महिला के लिए सो पाना मुश्किल हो जाता है या फिर वे नींद से बार-बार जाग जाती हैं। एक बार जागने के बाद अनिद्रा के कारण दोबारा सोना भी उनके लिए मुश्किल हो जाता है। नींद पूरी न होने के कारण थकान और ज्‍यादा बढ सकती है, साथ ही उर्जा का स्‍तर भी कम रहेगा जिसका असर आपकी दिनचर्या और शारीरिक व मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर पडता है।
गर्भावस्था में नींद न आने के क्या कारण हैं?
गर्भावस्था में अच्छी नींद न आना काफी आम है और बहुत सी गर्भवती महिलाएं पाती हैं कि गर्भावस्था के दौरान आराम की नींद ले पाना उनके लिए बहुत मुश्किल होता है।

आपकी नींद पूरी न हो पाने के लिए के लिए बहुत से कारण जिम्मेदार हैं, इनमें शामिल हैं:

बिस्तर पर आरामदेह अवस्था में सो पाना मुश्किल लगता है
आपको ज्यादा बार पेशाब के लिए जाना पड़ता है
टांगों में ऐंठन की वजह से सो नहीं पातीं
हो सकता है आप शिशु के जन्म को लेकर चिंतित हों
पीठ दर्द या स्तनों में संवेनदशीलता
यह भी संभव है कि आपका शिशु रात में ज्यादा सक्रिय रहता हो और काफी हिलता-डुलता हो। या फिर हो सकता है कि आपको ऐसे सपने आते हों कि आप अचानक नींद से जाग जाती हों।

क्या गर्भस्थ शिशु की चिंता में रातभर जागना सामान्य है?
अपने शिशु के विकास, प्रसव पीड़ा और डिलीवरी और शिशु के जन्‍म के बाद जीवन में आने वाले बदलावों के बारे में सोचकर चिंतित होना सामान्‍य है। इसकी वजह से चाहे आप कितनी भी थकी हों फिर भी रात को सो पाना मुश्किल हो सकता है और आपकी नींद बार-बार नींद टूट सकती हैा

बहुत सी गर्भवती महिलाओं को शिशु की चिंता की वजह से कभी-कभार रात भर नींद नहीं आती। मगर थोड़ी-बहुत बार नींद पूरी न होने से आपको या गर्भस्‍थ शिशु को नुकसान नहीं पहुंचताा

अगर आप प्रसव पीड़ा या डिलीवरी, शिशु की देखभाल या स्‍तनपान से जुडी चिंताएं कर रही हैं, तो आप हमारी एंटेनेटल कक्षाओं में शामिल हो सकती हैं। अगर पहले से पता हो कि आगे क्‍या होने वाला है, तो इससे शांत रहने में मदद मिल सकती हैा

अपने पति से बात करें, हो सकता है वे भी आपकी तरह ही महसूस कर रहे हों। अपनी चिंताओं और डर के बारे में खुलकर बात करने से इनसे निजात पाने में मदद मिलती हैा

अगर आपको पेट में पल रहे शिशु की सेहत को लेकर को चिंता हो रही है तो आप अपनी डॉक्‍टर से बात करके तसल्‍ली कर सकती है।

खुद को याद दिलाएं कि गर्भावस्‍था में समय-समय पर चिंता या डर महसूस होना सामान्‍य है, खासकर यदि यह आपकी पहली गर्भावस्‍था है तो इसलिए आप अपनी डॉक्‍टर से सवाल पूछने में न हिचकिचाएं।
क्या प्रेगनेंसी में अनिद्रा की समस्या पेट में पल रहे शिशु के लिए नुकसानदेह है?
अक्‍सर यह सोचा जाता है कि यदि आप ढंग से नहीं सो पा रही, तो आपका शिशु भी अच्छे से नहीं सो पा रहा होगा। मगर, चिंता न करें। आपका शिशु तब भी सो रहा होता है जब आप पूरी तरह जाग रही होती हैं। जिन आवाजों और ध्वनियों से आपकी नींद टूट जाती है उनसे शिशु को शायद ही कोई फर्क पड़े।

त्वचा और मांसपेशियों की परतें, एमनियोटिक द्रव और आपके दिल की धड़कन की आवाज आपके शिशु को बाहरी शोर और अन्य गतिविधियों से बचाकर रखती है।

