बच्चा कैसे पैदा होता है ऑपरेशन?pregnancytips.in

Posted on Sun 30th Jan 2022 : 17:30

पहला हो चुका है सिजेरियन ऑपरेशन, क्‍या दूसरी बार हो सकती है नॉर्मल डिलीवरी

अगर आप दूसरी बार मां बन रही हैं और इससे पहले आपकी सिजेरियन डिलीवरी हुई थी तो इस बार आप अपने लिए नॉर्मल डिलीवरी का विकल्‍प चुन सकती हैं। कई महिलाओं की सी-सेक्‍शन के बाद नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है लेकिन ये कई कारकों पर निर्भर करता है।

सिजेरियन के बाद आपकी नॉर्मल डिलीवरी होगी या नहीं, इससे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण आपकी और शिशु की सुरक्षा है। ऑपरेशन से डिलीवरी करवाने वाली हर महिला की दूसरी बार नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है।

सिजेरियन के बाद नॉर्मल डिलीवरी क्‍या होती है
अगर आपकी पहले ऑपरेशन से डिलीवरी हुई है तो अगली बार आप नॉर्मल डिलीवरी करवा सकती हैं। इसे वजाइनल बर्थ आफ्टर सिजेरियन कहते हैं। सिजेरियन डिलीवरी में पेट और गर्भाशय पर बड़ा कट लगाकर सर्जरी कर के बच्‍चा निकाला जाता है।

सिजेरियन के बाद 10 में से 7 महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी सफल होती है। अपनी नॉर्मल डिलीवरी की संभावना के बारे में आपको अपने डॉक्‍टर से परामर्श करना चाहिए।
सी-सेक्शन (सिजेरियन) डिलिवरी से जुड़ी ये 7 बातें हैं झूठ, जानें उनका सच

1-

हकीकत: सिजेरियन या सी-सेक्शन डिलिवरी से जुड़ा सबसे बड़ा मिथक यही है कि इस दौरान किसी तरह का दर्द नहीं होता। आप नॉर्मल डिलिवरी करवाएं या फिर सी-सेक्शन, बच्चे को जन्म देने में दर्द होता ही है। डॉक्टरों की मानें तो चूंकि ऑपरेशन के दौरान आपको ऐनेस्थिसिया दिया जाता है इसलिए उस दौरान आपको भले ही दर्द महसूस ना हो लेकिन एक बार ऐनेस्थिसिया का असर खत्म हो जाता है उसके बाद आपको दर्द, तकलीफ और असहजता महसूस होती है जो करीब 10-15 दिनों तक रहता है।
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हकीकत: गाइनैकॉलजिस्ट डॉ जयंती कामत कहती हैं कि बहुत से लोगों के मन में ये भ्रम होता है कि चूंकि सी-सेक्शन में ऑपरेशन से बच्चे का जन्म हुआ है इसलिए महिला की डिलिवरी तो हुई ही नहीं। लेकिन ये बात पूरी तरह से गलत है क्योंकि जब बच्चा महिला के शरीर से बाहर आया तो महिला की डिलिवरी हुई। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि डिलिवरी वजाइना के जरिए नॉर्मल तरीके से हुई या फिर यूट्रस में चीड़ा लगाकर ऑपरेशन के जरिए।
3-

हकीकत: इसमें कोई शक नहीं कि सी-सेक्शन या सिजेरियन डिलिवरी एक बड़ी सर्जरी होती है जिसमें पेट का ऑपरेशन करके यूट्रस से बच्चे को बाहर निकाला जाता है। इन दिनों सी-सेक्शन के इतने ज्यादा केसेज हो रहे हैं कि डॉक्टर्स भी इस दौरान पूरी सावधानी बरतते हैं और यह पूरी तरह से सेफ भी है। डिलिवरी के बहुत से केसेज में तो सी-सेक्शन बेहद जरूरी हो जाता है और यह मां और बच्चे दोनों की लाइफ बचाने का काम करता है। अगर डॉक्टर आपको इससे जुड़े सभी तरह के रिस्क के बारे में पहले ही बता देते हैं तो सी-सेक्शन डिलिवरी सेफ मानी जाती है।
4-

