Login
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi adipiscing gravdio, sit amet suscipit risus ultrices eu. Fusce viverra neque at purus laoreet consequa. Vivamus vulputate posuere nisl quis consequat.
Create an accountLost your password? Please enter your username and email address. You will receive a link to create a new password via email.
केआरएच में भर्ती महिला की बच्चेदानी में खून की नलियों का गुच्छा बन गया और उससे ब्लीडिंग होने लगी। ऐसी स्थिति में महिला की जान बचाने के साथ गर्भाशय को बचाने की चुनौती को डॉक्टरों ने पूरा किया। बिना चीर-फाड़ के ही न केवल बच्चेदानी में बने खून के गुच्छे को हटाया बल्कि उसके गर्भाशय को भी सुरक्षित रखा। जेएएच में पहली बार आर्टीरियो वीनस मॉलफार्मेशन का एंजियो एंबोलाइजेशन पद्धति से इस महिला का इलाज रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मनोहर राठौर ने किया। विशेषज्ञों का दावा है कि प्रदेश में पहली बार इस पद्धति से बच्चेदानी की ब्लीडिंग रोकने का उपचार किया गया है। महिला अब पूरी तरह सुरक्षित है।
डायलेशन एंड क्यूरेटेज (डीएंडसी) के दौरान करीब एक हजार महिलाओं में से एक महिला को ब्लीडिंग होने लगती है। ऐसी स्थिति में महिला की जान बचाने के लिए कई बार बच्चेदानी को ही निकालना पड़ता है। हाल ही में जेएएच में रेखा नामक एक महिला को आर्टीरियो वीनस मॉलफार्मेशन के कारण गर्भाशय में खून की नलियों का गुच्छा बन गया, जिससे ब्लीडिंग होने लगी। महिला की स्थिति को देखते हुए पहले विशेषज्ञ बच्चेदानी निकालने की तैयारी कर रहे थे। महिला की आयु 24 वर्ष होने और उसके एक भी बच्चा नहीं होने के कारण आगे बच्चे होने की संभावना पूरी तरह खत्म हो जाती। लिहाजा विशेषज्ञों के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती थी कि ब्लीडिंग रोकने के साथ-साथ उसकी बच्चेदानी काे भी बचाया जाए। लिहाजा गायनिक के विशेषज्ञों की मौजूदगी में रेडियोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मनोहर राठौर ने महिला का अल्ट्रासाउंड कर बच्चेदानी की स्थिति देखने के बाद एंजियो एंबोलाइजेशन पद्धति से खून की नलियों के गुच्छे काे एंजियोग्राफी के माध्यम से दवा द्वारा ठीक कर ब्लीडिंग बंद कर दी। इस पूरी प्रक्रिया में डेढ़ घंटा लगा। इस प्रक्रिया से न केवल महिला की जान बच गई बल्कि बच्चेदानी भी सुरक्षित रही।
एंजियो एंबोलाइजेशन पद्धति से जेएएच में हुआ मरीज का सफल इलाज
एक हजार महिलाओं में से एक महिला में डीएंडसी के द्वारा ब्लीडिंग होने लगती है। इस महिला की उम्र काफी कम थी। लिहाजा उसकी जान बचाने के साथ-साथ बच्चेदानी काे सुरक्षित रखना भी जरूरी था। महिला का एंजियो एंबोलाइजेशन पद्धति से सफल इलाज किया गया। जेएएच में पहली बार इस पद्धति से महिला का सफल इलाज किया गया है। डॉ. मनोहर राठौर, असिस्टेंट प्रोफेसर, रेडियोलॉजी विभाग, जीआरएमसी
--------------------------- | --------------------------- |