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कई कारणों की वजह से मिसकैरेज हो सकता है। केमिकल प्रेग्नेंसी भी एक प्रकार का मिसकैरेज है जिसका पता मां के साथ-साथ डॉक्टर को भी मुश्किल से चल पाता है। केमिकल प्रेग्नेंसी के लक्षण, कारण और इलाज जानना बहुत जरूरी है।
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क्रेमिकल प्रेग्नेंसी का मतलब है गर्भावस्था के शुरुआती चरण में ही मिसकैरेज होना। कुल मिसकैरेज में 50 से 75 फीसदी मिसकैरेज केमिकल प्रेग्नेंसी के अंदर आते हैं। नियमित रूप से प्रेग्नेंसी टेस्ट न करने पर कई महिलाओं को पता ही नहीं चल पाता है कि उनकी केमिकल प्रेग्नेंसी हुई है। आइए जानते हैं केमिकल प्रेग्नेंसी क्या होती है, लक्षण, कारण और इलाज के बारे में।
केमिकल प्रेगनेंसी क्या है
डॉक्टर इसे केमिकल प्रेग्नेंसी कहते हैं क्योंकि इसमें ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) नामक हार्मोन का स्तर काफी बढ़ जाता है जो कि प्रेग्नेंसी टेस्ट का रिजल्ट पॉजीटिव लाने के लिए पर्याप्त होता है। लेकिन अल्ट्रासाउंड में भ्रूण दिखने से पहले ही इसका स्तर कम हो जाता है।
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इसका मतलब है कि अल्ट्रासाउंड में भ्रूण की तस्वीर आने से पहले ही केमिकल प्रेग्नेंसी हो जाती है। खून की जांच के द्वारा डॉक्टर को केमिकल प्रेग्नेंसी का पता चलता है। प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजीटिव आने के एक या दो हफ्ते बाद ही मिसकैरेज हो जाए ताे इस स्थिति को बहुत गंभीर माना जाता है।
Pregnancy Test: आप प्रेग्नेंट हैं या नहीं, बिना टेस्ट के ऐसे पहचानें
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मासिक धर्म आमतौर पर अचानक वजन घटने या बढ़ने, नियमित गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करने, तनाव एवं अन्य कारणों से रुक सकता है। लेकिन यदि आपका पीरियड 7 से 10 दिनों तक रुकता है तो यह प्रेग्नेंसी का संकेत हो सकता है।
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गर्भधारण के तीसरे हफ्ते में कुछ महिलाओं को मितली और मॉर्निंग सिकनेस होती है। इस दौरान गंध और स्वाद से उल्टी आती है और कुछ खाने का मन नहीं होता है। शरीर में हार्मोन का स्तर बढ़ने के कारण ऐसा होता है जो गर्भावस्था का लक्षण है।
अंतिम पीरियड के एक या दो हफ्ते बाद योनि से कुछ बूंद खून निकलने की स्थिति को इंप्लांटेशन ब्लीडिंग कहते हैं। स्पॉटिंग आमतौर पर तब होता है जब भ्रूण गर्भाशय में प्रत्यारोपित हो जाता है, जो कि गर्भावस्था का एक मुख्य लक्षण है।
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शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण रक्त का प्रवाह और वाटर रिटेंशन बढ़ता है जिसके कारण सामान्य से अधिक पेशाब महसूस होता है। इसके साथ ही गर्भाशय द्वारा भी ब्लैडर पर दबाव पड़ता है जिससे बार-बार पेशाब जाना पड़ता है।
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प्रेग्नेंट महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने के कारण पेट फूलना, सूजन, कब्ज और गैस जैसे लक्षण नजर आते हैं। इस दौरान भोजन करने की इच्छा नहीं होती है। पेट में गैस और सूजन भी प्रेग्नेंसी के लक्षण हैं।
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महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने के कारण मितली और बार-बार पेशाब लगने के अलावा थकान और अनिद्रा की समस्या भी होती है। हालांकि प्रेग्नेंसी के दूसरी तिमाही में महिला काफी एनर्जेटिक महसूस करती है जबकि तीसरी तिमाही में फिर से थकान और अनिद्रा का अनुभव होता है।
इन शारीरिक लक्षणों से बहुत आसानी से पहचाना जा सकता है कि आप प्रेग्नेंट हैं या नहीं। हालांकि इन लक्षणों से प्रेगनेंसी की पुष्टि नहीं होती है इसलिए आपको डॉक्टर के पास जरुर जाना चाहिए।
केमिकल प्रेग्नेंसी के लक्षण
इस तरह की प्रेग्नेंसी के लक्षण सभी महिलाओं में नजर नहीं आते हैं। केमिकल प्रेग्नेंसी बहुत जल्दी खत्म हो जाती है इसलिए अल्ट्रासाउंड के जरिए भी इसका पता लगा पाना मुश्किल होता है। बीटा एचसीजी टेस्ट और खून की जांच से केमिकल प्रेग्नेंसी का पता चल सकता है। केमिकल प्रेग्नेंसी के लक्षणों की बात करें तो इसमें प्रेग्नेंसी टेस्ट पहले तो पॉजीटिव आता है और फिर तुरंत नेगेटिव आता है।
