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यदि आप पहली बार माँ बनी हैं, तो स्तनों में दूध आने में तीन से चार दिन का समय लग सकता है। अगर यह आपका दूसरा या तीसरा शिशु है, तो दूध पहले भी आ सकता है। शिशु के जन्म के दो से तीन दिन बाद आपके स्तन भरे हुए लगने लगेंगे, यह संकेत है कि दूध आने लगा है।
जो हॉर्मोन आपके शरीर को स्तनदूध का उत्पादन करने के लिए कहता है, उसे प्रोलैक्टिन कहा जाता है। पूरी गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में इस हॉर्मोन का स्तर बढ़ रहा होता है।
हालांकि, आपकी अपरा (प्लेसेंटा) के हॉर्मोन (विशेषकर प्रोजेस्टीरोन हॉर्मोन) आपके शरीर को प्रोलैक्टिन के प्रति प्रतिक्रिया करने से रोकते हैं। इसका मतलब है कि आप तब तक दूध का उत्पादन नहीं कर सकती, जब तक आपके शिशु का जन्म नहीं हो जाता और प्लेसेंटा के हॉर्मोन आपके शरीर से निकल नहीं जाते।
हो सकता है गर्भावस्था के दौरान आपके स्तनों से थोड़े दूध का रिसाव हुआ हो। यह गाढ़ा, मलाईदार पहला दूध होता है, जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है। गर्भावस्था के मध्य से यह आपके स्तनों में बनने लगता है। आपका दूध आने से पहले के दिनों में यह कोलोस्ट्रम ही आपके शिशु को सभी जरुरी पोषण प्रदान करेगा।
आप शिशु के जन्म के तुरंत बाद उसे स्तनपान करवा सकती हैं। इसके बाद शिशु जब भी स्तनपान करना चाहे आप उसे स्तनपान करवाती रहें।
यदि जरुरत हो तो शिशु को स्तन से लगाने (लैचिंग) में आप नर्स या डॉक्टर की मदद ले सकती हैं। इस तरह सुनिश्चित हो सकेगा कि आपके शिशु को पर्याप्त कोलोस्ट्रम मिल रहा है और आपके निप्पल में दर्द व संवेदनशीलता भी नहीं होगी।
जब शिशु निप्पल चूसना शुरु करता है और सही से स्तनपान करने लगता है, तो आपके शरीर को संकेत मिलने लगते हैं कि उसे और दूध का उत्पादन करने की जरुरत है।
चाहे आप शिशु को स्तनपान न करा रही हों या अपना दूध निकालकर (एक्सप्रेस) पिला रही हों, तो भी आपका शरीर दूध का उत्पादन शुरु कर देगा।
शुरुआत में आपका शरीर रक्तवाहिकाओं में मौजूद हॉर्मोनों के प्रति प्रतिक्रिया करते हुए स्वत: ही दूध का उत्पादन करता है। मगर शिशु की इच्छानुसार उसे बार-बार दूध पिलाने या स्तनदूध निकालने से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि आपका शरीर यह उत्पादन जारी रखे।
स्तनदूध की उच्च आपूर्ति के लिए आपको शिशु को बार-बार दूध पिलाना होगा और उसे हर बार सही ढंग से लैच करवाना होगा।
यदि स्तनों में दूध आने में चार दिन से ज्यादा का समय लगे, तो इसके निम्न कारण हो सकते हैं:
आपके शिशु का जन्म काफी तनावपूर्ण रहा, शायद इसलिए क्योंकि आपको काफी देर तक जोर लगाना पड़ा या फिर आपका आपातकाल सीजेरियन आॅपरेशन करना पड़ा। ऐसे में स्तनों में दूध आने में दो से पांच दिन का समय लग सकता है। तब तक आपका शिशु कोलोस्ट्रम के सेवन से पूरी तरह खुश और संतुष्ट रहेगा।
आपको मधुमेह है, जिसके लिए इंसुलिन के उपचार की जरुरत होती है या फिर आपको गर्भावस्था में गर्भावधि मधुमेह (जैस्टेशनल डायबिटीज) हुआ है। आपके स्तनों को दूध का उत्पादन शुरु करने के लिए इंसुलिन की जरुरत होती है और उसे आपके शरीर की इंसुलिन की जरुरतों से मुकाबला करना पड़ता है। शिशु के जन्म के बाद शुरुआती दिनों में ज्यादा से ज्यादा बार स्तनपान करवाने से स्तनों को दूध का उत्पादन करने के लिए प्रेरित करने में मदद मिलती है।
शिशु के जन्म के बाद अपरा के अंश शरीर में रह गए हैं। ये दूध का उत्पादन करने वाले हॉर्मोन (प्रोलैक्टिन) के काम में बाधा डाल सकते हैं। यदि अपरा के अंश अंदर रह जाते हैं तो इस बात की पूरी संभावना रहती है कि आपको भारी रक्तस्त्राव जारी रहेगा। चिंता न करें, अल्ट्रासाउंड के जरिये इसका पता चल सकता है, और बची हुई अपरा को निकाला जा सकता है।
कई महिलाएं स्तनदूध का उत्पादन शुरु करने के लिए पारंपरिक तरीकों को आजमाती हैं। माना जाता है कि मेथीदाना की चाय और लहसुन डालकर उबाला गया दूध पीने से दूध की आपूर्ति बढ़ती है।
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