बच्चे में बुखार कितने समय तक रहना चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

शिशुओं और बच्चों में बुखार


मेरे शिशु को तेज बुखार है। क्या यह चिंता की बात है?
यह आपके शिशु की उम्र पर निर्भर करता है। यदि शिशु छह महीने से कम उम्र का है तो बुखार होना चिंताजनक हो सकता है।

नन्हें शिशुओं को तेज बुखार होना असामान्य है, और यदि तेज बुखार हो, तो यह इस बात की चेतावनी है कि कुछ गड़बड़ जरुर है।

शिशु को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं, यदि वह:

तीन महीने से कम उम्र का है और उसे 100.4 डिग्री फेहरनहाइट या इससे ज्यादा बुखार हो।

तीन से छह महीने की उम्र का है और उसका तापमान 102.2 डिग्री फेहरनहाइट या इससे ज्यादा हो।

मगर यदि आपका शिशु छह महीने से बड़ा है, तो आप उसकी स्वास्थ्य स्थिति का अंदाजा हमेशा उसके बढ़े हुए तापमान से नहीं लगा सकती हैं। आमतौर पर बुखार का कोर्स पूरा होने देना ठीक रहता है और कई बुखार बहुत जल्द और अपने आप ठीक हो जाते हैं।

इस उम्र में, यदि आपके शिशु को बुखार हो मगर वह इससे प्रभावित न लग रहा हो हो सामान्य ढंग से खेल और दूध पी रहा हो तो आपको चिंता करने की जरुरत नहीं है। मगर, फिर भी आपको उसपर नजर रखनी पड़ेगी कि वह पहले से बेहतर महसूस कर रहा है या नहीं। साथ ही अन्य चिंताजनक संकेतों जैसे कि सांस लेने में परेशानी, भूख कम लगना, उनींदा होना या आसपास की चीजों में रुचि न दिखाना आदि पर ध्यान दें।

अतिरिक्त सलाह के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से बात करें। उदाहरण के तौर पर शिशु का बुखार यदि 104 डिग्री पहुंच जाए तो डॉक्टर आपको तुरंत आने के लिए कह सकते हैं। या फिर 24 घंटों के बाद भी बुखार बना रहे, फिर चाहे अन्य लक्षण हो या नहीं।

बुखार के इन सात आश्चर्यजनक तथ्यों के बारे में भी जानकारी रखें और अपनी अंत:प्रेरणा (इंस्टिंक्ट) पर विश्वास करें। शिशु की उम्र चाहे कितनी भी हो, अगर आपको लगे कि शिशु की तबियत ठीक नहीं है, तो हो सकता है आप सही हों। शिशु के उपचार के बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लें।
बच्चे को बुखार होने की क्या वजह हो सकती है?
आपके शिशु को बुखार इसलिए है क्योंकि उसका शरीर किसी इनफेक्शन या बीमारी से लड़ रहा है। शरीर का बढ़ा हुआ तापमान शिशु की प्रतिरक्षण प्रणाली की इनफेक्शन से लड़ने में मदद करता है।

कई बार बुखार होने के स्पष्ट कारणों का पता नहीं चलता, मगर कुछ आम कारण नीचे दिए गए हैं:

श्वसन पथ संक्रमण (रेस्पिरेटरी ट्रेक्ट इनफेक्शन-आरटीआई)। नाक, गले, वायुमार्ग और फेफड़ों के किसी भी इनफेक्शन को आरटीआई कहा जाता है। आरटीआई में ब्रोंकियोलाइटिस, क्रूप और काली खांसी शामिल है। क्रूप और काली खांसी में बुखार आमतौर पर खांसी होने से पहले होता है।
शिशुओं और बच्चों में कान का इनफेक्शन
शिशुओं और बच्चों में कान का इनफेक्शन
विषाणु जनित इनफेक्शन जिनमें चकत्ते होते हैं, जैसे कि छोटी माता (चिकनपॉक्स) या लाल खसरा (रास्योला)।
टॉन्सिलाइटिस जो कि गलतुण्डिका (टॉन्सिल) में सूजन होना है। यह आमतौर पर विषाणुजनित इनफेक्शन होता है, मगर कभी कभार यह जीवाणुजनित संक्रमण की वजह से भी हो सकता है।
गुर्दे या शिशुओं में मूत्रमार्ग संक्रमण
पेट का इनफेक्शन (गैस्ट्रोएंटेराइटिस)
जीवाणुजनित इनफेक्शन जैसे कि टाइफाइड।
मच्छरजनित बीमारियां।
तापघात (हीट स्ट्रोक)