आपके शिशु की सेहत के लिए आपकी अनिद्रा तब खतरनाक हो सकती है जब इसकी वजह से आपकी कार्यक्षमता प्रभावित होने लगे। अनिद्रा के कारण अगर आप गाड़ी चलाते वक्त सो जाती हैं या फिर थकान की वजह से चलते वक्त आपको ठोकर लगती है या आप गिर जाती हैं तो फिर आपके शिशु और आपका जीवन खतरे में आ सकता है।

इसके अलवा शोध में यह भी पता चला है कि गर्भावस्‍था के दौरान जिन महिलाओं को नींद न आने की दीर्घकालीन समस्‍या रही, उन्‍हें गभावधि मधुमेह, समय से पहले प्रसव, अवसाद, लंबा प्रसव और सिजेरियन ऑपरेशन का खतरा ज्‍यादा होता हैा

इसलिए जितनी ज्यादा हो सके उतनी ज्यादा नींद लेने का प्रयास करें।
क्‍या इनसोम्निया अवसाद का संकेत हो सकता है?
हां, कई बार इनसोमनिया अवसाद (डिप्रेशन) का लक्षण होता है। लेकिन इस बात को अच्छे से जान लें कि इनसोमनिया अवसाद के बहुत से लक्षणों में से एक लक्षण है। यह अवसाद का एकमात्र लक्षण नहीं है।

अवसाद के अन्य लक्षणों में शामिल हैं:

निरंतर उदासी बने रहना
थकान लगना और किसी भी कार्य में रुचि न होना
भूख न लगना या फिर बहुत ज्‍यादा खाना

आत्‍मविश्‍वास की कमी
चिंतित व परेशान करने वाले विचार आना

जिस तरह डिप्रेशन की वजह से इनससोमनिया हो सकता है, उसी तरह नींद पूरी न होने की वजह से आपको डिप्रेशन हो सकता है। आपको दिन भर थकान महसूस हो सकती है और चिड़चिड़ी हो सकती हैा आपको किसी चीज में ध्‍यान लगाने में भी मुश्किल आ सकती हैा अगर आप भी इन लक्षणों का शिकार हों तो अपने डॉक्टर से मिलें। वे आपको जरुरी सहयोग देंगी।
गर्भावस्था में नींद न आने की समस्या का क्या समाधान है?
आसानी से सो पाने के लिए आप बहुत से उपाय आजमा सकती हैं, इनमें शामिल हैं:

सोने के समय का निर्धारित करें
सोने और जागने का एक निश्चित समय निर्धारित करें। यह आपकी बॉडी क्लॉक को नियमित करता है। सोने से पहले दूध से बना हल्का गर्म पेय या फिर कैफीनमुक्त हर्बल चाय का सेवन आपको नींद आने में मदद कर सकता है। इसे भी थोड़ी मात्रा में ही पीएं वरना बाद में आपको पेशाब के लिए जाना पड़ेगा और फिर शायद आपको दोबारा नींद आने में मुश्किल हो।

खाने-पीने पर ध्यान दें
अपने आहार में विटामिन बी से भरपूर खाद्य पदार्थो को शामिल करेंा आहार में विटामिन बी की कमी से अनिद्रा की समस्‍या हो सकती हैा अनाज, मछली और हरी सब्जियां विटामिन बी का अच्‍छा स्त्रोत हैं। कैफीनयुक्त भोजन और पेयों का सेवन कम कर दें, खासकर सोने से पहले के छह घंटों में।

कैफीन निम्नलिखित पेय पदार्थों में मौजूद होती है:

चाय, इसमें ग्रीन टी भी शामिल है
कॉफी
कोला ड्रिंक्स
चॉकलेट
एनर्जी ड्रिंक्स

सोने से पहले भारी, तैलीय और मसालेदार भोजन न करें। अगर आप ऐसा भोजन करेंगी तो रात को सीने में जलन और बदहजमी हो सकती है और इससे आपकी नींद टूट सकती है।

दिन के वक्त पर्याप्त पानी पीना जरुरी है, मगर शाम के समय पेय पदार्थ कम लें ताकि रात में बार-बार पेशाब जाने से बच स​कें।

आराम से सोने की तैयारी शुरु करें
रिलैक्सेशन के लिए आप हल्के गर्म पानी से नहा सकती हैं। यदि आप चाहें तो अपने पति से मालिश करने के लिए कह सकती हैं। आप अपने पति को हल्की मालिश करने के लिए भी कह सकती हैं। बहुत सी महिलाओं को सिर की मालिश कराने पर तनाव से मुक्ति मिलती है। मालिश के लिए हर बार तेल लगाने की आवश्यकता नहीं है। बिना तेल लगाए मालिश करने से भी आराम मिलता है!

