रात में बच्चे को कैसे सुलाएं?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

कौन से उपाय शिशु को रात भर पूरी नींद लेने में मदद कर सकते हैं?
यहां दिए गए उपाय शिशु को आराम से सोने और आंख खुलने पर खुद दोबारा सोने में मदद करेंगे। शिशु को अकेले रोकर सोने देने से लेकर उसके साथ सोने तक बहुत अलग-अलग तरह की रणनीतियां हैं। यह आपको देखना है कि कौन सी रणनीति आपके और आपके परिवार के हिसाब से सही है।

शुरुआत से ही शिशु की नींद का एक नियमित पैटर्न बनाना और उसे शुरु से ही सोने की अच्छी आदतें सिखाना फायदेमंद है। निम्नांकित उपाय शिशु को छह हफ्ते से ही आरामदायक नींद पाने में मदद कर सकते हैं। हालांकि ध्यान रखें कि आप कोई भी तरीका अपनाएं, यह सफल तभी होगा जब आप लगातार इसका पालन करें:

दैनिक दिनचर्या बनाएं: अगर आप सारे दिन शिशु की दिनचर्या एक समान रखें तो रात को शिशु के सोने का समय तय करने और उसे सुलाने में ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। वह आराम से सो जाएगा। अगर शिशु हर दिन समान समय पर सोए, खाए-पीए, खेले और रात में भी उसे समान समय पर सुलाया जाए, तो पूरी संभावना रहती है कि शिशु बिना किसी परेशानी के आसानी से सो जाएगा।

शिशु के बेडटाइम का सही समय चुनें। ध्यान रखें कि शिशु को सुलाने का सही समय रात को 7.30 बजे से 9 बजे के बीच होता है, इसलिए कोशिश करें कि आप शिशु की नींद की दिनचर्या इसी हिसाब से बनाएं। अक्सर कामकाजी माता-पिता दफ्तर से आने के बाद अपने शिशु के साथ समय बिताने के लिए उसके सोने के समय में देरी कर देते हैं। कुछ परिवारों में तो शिशु को रात 11 बजे तक सुलाया जाता है। हो सकता है कि आपको शिशु चुस्त और खेलने के लिए तैयार लगे मगर यह संकेत है कि उसका सोने का समय निकल गया है। इसके बाद जब आप उसे सुलाना चाहें, तो शायद वह उस समय सोना न चाहे और आपको परेशानी हो।

आराम देने वाला बेडटाइम रुटीन बनाएं। जब शिशु करीब तीन महीने का हो, तो आप उसके लिए आराम देने वाला बेडटाइम रुटीन शुरु कर सकती हैं। जिस समय आप शिशु को सुलाना चाहे, उससे एक घंटा पहले से उसका बेडटाइम रुटीन शुरु कर दें। टीवी या कोई अन्य उपकरण बंद कर दें, क्योंकि इनसे शिशु की सोने की दिनचर्या प्रभावित हो सकती है। कमरे में रोशनी कम कर दें और शिशु को आरामदायक स्नान कराएं या उसकी मालिश करें। उसे लोरी सुनाएं, कहानी पढ़कर सुनाएं और खूब प्यार-दुलार करें। इन सभी से शिशु को आराम पाने और नींद आने में मदद मिल सकती है।

शिशु को नींद में ही दूध पिलाएं। यदि आपके शिशु बहुत मुश्किल से सोता है, तो उसे देर रात जगाकर दूध पिलाने से वह और लंबे समय तक सोता रहेगा। कमरे की रोशनी को कम ही रखें और अपने सोते हुए शिशु को गोद में उठाएं। उसे स्तनपान करवाएं या बोतल से दूध पिलाएं। शिशु नींद से हल्का सा जागकर दूध पीना शुरु कर सकता है, मगर यदि ऐसा न हो तो निप्पल को हल्के से उसके होंठो पर तब तक फिराएं जब तक वह इसे मुंह में न ले ले। जब शिशु दूध पी ले, तो उसे फिर से बिस्तर पर लिटा दें।

शिशु को अपने आप सोने दें। जब शिशु ​तीन महीने का हो जाए, तो आप उसे खुद से सोने के लिए प्रोत्साहित करना शुरु कर सकती हैं, हालांकि सभी बच्चे खुद से नहीं सोते है। शिशु को दूध पिलाने के बाद जब वह उनींदा सा हो मगर सोया न हो, तब आप उसे पीठ के बल बिस्तर पर लेटा दें और देखें कि आपके पास होने से अपने आप सोता है या नहीं। उसे सुलाने के लिए आप कोई आवाज या शब्द भी बोल सकती हैं। जब शिशु को नींद आए तो यही दोहराएं, ताकि शिशु इसे सोने के समय और उनींदा होने से जोड़ सके। नींद के कुछ विशेषज्ञ शिशु को गोद में हिलोरे देते हुए या फिर दूध पिलाते हुए सुलाना सही नहीं समझते। बहरहाल, बहुत से लोग इस बात को नहीं मानते, इसलिए आपके परिवार के लिए जो सही हो आप वह करें।

नींद का प्रशिक्षण दें। बहुत से शिशुओं को रात में जागने के बाद फिर से सुलाना मुश्किल हो जाता है। अगर आपका बच्चा छह महीने का है तो आप उसे अपने आप फिर से सोना सिखा सकती हैं। इसे नींद का प्रशिक्षण (स्लीप ट्रेनिंग) कहा जाता है। इसके बहुत से तरीके हैं, और कई तरीकों में शिशु को अपने आप रोते हुए सोने नहीं दिया जाता।

याद रखें कि शिशु कितनी जल्दी सोता है यह काफी हद तक उसकी उम्र पर भी निर्भर करता है। आपको भी उसके विकास के चरण के अनुसार चलना होगा।

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