बच्चों को डायपर कब बनाना चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Wed 19th Oct 2022 : 12:35

अगर छोटे बच्‍चों का समय पर डायपर न बदला जाए तो गीलेपन की वजह से उन्‍हें डायपर रैशेज की दिक्‍कत हो जाती है। डिलीवरी के बाद बच्‍चे का पहला साल मां के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होता है, क्‍योंकि यही वो समय होता है जब मां को बच्‍चे की जरूरतों को उसके बिना बोले ही समझना होता है।

इसी समय में मां को बच्‍चे के बिना बोले उसके भूख लगने और डायपर बदलने का खुद ही अंदाजा लगाना होता है। आपकी इस मुश्किल को कम करने के लिए आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए बताने जा रहे हैं कि उम्र के हिसाब से बच्‍चे का डायपर कब और कितनी बार बदलना चाहिए।

नवजात शिशु से लेकर एक महीने की उम्र
नवजात शिशु को बड़े बच्‍चों की तुलना में डायपर की ज्‍यादा जरूरत होती है। एक महीने से छोटे शिशु को एक दिन में कम से कम 6 से 10 डायपर की जरूरत होती है। इस उम्र में बच्‍चे लगभग तीन से चार बार पॉटी और लगभग हर घंटे में पेशाब करते हैं, इसलिए शुरुआती महीने में आपको डायपर की बहुत जरूरत पड़ती है।
अगर आपका शिशु भी निकालता है जीभ, तो इन बातों पर जरूर करें गौर

जब शिशु बोलना नहीं सीखते हैं तो अपनी हरकतों से ही अपनी जरूरतों के बारे में बताते हैं। भूख लगने पर भी शिशु जीभ निकालकर अपनी मां को संकेत देते हैं। कई बार खाना खिलाते समय जब बच्‍चे का पेट भर जाता है, तब भी वो जीभ निकालकर इस बारे में बताते हैं।
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अगर आपने अभी अपने बच्‍चे को कम ठोस आहार देना शुरू किया है और खाना खाते समय बच्‍चा जीभ निकाल रहा है तो इसका मतलब है कि अभी आपका बच्‍चा ठोस आहार खाने के लिए तैयार नहीं है।

कई बार बच्‍चे मुंह से सांस लेने की वजह से भी जीभ निकाल सकते हैं। खांसी, जुकाम, साइनस बंद होने, एलर्जी, टॉन्सिल्‍स में सूजन जैसे कई कारणों से बच्‍चा मुंह से सांस लेता है।


अत्यधिक गैस के कारण होने वाली बेचैनी और दर्द के कारण कुछ बच्चे गैस पास करते समय अपनी जीभ बाहर निकाल सकते हैं।

इसमें असामान्‍य रूप से जीभ का आकार बढ़ जाता है। कुछ बच्‍चों में डाउन सिंड्रोम या बे‍कविथ विडेमैन सिंड्रोम के कारण जीभ का साइज बढ़ सकता है। जीभ बड़ी होने पर शिशु को दिक्‍कत होती है और वो बार-बार अपनी जीभ बाहर निकालने लगता है।

शिशु के जीभ निकालने को टंग थ्रस्‍ट कहा जाता है। जब बच्‍चों के दांत निकलते हैं, तब भी वो जीभ निकालते हैं। हालांकि, दांत निकालने का यही एकमात्र संकेत नहीं होता है। मसूड़ों में सूजन, मसूड़ों का लाल होना, मुंह में बच्‍चे का चीजें डाल लेना और चिड़चिड़ा होना भी दांत आने का संकेत है।
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नवजात शिशु दूध पीते समय अपनी जीभ बाहर निकालते हैं और कई बार 4 से 6 महीने की उम्र के बाद उन्‍हें जीभ निकालने की आदत पड़ जाती है। इसमें बच्‍चों को मजा भी आता है।

कुछ बच्‍चों में मसल टोन कम होता है और जीभ भी एक मांसपेशी है जिसे मुंह की अन्‍य मांसपेशियां नियंत्रित करती हैं । मसल टोन की वजह से भी बच्‍चे सामान्‍य से ज्‍यादा बार मुंह से जीभ बाहर निकाल सकते हैं। डाउन सिंड्रोम और सेरेब्रल पाल्‍सी जैसी कई स्थितियों के कारण मसल टोन में कमी आ सकती है।

इसके अलावा हिपोटोनिया, माइक्रोगनाथिया जैसी कई स्थितियों के कारण भी शिशु जीभ बाहर निकालने लगते हैं। अगर आपका बच्‍चा सामान्‍य से ज्‍यादा बार टंग थ्रस्टिंग कर रहा है या ऐसा करने के दौरान वो चिड़चिड़ा हो जाता है और रोने भी लगता है तो तुरंत पीडियाट्रिशियन को दिखाएं।


एक महीने से पांच महीने तक
एक महीने के बच्‍चे को 4 से 6 डायपर की जरूरत पड़ती है। स्‍तनपान करने वाले बच्‍चों को फॉर्मूला मिल्‍क लेने वाले बच्‍चों की तुलना में ज्‍यादा डायपर की जरूरत पड़ सकती है। ब्रेस्‍ट मिल्‍क पचाने में आसान होता है और इसीलिए स्‍तनपान करने वाले बच्‍चे ज्‍यादा पॉटी और पेशाब करते हैं।