वैकल्पिक तौर पर आप रिलैक्स होने के लिए योग भी आजमा सकती हैं। आप गर्भ संस्कार जैसा सुकून देने वाला संगीत भी सुन सकती हैं, जो आपको न केवल आराम देगा बल्कि गर्भस्थ शिशु के साथ आपके जुड़ाव को बढ़ाएगा।

आप शायद पाएं कि प्रसव के लिए जो रिलैक्सेशन तकनीक सीखीं हैं, वे नींद लाने में में सहायक हैं। अभी इन तकनीकों का अभ्यास करने से आपको प्रसव के समय आसानी हो सकती है।

सोने के लिए माहौल बनाएं
सोने से एक घंटा अपने आप अपना फोन, टेबलेट, लेपटॉप और टीवी बंद कर दें। स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट आपकी नींद को प्रभावित कर सकती है। अपने बेडरूम को केवल सेक्स और सोने का ही स्थान बनाएं!

बेड पर सोने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपके कमरे का तापमान सोने के लायक है।

क्या आपका कमरा शांत है और इसमें पर्याप्त अंधेरा हैॽ मोटे पर्दे, आई मास्क और ईयर प्लग आपको अवांछित शोर और रोशनी से बचाने में सहायक हो सकते हैं।

कमरे में पलंग के पास रखी घड़ी को छुपा दें। ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि घड़ी की सुई को ताकना या उसकी टिक-टिक को सुनना उस वक्त और भी कष्टदायक हो जाता है जब आप सोने के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं।

सुनिश्चित करें आपको आराम मिले
अगर जरूरी हो तो अपनी पीठ और बढ़ते पेट को सहारा देने के लिए तकिया लगाएं और बाईं तरफ करवट लेकर सोएं। ऐसा करने से आपके गर्भ में पल रहे शिशु तक रक्त और पोषक तत्वों का प्रवाह सही ढंग से होगा।

अगर जल्द नींद न आए तो...
चिंतित न हों। वैसे यह कहना आसान है कि अनिद्रा की चिंता नहीं करनी चाहिए परंतु इस विचार को अमल में लाना काफी मुश्किल है। आप जितना यह सोचेंगी की आपको नींद क्यों नहीं आती, उतनी ही आपकी समस्या बढ़ेगी। अगर बेड पर लेटने के आधे घंटे तक आपको नींद नहीं आती है तो उठ जाएं और दूसरे कमरे में चले जाएं। कोई किताब पढ़ें या फिर गाना सुनें। जब आंखें भारी होने लगे तो बेड पर आकर सो जाएं।
क्‍या प्राकृतिक उपचार या कॉम्‍लीमेंटरी थैरेपी नींद आने में मदद करती हैं?
इनसोम्निया के मामले में कॉम्‍लीमेंटरी थैरेपी कितनी असरदार होती हैं, इसे लेकर मिले’जुले प्रमाण हैं। अगर आप ये आमजाना चाहें तो रजिस्‍टर्ड थैरेपिस्‍ट के पास जाएं, जिन्‍हें गर्भवती महिलाओं का उपचार करने का अनुभव हो।

मालिश, अरोमाथैरेपी, रिफलेक्‍सोलॉली और शीएटजु सभी आरामदायक विकल्‍प हैं। आप जितने ज्‍यादा सत्र करेंगी उतना ज्‍यादा फायदा होगा।

इस बात के भी कोई प्रमाण नहीं हैं कि होम्‍योपैथिक उपचार कारगर साबित होते हैं। मगर यदि आप इसे आआजमाना चाहें तो रजिस्‍टर्ड होम्‍योपैथिक डॉक्‍टर के से संपर्क कर सकती हैं।

डॉक्टर की सलाह के बगैर अनिद्रा (इनसोमनिया) के इलाज के लिए कोई भी दवा या हर्बल उपचार न लें। इनमें से बहुत सी दवाएं और उपचार गर्भावस्था में हानिकारक होते हैं और फायदे की जगह हानि पहुंचा सकते हैं। अगर आपको कई रातों से नींद लेने में कठिनाई आ रही हो तो डॉक्टर के पास जाएं। गर्भावस्था के किसी लक्षण जैसे कि पीठ दर्द, श्रोणि करधनी दर्द, कार्पल टनल सिंड्रोम आदि की वजह से अगर आप सो न पा रही हों, तो इस बारे में अपनी डाॅक्टर को बताएं। वे थोड़े समय के लिए दवाएं देकर आपके गंभीर इनसोमनिया का उपचार कर सकती हैं।

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