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जन्म की तैयारी में, मेरे शिशु को नीचे की ओर सिर के बल वाली स्थिति में कब आ जाना चाहिए?
बिस्तर पर बैठी गर्भवती महिला अपने पेट पर हाथ रखे हुए
गर्भस्थ शिशु पूरी गर्भावस्था के दौरान हिलते-डुलते हैं और अपनी अवस्था बदलते रहते हैं। विशेषतौर पर दूसरी तिमाही में वे नितंब नीचे वाली अवस्था से पूरी तरह पलट कर सिर नीचे वाली अवस्था (हेड डाउन) में आ सकते हैं और फिर दोबारा से ये अवस्था बदल सकते हैं। शिशु के हिलने-डुलने, मुड़ने और पैर चलाने की हलचल आप पेट के अलग-अलग हिस्सों में महसूस कर सकती हैं।
तीसरी तिमाही में, आमतौर पर 34 से 36 सप्ताह के बीच अधिकांश शिशु अपने आप घूम जाते हैं और जन्म लेने के लिए सिर नीचे वाली अवस्था में आ जाते हैं। हालांकि, कोई भी दो गर्भावस्था एक सी नहीं होती और कुछ शिशु इस अवस्था में दूसरों की तुलना में जल्दी आ जाते हैं, और कुछ इसमें और ज्यादा समय लेते हैं।
36 सप्ताह के प्रसवपूर्व चेकअप के दौरान डॉक्टर शिशु की अवस्था को देखेंगी। अधिकांश शिशु इस समय तक सिर नीचे (सेफेलिक) वाली अवस्था में आ चुके होते हैं। मगर, बहुत सी अन्य संभावित अवस्थाएं भी होती हैं, जैसे कि उल्टी अवस्था यानि पैर या नितंब नीचे की तरफ होना (ब्रीच शिशु), या शिशु आड़ा लेटा होना (ट्रांसवर्स लाइ) या तिरछी अवस्था (ओब्लीक लाइ) में होना।
यदि आपका शिशु अभी तक हेड डाउन वाली अवस्था में नहीं आया है, तो अभी भी ऐसा हो सकता है। 37 सप्ताह की गर्भावस्था तक शिशु की अवस्था विशेष महत्व नहीं रखती। मगर, आपकी डॉक्टर शायद आपसे बात करें कि शिशु की अवस्था का आपकी डिलीवरी पर क्या असर पड़ सकता है। सिर नीचे की तरफ और शिशु के सिर का पिछला हिस्सा (गुद्दी) आपके पेट के सामने की तरफ होना, नॉर्मल डिलीवरी के लिए सबसे बेहतरीन अवस्था होती है।
कुछ डॉक्टर शिशु को सिर नीचे वाली अवस्था में लाने के प्रयास कर सकते हैं। इसके लिए वे आपके पेट पर हाथ रखकर हल्का दबाव बनाते हैं और शिशु की अवस्था पलटने की कोशिश करते हैं। इस प्रक्रिया को अंग्रेजी में एक्सटर्नल सेफेलिक वर्जन (ईसीवी) कहा जाता है और यह 36 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद किया जाता है।
हालांकि, सभी डॉक्टर ईसीवी का प्रयास नहीं करते। जो ऐसा करते हैं वे केवल उन्हीं महिलाओं के साथ करेंगे जिनकी गर्भावस्था में कोई जटिलता न हो और जो पहले भी शिशु को जन्म दे चुकी हों। ऐसा इसलिए क्योंकि ईसीवी उन महिलाओं पर ज्यादा कारगर होती है जो पहले भी शिशु को जन्म दे चुकी हों।
यदि 37 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद भी आपका शिशु सिर नीचे वाली अवस्था में नहीं आया है, तो इसके बाद उसकी अवस्था बदलने की संभावना काफी कम होती है। पहली बार माँ बन रही महिलाओं के मामलों में तो यह और भी ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शिशु के पास हिलने-डुलने की पर्याप्त जगह नहीं होती।
आपकी डॉक्टर स्कैन करवाने की सलाह दे सकती है। अल्ट्रासाउंड स्कैन से डॉक्टर को यह स्पष्ट पता चल जाएगा कि शिशु गर्भ में किस तरह लेटा हुआ है और वे निर्णय ले सकती हैं कि किस तरह की डिलीवरी संभव है।
अधिकांश ब्रीच शिशुओं का जन्म सिजेरियन ऑपरेशन के जरिये होता है। हालांकि कुछ ब्रीच अवस्थाओं में नॉर्मल डिलीवरी संभव हो सकती है। बहरहाल, यदि आपका शिशु अभी भी आड़ा या तिरछा लेटा हुआ है, तो आपको सी-सेक्शन डिलीवरी ही करवानी होगी।
यदि आपका शिशु पहले से ही हेड डाउन अवस्था में आ गया है, तो जन्म लेने के लिए उसका सिर श्रोणि में और नीचे होता जाता है, इसे अंग्रेजी में 'हैड एंगेज' होना कहा जाता है। हालांकि, इसका मतलब है कि शिशु जन्म लेने के लिए तैयार है, मगर जरुरी नहीं है कि यह प्रसव जल्द शुरु होने का संकेत हो। कुछ शिशु प्रसव शुरु होने के बाद भी श्रोणि में नीचे की और नहीं खिसकते, खासतौर पर यदि यह आपकी पहली डिलीवरी है।
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