पांच महीने से अधिक उम्र
पांच महीने का होने पर शिशु पहले की तुलना में कम बार पॉटी करता है। फॉर्मूला मिल्‍क लेने वाले बच्‍चों की तुलना में स्‍तनपान करने वाले बच्‍चों का मल पतला होता है। इस उम्र में शिशु को दिन में आठ डायपर की जरूरत भी पड़ सकती है।
अगर आपका शिशु भी निकालता है जीभ, तो इन बातों पर जरूर करें गौर

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जब शिशु बोलना नहीं सीखते हैं तो अपनी हरकतों से ही अपनी जरूरतों के बारे में बताते हैं। भूख लगने पर भी शिशु जीभ निकालकर अपनी मां को संकेत देते हैं। कई बार खाना खिलाते समय जब बच्‍चे का पेट भर जाता है, तब भी वो जीभ निकालकर इस बारे में बताते हैं।
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अगर आपने अभी अपने बच्‍चे को कम ठोस आहार देना शुरू किया है और खाना खाते समय बच्‍चा जीभ निकाल रहा है तो इसका मतलब है कि अभी आपका बच्‍चा ठोस आहार खाने के लिए तैयार नहीं है।

कई बार बच्‍चे मुंह से सांस लेने की वजह से भी जीभ निकाल सकते हैं। खांसी, जुकाम, साइनस बंद होने, एलर्जी, टॉन्सिल्‍स में सूजन जैसे कई कारणों से बच्‍चा मुंह से सांस लेता है।


अत्यधिक गैस के कारण होने वाली बेचैनी और दर्द के कारण कुछ बच्चे गैस पास करते समय अपनी जीभ बाहर निकाल सकते हैं।

इसमें असामान्‍य रूप से जीभ का आकार बढ़ जाता है। कुछ बच्‍चों में डाउन सिंड्रोम या बे‍कविथ विडेमैन सिंड्रोम के कारण जीभ का साइज बढ़ सकता है। जीभ बड़ी होने पर शिशु को दिक्‍कत होती है और वो बार-बार अपनी जीभ बाहर निकालने लगता है।


शिशु के जीभ निकालने को टंग थ्रस्‍ट कहा जाता है। जब बच्‍चों के दांत निकलते हैं, तब भी वो जीभ निकालते हैं। हालांकि, दांत निकालने का यही एकमात्र संकेत नहीं होता है। मसूड़ों में सूजन, मसूड़ों का लाल होना, मुंह में बच्‍चे का चीजें डाल लेना और चिड़चिड़ा होना भी दांत आने का संकेत है।
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नवजात शिशु दूध पीते समय अपनी जीभ बाहर निकालते हैं और कई बार 4 से 6 महीने की उम्र के बाद उन्‍हें जीभ निकालने की आदत पड़ जाती है। इसमें बच्‍चों को मजा भी आता है।

कुछ बच्‍चों में मसल टोन कम होता है और जीभ भी एक मांसपेशी है जिसे मुंह की अन्‍य मांसपेशियां नियंत्रित करती हैं । मसल टोन की वजह से भी बच्‍चे सामान्‍य से ज्‍यादा बार मुंह से जीभ बाहर निकाल सकते हैं। डाउन सिंड्रोम और सेरेब्रल पाल्‍सी जैसी कई स्थितियों के कारण मसल टोन में कमी आ सकती है।

इसके अलावा हिपोटोनिया, माइक्रोगनाथिया जैसी कई स्थितियों के कारण भी शिशु जीभ बाहर निकालने लगते हैं। अगर आपका बच्‍चा सामान्‍य से ज्‍यादा बार टंग थ्रस्टिंग कर रहा है या ऐसा करने के दौरान वो चिड़चिड़ा हो जाता है और रोने भी लगता है तो तुरंत पीडियाट्रिशियन को दिखाएं।


एक साल की उम्र तक
9 महीने से 12 महीने तक के बच्‍चे को भी दिन में आठ डायपर की जरूरत पड़ती है। इस हिसाब से इस उम्र का शिशु महीने में 240 डायपर इस्‍तेमाल करता है।
उम्र के हिसाब से शिशु के लिए डायपर की औसत उपयोग की संख्‍या बताई गई है। हालांकि, सभी बच्‍चों में इसकी संख्‍या में थोड़ा बदलाव हो सकता है।

कब बदलना चाहिए डायपर
जब भी आपको लगे कि आपके बच्‍चे का डायपर गीला हो गया है तो तुरंत उसे बदल दें। पेशाब या मल की वजह से शिशु को इंफेक्‍शन हो सकता है और इसका इलाज बच्‍चे को तकलीफ दे सकता है।

जब भी बच्‍चा सोकर उठता है तो उसका डायपर जरूर चेक करें। डायपर बदलने के लिए बच्‍चे को नींद से जगाने की जरूरत नहीं है। दूध पिलाने से पहले भी बच्‍चे का डायपर चेक करना चाहिए। रात को सुलाने से ठीक पहले डायपर जरूर बदलें।
यह भी पढें: 3-4 घंटे में बच्चे का Diaper बदलें, वरना होगा नुकसान
नवजात शिशु एक से 3 घंटे के अंदर और दूध पीने के बाद पेशाब जरूर करता है। डायपर बदलने के लिए उसके ज्‍यादा गीले या भारी होने का इंतजार न करें। थोड़े-थोड़े समय में चेक करते रहें कि बच्‍चे का डायपर गीला है या नहीं और उसके रूटीन के हिसाब से डायपर बदलने के कुछ समय निर्धारित कर लें।

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