शिशुओं को अक्सर टीकाकरण के बाद भी बुखार हो जाता है। डॉक्टर आपको बताएंगे कि टीकाकरण के बाद किन लक्षणों के लिए शिशु पर नजर रखनी चाहिए।

आपने यह सुना होगा कि शिशु के दांत निकलने पर भी उसे बुखार हो सकता है। बहरहाल, दांत निकलने से शिशु को परेशानी जरुर हो सकती है, मगर इसकी वजह से बुखार या पेट में गड़बड़ी नहीं होती।
मुझे कैसे पता चलेगा कि शिशु को बुखार है?
आमतौर पर आप शिशु को छूकर ही यह पता लगा सकती हैं कि उसे बुखार है। उसकी त्वचा सामान्य से काफी गर्म महसूस होगी। आप उसका माथा छूकर देख सकती हैं, और यदि शिशु तीन महीने से कम उम्र का है, तो उसकी छाती या पीठ छूकर पता लगा सकती हैं। हो सकता है आपके शिशु के गाल लाल हों और वह काफी चिपचिपा या पसीने में तर लगे।

यदि आपको लगे कि शिशु को बुखार है तो बेहतर है कि सही रीडिंग के लिए थर्मोमीटर से उसका तापमान मापें। शरीर का सामान्य तापमान 96.8 डिग्री फेहरनहाइट और 98.6 डिग्री फेहरनहाइट के बीच होता है। मगर यह हर बच्चे के अनुसार एक डिग्री के कुछ प्वाइंट ऊपर-नीचे हो सकता है। अगर तापमान शिशु के लिए सामान्य से ज्यादा हो, तो वह बुखार है।

बुखार मापने के लिए आपको कोई महंगा थर्मोमीटर खरीदने की जरुरत नहीं है। अधिकांश थर्मोमीटर इस्तेमाल में आसान होते हैं और इनमें प्रयोग के स्पष्ट निर्देश दिए होते हैं।
डिजिटल थर्मोमीटर घर में इस्तेमाल के लिए शायद सबसे बेहतर होते हैं। इसे शिशु की बगल में लगाकर बाजू नीचे कर दें। माप ले लेने के बाद बीप की आवाज करते हैं।

कान में लगाने वाले थर्मोमीटर काफी सटीक परिणाम देते हैं, और इस्तेमाल में केवल एक सैकंड लगता है, मगर ये काफी महंगे होते हैं। साथ ही इनका सही ढंग से इस्तेमाल कर पाना भी मुश्किल होता है क्योंकि शिशु हिलते-डुलते रहते हैं और उनका कान का छेद छोटा होता है।

स्ट्रिप-टाइप थर्मोमीटर इतना सटीक परिणाम नहीं दे पाते क्योंकि ये केवल शिशु की त्वचा का तापमान दर्शाते हैं, उसके शरीर का नहीं। इसलिए बेहतर यही है कि स्ट्रिप-टाइप थर्मोमीटर का इस्तेमाल न किया जाए।

विभिन्न तरह के थर्मोमीटर और उनके फायदे व नकुसानों के बारे में हमारा यह स्लाइडशो देखें।
बच्चे का बुखार ठीक करने के लिए मैं क्या कर सकती हूं?
शिशु को आराम पहुंचाने के लिए आप नीचे दिए गए उपायों को अपना सकती हैं:

