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सिर्फ इन कोरोना पॉजिटिव बच्चों को ही ले जाना होता है अस्पताल, बाकी घर पर ही हो सकते हैं ठीक
कोरोना की दूसरी लहर बच्चों को पहले से ज्यादा अपना शिकार बना रही है लेकिन खुशी की बात यह है कि बच्चों में इसके हल्के लक्षण या कोई लक्षण नहीं आ रहे हैं। बच्चों में कोरोना के आम लक्षणों की बात करें तो वो हैं बुखार, खांसी, सांस लेने में दिक्कत, सांस फूलना, थकान, गले में खराश, दस्त, सूंघने और स्वाद की क्षमता में कमी।
चूंकि, अब बच्चे कोरोना की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं इसलिए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविड पॉजिटिव बच्चों के लिए एक खास प्रोटोकॉल जारी किया था। इसमें हल्के, सामान्य और गंभीर लक्षण वाले बच्चों के लिए कुछ दिशा-निर्देश बताए गए थे।
आइए जानते हैं कि स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कोविड पॉजिटिव बच्चों की देखभाल कैसे करनी चाहिए, उन्हें होम क्वारंटीन करना चाहिए या फिर अस्पताल ले जाना चाहिए।
किन बच्चों को करें होम क्वारंटीन
विशेषज्ञों की मानें तो जिन बच्चों में कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं, उन्हें किसी भी ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं है। उनमें बस कोविड के लक्षण विकसित होने की मॉनिटरिंग करनी है।
बच्चों में हल्के लक्षण जैसे कि गले में खराश, बहती नाक, खांसी होने और कुछ बच्चों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परेशानी होने पर बच्चे का इलाज घर पर ही होम आइसोलेशन में किया जा सकता है।
जिन बच्चों को कंजेनाइटल हार्ट डिजीज, दीर्घकालिक लंग डिजीज, क्रोनिक ऑर्गन डिस्फंक्शन, ओबेसिटी जैसी किसी परेशानी के साथ कोविड है, तो उसे भी घर पर ही ठीक किया जा सकता है। यदि इन बच्चों में हल्के लक्षण हैं और घर पर सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, तो इन्हें घर पर ही ठीक किया जा सकता है।
लेकिन अगर घर पर बच्चों के इलाज के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं तो उसे अस्पताल ले जाना पड़ सकता है।
घर पर कैसे करें इलाज
स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार बुखार के लिए डॉक्टर हर चार से छह घंटे में पैरासिटामोल देने की सलाह देते हैं। गले में खराश और खांसी के लिए गर्म पानी के गरारे और शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए फ्लूइड्स और पौष्टिक आहार लेना है। बच्चों में हल्के लक्षणों के लिए एंटीबायोटिक न दें।
कब जाना पड़ेगा अस्पताल
यदि दो महीने से कम उम्र के बच्चे का रेस्पिरेट्री रेट >60/प्रति मिनट है, दो से 12 महीने के शिशु का का रेस्पिरेट्री रेट >50/प्रति मिनट है, एक से 5 साल के बच्चे का रेस्पिरेट्री रेट >40/प्रति मिनट है और 5 साल से अधिक उम्र के बच्चे का रेस्पिरेट्री रेट >30/प्रति मिनट है तो उसे मॉडरेट कोरोना है। इसमें बच्चे को कोरोना के साथ निमोनिया हो सकता है।
मंत्रालय के अनुसार मॉडरेट कोरोना पॉजिटिव बच्चों को कोविड हेल्थ सेंटर में भर्ती करवाना चाहिए और उन्हें मॉनिटर करना चाहिए। इनमें फ्लूइड और इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस करना चाहिए।
बच्चों में कोरोना के गंभीर लक्षण
अभी तक हमने कोरोना के हल्के और मॉडरेट मामलों के बारे में बात की लेकिन अब हम आपको बताएंगे कि बच्चों में कोरोना के गंभीर लक्षण क्या हैं। जिन बच्चों का ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल 90 पर्सेंट से कम है, उन्हें गंभीर कोरोना हुआ है।
ऐसे बच्चों को गंभीर निमोनिया, एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम, सेप्टिक शॉक, मल्टी ऑर्गन डिस्फंक्शन सिंड्रोम या साइनोसिस के साथ निमोनिया हो सकता है। इन बच्चें को अस्पताल में भर्ती करवा कर इलाज करवाना चाहिए।
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