बच्चों को आईसीयू में क्यों रखा जाता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

प्रीमैच्योर शिशु का नवजात आईसीयू में पालन-पोषण

मेरा समय से पहले जन्मा शिशु नवजात आईसीयू (एनआईसीयू) में है। क्या मैं वहां उसकी देखभाल कर सकती हूं?
शिशु का नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में होना काफी चिंता की बात होती है और कुछ माता-पिता अक्सर ऐसी स्थिति में अकेला, चिंतित व असहाय महसूस करते हैं। अस्पताल में उसके सही पालन-पोषण पर ध्यान देकर आप स्थिति को संभाल सकती हैं, हालांकि आप अपने शिशु से वहां कितनी बार मिल सकती हैं, यह अस्पताल की नीतियों पर निर्भर करेगा।

भारत में अधिकांश नवजात आईसीयू किसी को भी अंदर प्रवेश की अनुमति नहीं देते, खासकर यदि शिशु बहुत ज्यादा बीमार हो तो। हालांकि, कुछ अस्पताल माता-पिता को दिन में वे जितनी बार चाहें, उतनी बार शिशु से मिलने देते हैं। रात में शिशु से मिलने की अनुमति केवल स्तनपान करवाने के लिए दी जा सकती है।

शुरुआत में आपका शिशु बहुत छोटा और नाजुक दिखाई देगा। शुरुआती दिनों में नर्स ही उसकी पूरी देखभाल करेंगी। ऐसे में हो सकता है आपको लगे कि शिशु को शायद आपकी जरुरत ही नहीं है।

मगर, ऐसा बिल्कुल नहीं है। आपका शिशु बेशक अस्पताल में है मगर आप उसके माता-पिता है और उसके लिए दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण लोग आप ही हैं।

यदि आपका अस्पताल अनुमति दे, तो आप शिशु के पास रहकर उसे आराम और सहारा दे सकती हैं। कभी-कभी उससे बातें करें और उसे लोरी सुनाएं, वह आपकी आवाज सुनकर आश्वस्त हो सकेगा। यदि डॉक्टर और नर्स अनुमति दे तो आप अपना कोई कपड़ा शिशु के पास रख सकती हैं, जिससे वह आपकी महक महसूस कर सके।

हालांकि, ध्यान रखें कि आपका शिशु शुरुआत में कीटाणुमुक्त वातावरण में रहेगा और डॉक्टर शायद बाहर का कोई भी कपड़ा या अन्य कोई चीज अंदर लाने की अनुमति न दें। आपको भी शिशु से मिलने जाने से पहले अस्पताल में उपलब्ध गाउन, मास्क और जूते पहनने होंगे। आपको अपनी घड़ी या जेवर भी उतारने होंगे।

जैसे-जैसे आपका शिशु स्वस्थ और ताकतवर होता जाता है, आप उसकी देखभाल के लिए ज्यादा से ज्यादा चीजें कर पाएंगी।
मैं अभी अपने प्रीमैच्योर शिशु को गोद में नहीं ले सकती। क्या उसे आराम और सहारा देने का कोई अन्य तरीका है?
यदि आपका अस्पताल अनुमति दे, तो आप शिशु को सुरक्षित महसूस करवाने के लिए कम्फर्ट होल्डिंग नामक तकनीक का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसमें आपको अपना एक हाथ कॉट में लेटे शिशु के सिर पर रखना है और दूसरा हाथ उसकी पीठ या पेट पर रखें या फिर उसके पैर पकड़ने के लिए इस्तेमाल करें। अपने हाथों को स्थिर रखें और आपका स्पर्श सहज और दृढ़ होना चाहिए।

यदि उपचार या जांचों के दौरान शिशु कष्ट में लगे तो आप कम्फर्ट होल्डिंग के जरिये उसे आराम व आश्वावासन दे सकती हैं। आप नर्स से भी पूछ सकती हैं कि शिशु को सहज महसूस कराने का सबसे बेहतरीन तरीका क्या है। यदि आपकी यूनिट में फिजियोथैरेपिस्ट भी हो, तो वे बता सकते हैं कि आप अपने स्पर्श से शिशु को कैसे सहज महसूस करा सकती हैं।

समय से पहले जन्मे शिशुओं को शांति और आराम चाहिए होता है। इसलिए नवजात इकाइयों में रोशनी और शोर बहुत कम होता है और वहां एकदम शांत वातावरण बनाए रखा जाता है। शिशु अति-उत्तेजित हो, तो वह चिड़चिड़ा सा हो सकता है इसलिए धीमे से शुरुआत करें और धीरे-धीरे अपना संपर्क बढ़ाएं।
कंगारु केयर क्या है?
जब शिशु के शरीर में थोड़ी ताकत आ जाए, तो उसे कंगारु केयर से बहुत फायदा होगा। इसका मतलब है कि शिशु को अपनी छाती पर थामना ताकि आपका त्वचा से त्वचा का संपर्क रहे। यह करने का एक तरीका है कि शिशु को अपने कुर्ते, टॉप या शर्ट के अंदर सीने से लगा लेना।