हकीकत: आपकी डिलिवरी कैसे हुई है, नॉर्मल या ऑपरेशन से इस बात का आपकी ब्रेस्टफीडिंग करवाने की क्षमता पर किसी तरह का कोई असर नहीं होता। इन दिनों ज्यादातर हॉस्पिटल्स में सी-सेक्शन डिलिवरी के लिए जनरल ऐनेस्थिसिया की जगह एपिड्यूरल ऐनेस्थिसिया दिया जाता है। इसलिए सी-सेक्शन के बाद आप भी नॉर्मल डिलिवरी वाली महिलाओं की ही तरह बच्चे को ब्रेस्टफीड करवा सकती हैं।
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हकीकत: आमतौर पर महिलाओं के मन में यही डर रहता है कि अगर एक बार उनकी सिजेरियन डिलिवरी हो गई तो उसके बाद दूसरी डिलिवरी भी उनकी सी-सेक्शन ही होगी। लेकिन यह बात भी पूरी तरह से सच नहीं है। सिजेरियन के बाद वजाइनल बर्थ करना है या नहीं इसका फैसला कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है। जैसे- सी-सेक्शन के दौरान कितने टांके लगे थे, कितनी बार सी-सेक्शन हो चुका है, किसी तरह की कोई मेडिकल कंडिशन है या नहीं आदि। लेकिन ये नामुमकिन नहीं है। सी-सेक्शन के बाद भी नॉर्मल डिलिवरी हो सकती है।
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हकीकत: नॉर्मल डिलिवरी के बाद मां की रिकवरी जल्दी हो जाती है लेकिन सी-सेक्शन में चूंकि मेजर सर्जरी होती है और टांके लगे होते हैं इसलिए रिकवरी में थोड़ा ज्यादा समय लगता है। लेकिन सिजेरियन डिलिवरी करवाने की वजह से मां या बच्चे की सेहत पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ता। हालांकि सी-सेक्शन के बाद अगर नई मां अपनी रिकवरी का पूरा ध्यान न रखे तो उन्हें आगे चलकर सेहत से जुड़ी कुछ दिक्कतें हो सकती हैं।
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हकीकत: ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि चूंकि महिला ने नैचरल तरीके से बच्चे को जन्म नहीं दिया है और ऑपरेशन से डिलिवरी हुई है इसलिए मां और बच्चे के बीच बॉन्डिंग डिवेलप नहीं हो पाती। लेकिन यह बात सच नहीं है। सी-सेक्शन के बाद भी मां की बच्चे के साथ बॉन्डिंग उतनी ही स्ट्रॉन्ग होती है जितनी नॉर्मल डिलिवरी में।


किन महिलाओं की हो सकती है नॉर्मल डिलीवरी
यदि महिला के गर्भ में एक शिशु है और पहले उसकी सिजेरियन डिलीवरी हो चुकी है तो उसकी नॉर्मल डिलीवरी करवाने में कोई दिक्‍कत नहीं है। गर्भ में एक बच्‍चा हो और पहले प्रसव के समय ऑपरेशन में ज्‍यादा बड़ा टांका न आया हो तो भी नॉर्मल डिलीवरी की जा सकती है।
जुड़वा बच्‍चे होने और पहले लो ट्रांसवर्स सी-सेक्‍शन होने पर भी सामान्‍य प्रसव हो सकता है।

किसकी नहीं होती नॉर्मल डिलीवरी
अगर पहले हाई वर्टिकल यूट्राइन टांके लगे हों, यूट्राइन रप्‍चर (इसमें गर्भाशय को खोलने पर सिजेरियन स्‍कार होना) और गर्भाशय से जुड़ी कोई सर्जरी जैसे कि रसौली निकालने के लिए, इन स्थितियों में महिलाओं की दूसरी बार नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना कम होती है।
अगर दूसरी प्रेगनेंसी में लेबर पेन के लिए ट्राई करने पर कोई मुश्किल आ जाए तो ऑपरेशन कर के ही बच्‍चे को बाहर निकालने की जरूरत पड़ती है।
सी-सेक्शन (सिजेरियन) डिलिवरी से जुड़ी ये 7 बातें हैं झूठ, जानें उनका सच

