बच्चे की खांसी कब गंभीर होती है?pregnancytips.in

Posted on Wed 19th Oct 2022 : 12:34

शिशु को खांसते हुए देखना आपको काफी परेशान व चिंतित कर सकता है। मगर यदि शिशु अच्छे से खा-पी रहा है और सामान्य तरीके से सांस ले रहा है तो आमतौर पर चिंता की कोई बात नहीं होती। हालांकि, कुछ तरह की खांसी नुकसानदेह हो सकती हैं, इसलिए यह जानना जरुरी है कि खांसी होने पर शिशु को डॉक्टर को कब दिखाएं।
शिशुओं में खांसी किस कारण से होती है?
खांसना एक स्वाभाविक क्रिया है जो कि बच्चे के वायुमार्ग को अवरुद्ध होने से बचाती है। खांसी इसलिए होती है क्योंकि:

गले और छाती में से श्लेम (म्यूकस), धूल या धुआं जैसे तकलीफ पैदा करने वाले तत्वों को बाहर निकाल सके
वायुमार्ग या फेफड़ों किसी इनफेक्शन की वजह से असहजता होने पर।

खांसी के अलग-अलग प्रकार कौन से हैं?
खांसी सूखी (जिसमें बलगम न आए) या गीली (जिसमें बलगम आए) हो सकती है। ये आमतौर पर किसी इनफेक्शन की वजह से होती है, मगर कई बार इसके गैर-संक्रामक कारण भी हो सकते हैं जैसे कि अस्थमा (दमा) आदि। यदि खांसी किसी एलर्जी या अस्थमा की वजह से है, तो शिशु को बुखार नहीं होगा।

शिशुओं और छोटे बच्चों को इनफेक्शन की वजह से होने वाली कुछ आम तरह की खांसियों के बारे में नीचे बताया गया है:

सर्दी-जुकाम या फ्लू का वायरस
अधिकांश खांसी किसी विषाणु (वायरस) की वजह से होती है, जैसे कि सर्दी-जुकाम या फ्लू पैदा करने वाले बहुत से विषाणुओं में से एक की वजह से खांसी भी होती है। आपके नन्हें शिशु को जन्म के पहले साल में सात से ज्यादा बार सर्दी-जुकाम हो सकती है, क्योंकि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) अभी आम विषाणुओं का सामना करना सीख रही है।

यदि सर्दी या फ्लू के वायरस की वजह से आपके शिशु को खांसी है, तो शायद उसकी नाक भी बंद होगी या बह रही होगी। उसे गले में दर्द, आंखों में पानी और बुखार भी हो सकता है।

फ्लू की वजह से कई बार दस्त (डायरिया) या उल्टी भी हो सकती है।

रेस्पिरेटरी सिंसीशियल वायरस (आरएसवी) एक आम वायरस है जिसकी वजह से शिशुओं और छोटे बच्चों में छाती के संक्रमण होते हैं। अधिकांश मामलों में यह सर्दी-जुकाम के वायरस की तरह ही होता है, मगर यह ब्रोंकाइटिस या निमोनिया जैसी स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है।

यदि कोविड महामारी के दौरान आपके शिशु को फ्लू जैसे लक्षण हों और खांसी हो तो आपका चिंतित होना स्वाभाविक है कि कहीं शिशु को कोविड-19 इनफेक्शन न हो। आप शिशु के डॉक्टर से संपर्क करें और उनकी सलाह का पालन करें। शिशुओं और छोटे बच्चों में कोविड-19 के बारे में हमारा यह लेख पढ़ें।

निमोनिया या ब्रोंकाइटिस
निमोनिया फेफड़ों का इनफेक्शन है। ब्रोंकाइटिस तब होता है जब ब्रोंकाई (फेफड़ों तक हवा ले जाने वाली नलिकाएं) में संक्रमण हो जाए। निमोनिया और ब्रोंकाइटिस अक्सर सर्दी-जुकाम या फ्लू इनफेक्शन के बाद होता है। इनमें लगातार कई हफ्तों तक खांसी बनी रहती है। इनके अन्य लक्षणों में शामिल हैं बुखार, बदन दर्द और कंपकंपी।

यदि आपके बच्चे को निमोनिया या ब्रोंकाइटिस के लक्षण हों तो डॉक्टर से बात करें। इनफेक्शन और खांसी दूर करने के लिए हो सकता है बच्चे को एंटिबायोटिक दवाओं की जरुरत हो।

क्रूप
क्रूप खांसी मे भौंकने जैसी आवाज निकलती है। यह अक्सर रात में शुरु होती है। क्रूप आमतौर पर स्वरतंत्री (वोकल कॉर्ड्स-लेरिंक्स), श्वासनली (ट्रेकिया) और ब्रोंकाइल नलिकाओं (ब्रोंकाई) में इनफेक्शन की वजह से सूजन होने पर होती है। सूजी हुई स्वरतंत्री की वजह से खांसने पर अजीब सी आवाज आती है।