कंगारु केयर के बहुत से फायदे हैं। ये आपके शिशु को आराम पहुंचाता है और आप दोनों के बीच के बंधन को भी मजबूत करता है। आपकी हल्की गर्म और नग्न त्वचा के संपर्क में आने से शिशु के विकास को बढ़ावा मिलता है। कंगारु केयर आपके स्तनों को दूध का उत्पादन करने के लिए प्रेरित कर सकता है और सफल स्तनपान में भी मदद कर सकता है।

अ​ध्ययनों में यह भी बताया गया है कि कंगारु केयर प्रीटर्म शिशुओं में गंभीर बीमारी होने के खतरे को भी कम कर देता है।
क्या मैं अपने प्रीटर्म शिशु को दूध पिला सकती हूं?
हां। चाहे आपके शिशु के शरीर में अभी इतनी ताकत न हो कि वह खुद आपके स्तन से दूध पी सके, तो आप उसे अपना दूध निकालकर (एक्सप्रेस्ड ब्रेस्टमिल्क) पिला सकती हैं। शिशु को स्तनदूध पिलाना उसकी सेहत के लिए सबसे जरुरी ​चीजों में से एक है।

एक्सप्रेस किया गया स्तनदूध शिशु को कई तरीकों से दिया जाता है। समय से बहुत पहले जन्मे शिशु को नलिका के जरिये यह दिया जाता है। जब शिशु के शरीर में थोड़ी ताकत आ जाए, तो उसे पलड़ाई से दूध पिलाया जा सकता है। इसके बाद वह सीधे स्तनपान करना शुरु कर सकता है।

शिशु को स्तनपान करवाने से आप उसके अधिक नजदीक महसूस करती हैं और जब आप शुरुआत में ऐसा नहीं कर पा रही होती तो शायद यह आपको काफी आहत कर सकता है। मगर आप शांत रहें। आपका शिशु जल्द ही खुद स्तनपान करना शुरु कर देगा।

अधिकांश अस्पताल प्रीमैच्योर शिशुओं को दूध पिलाने के लिए बोतल की बजाय पलड़ाई का इस्तेमाल करते हैं। यदि आप शिशु को बोतल से दूध पिलाना चाहती हैं, तो इस बारे में अधिक जानकारी के लिए अस्पताल के स्टाफ से बात करें।
क्या मैं अपने प्रीमैच्योर बेबी की मालिश कर सकती हूं?
जैसे ही शिशु थोड़ा तंदुरुस्त होने लगे, तो मालिश से उसे बहुत से फायदे हो सकते हैं। हालांकि, अस्पताल में शिशु की मालिश आमतौर पर नर्स द्वारा ही की जाती है।

मालिश शिशु के चिंता व तनाव पैदा करने वाले हॉर्मोनों के स्तर को कम करती है और उन हॉर्मोनों को बढ़ावा देती है जो आपके साथ बंधन को बढ़ावा देंगे। मालिश से आपके शिशु की धड़कन और सांसों की गति सामान्य व नियमित हो सकती है। यह उसे शांत करती है और अच्छी नींद आने में मददगार है।

अध्ययनों में दर्शाया गया है कि मालिश से प्रीटर्म शिशुओं का वजन बढ़ने और हड्डियां मजबूत होने में भी मदद मिली है। साथ ही, उन्हें अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिलने की भी संभावना रहती है।

नवजात इकाई की टीम में शायद ऐसे थैरेपिस्ट भी शामिल हो सकते हैं जो शिशु की मालिश करने, उसे आराम पहुंचाने ओर ​उसके विकास को बढ़ावा देने के बारे में आपको सलाह दे सकें।
क्या मैं समय से पहले जन्मे शिशु को नहला सकती हूं?
आपके शिशु का पहली बार नहाना एक यादगार लम्हा होता है। आपको ​इसके लिए शायद कुछ दिन इंतजार करना पड़े मगर अंतत: यह दिन जरुर आएगा। नर्स आपको दिखाएंगी कि शिशु को कैसे नहलाना है।

जब शिशु को घर ले जाने का समय आता है, तब तक आप उसे नहलाना, उसकी नैपी बदलना और उसकी त्वचा की देखभाल करना शायद अच्छी तरह सीख चुकी होंगी।

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