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हकीकत: सिजेरियन या सी-सेक्शन डिलिवरी से जुड़ा सबसे बड़ा मिथक यही है कि इस दौरान किसी तरह का दर्द नहीं होता। आप नॉर्मल डिलिवरी करवाएं या फिर सी-सेक्शन, बच्चे को जन्म देने में दर्द होता ही है। डॉक्टरों की मानें तो चूंकि ऑपरेशन के दौरान आपको ऐनेस्थिसिया दिया जाता है इसलिए उस दौरान आपको भले ही दर्द महसूस ना हो लेकिन एक बार ऐनेस्थिसिया का असर खत्म हो जाता है उसके बाद आपको दर्द, तकलीफ और असहजता महसूस होती है जो करीब 10-15 दिनों तक रहता है।
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हकीकत: गाइनैकॉलजिस्ट डॉ जयंती कामत कहती हैं कि बहुत से लोगों के मन में ये भ्रम होता है कि चूंकि सी-सेक्शन में ऑपरेशन से बच्चे का जन्म हुआ है इसलिए महिला की डिलिवरी तो हुई ही नहीं। लेकिन ये बात पूरी तरह से गलत है क्योंकि जब बच्चा महिला के शरीर से बाहर आया तो महिला की डिलिवरी हुई। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि डिलिवरी वजाइना के जरिए नॉर्मल तरीके से हुई या फिर यूट्रस में चीड़ा लगाकर ऑपरेशन के जरिए।
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हकीकत: इसमें कोई शक नहीं कि सी-सेक्शन या सिजेरियन डिलिवरी एक बड़ी सर्जरी होती है जिसमें पेट का ऑपरेशन करके यूट्रस से बच्चे को बाहर निकाला जाता है। इन दिनों सी-सेक्शन के इतने ज्यादा केसेज हो रहे हैं कि डॉक्टर्स भी इस दौरान पूरी सावधानी बरतते हैं और यह पूरी तरह से सेफ भी है। डिलिवरी के बहुत से केसेज में तो सी-सेक्शन बेहद जरूरी हो जाता है और यह मां और बच्चे दोनों की लाइफ बचाने का काम करता है। अगर डॉक्टर आपको इससे जुड़े सभी तरह के रिस्क के बारे में पहले ही बता देते हैं तो सी-सेक्शन डिलिवरी सेफ मानी जाती है।
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हकीकत: आपकी डिलिवरी कैसे हुई है, नॉर्मल या ऑपरेशन से इस बात का आपकी ब्रेस्टफीडिंग करवाने की क्षमता पर किसी तरह का कोई असर नहीं होता। इन दिनों ज्यादातर हॉस्पिटल्स में सी-सेक्शन डिलिवरी के लिए जनरल ऐनेस्थिसिया की जगह एपिड्यूरल ऐनेस्थिसिया दिया जाता है। इसलिए सी-सेक्शन के बाद आप भी नॉर्मल डिलिवरी वाली महिलाओं की ही तरह बच्चे को ब्रेस्टफीड करवा सकती हैं।
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हकीकत: आमतौर पर महिलाओं के मन में यही डर रहता है कि अगर एक बार उनकी सिजेरियन डिलिवरी हो गई तो उसके बाद दूसरी डिलिवरी भी उनकी सी-सेक्शन ही होगी। लेकिन यह बात भी पूरी तरह से सच नहीं है। सिजेरियन के बाद वजाइनल बर्थ करना है या नहीं इसका फैसला कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है। जैसे- सी-सेक्शन के दौरान कितने टांके लगे थे, कितनी बार सी-सेक्शन हो चुका है, किसी तरह की कोई मेडिकल कंडिशन है या नहीं आदि। लेकिन ये नामुमकिन नहीं है। सी-सेक्शन के बाद भी नॉर्मल डिलिवरी हो सकती है।
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हकीकत: नॉर्मल डिलिवरी के बाद मां की रिकवरी जल्दी हो जाती है लेकिन सी-सेक्शन में चूंकि मेजर सर्जरी होती है और टांके लगे होते हैं इसलिए रिकवरी में थोड़ा ज्यादा समय लगता है। लेकिन सिजेरियन डिलिवरी करवाने की वजह से मां या बच्चे की सेहत पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ता। हालांकि सी-सेक्शन के बाद अगर नई मां अपनी रिकवरी का पूरा ध्यान न रखे तो उन्हें आगे चलकर सेहत से जुड़ी कुछ दिक्कतें हो सकती हैं।
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हकीकत: ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि चूंकि महिला ने नैचरल तरीके से बच्चे को जन्म नहीं दिया है और ऑपरेशन से डिलिवरी हुई है इसलिए मां और बच्चे के बीच बॉन्डिंग डिवेलप नहीं हो पाती। लेकिन यह बात सच नहीं है। सी-सेक्शन के बाद भी मां की बच्चे के साथ बॉन्डिंग उतनी ही स्ट्रॉन्ग होती है जितनी नॉर्मल डिलिवरी में।


किस वजह से संभावना होती है कम
अधिक उम्र में कंसीव करने, प्रेगनेंसी के 40वें हफ्ते पार करने, बॉडी मास इंडेक्‍स 40 या इससे ज्‍यादा होने, गर्भावस्‍था के दौरान वजन अधिक बढ़ने, प्रीक्‍लैंप्‍सिया, पहली डिलवरी 18 महीने के आसपास पहले हुई हो, पहले दो या इससे ज्‍यादा बार सी-सेक्‍शन डिलीवरी हुई हो तो इन महिलाओं में नॉर्मल डिलीवरी की संभावना कम होती है।


सिजेरियन के बाद नॉर्मल डिलीवरी के जोखिम
सिजेरियन के बाद नॉर्मल डिलीवरी में दोबारा ऑपरेशन से डिलीवरी करवाने की तुलना में समस्‍याएं आने का कम खतरा रहता है। सिजेरियन के बाद लेबर पेन के लिए ट्राई करने पर महिलाओं को यूट्राइन टूट सकता है। यह स्थिति मां और शिशु के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
इस दौरान गर्भाशय के खोलने वाली जगह पर सिजेरियन स्‍कार हो सकता है। ऐसे में मां और बच्‍चे की जान बचाने के लिए तुरंत सी-सेक्‍शन करवाने की जरूरत पड़ सकती है।

solved 5
wordpress 2 years ago 5 Answer
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