यह खांसी सुनने में जितनी भयावह लगती है, अधिकांश मामलों में इतनी गंभीर नहीं होती और इसका उपचार घर पर किया जा सकता है। यदि आपके शिशु की क्रूप खांसी में सुधार न हो रहा हो, तो डॉक्टर से बात करें। वे शायद जांच के लिए बच्चे को अस्पताल या क्लिनिक लाने के लिए कह सकती हैं।

काली खांसी (व्हूपिंग कॉफ)
काली खांसी/कुक्कुर खांसी (पर्टुसिस) श्वासनलिका और वायुमार्ग में होने वाला जीवाण्विक (बैक्टीरियल) इनफेक्शन है। यह बहुत ही संक्रामक है, मगर डीटीपी का टीका लगवाकर बच्चे को इस इनफेक्शन से सुरक्षित किया जा सकता है। इसलिए बच्चे को सभी टीके और बूस्टर खुराकें दिलवाना बहुत ही जरुरी है।

काली खांसी होने पर बच्चा आमतौर पर 20 से 30 सैकंड तक लगातार खांसता है, और फिर सांस लेने की कोशिश करता है और इसके बाद फिर से खांसी का दौरा शुरु हो जाता है। बच्चे को सर्दी-जुकाम के लक्षण जैसे कि बहती नाक और छींके भी हो सकती हैं।

यदि आपको लगे कि आपके बच्चे को काली खांसी है, तो तुरंत डॉक्टर से बात करें। काली खांसी गंभीर हो सकती है, विशेषतौर पर एक साल से कम उम्र के शिशुओं के लिए। यदि आपके बच्चे को कांली खांसी है, तो डॉक्टर शायद उसे एंटिबायोटिक दवाएं देंगे। कुछ शिशुओं को अस्पताल में भर्ती होने की जरुरत भी पड़ सकती है।

तपेदिक (ट्यूबरक्यूलोसिस, टीबी)
दो हफ्ते से ज्यादा रहने वाली खांसी तपेदिक (टीबी) का लक्षण हो सकती है। अगर शिशु को टीबी हो तो उसका पर्याप्त वजन भी नहीं बढ़ रहा हो या संभव है कि उसका वजन कम हो रहा हो। बीसीजी का टीका शिशु को टीबी से बचाता है। इसलिए यदि आपके शिशु को सभी टीके समय पर लगवाए गए हैं, तो शायद शिशु को यह इनफेक्शन न हो। यदि शिशु को टीबी हो जाए, तो उसे एंटिबायोटिक दवाएं देनी होंगी।
खांसी मेरे शिशु को किस तरह प्रभावित करेगी?
अपने नन्हें शिशु को खांसते हुए देखना काफी मुश्किल हो सकता है और खांसी आपको चिंतित भी कर सकती है, विशेषकर यदि ​यह शिशु की पहली खांसी हो तो। हालांकि, केवल खांसी से शिशु के फेफड़ों को नुकसान नहीं पहुंचता।

आपको शायद पाएंगी कि आपका शिशु अन्य दिनों की तुलना में ज्यादा सोना चाहता है और उसे आपके प्यार-दुलार की जरुरत होगी ताकि वह बेहतर महसूस कर सके।

कई बार शिशु इतनी जोर से खांसते हैं कि उन्हें उल्टी हो जाती है। हालांकि, यह आपके और आपके शिशु के लिए काफी मुश्किल हो सकता है, मगर इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। बेहतर है इस बारे में आप डॉक्टर से बात करें।
शिशु को खांसी से राहत देने के लिए मैं क्या कर सकती हूं?
अधिकांश खांसी घर पर थोड़ी देखभाल से अपने आप ठीक हो जाती हैं। शिशु की खांसी खुद ही ठीक हो जाएगी, मगर, शिशु को आराम पहुंचाने के लिए आप नीचे दिए गए उपाय आजमा सकती हैं:

उसे खूब आराम करने दें। इनफेक्शन से लड़ने या खांसी के दौरे हाने की वजह से शिशु को काफी थकान हो सकती है। शिशु को जितनी बार भी वह चाहे, आराम करने दें।
शिशु को जलनियोजित रखें। सुनिश्चित करें कि शिशु को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ मिलें। उसे अतिरिक्त बार स्तनपान कराएं। यदि वह फॉर्मूला दूध पीता है, तो उसे अतिरिक्त बार पानी भी पिलाएं। यदि शिशु की उम्र छह महीने से कम है, तो पानी को अच्छी तरह उबालकर और ठंडा होने के बाद ही शिशु को दें। यदि उसके गले में दर्द हो, तो इससे आराम मिलेगा।
उसका सिर ऊंचा उठा दें। यदि आपका बच्चा एक साल से बड़ा है, तो आप सोते समय आप उसका सिर थोड़ा ऊंचा उठा सकती हैं, ताकि उसे खांसी में आराम मिले। सिर उठाने के लिए तकियों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (एसआईडीएस) का खतरा होता है। एक साल से कम उम्र के बच्चों के लिए ऐसा करना सुरक्षित नहीं है, क्योंकि इससे एसआईडीएस का खतरा बढ़ सकता है।
कूल-मिस्ट ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें या ​बच्चे को भापयुक्त बाथरूम में ले जाएं। नम वातावरण में सांस लेने से वायुमार्ग की सूजन कम होने में मदद मिल सकती है, हालांकि, यह बात वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं है। बाथरूम में भाप बनाने के लिए गर्म पानी का शावर चला लें और शिशु को अंदर लेकर बैठ जाएं। दरवाजे को बंद कर लें और तौलिये से दरवाजे के नीचे की जगह भी सील कर दें। करीब 15 मिनट तक अंदर रहें। आप अपने साथ कुछ किताबें या खिलौने ले जा सकती हैं, ताकि अंदर बैठकर आप उसको कहानी सुना सकें या खेल सकें। बाहर आने के बाद उसके नम कपड़े उतारकर, सूखे कपड़े पहना दें।
एक साल से अधिक उम्र के बच्चे को शहद दें। शहद एक साल से कम उम्र के शिशुओं के लिए सुरक्षित नहीं है, क्योंकि इससे शिशुओं में बोटुलिज्म नामक दुर्लभ प्रकार की भोजन विषाक्तता हो सकती है। मगर बड़े शिशुओं के लिए शहद गले की खराश से राहत असरदार हो सकता है। अगर, आपके बच्चे की उम्र एक और पांच साल के बीच है, तो उसे रोजाना आधी छोटी चम्मच शहद दें। यदि आपका बच्चा छह से 11 साल की उम्र का है, तो उसे पूरी एक छोटी चम्मच शहद दें।
बुखार का उपचार करें। शिशु के डॉक्टर से सलाह के बाद उसे पैरासिटामोल सस्पेंशन की उचित खुराक दें। इससे बुखार तो कम होगा ही मगर बुखार के साथ होने वाले बदन दर्द से भी राहत मिलेगी। हालांकि, यदि शिशु तीन महीने या इससे बड़ा है, तभी ऐसा करें।​ शिशु को कोई भी दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।


शिशु को बिना डॉक्टरी पर्ची के मिलने वाली खांसी और सर्दी-जुकाम की दवाएं न दें, इनमें खांसी की सिरप और डिकंजेस्टेंट भी ​शामिल हैं। ये बच्चों के लिए उचित नहीं हैं क्योंकि इनसे साइड इफेक्ट होने का खतरा रहता है और इतने प्रमाण भी नहीं है कि ये लक्षणों को बेहतर करते हैं।
शिशु को खांसी होने पर डॉक्टर से कब बात करनी चाहिए?
यदि ​खांसी की वजह से शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, तो उसे तुरंत नजदीकी अस्पताल के आपातकाल विभाग में ले जाएं।

निम्नांकित ​स्थितियों में शिशु को डॉक्टर के पास ले जाएं:

शिशु की उम्र तीन महीने से कम है और उसे 100.4 डिग्री फेहरनहाइट या इससे ज्यादा बुखार है या फिर शिशु की उम्र तीन से छह महीने के बीच है और उसे 102.2 डिग्री फेहरनहाइट या इससे ज्यादा बुखार है।
उसे निगलने में मुश्किल हो रही है - आप शायद पाएं कि वह ज्यादा लार टपका रहा है या उसे खाने-पीने में परेशानी हो रही है।
उसे चकत्ते, छाती में दर्द, सिरदर्द, गले में दर्द, कान में दर्द या सूजी हुई ग्रंथियों जैसे कुछ लक्षण हों।
उसकी खांसी 10 दिनों से भी ज्यादा चल रही है और उसे कुछ अन्य लक्षण भी हैं जैसे कि हरा, भूरा या पीला श्लेम आना।
तीन से चार हफ्तों तक उसकी खांसी ठीक नहीं हो रही है, विशेषतौर पर रात में यह और ज्यादा बढ़ रही हो।


वायरस का सामना करते हुए शिशु को ज्यादा नींद आना सामान्य बात है। मगर यदि वह हर समय उनींदा सा लगे तो बेहतर है कि डॉक्टर से बात की जाए।


solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
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