पेट में हल्की ऐंठन और दर्द महसूस होता है, प्रेग्नेंसी कंफर्म होने के बाद ब्लीडिंग होना, खून की जांच या प्रेग्नेंसी टेस्ट के पॉजीटिव आने पर पर उसमें एचसीजी हार्मोन का लेवल कम आना भी केमिकल प्रेग्नेंसी के लक्षणों में शामिल हैं।
केमिकल प्रेग्नेंसी के कारण
वैसे तो मिसकैरेज कई वजहों से हो सकता है लेकिन ऐसा ज्यादातर भ्रूण के ठीक तरह से विकसित न होने के कारण होता है। भ्रूण के विभाजित और बढ़ने के कारण आमतौर पर जींस या क्रोमोसोम में गड़बड़ी आ जाती है।
इसके अलावा गर्भाशय की लाइनिंग सही न होने, हार्मोन के स्तर में गिरावट आने, शुक्राण या अंडे की गुणवत्ता अच्छी न होने पर, संक्रमण, 35 उम्र के बाद गर्भधारण करने पर, थायराइड या खून के थक्के जमने से जुड़ी किसी बीमारी (जैसे हीमोफीलिया) के कारण केमिकल प्रेग्नेंसी हो सकती है।
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मासिक धर्म आमतौर पर अचानक वजन घटने या बढ़ने, नियमित गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करने, तनाव एवं अन्य कारणों से रुक सकता है। लेकिन यदि आपका पीरियड 7 से 10 दिनों तक रुकता है तो यह प्रेग्नेंसी का संकेत हो सकता है।
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गर्भधारण के तीसरे हफ्ते में कुछ महिलाओं को मितली और मॉर्निंग सिकनेस होती है। इस दौरान गंध और स्वाद से उल्टी आती है और कुछ खाने का मन नहीं होता है। शरीर में हार्मोन का स्तर बढ़ने के कारण ऐसा होता है जो गर्भावस्था का लक्षण है।
अंतिम पीरियड के एक या दो हफ्ते बाद योनि से कुछ बूंद खून निकलने की स्थिति को इंप्लांटेशन ब्लीडिंग कहते हैं। स्पॉटिंग आमतौर पर तब होता है जब भ्रूण गर्भाशय में प्रत्यारोपित हो जाता है, जो कि गर्भावस्था का एक मुख्य लक्षण है।
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शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण रक्त का प्रवाह और वाटर रिटेंशन बढ़ता है जिसके कारण सामान्य से अधिक पेशाब महसूस होता है। इसके साथ ही गर्भाशय द्वारा भी ब्लैडर पर दबाव पड़ता है जिससे बार-बार पेशाब जाना पड़ता है।
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प्रेग्नेंट महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने के कारण पेट फूलना, सूजन, कब्ज और गैस जैसे लक्षण नजर आते हैं। इस दौरान भोजन करने की इच्छा नहीं होती है। पेट में गैस और सूजन भी प्रेग्नेंसी के लक्षण हैं।
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महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने के कारण मितली और बार-बार पेशाब लगने के अलावा थकान और अनिद्रा की समस्या भी होती है। हालांकि प्रेग्नेंसी के दूसरी तिमाही में महिला काफी एनर्जेटिक महसूस करती है जबकि तीसरी तिमाही में फिर से थकान और अनिद्रा का अनुभव होता है।
इन शारीरिक लक्षणों से बहुत आसानी से पहचाना जा सकता है कि आप प्रेग्नेंट हैं या नहीं। हालांकि इन लक्षणों से प्रेगनेंसी की पुष्टि नहीं होती है इसलिए आपको डॉक्टर के पास जरुर जाना चाहिए।
केमिकल प्रेग्नेंसी का इलाज
हर मामले में केमिकल प्रेग्नेंसी का ये मतलब नहीं है कि आप दोबारा गर्भधारण और स्वस्थ प्रसव नहीं कर पाएंगी।
वैसे इस प्रकार के मिसकैरेज का कोई विशिष्ट इलाज उपलब्ध नहीं है। अगर एक बार आपकी केमिकल प्रेग्नेंसी हो चुकी है तो डॉक्टर इसकी वजह जानने के लिए कुछ टेस्ट करवा सकते हैं। यदि डॉक्टर कारण का इलाज कर सकते हैं तो इससे महिला में दोबारा केमिकल प्रेग्नेंसी होने का खतरा कम हो सकता है।
उदाहरण के लिए, अगर संक्रमण के कारण केमिकल प्रेग्नेंसी हुई है तो संक्रमण को साफ करने के लिए एंटीबायोटिक लेकर गर्भधारण और भविष्य में स्वस्थ डिलीवरी की संभावना बढ़ाई जा सकती है। यदि गर्भाशय में किसी दिक्कत की वजह से मिसकैरेज हुआ है जो दिक्कत को दूर करने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
आपको यह भी पता होना चाहिए कि एक रासायनिक गर्भावस्था केवल एक ऐसी स्थिति नहीं है जिसके कारण शरीर गर्भावस्था हार्मोन का उत्पादन करता है। एचसीजी के उच्च स्तर के कारण एक्टोपिक प्रेग्नेंसी भी हो सकती है। ये तब होती है जब गर्भाशय के बाहर अंडे इंप्लांट हो जाते हैं।
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