Login
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi adipiscing gravdio, sit amet suscipit risus ultrices eu. Fusce viverra neque at purus laoreet consequa. Vivamus vulputate posuere nisl quis consequat.
Create an accountLost your password? Please enter your username and email address. You will receive a link to create a new password via email.
गर्भाशय के छोटा होने के कारण : स्वस्थ गर्भाशय का साइज और वजन जाने | गर्भाशय का छोटा होना
Garbhashay ka chota hona नमस्कार दोस्तों यदि किसी महिला का गर्भाशय छोटा होता है तो वह बहुत परेशान होने लगती है कि वह बच्चे की मां नहीं बन सकती है या फिर वह किसी शिशु को जन्म नहीं दे सकती है अगर ऐसा है.
बच्चेदानी छोटा होने के कारण गर्भाशय का आकार कितना होना चाहिए यूटेरस नार्मल साइज bachedani chota hona uterus ka size chota hona
तो आपको बिल्कुल परेशान होने की आवश्यकता नहीं है यूट्रस का साइज छोटा होने पर यह 12 साल की उम्र से ट्रीटमेंट के दौरान बड़ा किया जा सकता है लेकिन आजकल के डॉक्टरों ने इसका आर्टिफिशियल ट्रीटमेंट तैयार कर लिया है.
कि वह किसी भी अवस्था में आपके यूट्रस के साइज को बढ़ा सकते हैं यदि आपको ऐसी कोई प्रॉब्लम है तो आप डॉक्टर की सलाह लें और उनके हिसाब से उन तरीकों को नियमित रूप से फॉलो करें.
और अपने यूट्रस का साइज बढ़ा ले गर्भाशय से जुड़े कई सवालों के जवाब आज हम इस आर्टिकल में लेकर आए हैं इसलिए आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें.
Table of contents : दिखाएँ
बंधन में की गई कोख को कैसे खोले ? जाने 5 अचूक उपाय How to open the womb?
बंधन में की गई कोख गर्भ को खोलने का मंत्र और उपाय Womb open mantra
और गर्भाशय से जुड़ी कई समस्याओं और उनके समाधान जानेंगे तो आइए जानते हैं गर्भाशय का छोटा होना क्या है और यह किस वजह से छोटा होता है.
यूट्रस के छोटे होने की वजह | गर्भाशय का छोटा होना
हमारे शरीर में एक हारमोंस होता है. जिसके रिलीज होने पर यूट्रस का साइज बढ़ता है यदि हारमोंस रिलीज नहीं होता है तो यूटरस का साइज छोटा रह जाता है जिससे आगे चलकर हमें समस्या होने लगती है वैसे तो यूट्रस का नार्मल वजन 70 ग्राम से 125 ग्राम होता है.
pragnancy
लेकिन यह प्रेगनेंसी के साथ-साथ महीनों के हिसाब से बढ़ता रहता है यूट्रस छोटे होने की कोई खास वजह नहीं है यह आपकी शरीर के हिसाब से होता है और यह विटामिन और प्रोटीन और खाद्य पदार्थों की कमी के कारण छोटा होता है.
इन सब चीजों की कमी के कारण यह कमजोर भी होता है जिससे प्रेगनेंसी के दौरान कई समस्याएं आ सकती हैं इसीलिए जब कोई औरत प्रेग्नेंट होती है तब उसे ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन और विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने के लिए कहा जाता है.
और अधिक समय आराम करने के लिए बोला जाता है ऐसी कोई समस्या आ रही है तो आप तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और उचित इलाज करें.
गर्भावस्था में यूट्रस की स्थिति
गर्भवती महिला के प्रेगनेंसी के पहली तिमाही के दौरान दिन बीतने के साथ-साथ गर्भाशय भी बढ़ता है जिससे मूत्राशय पर अधिक दबाव बनता है और पेशाब जाने में दिक्कत होने लगती है हालांकि इससे कोई विशेष दिक्कत नहीं होती है.
अब प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही के दौरान यूट्रस पपीते के आकार का हो जाता है और यह ऊपर की ओर धीरे-धीरे बढ़ता है और यह आसपास की मांसपेशियों पर दबाव बनाना शुरू कर देता है इससे शरीर में दर्द और ऐठन होने लगती है.
garbhashay
तब गर्भाशय गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान गर्भाशय तरबूज की तरह बड़ा और पेट काफी बड़ा होने लगता है अब यह मूत्राशय फैल जाता है गर्भवती महिला को बैठने में बहुत अधिक समस्या होने लगती है अब वह लेटी रहती है.
या तो किसी चेयर पर आराम से बैठी रहती है उसके पेट के वजन के साथ-साथ उसके शरीर का वजन भारी हो जाता है इसके बाद का समय डिलीवरी का समय होता है.
गर्भाशय का साइज कितना होता है ? | Size of uterus
वैसे तो हर महिला के गर्भाशय का साइज अलग-अलग होता है यह उनके शरीर की संरचना के अनुसार होता है अनुमानित तौर पर इसका वजन 70 से 125 ग्राम होता है.
--------------------------- | --------------------------- |