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शिशु के छाती में इंफेक्शन के होते हैं ये 6 लक्षण, जानें इस बीमारी का कारण और बचाव के तरीके
छोटे बच्चों संक्रमण की चपेट में आसानी से आ जाते है और इससे उनका इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो सकता है।
शिशु के छाती में इंफेक्शन के होते हैं ये 6 लक्षण, जानें इस बीमारी का कारण और बचाव के तरीके
बच्चों के छाती में इंफेक्शन के कई कारण हो सकते हैं। बच्चे की छाती में इंफेक्शन के सबसे आम कारण ब्रोंकाइटिस और निमोनिया है। बच्चों में यह संक्रमण बेहद खतरनाक हो सकता है क्योंकि इस समय बच्चों के इम्यून सिस्टम का विकास हो रहा होता है और ऐसे में छाती में होने वाले इंफेक्शन के कारण उनके स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान हो सकता है। चेस्ट इंफेक्शन में समस्याएं बुखार और सर्दी के रूप में शुरू होती है लेकिन अगर इसे जल्दी ठीक नहीं किया जाता है, तो इससे समस्या बढ़ सकती है और बच्चे के छाती से आवाज आना, ऐंठन, गले में खराश और खांसी जैसी परेशानी हो सकती है। चेस्ट इंफेक्शन के इलाज के बारे में समझने से पहले आपको इसके कारण और लक्षणों के बारे में विस्तार से समझना होगा ताकि समस्या का समाधान आसानी से किया जा सके। आइए बच्चों में चेस्ट इंफेक्शन की समस्या के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बच्चे के छाती में इंफेक्शन का कारण
1. मौसम में परिवर्तन
यदि बच्चे के आसपास के माहौल में बहुत अधिक परिवर्तन होता है, तो तापमान के अत्यधिक उतार-चढ़ाव के कारण बच्चे के छाती में इंफेक्शन हो सकता है। बच्चों में ये मानसून और सर्दियों के समय में अधिक हो सकते हैं क्योंकि इस दौरान बाहर का मौसम अधिक ठंडा और बच्चे के लिए कभी-कभी असहनीय हो जाता है।
2. इम्यून सिस्टम
जब बच्चे बड़े होने के क्रम में होते हैं, तो उस समय उनके इम्यून सिस्टम का विकास उस तरह से नहीं हुआ होता है कि वह किसी गंभीर इंफेक्शन से बच सकें। ऐसे में कमजोर इम्यून सिस्टम की वजह से वह बैक्टीरिया और वायरस का शिकार हो सकते हैं और इससे छाती में संक्रमण फैल सकता है।
3. एलर्जी
कई बार किसी खास मौसम या किसी खास चीज की वजह से बच्चे को एलर्जी हो सकती है औऱ यह छाती में इंफेक्शन का कारण हो सकता है। आपरने देखा होगा कि कई बच्चे किसी खास मौसम के आते ही बीमार पड़ने लगते है या किसी तरह के फूल की खूशबू और सर्द हवाओं के कारण भी ये परेशानी बढ़ सकती है।
4. स्मोकिंग एक्सपोजर
कई बार बच्चों में स्मोकिंग के एक्सपोजर के कारण भी ये परेशानी हो सकती है। दरअसल अगर बच्चा स्मोकिंग के धूएं के संपर्क में किसी तरह से भी आता है, तो हवा के प्रदूषित होने से उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप उनके छाती में संक्रमण की समस्या हो सकती है।
5. सामान्य जुकाम और खांसी
यह अधिकांश बच्चों में हो सकता है। सामान्य सर्दी के कारण उनमें चेस्ट इंफेक्शन का खतरा हो सकता है। दरअसल बच्चों का शरीर ठंड के प्रति अधिक संवेदनशील होता है और कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण यह बच्चों को अपनी चपेट में ले लेता है। अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, तो अस्थमा और अन्य गंभीर समस्याओं का खतरा रहता है।
बच्चों में चेस्ट इंफेक्शन के लक्षण
1. लंबे समय तक खांसी और बुखार की समस्या
2. सांस लेने में कठिनाई और गले से घरघराहट की आवाज आना
3. नींद में रुकावट और बार-बार जगना
4. दिल की धड़कन तेज होना
5. भूख न लगना, उल्टी और मतली की परेशानी
6. सीने में दर्द और जलन की दिक्कत आना
बच्चे में छाती के इंफेक्शन को दूर करने के उपाय
बच्चों के छाती का इंफेक्शन आप आसानी से ठीक कर सकते हैं लेकिन आपको इस बात का काफी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों में इंफेक्शन अधिक न फैले और कोई गंभीर बीमारी का खतरा न बन जाए। इसके लिए आप कुछ घरेलू उपचार की मदद लेते हुए, बच्चे के एक हफ्ते तक ठीक होने की प्रतीक्षा कर सकते हैं।
1. बच्चे के छाती का संक्रमण दूर करने के लिए आपके उन्हें खाने में साबुत अनाज, शहद, तुलसी और गर्म तरह पदार्थ जैसे सूप और हल्दी दूध पीने को दे सकते हैं। यह संक्रमण से लड़ने में बच्चे की मदद करता है। यह शरीर के तापमान को बनाए रखने में सहायता कर सकता है। हालांकि अगर आपका बच्चा बहुत छोटा है, तो आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप उन्हें खाने में कोई ऐसी चीज न दें कि वह आसानी से पचा न सकें।
2. इसके अलावा डॉक्टर की सलाह पर आप बच्चे को खाने के लिए कुछ दवाएं दे सकते हैं। इससे उन्हें जल्दी आराम मिल सकता है।
3. इसके अलावा बच्चे की नाक हमेशा साफ करते रहें। इससे उन्हें सांस लेने में परेशानी नहीं होती है और नाक बंद की समस्या भी नहीं होती है।
4. अगर आपका बच्चा थोड़ा बड़ा है, तो आप उन्हें स्टीम इनहेलेशन लेने को भी कह सकते हैं। दरअसल चेस्ट इंफेक्शन में भाप लेने से गले में आराम मिलता है और बंद नाक खोलने में मदद मिल सकती है।
कुछ अन्य उपाय
1. आपको घर और आसपास सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि बच्चा किसी भी तरह के हानिकारक बैक्टीरिया और संक्रमण में न आएं। जितना हो सके बच्चे को गंदगी और प्रदूषित हवा से दूर रखने की कोशिश करें।
2. बच्चे को अगर किसी तरह का संक्रमण हो, तो इस्तेमाल किए हुए नैपकिन और रुमाल को अच्छे से फेंके या साफ करें। ताकि उससे बीमारी न फैल सके।
3. अपने बच्चे को सभी तरह के फ्लू से सुरक्षित रखने के लिए टीकाकरण जरूर करवाएं। इससे संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है।
4. बच्चे को स्मोकिंग के धूएं और संक्रमित व्यक्ति या किसी परिजन को इंफेक्शन होने पर उनसे दूर रखें। इससे बच्चे में भी इंफेक्शन फैल सकता है।
डॉक्टर के पास कब जाएं
आपको बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाने की तब जरूरत होती है, जब लंबे समय तक देखभाल के बाद भी बच्चा ठीक नहीं होता है और स्थिति पहले से बिगड़ती जा रही है, तब आपको डॉक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए। इसके अलावा अगर बच्चे को सांस लेने में कठिनाई या नाक से खून आने जैसी गंभीर लक्षण दिखाई दे, तो किसी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। अगर संक्रमण के लक्षण एक हफ्ते में नहीं जाते है, तो आपको किसी तरह के घरेलू उपचार तके चक्करों में नहीं पड़ना चाहिए।
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