Login
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi adipiscing gravdio, sit amet suscipit risus ultrices eu. Fusce viverra neque at purus laoreet consequa. Vivamus vulputate posuere nisl quis consequat.
Create an accountLost your password? Please enter your username and email address. You will receive a link to create a new password via email.
सावधान! गुस्से में बच्चे को पड़ा थप्पड़ उसके लिए हो सकता है इतना खतरनाक
भारत में बच्चों को सजा देने के लिए गार्जियन या माता-पिता अक्सर थप्पड़ मारते हैं। हममें से भी कई लोग ऐसे होंगे, जिनका बचपन ऐसी यादों से भरा हुआ होगा। लेकिन, अब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि बच्चों को थप्पड़ मारने से उनके दिमाग के विकास पर असर पड़ सकता है। इस फैक्ट का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने 147 बच्चों के दिमाग पर थप्पड़ के प्रभाव की जांच की।
कुपोषण और हिंसा के बराबर है थप्पड़ का प्रभाव
रिसर्चर्स ने पाया कि थप्पड़, कुपोषण और हिंसा के बराबर ही बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकता है। इस शोध के दौरान जिन बच्चों को थप्पड़ मारे गए थे प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स (पीएफसी) के कई क्षेत्रों में अधिक तंत्रिका प्रतिक्रिया (neural response) देखने को मिली। इससे बच्चों के निर्णय लेने की शक्ति और परिस्थिति को भापने की ताकत खत्म हो सकती है।
कई देशों में बच्चों को मारना है गैरकानूनी
अमेरिका में बच्चों को थप्पड़ मारना कानूनी है, जबकि यूनाइटेड किंगडम के स्कॉटलैंड ने 2020 से बच्चों की शारीरिक दंड को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया हुआ है। इंग्लैड में मां-बाप बच्चे को थप्पड़ तो मार सकते हैं, लेकिन उससे चोट, सूजन या खरोच नहीं आनी चाहिए। अगर बच्चे के शरीर पर कोई भी ऐसा प्रभाव दिखाई देता है तो संबंधित माता-पिता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
बच्चों में चिंता-अवसाद नजर आया
हार्वर्ड की टीम का नया शोध मौजूदा अध्ययनों पर आधारित है, जो बच्चों के दिमाग के कुछ क्षेत्रों में सक्रिय गतिविधि दिखाते हैं। इस रिसर्च की लेखक और हार्वर्ड के मनोविज्ञान विभाग की प्रोफेसर केटी ए ने कहा कि हम जानते हैं कि जिन बच्चों के परिवार के लोग शारीरिक दंड का उपयोग करते हैं। उन बच्चों में चिंता, अवसाद, व्यवहार की समस्याओं और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
एमआरआई ने बताया थप्पड़ का प्रभाव
केटी ए और उनके तीन सहयोगियों ने 3 से 11 साल के बच्चों के शरीर पर थप्पड़ के प्रभावों से मिले डेटा का विश्लेषण किया। उन्होंने मैग्नेटिक रिसोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) मशीन के जरिए प्रत्येक बच्चे की जांच की। यह मशीन मजबूत चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का उपयोग कर शरीर के अंदर की विस्तृत इमेज तैयार करता है। इससे उन्हें दो तरह की तस्वीरें मिलीं। कुछ बच्चों के चेहरे डरे हुए थे, जबकि बाकियों के चेहरे तटस्थ भाव लिए हुए थे।
--------------------------- | --------------------------- |