अपने शिशु को खूब सारा तरल पदार्थ पीने के लिए दें, ताकि वह जलनियोजित (हाइड्रेटेड) रह सके। यदि वह अनन्य ​स्तनपान (एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग) करता है, तो उसे अतिरिक्त स्तनपान करवाएं। यदि वह फॉर्मूला दूध पीता है, तो उसे उबालकर ठंडा किया गया पानी भी पिलाएं।

अगर आपके शिशु ने ठोस आहार खाना शुरु कर दिया है, तो यदि बुखार के पहले दिन वह खाना न खाना चाहे तो चिंता न करें। पहले दिन के बाद उसे छोटे-मोटे स्नैक्स देती रहें ताकि उसका ऊर्जा का स्तर बना रहे।

बीमार होने पर आपका शिशु आराम करना चाहेगा, ​इसलिए उसे रिलैक्स करने या झपकी लेने में मदद करें। उसे कहानी पढ़कर सुनाएं और लेटे हुए छोटे-मोटे खेल खिला सकती हैं।

शिशु को ऐसे कपड़े पहनाए जिनमें वह सबसे ज्यादा आरामदायक रहे, उसके सिर को न ढकें। बहुत ज्यादा कपड़े पहनाकर उसके शरीर में गर्मी न बढ़ाएं। रजाई और दौहर की बजा चादर और हल्के कंबल ज्यादा सही रहते हैं और जरुरत के अनुसार आप इन्हें हटा भी सकती हैं।

बुखार कम करने के लिए शिशु का मुंह, गर्दन, बाजुएं और टांगों को हल्के गुनगुने पानी से पौंछें।

रात में समय-समय पर शिशु की जांच करती रहें।

बेहतर महसूस होने तक शिशु को क्रेच या डेकेयर न भेजें।

शिशु यदि असहज या परेशान हो तो डॉक्टर अधिकांश मामलों में शिशुओं को इन्फेंट पैरासिटामोल देने की सलाह देते हैं। मगर शिशु को किसी भी तरह की कोई दवाई देने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह करें। साथ ही आप डॉक्टर को दिखाएं बिना दवा देकर अन्य लक्षणों को दबाना नहीं चाहेंगी।

खुराक को लेकर शिशु के डॉक्टर की सलाह का पालन करें। सही खुराक बच्चे के वजन के अनुसार निर्धारित होती है न कि उसकी उम्र के अनुसार। डॉक्टर आपको सही खुराक की गणना करने में मदद करेंगे।

सही मात्रा में खुराक देने के लिए शिशु को दवा के साथ आने वाले माप कप का इस्तेमाल करें। साथ ही, लिखकर रख लें कि शिशु को दवाई कब दी थी ताकि आप बुखार कम करने की दवा निर्देशित मात्रा से अधिक न दे दें।

आपने शायद पैरासिटामोल और​ शिशुओं में सांस फूलने या अस्थमा की समस्या होने के बीच संबंध के बारे में सुना होगा। मगर, चिंता न करें, इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि पैरासिटामोल से ये समस्याएं होती हैं। यदि डॉक्टर की सलाह के अनुसार शिशु को सही खुराक दी जाए तो पैरासिटामोल सुरक्षित है।
यदि आपके शिशु को डेंगू जैसी बीमारी है या फिर डॉक्टर को लगता है कि उसके लक्षणों की वजह डेंगू हो सकता है तो वे आपको शिशु को आईबूप्रोफेन या मेफ्टाल न देने की सलाह देंगे। ये उसके खून में से प्लेटलेट्स कम कर सकते हैं और रक्तस्त्राव का खतरा बढ़ सकता है।
आपको बच्चे को कभी भी एस्पिरिन नहीं देनी चाहिए। एस्पिरिन को रेज सिंड्रोम के साथ जोड़ा जाता है, यह एक दुर्लभ मगर गंभीर और कभी-कभार जानलेवा स्थिति हो सकती है।
मुझे कैसे पता चलेगा कि शिशु का बुखार गंभीर है?
अगर शिशु को बुखार के साथ-साथ कुछ अन्य लक्षण भी दिखाई दे रहे हों, तो ये किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकते हैं। इन लक्षणों पर ध्यान दें:

