बच्चों को पॉटी ना आए तो क्या करें?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

शिशुओं में कब्ज होने के क्या कारण हैं?
शिशु में कॉन्सिटपेशन होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि:

फॉर्मूला दूध: फॉर्मूला दूध पीने वाले शिशु को कब्ज होने की संभावना ज्यादा होती है, क्योंकि स्तनदूध की तुलना में फॉर्मूला दूध को पचा पाना मुश्किल हो सकता है। इसकी वजह से मल कड़ा और बड़े आकार का आता है। फॉर्मूला दूध का ब्रांड बदलने से भी कब्ज की परेशानी हो सकती है। वहीं, दूसरी तरफ स्तनदूध पीने वाले शिशु को कब्ज होने की संभावना कम होती है। स्तनदूध पीने से ऐसा मल बनता है, जो लगभग हमेशा ही नरम होता है। चाहे शिशु ने कुछ दिनों से मल त्याग न किया हो फिर भी पॉटी नरम ही होती है।

ठोस आहार शुरु करना: ठोस आहार का सेवन शुरु करने पर शिशुओं को अक्सर कब्ज हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका शरीर नए भोजन के प्रति खुद को व्यवस्थित कर रहा होता है। जब आप शिशु को ठोस आहार खिलाना शुरु करते हैं, तो आपको उसके पेय पदार्थों का सेवन भी बढ़ाना चाहिए। कम फाइबर वाले भोजन या पर्याप्त तरल न पीने से शिशु को कब्ज हो सकता है। संतुलित व पौष्टिक आहार, कब्ज को दूर रखने में अत्यंत सहायक हैं।

शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन): हो सकता है शिशु दांत निकलने, थ्रश होने पर, गले में इनफेक्शन, सर्दी-जुकाम या कान के संक्रमण की वजह से दूध न पी रहा हो। या फिर हो सकता है आपका थोड़ा बड़ा शिशु ठोस आहार शुरु करने पर पर्याप्त मात्रा में दूध या पानी न पी रहा हो। कारण चाहे कुछ भी हो, यदि आपका शिशु पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं लेगा तो उसके शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इसकी वजह से उसे सूखी और कड़ी पॉटी हो सकती है, जिसे करने में शिशु को मुश्किल होगी।

बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी स्थिति: कभी-कभार, कब्ज किसी भोजन से एलर्जी, भोजन विषाक्तता (जैसे कि बॉटुलिज्म) या भोजन के अवशोषण में समस्या (मेटाबॉलिक डिसोर्डर) की वजह से भी हो सकता है। कुछ दुर्लभ मामलों में, शिशुओं में कब्ज का कारण विशेष जन्मजात स्थितियां हो सकती हैं। इनमें शामिल हैं, वह बीमारी जिसमें बड़ी आंत उचित ढंग से काम नहीं करती (हर्शस्प्रून्गज़ डीजीज), वह स्थिति जिसमें गुदा और मलद्वार पूरी तरह से विकसित नहीं होते (एनोरेक्टल मैलफोर्मेशन), स्पाइना बिफिडा और सिस्टिक फाइब्रोसिस।

शिशु का कब्ज उपचार कैसे करना चाहिए?
शिशु की असहजता कम करने के लिए कोई भी उपाय आजमान से पहले डॉक्टर से बात करें। हो सकता है डॉक्टर शिशु को जांच के लिए बुलाएं। डॉक्टर निम्नांकित कुछ घरेलू उपचारों को बारे में सलाह दे सकते हैं:

शिशु की टांगों को साइकिल चलाने के ढंग से घुमाएं इससे उसकी सख्त पॉटी बड़ी आंत में से नरम होकर थोड़ा खिसकना शुरु हो सकेगी। शिशु को पाचन से जुड़ी समस्याओं से राहत देने की लिए हमारे इस छोटे वीडियो में मालिश की तकनीकें सीखें। जब शिशु असहज हो, तो उसे तुरंत आराम देने के लिए अक्सर मालिश की ये तकनीकें आजमाई जा सकती हैं। कब्ज से बचाव के लिए भी ये अच्छा उपाय हैं, इसलिए रोजाना शिशु की मालिश के दौरान नियमित तौर पर इन्हें करें, ताकि शिशु को इसका अधिकतम फायदा मिल सके।

अगर आपका शिशु फॉर्मूला दूध पीता है, तो उसे एक से दूसरे फीड के बीच अतिरिक्त पानी देती रहें। मगर, इसके लिए फॉर्मूला दूध में ही ज्यादा पानी न मिलाएं। वहीं, बहुत ज्यादा दूध पाउडर शिशु के शरीर में पानी की कमी कर सकता है, जिससे कब्ज हो सकता है। डॉक्टर आपको अलग ब्रांड का फॉर्मूला दूध आजमाने की सलाह दे सकते हैं।

अगर आपके शिशु ने ठोस आहार लेना शुरु कर दिया है, तो उसे पर्याप्त मात्रा में उबालकर ठंडा किया गया पानी और फलों का जलमिश्रित रस दें। आप उसे दो छोटी चम्मच सूखे आलूबुखारे (प्रून) का रस भी दे सकती हैं। आप एक गिलास पानी में दो से तीन छोटी चम्मच चीनी मिलाकर भी शिशु को दे सकती हैं। कभी-कभार पानी में चीनी मिलाकर भी शिशु को दिया जा सकता है, मगर ऐसा शिशु के डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

अपने थोड़े बड़े शिशु के आहार में पर्याप्त मात्रा में फाइबर शामिल करने स मदद मिल सकती है। प्यूरी बनाकर या छोटे-छोटे हिस्सों में काटकर सेब, आड़ू, अंगूर, नाशपति, आलूबुखारा, किशमिश, रसभरी, स्ट्रॉबेरी शिशु को दी जा सकती है। इन सभी में फाइबर उच्च मात्रा में होता है। मुनक्का की प्यूरी को विशेषकर फायदेमंद माना गया है। आप शिशु के नियमित सीरियल में एक या दो चम्मच यह प्यूरी मिला सकती हैं। पालक, मटर, पत्तागोभी जैसी सब्जियां फाइबर से भरपूर होती हैं, इसलिए इन्हें शिशु के आहार में शामिल करें। आप शिशु के सामान्य ब्रेकफास्ट सीरियल में थोड़ी मात्रा में उच्च फाइबर वाले सीरियल भी शामिल कर सकती हैं।

यदि ये घरेलू उपचार काम न करें या फिर शिशु का बहुत ज्यादा कब्ज हो तो डॉक्टर रेचक (लैग्जेटिव) लेने की सलाह दे सकते हैं शिशु को किसी भी तरह का लैग्जेटिव या सपोजिटरी देने से पहले डॉक्टर से पूछ लें, चाहे फिर वह रेचक जड़ी-बूटी (हर्बल) या होमियोपैथिक ही क्यों न हो।

इस सबके बावजूद, शिशु को कब्ज होने पर कोशिश करें कि आप ज्यादा चिंतित न हों। शिशुओं को यदा-कदा कब्ज हो ही जाता है, खासकर कि यदि वह फॉर्मूला दूध पी रहा हो या उसने ठोस आहार खाना शुरु किया हो। आपके ध्यान, उपचार और समय के साथ जल्द ही शिशु दोबारा सामान्य और नियमित मलत्याग करने लगेगा।

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