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अपने शिशु को कितनी बार और कैसे नहलाया जाना चाहिए?
इस लेख में
डॉक्टर्स का क्या कहना है अपने शिशु को रोज़ नहलाने के बारे में।
नई माताओं के लिए अपने शिशु को निहालने के लिए टिप्स।
माता होने का पूरा आनंद ले।
कुछ शिशु पानी में रहना पसंद करते है और कुछ तो पानी के नाम से ही रोने लगते है। छोटे हो या बड़े, पर बच्चों को नहलाना भी एक चुनौती से कम नहीं है और खास तौर पर तब जब आपका बच्चा पानी के नाम से दूर भागता हो।
खैर, ऐसी हालत में सवाल यह भी उठता है कि बच्चे को कितनी बार और कैसे नहलाया जाना चाहिए; क्या रोज़ाना या फिर सप्ताह में कभी- कभी। अगर डॉक्टर्स की माने तो नवजात शिशुओं के मामले में आपको रोज़ाना अपने बच्चे को नहलाने की कोई ख़ास जरूरत नहीं होती। हफ्ते में 3-4 बार नहलाना बहुत होगा और बाकी के दिन स्पंज बाथ यानि कि कपड़ा गीला करके भी साफ़ सफाई की जा सकती है। कई मौकों पर यह भी देखने में आया है कि रोज़ाना नहलाने से उनकी त्वचा का जरूरी तेल निकल जाता है। यह एक बहुत ही ध्यान देने वाली बात है।
इस लेख के ज़रिए मैं उन सब माताओं को पहले तो बधाई देना चाहूँगी जो हाल ही में माँ बनी हैं। वो सभी नई-नई माताएँ जो यह जानना चाहती हैं कि नवजात शिशु को नहलाने का सही तरीका क्या है, कृप्या ध्यान से यह लेख पड़े और हमारी ब्लॉग से जुड़े क्योंकि इस ब्लॉग के ज़रिए शिशु के आहार, सामान, देखभाल से जुड़ी, हमारे विशेषज्ञों की बहुमूल्य सलाह मिलती रहेगी।
1. अपने शिशु की नहाने की किट तैयार करें - सारा सामान व्यवस्थित कर ले
सबसे पहले अपने शिशु की नहाने की किट तैयार करें। यह सुनिश्चित कर ले कि आपने सारा जरूरी सामान उस में डाल लिया है क्योंकि स्नान के दौरान आप अपने शिशु को अकेला नहीं छोड़ सकती। बेबी शैम्पू, बेबी साबुन, कुछ पानी के खिलौने, मुलायम तौलिया, और बेबी बॉडी लोशन। इसके साथ साथ नहाने का टब, बच्चे के डाइपर, उसके कपड़े और सबसे जरूरी, वह कपड़ा जिसमें आप अपने शिशु को नहलाने के बाद लपेटने वाली हैं, भी उठा ले।
2. शिशु को नहलाने की प्रक्रिया
इससे पहले कि आप अपने बच्चे को नहलाए, यह पक्का कर ले कि सारे खिड़कियाँ दरवाज़े बंद है क्योंकि आप नहीं चाहेंगी कि आपके शिशु को ठंडी हवा लगे और वो बीमार हो। फिर पानी का तापमान भी जाँच ले कि पानी ज़्यादा गरम तो नहीं है। नहलाने के लिए हमेशा पानी गुनगुना रखें; ना ज़्यादा गरम और ना बिल्कुल ठंडा।
अगर आपका शिशु थोड़ा बड़ा है तो आप उसको पानी के टब में कुछ खिलौने दे कर बिठा सकती हैं और अगर छोटा है तो उसको आप अपनी हथेली पर भी उठा सकती है। इसके बाद आपको बहुत ही आराम से उसको हल्के हाथों से साबुन लगाना है, धोना है और जैसे ही आप उस पर लगा पूरा साबुन धो ले, उसको पानी में से बाहर निकाल लेना है। अगर आप किसी प्रकार की शंका में हो तो, अच्छा रहेगा कि किसी बड़े-बुजुर्ग की मदद ले ले।
3. नहलाने के बाद
अच्छी तरह से नहा लेने के बाद उसको तोलिये में लपेट ले। बाथरूम से बाहर ला कर उसको अच्छे से पोंछ ले। फिर उसके शरीर पर बॉडी लोशन, बेबी तेल इत्यादि लगाएँ। इसके बाद अपने शिशु को डाइपर और साफ सुथरे कपड़े पहनाएँ। साथ ही उसको एक बहुत ही आरामदायक कपड़े या कंबल में लपेट लें। ध्यान रहे कि उसको कहीं से भी ठंडी हवा ना लगे क्योंकि गरमाइश ही उसको एक बेहतर नींद देगी।
इसके साथ साथ यह भी ध्यान रहे कि चाहे आप अपने शिशु को रोज़ाना स्नान नहीं करवा रहीं हैं, पर फिर भी उसके जनन अंगों की सफाई बहुत जरूरी तौर पर कर रहीं है क्योंकि इसको नज़रअंदाज़ नही किया जाना चाहिए।
ख़ासतौर पर ध्यान रहे कि जब आप आपने शिशु के डाइपर बदल रहीं हों तो उस समय जनन अंगो की सफाई ज़रूर करे।
इस समय आप गुनगुने पानी का इस्तेमाल कर सकती हैं जिससे कीटाणुओ को मारा जा सके। स्पंज बाथ यानि कि गीले कपड़े से सफाई उन बच्चे के लिए एक बेहतरीन उपाय है जिनकी अंबिलिकल स्टंप (नाल) नही झड़ी है, और साथ ही सर्दियों के दिनों में तो स्पंज बाथ एक बहुत ही अच्छा विकल्प है।
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