आपके शिशु की उम्र दो महीने से कम है और वह दूध नहीं पी रहा। इसमें स्तनपान और बोतल से दूध पिलाना दोनों शामिल हैं।

आपका शिशु विशेषरूप से काफी उनींदा या सुस्त लगे।

शिशु हांफ रहा है, सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आ रही है या उसे सांस लेने में इतनी मुश्किल हो रही है कि उसका पेट पसलियों में धंस रहा है।

आपके शिशु के सिर पर नरम स्थान यानि कलांतराल धंसे हुए है और साथ में अन्य लक्षण जैसे कि सूखे होंठ, आंसू न आना, सामान्य से कम लंगोट गीली करना आदि। ये सभी शरीर में पानी की कमी के लक्षण हो सकते हैं।

शिशु को बिना किसी कारण चकत्ते हो रहे हैं या त्वचा धब्बेदार हो गई है।

यदि शिशु को सांस लेने में दिक्कत हो रही हो या आपको लगे कि उसे कोई गंभीर इनफेक्शन हो गया है, तो उसे सीधे नजदीकी अस्पताल के आपातकालीन विभाग में ले जाएं। कुछ संक्रमणों को उपचार न किया जाए तो वे जानलेवा हो सकते हैं, हालांकि ऐसा होना दुर्लभ है। ऐसे संक्रमणों में शामिल हैं:

मेनिंजाइटिस, यह मस्तिष्क और मेरु रज्जु के आसपास की झिल्लियों में होने वाला इनफेक्शन है।

सेप्सिस, यह रक्त संक्रमण है।

निमोनिया, इसमें फेफड़ों में सूजन होती है जिसकी वजह आमतौर पर कोई संक्रमण होता है।

चाहे आपके शिशु की उम्र कुछ भी हो, यदि आप उसे लेकर चिंतित हैं, तो चिकित्सकीय मदद लें। यदि आपका शिशु छह महीने से कम उम्र का है, तो विशेषतौर पर सावधानी बरतना अच्छा रहता है। नन्हें शिशुओं में बुखार होना काफी असामान्य है और यह गंभीर हो सकता है।
बुखारी दौरे (फेब्राइल कनवल्जन) क्या होते हैं?
तेज बुखार के साथ कई बार दौरे पड़ने लगते हैं, जिन्हें फेब्राइल कनवल्जन्स कहा जाता है। ये आमतौर पर केवल छह महीने से पांच साल तक की उम्र के बच्चों को प्रभावित करते हैं।

ये दौरे देखने में काफी भयावह होते हैं, मगर आमतौर पर नुकसानदेह नहीं होते। हालांकि, बुखारी दौरे देखने में लगता है कि ये काफी लंबे समय तक चलेंगे, मगर आमतौर पर ये तीन से छह मिनट के तक के लिए ही रहते हैं।

निम्न स्थितियों में अपने शिशु को अस्पताल के आपातकालीन विभाग में ले जाएं:

उसे पहली बार यह बुखारी दौरा पड़ा है।
ऐसा पहले भी हो चुका है, मगर इस बार दौरे पांच मिनट के बाद भी नहीं रुक रहे।

यदि आपके शिशु को पहले भी फेब्राइल कनवल्जन्स हुए हैं, तो आपको शायद उसे आपातकाल विभाग में ले जाने की जरुरत न हो। हालांकि, तुरंत अपने डॉक्टर से बात करके सलाह लें।

उसके सिर को अपने हाथों या किसी मुलायम चीज पर रखें और उसे घेरकर खड़े न हों, आसपास खुली जगह रहने दें। यदि यह संभव न हो, तो उसे किसी सु​रक्षित स्थान पर ले जाएं।

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